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शुक्रवार, 20 दिसंबर 2024
इलॉन मस्क - भविष्य के वास्तुकार : एक लीजेंड की ज़िंदगी का एनालिसिस
* विश्वदीप नाग
अपनी उद्यमशीलता से जुड़े कीर्तिमानों और विवादास्पद बयानों के लिए अक्सर चर्चा में रहने वाले इलॉन मस्क दुनिया की सबसे चर्चित हस्तियों में गिने जाते हैं। उनके विराट और रहस्यमय व्यक्तित्व और उनकी जीवन यात्रा को समझना आसान नहीं है। टेस्ला और स्पेसएक्स जैसी अरबों डॉलर की कंपनियों के शिल्पकार के रूप में वे दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए हैं। 2022 में, उन्होंने ट्विटर को ख़रीदने की बोली के साथ दुनियाभर में सुर्खियाँ बटोरी थीं। दक्षिण अफ़्रीका की अपनी जड़ों से आगे जाकर मस्क ने अपने लिए काफ़ी नाम कमाया है।
दक्षिण अफ़्रीकी पत्रकार और लेखक माइकल व्लिसमस ने 'इलॉन मस्क: रिस्किंग इट ऑल' में कामयाबी की जीवंत किंवदंती बन चुके इस व्यक्तित्व की सच्ची कहानी का सिलसिलेवार वर्णन प्रस्तुत किया है। मंजुल पब्लिशिंग हाउस ने 'इलॉन मस्क : भविष्य के वास्तुकार' शीर्षक से इसका हिंदी अनुवाद प्रकाशित किया है। गहन शोध के बाद लिखी गई यह आकर्षक किताब कई मिथकों को दूर करती है तथा मस्क के पिता से जुड़े विवाद के अन्य पक्षों को भी प्रस्तुत करती है।
व्लिसमस अन्य जीवनीकारों से अलग
व्लिसमस उन अन्य जीवनीकारों से अलग हैं, जिन्होंने मस्क के पीछे छिपे विशाल व्यक्तित्व को समझने की कोशिश की है। व्लिसमस के बारे में ख़ास बात यह है कि मस्क और उन्होंने प्रिटोरिया में एक ही स्कूल में पढ़ाई की है। लिहाज़ा, व्लिसमस उस माहौल को अच्छी तरह से जानते हैं, जिसने मस्क की जीवन यात्रा और कामयाबी को आकार दिया।
यह जीवनी इसलिए इतनी समृद्ध है, क्योंकि इसमें मस्क को व्यक्तिगत रूप से जानने वाले और दक्षिण अफ़्रीका में उनके प्रारंभिक वर्षों का हिस्सा रहे लोगों के प्रत्यक्ष अनुभवों को समाविष्ट किया गया है, जो इस सवाल का जवाब देने की कोशिश करती है: मस्क वास्तव में हैं कौन?
दुर्लभ जानकारी
व्लिसमस ने अपने अनुभवों को मस्क के बचपन के दोस्तों, शिक्षकों और परिचितों के अनुभवों के साथ मिलाकर 1980 के दशक में दक्षिण अफ़्रीकी शिक्षा प्रणाली की तस्वीर पेश की है। यह एक ऐसी दुनिया थी, जिसमें समझौता न करने वाला अनुशासन, सामाजिक विभाजन, नस्लीय तनाव और हिंसक उत्पात शामिल थे।
यह जीवनी मस्क के बचपन के दिनों की खोज है, जैसा कि वास्तव में वहाँ मौजूद लोगों ने बताया। व्लिसमस पाठकों को मस्क के शुरुआती वर्षों के बारे में दुर्लभ जानकारी प्रदान करते हैं, इससे पहले कि युवा मस्क आज के उद्योग जगत के विवादास्पद बादशाह बन गए, जिसके लिए उन्होंने सब कुछ जोखिम में डाल दिया और अपनी तक़दीर ख़ुद लिख दी।
जीवनी यह पड़ताल करती है कि मंगल ग्रह पर बसने की भव्य योजनाओं की बात करने वाले इस नवाचारी धन्नासेठ की दृष्टि के केंद्र में क्या है? वे जोखिम से इतना बेखौफ़ क्यों हैं? अजीबोगरीब प्रिटोरिया स्कूली लड़के के रूप में कॉमिक्स और विज्ञान कथाएँ पसंद थीं, लेकिन उनके शुरुआती साल और पारिवारिक पृष्ठभूमि उनकी शानदार महत्वाकांक्षाओं को आकार देने में किस प्रकार महत्वपूर्ण थे ? मस्क के विकास बारे में लेखक नई अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं, जिसमें पिता के साथ उनके परेशान रिश्ते भी शामिल हैं।
विलक्षण हस्ती का बख़ूबी चित्रण
यह कृति मस्क के दक्षिण अफ़्रीकी बचपन से लेकर 17 साल की उम्र में कैनेडा और फिर अमेरिका जाने तक, उनके उल्लेखनीय जीवन का पता लगाते हुए एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जो मानवता में आशावाद को बनाए रखने और ‘सितारों के बीच’ मनुष्यों के लिए भविष्य खोजने की दिशा में प्रेरित है। इसमें उनकी व्यावसायिक उपलब्धियों के साथ-साथ, उनके निजी जीवन के भी अनेक क़िस्से हैं, चाहे वह मॉडल और गायकों के साथ उनके संबंध हों, या बच्चों के दिलचस्प नाम। मस्क बहुत ही विलक्षण व्यक्ति हैं, यह जीवनी इसे बख़ूबी चित्रित करती है।
शानदार अनुवाद
अँग्रेज़ी में लिखी गई मूल कृति के हिंदी संस्करण की ख़ासियत इसका शानदार अनुवाद है, जो वरिष्ठ पत्रकार जयजीत अकलेचा ने किया है। वे शाब्दिक अनुवाद से बचे हैं और उन्होंने इसकी सुबोधगम्यता को क़ायम रखा है। इसकी वजह से जीवनी का हिंदी अनुवाद बेहद पठनीय हो गया है।
( समीक्षक वरिष्ठ पत्रकार हैं , संपर्क - 62607 74189)
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गुरुवार, 10 अक्टूबर 2024
‘AI के लिए कोई मौत नहीं लिखी होगी। यह हमेशा ज़िंदा रहेगी, और फिर हमारे सिर पर होगा एक अमर तानाशाह...’
By जयजीत अकलेचा (Jayjeet Aklecha)
इलॉन मस्क अपने रुतबे वाले उन चंद लोगों में शुमार हैं, जो AI को लेकर लगातार चिंता जताते आए हैं। ऐसे में मशीन लर्निंग के लिए नोबेल पुरस्कार के एलान पर मुझे मस्क याद आ रहे हैं और याद आ रहा है कुछ अरसा पहले उनके द्वारा किया गया एक ट्वीट। मस्क ने उसमें कहा था कि इंसानों को उत्तर कोरिया के बजाय AI के बारे में अधिक चिंतित होना चाहिए। मसलन, परमाणु हथियारों के बजाय AI, क्योंकि उनकी नजर में AI परमाणु हथियारों से भी कहीं अधिक घातक है।
वैसे मस्क की नज़र में AI अपने आप में कोई बड़ा ख़तरा नहीं है, वैसे ही जैसे परमाणु ऊर्जा भी अपने आप में घातक नहीं है। ख़तरा तो वह AI है, जिसे अनियंत्रित और बग़ैर नियम-कायदों के खुल्ला छोड़ दिया गया है। उन्होंने इस परिदृश्य को एक तानाशाह के शासन से भी बदतर बताया है: ‘अगर कोई तानाशाह बहुत दुष्ट है, तब भी एक न एक दिन उसका मरना तय होता है। लेकिन AI के लिए कोई मौत लिखी नहीं होगी। यह हमेशा ज़िंदा रहेगी, और फिर हमारे सिर पर एक ऐसा अमर तानाशाह होगा, जिससे हम कभी बच नहीं सकेंगे।' (माइकल व्लिसमस की बायोग्राफी ‘Elon Musk - Risking It All’)
सवाल यह है कि क्या कोई सरकार इसको लेकर फिक्रमंद है? माफ करना मैं भारत की बात नहीं कर रहा। यहां तो हम अभी तक जाति और धर्म से ऊपर नहीं उठ पाए हैं। तो यहां हम AI के विनाशकारी तूफान के गुजरने के बाद इसकी बात करेंगे, गर फुर्सत मिली। मैं अमेरिका सहित उन चंद विकसित देशों की बात कर रहा हूं, जो विज्ञान के क्षेत्र में कथित तौर पर काफी प्रगति कर चुके हैं। और दुर्भाग्य से किसी भी सरकार के एजेंडे में AI के नियंत्रण को लेकर कोई रोड मैप नहीं है।
अगर मस्क जैसा शख्स कह रहा है कि मनुष्य के अस्तित्व के सामने यह सबसे बड़ा संकट है, और सबसे गंभीर संकट भी, तो इसे पूरी मानव जाति को गंभीरता से लेना चाहिए। और उनके हालिया बयान के मद्देनजर यहां फिर भारत का जिक्र करना चाहूंगा। उन्होंने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा था, ‘अगर आप नौकरी करना चाहते हैं तो कीजिए, लेकिन केवल शौक के लिए। नहीं तो काम तो AI और रोबोट कर ही लेंगे।’ भारत जैसे विकासशील देशों में जहां बेरोजगारी एक भयावह समस्या है, हम इस बढ़ते खतरे को हल्के में नहीं ले सकते और न ही यह कहकर हाथ पर हाथ धरे बैठे रह सकते है कि जो बंदा अपडेटेड रहेगा, वही टिकेगा। कैसे? AI से अपडेटेड भला कौन हो सकेगा? तो टिकेगी तो केवल एआई!
और नोबेल अवार्ड की घोषणा के तुरंत बाद स्वयं हिंटन ने क्या कहा, वह भी जान लेते हैं: "We need to worry about bad consequences (of AI).’
और अवार्ड मिलने के तुरंत बाद अपने पहले इंटरव्यू में जब इंसानी अस्तित्व के खतरे को लेकर वे AI के प्रति आगाह करते हैं तो उनके गंभीर चेहरे के पीछे नोबेल पुरस्कार मिलने की खुशी से ज्यादा एक दर्द को महसूस कर सकते हैं।
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