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रविवार, 21 जून 2020

इस पति ने लिखकर दिया है कि वह भविष्य में सपने में भी ‘बायकॉट’ शब्द का नाम तक न लेगा, क्यों? पढ़ें यहां…




By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क। हमेशा भावनाओं में बहना अच्छी बात नहीं है। ग्राउंड रिएलिटीज देखना भी जरूरी है। लेकिन यहां के एक पति ने इसका ध्यान नहीं रखा और बायकॉट की राजनीति का शिकार हो गया।

यह घटना भोपाल के रानीगंज क्षेत्र में रविवार की सुबह घटित हुई। पति के एक जलकुकड़े पड़ोसी सूत्र की मानें तो इस क्षेत्र के एक मध्यमवर्गीय घर में रहने वाले एक मासूम पति ने टीवी और सोशल मीडिया पर चल रही ‘बायकॉट चाइनीज प्रोडक्ट्स’ की रौ में बहकर खुलेआम धमकी भरे अंदाज में बायकॉट्स की एक भरी-पूरी सूची अपनी पत्नी को थमा दी। इस सूची में पति ने बाकायदा तीन चीजों का बायकॉट करने की धमकी दी थी – बायकॉट चाय मेकिंग, बायकॉट लौकी एंड बायकॉट कपड़े सूखाना।

उस जलकुकड़े सूत्र (जो एक अन्य महिला का पति ही है) ने बड़े ही शान से बताया , “उसकी पत्नी ने वह सूची ली। उस पर तिरछी नजर डाली और फिर फाड़ दी। उसके बाद, अहा, कसम से, मजा आ गया। पूछो ही मत …।”

फिर क्या हुआ? इसके जवाब में जलकुकड़े सूत्र ने कहा- “मैंने खिड़की से हटने में ही भलाई समझी। ज्यादा देर तक तमाशा देखने में रिस्क था। पकड़ा जाता तो! मेरी भी पत्नी है घर में! आपका क्या!!”

उस जलकुकड़े ने दावा किया कि उस पति ने बाकायदा यह भी लिखकर दिया है कि वह भविष्य में बायकॉट शब्द के बारे में सपने में भी नहीं सोचेगा। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो सकी। इस बीच, उस पति की इस ओछी हरकत की अन्य सभी पतियों ने अपनी-अपनी पत्नियों के समक्ष कड़े शब्दों में निंदा की है।

गौरतलब है कि यह पति पहले भी ‘बायकॉट चीनी प्रोडक्ट्स’ जैसे कैम्पेन के दौरान आज जैसे हल्के-फुल्के समाज विरोधी कृत्यों में शामिल रहा था। लेकिन तब लोगों ने उसका बचपना समझकर उसे इग्नोर कर दिया था। लेकिन क्या पता था कि यह आदमी भविष्य में इतना बड़ा समाज विरोधी कदम उठा लेगा।

(Disclaimer : यह खबर कपोल-कल्पित है। कोई भी पति इतना बड़ा जोखिम नहीं उठा सकता।)

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बुधवार, 17 जून 2020

Satire : सरकार का बड़ा फैसला, फसलें खराब न होने पर अफसरों को मिलेगा मुआवजा!



हिंदी सटायर डेस्क, भोपाल। मानसून की दस्तक के साथ ही मप्र सरकार ने ‘अफसर मुआवजा कोष’ बनाने का ऐलान कर दिया है। फसलें खराब न होने की स्थिति में इस कोष से संबंधित अफसरों को मुआवजा दिया जाएगा।

सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, “फसलें खराब होना या न होना प्रभु के हाथ में है। इस पर हमारा कोई बस नहीं है। लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि फसलें खराब न होने की स्थिति में हमारे सरकारी अफसर किसानों की तरह सुसाइड करने को मजबूर हो जाएं। इसलिए हमने निर्णय लिया है कि अगर फसलें बर्बाद नहीं होती हैं तो अफसर मुआवजा कोष से अफसरों को उतनी राशि मुआवजे में दी जाएगी, जितनी कि मुआवजा वितरण के दौरान वे खुद ही स्व-प्रेरणा से ले लेते हैं।”

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शुक्रवार, 5 जून 2020

बारिश में अधिक से अधिक भीगे अनाज, सरकारी महकमे ने की पूरी तैयारी



By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क। मानसून की आहट सुनते ही मप्र सरकार ने मंडियों में रखी उपज के भीगने के पूरे इंतजाम कर लिए हैं। सरकार ने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि पिछले साल की तुलना में इस साल 20 फीसदी अनाज अधिक भीगना चाहिए। ऐसा न होने पर उनके खिलाफ कड़ी विभागीय कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई है। इस बीच, कई इलाकों में निसर्ग तूफान के असर के कारण हुई पहली ही बारिश में मंडी प्रांगण में रखे अनाज के भीगने से सरकारी खेमे में उल्लास की लहर है।

मप्र में कई इलाकों में जून के पहले पखवाड़े में मानसून के पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। इस संबंध में कृषि विभाग के एक सीनियर अफसर ने हिंदी सटायर से खास बातचीत में कहा, “हर बार की तरह इस बार भी हम अनाज को मानसूनी बारिश में भिगोने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। वैसे तो हमने इस तरह की चाक-चौबंद व्यवस्था कर रखी है कि खरीदा गया या किसानों द्वारा बेचने के लिए लाया गया अनाज बिल्कुल नैचुरली खुले में ही पड़ा रहे। फिर भी अगर कहीं गलती से अनाज को सुरक्षित रख दिया गया है तो उसे जल्दी ही मानसून दिखाने के लिए खुले में ले लाएंगे।”

उन्होंने कहा, “सारे संबंधित अफसरों को अधिक से अधिक अनाज और उपज को मानसूनी बारिश में भिगोने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। इसके बावजूद अगर किसी मंडी या सरकारी गोदाम में अनाज सुरक्षित पाया जाता है तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”

20 फीसदी अधिक का टारगेट :
प्यून को पान-बहार लाने का निर्देश देने के बाद अधिकारी ने बताया कि अब सरकार भी प्राइवेट सेक्टर्स की तरह टारगेट बेस्ड काम करने लगी है। इस बार पूरे प्रदेश में अनाज के भीगने का लक्ष्य पिछली बार की तुलना में 20 फीसदी अधिक दिया गया है। उम्मीद है कि हम इसके आसपास रहेंगे।

यह पूछे जाने पर कि इतना प्रगतिशील राज्य होने के बावजूद मप्र अब तक 100 फीसदी लक्ष्य हासिल क्यों नहीं कर पाया? इस सवाल पर सीनियर अफसर ने धीरे से कहा, “प्रदेश में अब भी ऐसे कई भ्रष्ट अधिकारी हैं जो गोदाम में रखे अनाज को मानसून या चूहों से बचाने की कोशिश करते हैं। लेकिन सरकार ऐसे अफसरों पर नजर रखे हुए हैं। हम जल्दी ही ऐसे अफसरों को चिह्नित कर उन्हें उन विभागों में भेजने की कार्रवाई करेंगे जहां केवल मक्खी मारने का काम होगा। ये अफसर इसी तरह का काम करने के लायक हैं।”


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शनिवार, 5 जुलाई 2014

यूनेस्काे की विश्व विरासत सूची में शामिल हुआ व्यापमं

Now Vyapam is World Heritage Site.

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

भोपाल। करोड़ों रुपए के घोटालों से चर्चा में आए मप्र व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) के भोपाल स्थित मुख्यालय को विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल कर लिया गया है। इस संबंध में राज्य सरकार के एक प्रस्ताव को यूनेस्को ने मंजूरी दे दी है। सरकार को उम्मीद है कि इससे मप्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। सांची, खजुराहो और भीमबैठका के बाद यह प्रदेश का चौथा स्थल है जो विश्व विरासत सूची में शामिल हुआ है।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार भर्ती घाेटालों में आरोपी राज्य के एक पूर्व मंत्री की गिरफ्तारी के तत्काल बाद ही एक दूरदर्शी अफसर ने सरकार को व्यापमं मुख्यालय का इस्तेमाल प्रदेश व यहां की जनता के हित में करने का सुझाव दिया था। इस सुझाव के बाद ही मप्र पर्यटन विकास निगम के अफसरों ने विश्व विरासत स्थल का दर्जा देने वाली सर्वोच्च संस्था यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी के समक्ष इसका प्रजेंटेशन दिया। सूत्रों के अनुसार यूनेस्को ने राज्य सरकार के इस आवेदन से पहले ही स्वत: संज्ञान लेते हुए व्यापमं को विश्व विरासत स्थल का दर्जा देने का मन बना लिया था। इसलिए मप्र सरकार का आवेदन आते ही यूनेस्को की कमेटी ने इस पर मोहर लगा दी।
प्रदेश के पर्यटन मंत्री ने यूनेस्को के इस निर्णय का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई है कि इससे मप्र विश्व पर्यटन के नक्शे पर तेजी से उभर सकेगा। उन्होंने कहा कि उनकी योजना व्यापमं के साथ ही कई अन्य विभागाें के मुख्यालयों को जोड़कर एक सर्किट डेवलप करने की है, ताकि पर्यटक एक साथ मप्र में व्याप्त भ्रष्टाचार का लुत्फ उठा सकें।
अलौकिक है व्यापमं की बदसूरती : यूनेस्को
यूनेस्को की वेबसाइट पर इस संबंध में अधिसूचना जारी करते हुए लिखा गया है – ‘पिछले कुछ सालों के दौरान ही व्यापमं ने जो कुख्याति अर्जित की है, वह अद्भुत है। इसकी बदसूरती अलौकिक है। यहां के एक-एक बाबू को जिस तरह से तराशकर भ्रष्टाचार में लिप्त किया गया है, वह यहां आने वाले पर्यटकों को असीम घृणा व विरक्ति से भर देता है। इसके गुंबद पर विद्यमान भ्रष्ट अफसरों की करतूतें इस बात का प्रतीक है कि इस स्थल को भ्रष्टाचार के एक पूजनीय स्थल के रूप में विकसित करने में कितना परिश्रम किया गया।’

गुरुवार, 3 जुलाई 2014

शिवराज सिंह की सशर्त संन्यास की घोषणा से आफरीदी गदगद

पत्र लिखकर कहा- मैं इस कठिन घाेषणा में आपके साथ हूं

 

जयजीत अकलेचा / Jayjeet Aklecha

वेलडन शिवराज !
भोपाल।
पाकिस्तान के महान आलराउंडर और क्रिकेट से कई बार संन्यास ले चुके शाहिद आफरीदी ने मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के उस जज्बे को सलाम किया है, जिसमें उन्होंने सशर्त संन्यास लेने की घोषणा की है।
मुख्यमंत्री को भेजे गए एक पत्र में आफरीदी ने लिखा है, मैंने किक्रेट से कई बार संन्यास लिया है। यह बहुत ही कठिन निर्णय होता है। लेकिन मुझे यह बताते हुए गर्व का अनुभव हो रहा है कि जितना कठिन निर्णय संन्यास लेने का होता है, उतना ही आसान संन्यास से वापसी का होता है। हालांकि आप हॉकी के ज्यादा प्रशंसक हैं, लेकिन फिर भी आपको ज्ञात होगा ही कि मैंने कितनी बार ऐसा कठिन निर्णय लिया और कितनी बार आसानी से अपने निर्णय को उलट दिया। आपने इस कठिन निर्णय को लेने की जो घोषणा की है, मैं उससे गदगद हूं और उम्मीद करता हूं कि अगर संन्यास की नौबत आई भी तो इंशा अल्ला, आप अपने इस संकल्प को तोड़ने में पीछे नहीं रहेंगे।
दिग्विजय सिंह का उल्लेख करते हुए उन्होंने लिखा, “आपके ही राज्य के एक पूर्व मुख्यमंत्री, शायद दिग्विजय सिंहजी ने भी मप्र की राजनीति से दस साल के लिए संन्यास की घोषणा की थी। इसके बाद भी वे सक्रिय राजनीति में बने रहे। आप उनसे भी प्रेरणा ले सकते हैं कि रिटायरमेंट का ऐलान करना कितना कठिन होता है, लेकिन बाद में ऊपरवाला सब ठीक कर देता है।”
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने यहां बुधवार को विधानसभा में कहा था कि अगर व्यापमं घाेटाले में वे दोषी पाए गए तो राजनीति और जीवन से संन्यास ले लेंगे।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने ऐसा पत्र मिलने की पुष्टि तो की है, लेकिन यह कहकर उस पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया कि पत्र में लिखी गई हिंदी में वर्तनियों की ढेर सारी अक्षम्य गलतियां हैं। यह पत्र शायद किसी हिंदीभाषी से फोन पर बोलकर लिखवाया गया प्रतीत होता है।

मप्र में भर्ती परीक्षाओं के दलालों ने फीस बढ़ाई, जोखिम के मद्देनजर बीमा की भी मांग

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

भोपाल। मप्र में भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी की जांच में तेजी आने और इस मामले में हुई गिरफ्तारियों को देखते हुए दलालों ने अपनी दलाली फीस में भारी बढ़ोतरी कर दी है। सबसे ज्यादा बढ़ोतरी मेडिकल की सीट में हुई है।
यह खुलासा हिंदी सटायर न्यूज सर्विस द्वारा किए गए एक स्टिंग अॉपरेशन में हुआ है। एसटीएफ की जांच के चलते इस समय सभी दलाल भूमिगत हो चुके हैं और वे अपने केवल कुछ खास लोगों के ही संपर्क में हैं। इस स्टिंग में एक बड़े दलाल नेटवर्क के सरगना ने स्वीकार किया कि मप्र में सरकार के अचानक सक्रिय होने का असर उनके बिजनेस पर पड़ना तय है। उसने कहा, 'अब इसमें पकड़े जाने का जोखिम भी बढ़ गया है। और अगर हमारा एक भी आदमी पकड़ा जाता है तो उसके लिए वकील की फीस, पुलिस के साथ सेटिंग इत्यादि पर खर्चा होना लाजिमी है। इसलिए हमें मजबूरी में अपनी फीस में बढ़ोतरी करनी पड़ रही है।' सबसे ज्यादा बढ़ाेतरी मेडिकल सीट में की गई है। उसे अब 80 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ रुपए कर दिया गया है। सब-इंस्पेक्टर जैसे पदों के लिए पांच से सात लाख रुपए तक की वृद्धि प्रस्तावित है। एक दूसरे दलाल ने फीस में बढ़ोतरी के लिए सीधे-सीधे राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उसका कहना था कि यह सरकार की गलत नीतियों का नतीजा है जिसके कारण हमें फीस बढ़ानी पड़ी है। इसका खामियाजा अब आम लोगों को भुगतना पड़ेगा।
रिस्क का बीमा करवाने की मांग : इस बीच, मप्र दलाल संघ ने अपने गुप्त ठिकाने से जारी एक विज्ञप्ति में सरकार से दलालों का बीमा करवाने की मांग की है। उसका कहना है कि दलाल इतनी मेहनत करके पेपर हासिल करते हैं। उन्हें पेपर सेटर्स को भारी पैसा चुकाना पड़ता है। फिर कई नेताओं, पुलिस अफसरों का भी हिस्सा बंधा रहता है। ऐसे में अगर कोई दलाल पकड़ में आ जाता है तो उसकी सारी मेहनत पर पानी फिर जाता है। इसलिए सरकार का दायित्व बनता है कि ऐसी विषम परिस्थितियों में उसकी क्षतिपूर्ति हो सके। संघ ने कहा कि अगर सरकार पहल करे तो दलाल भी बीमा प्रीमियम में अपनी ओर से एक हिस्सा मिलाने को तैयार हैं।
इस पर सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया तो नहीं आई है, लेकिन एक मंत्री ने आश्वस्त किया है कि दलालों के वाजिब हितों का पूरा ध्यान रखा जाएगा।

सोमवार, 30 जून 2014

मिनिस्टर को सांप ने डसा, किसने देखा!

- सांपनाथ-नागनाथ संघ ने डसने संबंधी मंत्री के आरोपों को मनगढ़ंत बताया।

- कहा- नेताओं और सर्पों के बीच दूरी बढ़ाने के लिए रची जा रही है साजिश, सीबीआई जांच की मांग।

 

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

सांपनाथ-नागनाथ संघ के अध्यक्ष डॉ कोबरानाथ
भोपाल।
'मिनिस्टर को सांप ने डसा, किसने देखा!' यह सवाल किसी और ने नहीं, सांपनाथ-नागनाथ संघ ने उठाया है। वह मीडिया में प्रकाशित उन खबरों पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहा था जिनमें मप्र के एक मंत्री को सांप द्वारा डसने की बात सामने आई है। सांपनाथ-नागनाथ संघ ने इस खबर का खंडन करते हुए कहा है कि यह नेताओं और सर्पों के बीच दूरी पैदा करने की एक साजिश है। मंत्री इसी साजिश का शिकार होकर हम पर ऐसे मनगढ़ंत आरोप लगा रहे हैं।
मप्र के एक मंत्री ने भोपाल में आरोप लगाया था कि शनिवार-रविवार की देर रात को उनके बंगले में किसी सर्प ने उन्हें डस लिया। हालांकि उनके बंगले से बाद में कोई भी सांप जिंदा या मुर्दा बरामद नहीं किया गया। सांपनाथ-नागनाथ संघ के अध्यक्ष डॉ कोबरानाथ ने सोमवार को एक निजी टीवी चैनल के साथ बातचीत में कहा कि नेता प्रजाति के लोगों के साथ हमारे अच्छे संबंध रहे हैं। जहां भी हमें मौका मिला, हमने उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश की सेवा की। यहां तक कि हमने उन्हें अपनी उपाधि तक देने में कोताही नहीं की। इसके बावजूद एक नेता हम पर मनगढ़ंत आरोप लगा रहा है। उन्होंने आशंका जताई कि मंत्री किसी के बहकावे में आकर ऐसे तुच्छ आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने सीबीआई से इस पूरे मामले की जांच करवाने की मांग की है।
आखिर निशान किसके हैं?
मंत्री ने अपने अाराेपों के सबूत के तौर पर कहा है कि उनके दाहिने हाथ की अंगुली में दांतों के निशान बने हुए हैं जो साबित करता है कि उन्हें किसी न किसी सांप ने डसा है। इस पर एक सर्प ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि मप्र में इस समय व्यापम घोटाला हावी है। जगह-जगह उसके तार बिखरे हुए हैं जो कई लोगों को चुभ रहे हैं। हो सकता है यह निशान ऐसे ही किसी तार से हुआ हो और मंत्रीजी ने किसी सांप पर आरोप मढ़ दिया हो। हालांकि इसका खुलासा तो जांच से ही हो पाएगा।

शनिवार, 28 जून 2014

मप्र में भर्ती परीक्षाएं समाप्त, लॉटरी से चुने जाएंगे योग्य उम्मीदवार

मुख्यमंत्री ने इसे बताया सिस्टम में पारदर्शिता लाने की दिशा में बड़ा कदम।

 

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha
मेरी लॉटरी लग गई। आपको बाबाजी का ठेंगा।

भोपाल। मप्र में अब किसी भी पद के लिए कोई भर्ती परीक्षा नहीं हाेगी। तमाम भर्तियां लॉटरी सिस्टम के जरिए की जाएंगी। इसका फैसला शुक्रवार देर रात राज्य कैबिनेट की एक आपातकालीन बैठक में लिया गया। माना जा रहा है कि यह फैसला आगामी विधानसभा सत्र के मद्‌देनजर लिया गया है ताकि सदन में विपक्ष के आराेपों का करारा जवाब दिया जा सके। मुख्यमंत्री ने इसे सिस्टम में पारदर्शिता बढ़ाने वाला कदम बताया है।
सूत्रों के अनुसार व्यापम और मप्र लोकसेवा आयोग (एमपी-पीएससी) परीक्षाओं में गड़बड़ी के आरोपों के चलते संघ राज्य सरकार पर भर्ती परीक्षा व्यवस्था में आमूल-चुल बदलाव करने का दबाव बना रहा था। इसी के मद्देनजर यह बैठक बुलाई गई थी। बैठक में प्रदेश की आवासीय परियोजनाओं में मकान आवंटन से जुड़े एक पूर्व सीनियर अफसर ने भर्ती परीक्षाओं में भी लाॅटरी सिस्टम को लागू करने का सुझाव दिया। इस संबंध में कैबिनेट के समक्ष दिए अपने प्रजेंटेशन में उन्होंने दावा किया कि यह इतना फुलप्रूफ सिस्टम है कि कोई इसमें एक धेले की भी गड़बड़ी नहीं कर सकता। उनके दावे के बाद कई मंत्री इसे लागू करने के पक्ष में नहीं दिखे, लेकिन मुख्यमंत्री ने इस पर तत्काल सहमति जता दी।
इससे पहले कैबिनेट के सामने यह भी प्रस्ताव लाया गया था कि हर परीक्षा के पंद्रह दिन पहले व्यापम और एमपी-पीएससी अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर तमाम प्रश्न-पत्र लोड कर दें। साथ ही प्रश्न-पत्रों के जवाब भी वेबसाइट पर ही मुहैया करवाए जाएं। लेकिन मुख्यमंत्री ने इसे इस आधार पर खारिज कर दिया कि अगर किसी एक परीक्षार्थी ने भी दावा कर दिया कि उसके कंप्यूटर पर प्रश्न-पत्र अौर उनके उत्तर डाउनलोड नहीं हो रहे हैं तो अनावश्यक विवाद पैदा हो जाएगा। इससे विपक्ष को आरोप लगाने का मौका मिल जाएगा।
बाद में पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि अब तक जो हुआ, उसकी तो एसटीएफ जांच कर रही है। वह दूध का दूध पानी का पानी कर देगी, लेकिन हम आगे की परीक्षा प्रणाली को पारदर्शी बनाने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। इसी के तहत लॉटरी सिस्टम को लागू किया जा रहा है। इससे योग्य प्रतिभाओं को चुनने में मदद मिलेगी और सबके साथ न्याय हो सकेगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि नियमानुसार इसमें भी आरक्षण के प्रावधान लागू किए जाएंगे।

शनिवार, 21 जून 2014

मप्र के व्यापमं घोटाले के आरोपी स्टूडेंट‌्स को ग्वांटेनामो जेल भेजने की तैयारी

हाई-प्रोफाइल आरोपियों को गेस्ट हाउस में शिफ्ट किया जाएगा, ताकि वहां उनसे सौहार्द्रपूर्ण माहौल में गपशप हो सके


जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha
ग्वांटेनामो जेल : यहां भेजे जाएंगे स्टूडेंट्स और उनके पैरेंट‌स।

भोपाल। मप्र में व्यापमं घोटाले की जांच में लगी स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) परीक्षाओं में गड़बड़ी के आरोपी छात्र-छात्राओं और उनके अभिभावकों को दुनिया की ‘ख्यातनाम’ जेलों में से एक ग्वांटेनामो जेल में ले जाकर पूछताछ करने पर विचार कर रही है। एसटीएफ का मानना है कि इस जेल में अच्छे-अच्छे दुर्दांत आतंकियों ने भी अपना जुर्म कबूल कर लिया। ऐसे में इन स्टूडेंट्स और उनके पैरेेंट‌्स से भी जुर्म कबुलवाने में उसे कोई दिक्कत नहीं होगी और वह मानवाधिकार आयोग की नजरों से भी बची रहेगी। इस बीच, इस मामले में गिरफ्त में अाए हाई-प्रोफाइल आरोपियों को गेस्ट हाउस में शिफ्ट करने की तैयारी है, ताकि वहां सौहार्द्रपूर्ण माहौल में उनके साथ गपशप हो सके।
सूत्रों के अनुसार मप्र हाईकोर्ट की कड़ी फटकार के बाद एसटीएफ काफी दबाव में है। इसलिए उसने आनन-फानन में कई स्टूडेंट्स और उनके अभिभावकों को गिरफ्तार तो कर लिया, लेकिन अब इसके वरिष्ठ अधिकारी चाहते हैं कि अगली फटकार पड़ने से पहले ही वह कोई चमत्कार कर दिखाए। इसी फेर में एसटीएफ के एक सीनियर अफसर ने ग्वांटेनामो जेल का सुझाव दिया है। इस अफसर की मानें तो उसे गूगल और विकिपीडिया पर जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार गिरफ्तार छात्र-छात्राओं और उनके अभिभावकों के लिए ग्वांटेनामो जेल ही उपयुक्त होगी। इस जेल की महिमा इतनी निराली है कि वहां जाते ही आराेपी अपना अपराध स्वीकार कर लेता है। इस अधिकारी का यह भी तर्क था कि अाराेपी छात्र-छात्राओं को सुविधाएं देने के संबंध में मप्र राज्य मानवाधिकार आयोग ने जो अनावश्यक स्वत: संज्ञान लिया है, वह भी वहां निष्क्रिय हो जाएगा। क्योंकि इस जेल में तो एमनेस्टी इंटरनेशनल की नहीं चली तो राज्य मानवाधिकार आयोग क्या चीज है!
एसटीएफ से जुड़े एक अन्य सूत्र का कहना है कि इस संबंध में हुई बैठक में एक जूनियर अधिकारी ने सवाल उठाया था कि पकड़े गए स्टूडेंट्स और उनके अभिभावकों में से कुछ निर्दोष भी हो सकते हैं। इस पर उस सीनियर अफसर ने उसे यह कहकर चुप करा दिया कि यह तय करने वाले हम कौन होते हैं? ग्वांटेनामो बे जेल दूध का दूध, पानी का पानी कर देगी।
अमेरिकी अफसरों से सेटिंग की कोशिश : इस बीच, पता चला है कि ग्वांटेनामो जेल का अध्ययन करने के लिए एसटीएफ के एक अधिकारी को ग्वांटेनामो बे भेजा जा सकता है। यह जेल जिस जगह स्थित है, वह बहुत ही खूबसूरत तटीय इलाका है और इसलिए सभी अफसर वहां स्टडी टूर पर जाने का प्रयास कर रहे हैं। माना जा रहा है कि सरकार एक से ज्यादा अफसरों को भी वहां भेज सकती है, ताकि इतनी भाग-दौड़ के कारण हुई थकान दूर हो सके। चूंकि यह जेल अमेरिका के कब्जे में है, ऐसे में दिल्ली स्थित विदेश मंत्रालय में कुछ जुगाड़ के माध्यम से अमेरिकी अधिकारियों से संपर्क करने का भी प्रयास किया जा रहा है।

मंगलवार, 10 जून 2014

बारिश कम होने की आशंका के चलते मप्र में हटेगा रेनवाॅटर हार्वेस्टिंग की अनिवार्यता का नियम

- एक रिपोर्ट के अनुसार कम बारिश के कारण न्यायसंगत नहीं होगा जमीन के भीतर पानी पहुंचाना

- बिल्डरों को हो रहा था मानसिक तनाव, ब्यूरोक्रेसी को भी कोई फायदा नहीं हुआ


जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha
पानी बाल्टियों में एकत्र किया जाएगा।

भोपाल। मप्र सरकार ने भूमि विकास नियम 1984 के तहत लागू उस प्रावधान को हटाने का फैसला लिया है, जिसके अनुसार 250 वर्गमीटर या उससे बड़े आकार के सभी मकानों और अपार्टमेंट्स में रूफटाॅप रेनवाॅटर हार्वेस्टिंग करवाना अनिवार्य है। ऐसा इस साल मानसून कमजोर होने की आशंकाओं के मद्देनजर किया गया है। सरकार का मानना है कि कम बारिश में यह नियम न्यायसंगत नहीं होगा।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सरकार ने इस संबंध में जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की थी। इस कमेटी ने सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चूंकि इस साल मौसम विभाग ने मानसून कमजोर रहने का अनुमान लगाया है। ऐसे में रेनवाॅटर हार्वेस्टिंग के नियम को कम से कम एक साल के लिए हटाया जा सकता है। चूंकि बारिश ही कम होगी, इसलिए वर्षा के बचे-खुचे पानी को जमीन के भीतर उतारने का कोई औचित्य नहीं बनता। बेहतर होगा कि जो भी बारिश हो, उसके पानी का इस्तेमाल हम जमीन के उपर ही कर लें। रिपोर्ट में ऐसी विषम परिस्थितियों में बारिश के पानी को जमीन के भीतर उतारने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की भी अनुशंसा की गई है।
रिपोर्ट के अन्य प्रमुख बिंदु इस तरह हैं:
- रेनवाॅटर हार्वेस्टिंग के नियम से बिल्डरों और डेवलपर्स को मानसिक तनाव से गुजरना पड़ रहा है। ये प्रदेश की लाइफ लाइन हैं, ऐसे में इन्हें मानसिक तनाव देना ठीक नहीं है। हालांकि संतोष की बात है कि अधिकांश बिल्डर्स और डेवलपर्स ने इस नियम का पालन नहीं किया है।
- इस नियम से प्रदेश के अफसरों को भी कोई फायदा प्रतीत नहीं हुआ है। इक्का-दुक्का मामलों में छोटे कर्मचारियों ने भले ही छोटे मकान मालिकों से कोई वसूली की हो, लेेकिन बड़े अफसरों तक उसका लाभ नहीं पहुंच पाया है। ऐसे में यह नियम प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी के भी हित में नहीं है।

रविवार, 25 मई 2014

तापमान में बढ़ोतरी की रिपोर्ट उत्साहजनक

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

 

मौसम विभाग की यह रिपोर्ट काफी उत्साहजनक है कि पूरे मप्र में हर साल औसत तापमान में   0.01 फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है। साथ ही औसत बारिश में भी सालाना 1.81 मिमी की कमी आई है। इससे आने वाले सालों में हमें कई तरह के फायदे होंगे और प्रदेश तेजी से विकास के मार्ग पर प्रशस्त हो सकेगा। कुछ फायदे इस तरह से रेखांकित किए जा सकते हैं:
- प्रदेश में कूलर और एसी खरीदने वालों की संख्या बढ़ेगी। ऐसोकैम की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार इससे कूलर और एसी इंडस्ट्री में सालाना 66 फीसदी की विकास दर की संभावना है। इससे कम से कम 11 हजार लोगों को काम मिल सकेगा।
- प्रदेश में पानी की कमी होने का मतलब है कि कई घरों को आने वाले समय में पीने का पानी नसीब नहीं हो पाएगा। इससे वाॅटर इंडस्ट्री का तेजी से विकास हो सकेगा। भूजल दोहन संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार आने वाले पांच सालों में पैकबंद पानी के उत्पादन में 112 फीसदी तक की बढ़ोतरी दर्ज होने का अनुमान है।
- आरओ वाॅटर फिल्टर बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी की इंटरनल रिपोर्ट के अनुसार बारिश में गिरावट आने से भूजल के टीडीएस में बढ़ोतरी होगी। इससे कंपनी को प्रदेश में अपनी आरओ मशीनों की बिक्री में सालाना 178 फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद है।
- प्रदेश के अफसरों की एक लाॅबी भी इस रिपोर्ट से खुश में बताई जाती है। पानी की कमी होने से प्रदेश भर में नर्मदा पेयजल की डिमांड बढ़ेगी। इससे नर्मदा पाइप लाइन बिछाए जाने की योजनाएं बनानी पड़ेंगी, जिससे अफसरों को अपने विकास का मौका मिल सकेगा। 
कलंक से मुक्त होगा प्रदेश!
इस समय देश में सबसे ज्यादा जंगल मप्र में ही हैं। यह हमारे लिए शर्म की बात है कि इतने प्रयासों के बाद भी हम जंगलों से मुक्त नहीं हो पाए हैं। लेकिन अब मौसम विभाग की इस ताजा रिपोर्ट ने उम्मीद जगाई है। इसके अनुसार बीते 60 सालों में जंगलों की अंधाधुंध कटाई हुई है। पर्यावरण विनाशवादियों ने उम्मीद जताई है कि अगर यही रफ्तार जारी रही तो हम अगले एक दशक में इस कलंक से मुक्त हो जाएंगे। इसमें उन्होंने वन मकहमे से महती भूमिका निभाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि बिल्डर्स, डेवलपर्स के साथ आम जनता को भी इसके लिए आगे आना होगा।
हम साथ हैं: सिटीजन फोरम
राजधानी के एक सिटीजन फोरम ने कहा है कि वह इस दिशा में अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ेगा। फोरम ने कहा है कि उसके सदस्य पेड़ तो नहीं काट सकते, लेकिन जमीन के भीतर पानी को कम करने में अपना पूरा योगदान दे सकते हैं।

गुरुवार, 22 मई 2014

भ्रष्ट अफसरों को सम्मानित करेगी मप्र सरकार

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

मप्र सरकार ने अपने उन भ्रष्ट अफसरों को सम्मानित करने का फैसला किया है, जिन्होंने गलत तरीकों से संपत्ति अर्जित करके राज्य का नाम रोषन किया। बुधवार को राज्य मंत्रिमंडल की अनौपचारिक बैठक में यह फैसला लिया गया।
सूत्रों के अनुसार सभी मंत्री इस बात पर सहमत थे कि राज्य का गौरव बढ़ाने वाले ऐसे अफसरों का सम्मान किया जाना चाहिए। एक वरिष्ठ मंत्री का मानना था कि मप्र कभी ‘बीमारू’ राज्यों में षामिल था। इसकी छवि बदलने में अतीत में नेताओं ने काफी मेहनत की। अब ये अफसर इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। आईपीएस अफसर मयंक जैन की खासतौर पर तारीफ की गई, जिनके घर पर लोकायुक्त छापों में अवैध रूप से अर्जित की गई करोड़ों रुपए की संपत्ति के दस्तावेज मिले। मंत्रिमंडल में आम राय थी कि ऐसे अफसर अपनी रिस्क पर प्रदेष का गौरव बढ़ाने का जो कार्य कर रहे हैं, वह अतुलनीय है। एक अन्य मंत्री ने जोषी दंपती को मप्र गौरव प्रषस्ति पत्र देने का प्रस्ताव रखा, जिसे मान लिया गया।
मुख्यमंत्री ने भरोसा जताया कि जिस तरह से अफसरों के घर दौलत मिल रही है, उससे दुनियाभर में अच्छे संकेत जाएंगे और इससे राज्य में निवेष बढ़ेगा। उन्होंने खासतौर पर लोकायुक्त पुलिस की भी सराहना की जिनके विषेष प्रयासों से ऐसे अफसरों के मामले सामने आ रहे हैं और प्रदेष गौरवान्वित हो रहा है।
गौर फिर नाराज: सूत्रों के अनुसार प्रदेष के वरिष्ठ मंत्री बाबूलाल गौर इस पूरे मसले पर नाराज दिखाई दिए। अपनी नाराजगी जताते हुए वे बैठक से बाहर आ गए। बाद में पत्रकारों से पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि हर नाराजगी का कारण होना कोई जरूरी थोड़े ही है। बाद में उन्होंने तत्काल प्रभाव से पत्रकारों को लंच पर आमंत्रित कर लिया।