शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2025

जब अगले सप्ताह ट्रम्प से मिलें मोदीजी तो सिकंदर-पोरस की कहानी जरूर सुनाएं…

By Jayjeet Aklecha

हमारे प्रधानमंत्रीजी की एक अच्छी खासियत यह है कि वे जब भी किसी दूसरे देश के राष्ट्रपतिजी या प्रधानमंत्रीजी से मिलते हैं, तो उनसे गले लगकर मिलते हैं। इससे समकक्ष होने का एहसास होता है। सवाल यह है कि जब अगले सप्ताह मोदीजी की ट्रम्पजी से मुलाकात होगी तो तब भी वे क्या ट्रम्प से वैसे ही गले लगकर मिलेंगे? और क्या ट्रम्प उनसे गले लगना चाहेंगे? और सबसे बड़ा सवाल यह भी कि क्या ट्रम्प उन्हें (या किसी और भी) अपना समकक्ष मानते भी हैं?
भारतीय आप्रवासियों (भले ही अवैध हों) को जिस तरह से आतंकियों की तरह भारत भेजा गया, उससे कोई घोर ‘गैर राष्ट्रवादी’ भी आहत हुए बगैर नहीं रह सकता। यह काम तो पाकिस्तान जैसा कथित शत्रु भी नहीं करता, जैसा अमेरिका जैसे कथित मित्र ने किया है। और विदेश मंत्री एस. जयशंकर का वह बयान तो और भी ज्यादा पीड़ादायक है, जिसमें वे कहते हैं कि यह कोई नई बात नहीं है। अमेरिका की यही रणनीति है। उनके बयान को पढ़कर ऐसा महसूस हो रहा है कि वे अमेरिका की ओर से ‘भारत देश’ को सफाई दे रहे हैं। और लगे हाथ वे यह जोड़ना भी नहीं भूले कि पहले भी (2012 में कांग्रेस सरकार के दौरान) ऐसा होता रहा है। तो क्या भविष्य में अगर कोई गैर भाजपा सरकार सत्ता में आती है तो क्या वह इतनी ही बेहयाई से यह कहकर आतंकियों को रिहा कर देगी कि पहले भी ऐसा हुआ है (1999, कंधार)! क्या भविष्य के ऐसे कृत्यों को अतीत के आधार पर जस्टिफाई किया जा सकता है?
खैर, जब मोदी जी अपने दोस्त ट्रम्प ने मिले तो उन्हें सिकंदर और राजा पोरस की वह कहानी जरूर याद करनी चाहिए और हो सके तो सुनाना भी चाहिए। कहानी आप सब जानते ही हैं कि जब परास्त पोरस ने भी सिकंदर जैसे बलशाली राजा से यह कहने की हिम्मत की थी- एक शासक को दूसरे शासक के साथ हमेशा शासक जैसा ही सलूक करना चाहिए... यह बात देशों पर भी लागू होनी चाहिए।

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