नारद मुनि के साप्ताहिक करंट अफेयर्स प्रोग्राम 'एंजल्स एडवोकेट' में बोल रहे थे शिरडी वाले बाबा
देवलोक से विशेष संवाददाता।
शिरडी वाले साईं बाबा ने कहा है कि उन्होंने खुद कभी भी भगवान होने का
दावा नहीं किया। यह तो भक्तों की श्रद्धा है जिसने उन्हें भगवान बना दिया।
साईं बाबा बुधवार को देवलोक में नारद मुनि के साप्ताहिक वन टु वन करंट अफेयर्स
प्रोग्राम 'एंजल्स एडवोकेट' में बोल रहे थे।
धरती पर शंकराचार्य
स्वामी स्वरूपानंद के इस विवादित बयान कि शिरडी के साईं, भगवान नहीं हैं और
उनकी पूजा करना उचित नहीं है, पर टिप्पणी करते हुए साईं बाबा ने कहा, “ यह
सच है कि मुझे किसी भी यूनिवर्सिटी ने 'भगवान' की मानद उपाधि नहीं दी और न
ही किसी सरकारी विभाग से मुझे 'भगवान' का कोई एक्रेडिएशन ही हासिल हुआ है।
मैंने कभी इसका दावा भी नहीं किया। इसलिए अगर शंकराचार्यजी कह रहे हैं कि
मैं भगवान नहीं हूं तो उसमें गलत कुछ नहीं है। आखिर वे सदियों पुरानी
परंपरा से आते हैं। बड़े-बड़े आश्रमों में रहते हैं। बड़ी-बड़ी गाड़ियों में
घूमते हैं। मुझसे कहीं ज्यादा पढ़े-लिखे हैं। अगर वे कुछ बोल रहे हैं तो वह
सही ही होगा। मैं ठहरा फकीर।”इस सवाल के जवाब में कि क्या यह आपके दोहरे चरित्र का परिचायक नहीं है कि आप बात तो फकीरी की करते हों, लेकिन धरती पर सोने के सिंहासन पर बैठते हो, साईंबाबा ने कहा, “ इसी बात का तो अफसोस है नारदजी। जिंदगी भर मैं पत्थरों पर सोया लेकिन अब मुझे सोने के सिंहासन पर बैठाया जा रहा है। सादगी, गरीबों की सेवा जैसे मेरे उच्च विचारों को स्वर्ण सिंहासन के नीचे खिसका दिया गया है।”
हालांकि बाद में उन्होंने इस मुद्दे पर यह कहकर ज्यादा बातें करने से इनकार कर दिया कि आजकल लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचने में वक्त नहीं लगता है। इसलिए मैं यहां स्वर्ग में जैसा भी हूं, ठीक हूं। कुछ कहकर मामले को और तूल देना मेरी आदत नहीं है।
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