- सरकार के हाथ-पैर फूले, तलाशी जा रही है टि्वटर के जरिए आगे बढ़ाने की संभावना
जयजीत अकलेचा / Jayjeet Aklecha
यात्रा का सबसे सुरक्षित साधन। |
माैसम विभाग के सूत्रों के अनुसार विशेष विमानों से मानसून को केरल तट पर उतारने के बाद उसे विभिन्न रेलगाड़ियों से अलग-अलग स्थानोें पर भिजवाया जा रहा था। इसका मकसद यही था कि पहले से ही लेट हो चुके मानसून को रेलगाड़ियों के माध्यम से जल्दी से जल्दी देश भर में पहुंचा दिया जाए। लेकिन यहीं पर गड़बड़ी हो गई। मौसम विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “सरकार भारतीय रेलवे की कार्यक्षमता का अाकलन करने में विफल रही। भारतीय रेलगाड़ियों की लेटलतीफी जगजाहिर है, लेकिन नई सरकार इसे क्यों नहीं समझ पाई, यह हैरान करने वाला है। शायद अनुभवहीनता के कारण ऐसा हुआ होगा।”
रेलगाड़ियों की इसी लेटलतीफी के कारण मानसून पहले ही लेट हो गया और रही-सही कसर बुधवार को हुए रेल हादसे ने पूरी कर दी। हालांकि इस ट्रेन में मानसून परिवार का कोई सदस्य सवार नहीं था, लेकिन हादसे का मानसून के दिलों-दिमाग पर इतना गहरा असर पड़ा है कि उसने आगे का सफर रेलगाड़ियों से करने से ही इनकार कर दिया है। सूत्रों के अनुसार मानसून का मानना है कि भारत में अब बैलगाड़ियां ही सफर का सबसे सुरक्षित साधन रह गई हैं और इसलिए वह आगे इसी में सफर करेगा।
सांसत में सरकार, सोशल मीडिया का इस्तेमाल करेगी! : सूत्रों के अनुसार मौसम विभाग ने मानसून के इस फैसले से अपने विभागीय मंत्री जितेंद्र सिंह को अवगत करवा दिया है। सिंह ने भी तुरंत पीएमओ से संपर्क कर उसे मानसून की जिद के बारे में जानकारी दी। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मानसून की भावना का सम्मान करते हुए इस संभावना को तलाशने के निर्देश दिए है कि क्या उसे टि्वटर और फेसबुक के माध्यम से एक हिस्से से दूसरे हिस्से में पहुंचाया जा सकता है? इससे मानसून न केवल जल्दी पहुंचेगा, बल्कि वह सुरक्षित भी रहेगा। चूंकि अब यह दक्षिण के राज्यों से आगे निकल गया है। ऐसे में गृहमंत्री राजनाथ सिंह, जिनके अंतर्गत ही राजभाषा विभाग आता है, ने मानसून को आगे बढ़ाते समय हिंदी को प्राथमिकता देने का कहा है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thanks for your comment