जैसे ही कुछ लोगों द्वारा गैस सिलेंडर को लतियाने की खबर मिली, रिपोर्टर अपनी संवेदना जताने सिलेंडर के पास पहुंच गया..
रिपोर्टर : यह तो ठीक नहीं हुआ। आपको पैरों से लतियाया गया।
सिलेंडर : आ गए, जले को लाइटर लगाने। वैसे लतियाते पैरों से ही है, हाथों से नहीं... इट्स कॉमन सेंस...
रिपोर्टर : हां हां, पर कौन थे ये लोग?
सिलेंडर : रिपोर्टर आप हो। पता आपको होना चाहिए। और अब अगला डायलॉग जॉली एलएलबी फिलिम का यह मत मार देना- न जाने कहां से आते हैं ये लोग।
रिपोर्टर : हां, याद आया। ये मप्र यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता थे। पर यह सवाल तो लाजिमी है - आज ये सालों बाद कहां से आ गए? बल्कि यह पूछना ज्यादा उचित होगा- बीच-बीच में कहां चले जाते हैं ये लोग?
सिलेंडर : युवा कांग्रेस पर तो मेरा मुंह मत खुलवाओ, यही अच्छा होगा।
रिपोर्टर : कहीं ऐसा तो नहीं कि एक तरफ तमिलनाडु में राहुल गांधी पुश-अप लगा रहे थे। तो शायद अपने नेता के सामने अपनी धाक जमाने के लिए युवा कांग्रेसियों ने आपको लतियाया हो!
सिलेंडर : हां, धाक तो गरीब पर ही जमाई जाती है। भाव गैस के ऊंचे हो रहे और लात हम गरीब खा रहे हैं। अगर धाक जमानी ही थी तो भरी हुई गैस वाले सिलेंडर के साथ जमाते। नानी याद आ जाती।
रिपोर्टर : इटली वाली ...!!!
सिलेंडर : आप कांग्रेसियों के नितांत पर्सनल इश्यू पर जा रहे हैं। इट्स नॉट फेयर। मैंने केवल मुहावरे का यूज किया था...
रिपोर्टर : खैर, असली मुद्दे पर आते हैं। यह सरकार कब समझेगी कि सिलेंडर जैसी चीजों, मेरा मतलब गैस के दाम बढ़ने से गरीबों को कितनी दिक्कत हो रही है।
सिलेंडर : जिस दिन समझ गई, उस दिन तो बेचारे नेहरूजी की शामत आ जाएगी।
रिपोर्टर : कैसे, इसका नेहरूजी से क्या लेना-देना?
सिलेंडर : अगर सरकार की पार्टी वाले मतलब बीजेपियों को यह लग गया कि गैस के दाम बढ़ने से उनके मतदाता बिचक रहे हैं तो वे नेहरूजी के पुतले फूंकना शुरू कर देंगे, यह कहते हुए कि आज गैस के दाम इसलिए बढ़ रहे हैं, क्योंकि 50 साल पहले नेहरू सरकार ने कुछ नहीं किया...
रिपोर्टर : वाह, आप तो बड़े दूरंदेशी हैं... तो फिर करना क्या चाहिए?
सिलेंडर : देखो भाई, बहुत सवाल हो गए, और सब के सब फालतू के सवाल। अब और पूछकर मेरा बीपी मत बढ़ाओ। लतियाने की वजह से मैं पहले से ही मेंटली परेशान हूं। टेंशन से मेरा सिर फटा जा रहा है, मैं पूरा फटूं, उससे पहले ही नौ दो ग्यारह हो जाओ... नहीं तो तुम्हारी ब्रेकिंग न्यूज बन जाएगी...
रिपोर्टर : रुको भाई, भागता हूं मैं...
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