By Jayjeet Aklecha/ जयजीत अकलेचा
यहां आपको कॉन्टेंट मिलेगा कभी कटाक्ष के तौर पर तो कभी बगैर लाग-लपेट के दो टूक। वैसे यहां हरिशंकर परसाई, शरद जोशी जैसे कई नामी व्यंग्यकारों के क्लासिक व्यंग्य भी आप पढ़ सकते हैं।
शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
चिंदी चिंतन... करप्शन पर बंटेंगे, तो मिटेंगे...!
गुरुवार, 10 अक्तूबर 2024
‘AI के लिए कोई मौत नहीं लिखी होगी। यह हमेशा ज़िंदा रहेगी, और फिर हमारे सिर पर होगा एक अमर तानाशाह...’
By जयजीत अकलेचा (Jayjeet Aklecha)
इलॉन मस्क अपने रुतबे वाले उन चंद लोगों में शुमार हैं, जो AI को लेकर लगातार चिंता जताते आए हैं। ऐसे में मशीन लर्निंग के लिए नोबेल पुरस्कार के एलान पर मुझे मस्क याद आ रहे हैं और याद आ रहा है कुछ अरसा पहले उनके द्वारा किया गया एक ट्वीट। मस्क ने उसमें कहा था कि इंसानों को उत्तर कोरिया के बजाय AI के बारे में अधिक चिंतित होना चाहिए। मसलन, परमाणु हथियारों के बजाय AI, क्योंकि उनकी नजर में AI परमाणु हथियारों से भी कहीं अधिक घातक है।
वैसे मस्क की नज़र में AI अपने आप में कोई बड़ा ख़तरा नहीं है, वैसे ही जैसे परमाणु ऊर्जा भी अपने आप में घातक नहीं है। ख़तरा तो वह AI है, जिसे अनियंत्रित और बग़ैर नियम-कायदों के खुल्ला छोड़ दिया गया है। उन्होंने इस परिदृश्य को एक तानाशाह के शासन से भी बदतर बताया है: ‘अगर कोई तानाशाह बहुत दुष्ट है, तब भी एक न एक दिन उसका मरना तय होता है। लेकिन AI के लिए कोई मौत लिखी नहीं होगी। यह हमेशा ज़िंदा रहेगी, और फिर हमारे सिर पर एक ऐसा अमर तानाशाह होगा, जिससे हम कभी बच नहीं सकेंगे।' (माइकल व्लिसमस की बायोग्राफी ‘Elon Musk - Risking It All’)
सवाल यह है कि क्या कोई सरकार इसको लेकर फिक्रमंद है? माफ करना मैं भारत की बात नहीं कर रहा। यहां तो हम अभी तक जाति और धर्म से ऊपर नहीं उठ पाए हैं। तो यहां हम AI के विनाशकारी तूफान के गुजरने के बाद इसकी बात करेंगे, गर फुर्सत मिली। मैं अमेरिका सहित उन चंद विकसित देशों की बात कर रहा हूं, जो विज्ञान के क्षेत्र में कथित तौर पर काफी प्रगति कर चुके हैं। और दुर्भाग्य से किसी भी सरकार के एजेंडे में AI के नियंत्रण को लेकर कोई रोड मैप नहीं है।
अगर मस्क जैसा शख्स कह रहा है कि मनुष्य के अस्तित्व के सामने यह सबसे बड़ा संकट है, और सबसे गंभीर संकट भी, तो इसे पूरी मानव जाति को गंभीरता से लेना चाहिए। और उनके हालिया बयान के मद्देनजर यहां फिर भारत का जिक्र करना चाहूंगा। उन्होंने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा था, ‘अगर आप नौकरी करना चाहते हैं तो कीजिए, लेकिन केवल शौक के लिए। नहीं तो काम तो AI और रोबोट कर ही लेंगे।’ भारत जैसे विकासशील देशों में जहां बेरोजगारी एक भयावह समस्या है, हम इस बढ़ते खतरे को हल्के में नहीं ले सकते और न ही यह कहकर हाथ पर हाथ धरे बैठे रह सकते है कि जो बंदा अपडेटेड रहेगा, वही टिकेगा। कैसे? AI से अपडेटेड भला कौन हो सकेगा? तो टिकेगी तो केवल एआई!
और नोबेल अवार्ड की घोषणा के तुरंत बाद स्वयं हिंटन ने क्या कहा, वह भी जान लेते हैं: "We need to worry about bad consequences (of AI).’
और अवार्ड मिलने के तुरंत बाद अपने पहले इंटरव्यू में जब इंसानी अस्तित्व के खतरे को लेकर वे AI के प्रति आगाह करते हैं तो उनके गंभीर चेहरे के पीछे नोबेल पुरस्कार मिलने की खुशी से ज्यादा एक दर्द को महसूस कर सकते हैं।
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