हिंदी सटायर। मौका श्राद्ध का है। लेकिन इसके बावजूद कौव्वे कहीं नजर नहीं आ रहे। हाल ही में एक स्टडी में भी कहा गया है कि कौव्वे तेजी से लुप्त हो रहे हैं। लेकिन हमारे संवाददाता किसी तरह एक कौव्वे से टेलीफोनिक इंटरव्यू करने में सफल रहे। पेश हैं उसके मुख्य अंश :
हिंदी सटायर : आजकल कहां गायब हो गए हों?
कौव्वा: हम गायब नहीं हुए हैं, बल्कि श्राद्ध पक्ष में हमें छिपना पड़ रहा है। सेहत का जो सवाल है।
हिंदी सटायर : ऐसा क्यों?
कौव्वा: पता नहीं कौन हमें पकड़कर खाना-वाना खिला दें?
हिंदी सटायर : अरे, कौव्वा भाई, वो तो सम्मान के रूप में आपको भोजन करवाते हैं? इसमें इतना क्यों अकड़ते हो?
कौव्वा: हमारा भी पेट, दिल और किडनियां हैं। इंसान को अपनी फिकर नहीं है, हमें तो है। वे मिलावटी खाकर हार्ट और डायबिटीज के पेशेंट बन रहे हैं। हमें नहीं बनना। कोरोना काल अलग चल रहा है।
हिंदी सटायर : लेकिन इंसान तो आपको पितरों की तरह पूजकर भोजन करवाता है?
कौव्वा: छोटा मुंह बड़ी बात। पर श्राद्ध का इंतजार क्यों करते हैं? जीते-जी जो असली पितर हैं, उन्हें भी थोड़ा अटेंशन दे दो भाई। फिर हमें भोजन करवाएं। तब हम भोजन ही नहीं करेंगे, आशीर्वाद भी देंगे, वादा रहा।
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