मंगलवार, 10 जून 2014

बारिश कम होने की आशंका के चलते मप्र में हटेगा रेनवाॅटर हार्वेस्टिंग की अनिवार्यता का नियम

- एक रिपोर्ट के अनुसार कम बारिश के कारण न्यायसंगत नहीं होगा जमीन के भीतर पानी पहुंचाना

- बिल्डरों को हो रहा था मानसिक तनाव, ब्यूरोक्रेसी को भी कोई फायदा नहीं हुआ


जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha
पानी बाल्टियों में एकत्र किया जाएगा।

भोपाल। मप्र सरकार ने भूमि विकास नियम 1984 के तहत लागू उस प्रावधान को हटाने का फैसला लिया है, जिसके अनुसार 250 वर्गमीटर या उससे बड़े आकार के सभी मकानों और अपार्टमेंट्स में रूफटाॅप रेनवाॅटर हार्वेस्टिंग करवाना अनिवार्य है। ऐसा इस साल मानसून कमजोर होने की आशंकाओं के मद्देनजर किया गया है। सरकार का मानना है कि कम बारिश में यह नियम न्यायसंगत नहीं होगा।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सरकार ने इस संबंध में जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की थी। इस कमेटी ने सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चूंकि इस साल मौसम विभाग ने मानसून कमजोर रहने का अनुमान लगाया है। ऐसे में रेनवाॅटर हार्वेस्टिंग के नियम को कम से कम एक साल के लिए हटाया जा सकता है। चूंकि बारिश ही कम होगी, इसलिए वर्षा के बचे-खुचे पानी को जमीन के भीतर उतारने का कोई औचित्य नहीं बनता। बेहतर होगा कि जो भी बारिश हो, उसके पानी का इस्तेमाल हम जमीन के उपर ही कर लें। रिपोर्ट में ऐसी विषम परिस्थितियों में बारिश के पानी को जमीन के भीतर उतारने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की भी अनुशंसा की गई है।
रिपोर्ट के अन्य प्रमुख बिंदु इस तरह हैं:
- रेनवाॅटर हार्वेस्टिंग के नियम से बिल्डरों और डेवलपर्स को मानसिक तनाव से गुजरना पड़ रहा है। ये प्रदेश की लाइफ लाइन हैं, ऐसे में इन्हें मानसिक तनाव देना ठीक नहीं है। हालांकि संतोष की बात है कि अधिकांश बिल्डर्स और डेवलपर्स ने इस नियम का पालन नहीं किया है।
- इस नियम से प्रदेश के अफसरों को भी कोई फायदा प्रतीत नहीं हुआ है। इक्का-दुक्का मामलों में छोटे कर्मचारियों ने भले ही छोटे मकान मालिकों से कोई वसूली की हो, लेेकिन बड़े अफसरों तक उसका लाभ नहीं पहुंच पाया है। ऐसे में यह नियम प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी के भी हित में नहीं है।

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