जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

- प्रदेश में कूलर और एसी खरीदने वालों की संख्या बढ़ेगी। ऐसोकैम की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार इससे कूलर और एसी इंडस्ट्री में सालाना 66 फीसदी की विकास दर की संभावना है। इससे कम से कम 11 हजार लोगों को काम मिल सकेगा।
- प्रदेश में पानी की कमी होने का मतलब है कि कई घरों को आने वाले समय में पीने का पानी नसीब नहीं हो पाएगा। इससे वाॅटर इंडस्ट्री का तेजी से विकास हो सकेगा। भूजल दोहन संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार आने वाले पांच सालों में पैकबंद पानी के उत्पादन में 112 फीसदी तक की बढ़ोतरी दर्ज होने का अनुमान है।
- आरओ वाॅटर फिल्टर बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी की इंटरनल रिपोर्ट के अनुसार बारिश में गिरावट आने से भूजल के टीडीएस में बढ़ोतरी होगी। इससे कंपनी को प्रदेश में अपनी आरओ मशीनों की बिक्री में सालाना 178 फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद है।
- प्रदेश के अफसरों की एक लाॅबी भी इस रिपोर्ट से खुश में बताई जाती है। पानी की कमी होने से प्रदेश भर में नर्मदा पेयजल की डिमांड बढ़ेगी। इससे नर्मदा पाइप लाइन बिछाए जाने की योजनाएं बनानी पड़ेंगी, जिससे अफसरों को अपने विकास का मौका मिल सकेगा।
- प्रदेश में पानी की कमी होने का मतलब है कि कई घरों को आने वाले समय में पीने का पानी नसीब नहीं हो पाएगा। इससे वाॅटर इंडस्ट्री का तेजी से विकास हो सकेगा। भूजल दोहन संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार आने वाले पांच सालों में पैकबंद पानी के उत्पादन में 112 फीसदी तक की बढ़ोतरी दर्ज होने का अनुमान है।
- आरओ वाॅटर फिल्टर बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी की इंटरनल रिपोर्ट के अनुसार बारिश में गिरावट आने से भूजल के टीडीएस में बढ़ोतरी होगी। इससे कंपनी को प्रदेश में अपनी आरओ मशीनों की बिक्री में सालाना 178 फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद है।
- प्रदेश के अफसरों की एक लाॅबी भी इस रिपोर्ट से खुश में बताई जाती है। पानी की कमी होने से प्रदेश भर में नर्मदा पेयजल की डिमांड बढ़ेगी। इससे नर्मदा पाइप लाइन बिछाए जाने की योजनाएं बनानी पड़ेंगी, जिससे अफसरों को अपने विकास का मौका मिल सकेगा।
कलंक से मुक्त होगा प्रदेश!
इस समय देश में सबसे ज्यादा जंगल मप्र में ही हैं। यह हमारे लिए शर्म की बात है कि इतने प्रयासों के बाद भी हम जंगलों से मुक्त नहीं हो पाए हैं। लेकिन अब मौसम विभाग की इस ताजा रिपोर्ट ने उम्मीद जगाई है। इसके अनुसार बीते 60 सालों में जंगलों की अंधाधुंध कटाई हुई है। पर्यावरण विनाशवादियों ने उम्मीद जताई है कि अगर यही रफ्तार जारी रही तो हम अगले एक दशक में इस कलंक से मुक्त हो जाएंगे। इसमें उन्होंने वन मकहमे से महती भूमिका निभाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि बिल्डर्स, डेवलपर्स के साथ आम जनता को भी इसके लिए आगे आना होगा।
हम साथ हैं: सिटीजन फोरम
राजधानी के एक सिटीजन फोरम ने कहा है कि वह इस दिशा में अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ेगा। फोरम ने कहा है कि उसके सदस्य पेड़ तो नहीं काट सकते, लेकिन जमीन के भीतर पानी को कम करने में अपना पूरा योगदान दे सकते हैं।
इस समय देश में सबसे ज्यादा जंगल मप्र में ही हैं। यह हमारे लिए शर्म की बात है कि इतने प्रयासों के बाद भी हम जंगलों से मुक्त नहीं हो पाए हैं। लेकिन अब मौसम विभाग की इस ताजा रिपोर्ट ने उम्मीद जगाई है। इसके अनुसार बीते 60 सालों में जंगलों की अंधाधुंध कटाई हुई है। पर्यावरण विनाशवादियों ने उम्मीद जताई है कि अगर यही रफ्तार जारी रही तो हम अगले एक दशक में इस कलंक से मुक्त हो जाएंगे। इसमें उन्होंने वन मकहमे से महती भूमिका निभाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि बिल्डर्स, डेवलपर्स के साथ आम जनता को भी इसके लिए आगे आना होगा।
हम साथ हैं: सिटीजन फोरम
राजधानी के एक सिटीजन फोरम ने कहा है कि वह इस दिशा में अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ेगा। फोरम ने कहा है कि उसके सदस्य पेड़ तो नहीं काट सकते, लेकिन जमीन के भीतर पानी को कम करने में अपना पूरा योगदान दे सकते हैं।