रविवार, 6 अप्रैल 2025

एक बीमार इंसान की बॉडी शेमिंग करने वाले क्या ज्यादा बीमार नहीं?

 

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By Jayjeet Aklecha

आज हम कितने विचित्र विरोधाभासी दौर में जी रहे हैं। एक तरफ हम बेहद संवेदनशील हैं। नाजुक-सी भावनाएं। जरा सा किसी ने कुछ कहा नहीं कि चटक जाती हैं। वहीं दूसरी तरफ संवेदनाओं से विहीन। इसकी कई मिसालें तो हमें अपनी-अपनी अंतरात्माओं में ही मिल जाएंगी।

यहां संवेदनहीनता के जिस हालिया मामले का जिक्र कर रहा हूं, वह अनंत अंबानी का है। वो कुछ बीमारियों से ग्रस्त हैं। खबरों के मुताबिक, कुछ ऐसी गंभीर बीमारियां, जिनसे किसी भी सभ्य व विवेकशील इंसान को उनके प्रति संवेदना होनी चाहिए, भले ही वो भारत के सबसे धनकुबेर के पुत्र ही क्यों न हों।

हम अरसे से उनका मजाक उड़ते देख रहे हैं। स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने हाल ही में महाराष्ट्र के एक नेता का बिल्कुल उचित मजाक उड़ाया था। लेकिन जब वे अनंत जैसे बीमार व्यक्ति की बॉडी शेमिंग करते हैं तो ऐसे कॉमेडियन और उस भद्दी कॉमेडी पर हंसने वाले मानसिक बीमारों पर लज्जा आने लगती है।

ताजा मामला अपनी पदयात्रा के दौरान अनंत द्वारा कुछ चिकन को बचाने का है। ऐसी खबरें और इसकी तस्वीरें सामने आते ही कई लोग उन पर टूट पड़े। इनमें धुरंधर यूट्यूबर ध्रुव राठी भी हैं। उनका यह सवाल वाजिब है कि आखिर अनंत इससे कितने चिकन बचा लेंगे? लेकिन समस्या उनके पूछने के अंदाज से है। यह अंदाज बताता है कि मकसद सवाल उठाना नहीं, अनंत के इस प्रयास का मजाक उड़ाना है। और इससे यह भी पता चलता है कि बड़ी सेलेब्रिटी बनना और बड़ा दिलवाला बनना, दोनों में जमीन-आसमान का अंतर है। आपने नॉलेज तो अर्जित कर लिया, लेकिन विज्डम से दूर रहे। ज्ञानी होना आसान है, विवेकशील नहीं, क्योंकि इसके लिए ज्ञान के साथ 'शील' जरूरी है।

हो सकता है आपको मोदी पसंद न हो। और इसीलिए आपको उनके कथित दोस्त मुकेश अंबानी भी पसंद नहीं होंगे? ठीक है, भू-राजनीति का एल्गोरिदम आप इंसानी रिश्तों में भी ले लाइए कि दुश्मन का दोस्त दुश्मन! लेकिन इसके बावजूद किसी के बीमार बेटे का मजाक उड़ाने का हक कम से कम इंसानी सभ्यताओं में तो किसी ने किसी को नहीं दिया है... हां, अगर आप किसी एलियन सभ्यता में रह रहे हैं, तो अलग बात है... तब मुबारक हो ऐसी सभ्यता।

#anantambani Kunal Kamra Dhruv Rathee #jayjeetaklecha #जयजीत अकलेचा

 

गुरुवार, 3 अप्रैल 2025

यह डराने का डबल खेल है...! इस तरफ से भी, उस तरफ से भी...। डरना तो बनता है!!!

rahul with modi waqf board
By Jayjeet

हमारे यहां सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, उन्हें तमाम ऐसे मसलों पर चर्चा करने में बड़ा आनंद आता है, जिनमें धर्म का जरा-सा भी एंगल हो.... वक्फ बोर्ड विधेयक पर सदन में सुचारू चर्चा होगी, इस बात की पूरी संभावना थी। और यही हुआ। 12 घंटे तक संसद इस मुद्दे पर चर्चा करती रही।
बेशक, यह भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, लेकिन इस पर बेरोक-टोक चर्चा सिर्फ इसलिए नहीं हुई कि यह बेहद महत्वपूर्ण मुद्दा है। सुचारू रूप से चर्चा इसलिए हुई, क्योंकि इसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को अपने-अपने नरेटिव्स को और भी मजबूती देने में मदद मिली... मानों मिलीभगत हो... तुम भी कहो, हम भी कहें... गोया कि जनता के लिए तो हर दिन 1 अप्रैल है...!
सत्ताधारी दल, और कमोबेश सरकार भी, जिसे मुस्लिमों के प्रति अपनी घृणा को छिपाना कभी नहीं आया, के लिए यह अपने कोर सनातनी मतदाताओं के सामने इस नरेटिव को ताकतवर बनाने का मौका था कि देखो, हम अब किस तरह से मुस्लिम समुदाय के गिरेबान में हाथ डाल सकते हैं। कानून के जरिए उनके धार्मिक स्थलों तक हमारी पहुंच होगी। इससे उसे अपने मतदाताओं के बीच अपनी विश्वसनीयता को बढ़ाने का मौका मिला है।
विपक्षियों के बीच 'एक अनार, सौ बीमार' जैसी स्थिति रही। हर किसी में मुस्लिम समुदाय का पैरोकार दिखने की होड़ नजर आई (नागपुर इस पर मंद-मंद मुस्करा भी रहा होगा!)। सदन में बिल को फाड़ने की औवेसी की तस्वीर तो इतनी ऐतिहासिक बन गई कि वह उनकी अगली एक-दो पीढ़ियों को भी वोट दिलाती रहेगी।
खासकर कांग्रेस की समस्या बड़ी विकट है। मुस्लिमों का मसला अब उससे न निगलते बनता है, न उगलते। कांग्रेस करीब 55 साल तक केंद्र की सत्ता में रही है, लेकिन उसने मुस्लिमों को मुख्य धारा से इतना काटकर रखा कि आज न वह उनके असल मुद्दों को समझने की स्थिति में है, न उन्हें समझाने की स्थिति में। राहुल अब भी उस रटे-रटाए मुआवरे को दोहराते नजर आए कि ‘यह बिल मुसलमानों की सम्पत्ति को हड़पने के लिए बनाया गया।'
दरअसल, वक्फ वाला पूरा इश्यू डराने का डबल खेल है। भाजपा एंड पार्टी ने वक्फ बोर्ड के नाम पर यह नरेटिव सेट किया कि बोर्ड किसी की भी संपत्ति हड़प सकता है (वैसे ही जैसे हिंदू महिलाओं के मंगलसूत्र लूट लिए जाएंगे!)। विपक्षी दलों ने भी काउंटर में डराने का खेल खेला कि इससे मुस्लिमों का सबकुछ छीन लिया जाएगा। फिर उनसे कोई नहीं पूछ रहा कि आपने सत्ता में रहते ऐसा कुछ दिया भी है, जिसे छिना जा सके? शिक्षा, नौकरी, कारोबार! कांग्रेस तो 55 साल सत्ता में रही।
पुनश्च... हिंदू मुसलमान से डर रहा है, मुसलमान हिंदू से.... मगर हमें डरना चाहिए AI/AGI से, जलवायु परिवर्तन से। ये ईश्वर की सत्ता को चुनौती दे रहे हैं। मगर चूंकि ये कमबख्त हमें डराते नहीं हैं, इसलिए संसद की चर्चाओं में भी नहीं आते।
(तस्वीर : एआई से जनरेट की हुई)