By Jayjeet
मणिपुर में महिलाओं की मर्यादा को चूर-चूर करने वाला वीडियो आया। भयावह, मर्मांतक। चूंकि वहां भाजपा की सरकार है, तो विपक्षी दल जोश में हैं। मर्माहत कितने, पता नहीं, पर जोश में तो हैं ही। जाहिर है, यह जोश ठंडा होना ही चाहिए। तो इसे ठंडा करने की दायित्व उठाया भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने। कल उन्होंने बंगाल में कुछ महिलाओं द्वारा दो महिलाओं को निर्वस्त्र करने की कुछ दिन पूर्व की एक घटना का वीडियो पटक दिया।
हमें पता है कि नैतिकता के हमाम में हमारे राजनीतिक दल कपड़े नहीं पहनते हैं, लेकिन उनकी अंतरात्माएं भी वस्त्र उतार फेकेंगी, वह भी इतनी जल्दी, इसका अंदाजा नहीं था। अंदाजा नहीं था कि ऐसी घटनाओं के प्रति संवेदनशील होने के बजाय राजनीतिक दल विरोधी पार्टियों वाली सरकारों के राज्यों से चुनकर-चुनकर ऐसे वीडियो निकालेंगे और बेइंतहा 'खुशी' के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करके कहेंगे- देख लीजिए, हम तो नंगे थे ही, आप भी नंगे निकले। मणिपुर के वीडियो के बाद बंगाल का वीडियो। हो सकता है, कल कांग्रेस के ट्विटर हैंडल पर मप्र राज्य का कोई ऐसा वीडियो मिले, परसो राजस्थान का!
ये घटनाएं तो घृणित हैं ही, मगर इनसे भी ज्यादा घिनौनापन है इन घटनाओं पर हमारी मानसिकता का दो विपरीत राजनीतिक खेमों में बंट जाना। महिलाओं को भाजपा और भाजपा विरोधी सरकारों के राज्यों में बांट देना। हमने इतिहास की किताबों में ही पढ़ा था कि युद्धरत सेनाएं महिलाओं की मान-मर्यादाओ के साथ खेलती थीं। इतिहास की किताबों को बदलते-बदलते देश इस मुकाम पर पहुंच गया है कि वही कबाइली मानसिकता फिर उभर आई है, जिनमें महिलाएं बस एक 'संपत्ति' है...। कथित संत धीरेंद्र शास्त्री जब बिना सिंदूर व मंगलसूत्र वाली शादीशुदा औरत को 'खाली प्लॉट' कहते हैं तो वे इसी मानसिकता को और भी स्पष्ट कर रहे होते हैं।
लेकिन हां, समस्या इस देश की साइकी में पुरुषों का हावी भर होना नहीं है, जितना इसे खुद महिलाओं द्वारा स्वीकार करना। कथित संत के बयान पर प्रतिक्रियाएं व्यक्त करने के बजाय वहां बैठी महिलाएं बस खिलखिलाती हैं... और लड़कियों द्वारा खुद हिजाब पहनने की 'आजादी' की मांग करके पुरुषों की गुलाम मानसिकता में स्वयं को जकड़ लेने के दुराग्रह पर तो क्या ही टिप्पणी करें!
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