जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha
पेरिस। फॉर्मूला वन रेसर माइकल शूमाकर कोमा से बाहर आ गए हैं, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इसका पूरा श्रेय भारतीय डॉक्टरों को जाता है। कैसे, इसकी भी एक दिलचस्प कहानी है।
दरअसल,
शूमाकर को गत 29 दिसंबर को स्कीइंग करते समय घातक चोट के बाद फ्रांस के ग्रेनोबेल स्थित
जिस अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, वह भारतीय डॉक्टराें के ही एक समूह का है। शूमाकर
को भर्ती करवाते समय ही इन डॉक्टरों को लग गया था कि शूमाकर अब नहीं बचेंगे। एक या
दो दिन के ही मेहमान हैं। अगर दूसरे डॉक्टर्स होते तो वे शूमाकर को घर ले जाने की सलाह
देते। लेकिन इन भारतीयों डॉक्टरों ने अपनी योग्यतानुसार शूमाकर को कुछ दिन कोमा में
बताकर अस्पताल के आईसीयू में रख दिया। डॉक्टरों के दिमाग में तो एक ही बात थी कि आईसीयू
का एक दिन का चार्ज 800 डॉलर है। फिर कुछ दिन बाद उन्हें वेंिटलेटर पर रख दिया गया।
चार्ज प्रति दिन 1200 डॉलर। हालांकि डॉक्टरों को मालूम था कि शूमाकर को बचाना नामुमकिन
है, फिर भी वे उनके परिजनों को आश्वासन देते गए। एक सूत्र ने नाम नहीं छापने की शर्त
पर बताया कि चूंकि ये सभी भारतीय डॉक्टर सारे भारत से आए थे और इसलिए उन्हें पता था
कि किसी मरीज के परिजनों को किस तरह इमोशनली ब्लैकमेल किया जा सकता है। उन्होंने वही
किया। छह माह में सवा दस लाख डॉलर (करीब छह करोड़ रुपए) की वसूली के बाद जब डॉक्टरों
से सोचा कि अब शूमाकर के परिजनों को दुखद खबर बताने का वक्त आ गया है तो उसी समय इस
खिलाड़ी के शरीर में हरकत हुई और वे कोमा से बाहर आ गए।
बाद में इन डॉक्टरों ने एक बुलेटिन जारी कर कहा कि हमारी
दवा और शूमाकर के प्रशंसकों की दुआओं का ही नतीजा है कि वे आज कोमा से बाहर आ गए हैं।
फ्रांसीसी मीडिया ने भी इन भारतीय डॉक्टरों की प्रशंसा करते हुए इन्हें भगवान करार
दिया है। इस बीच, ग्रेनोबेल स्थित इस निजी अस्पताल का विस्तार करते हुए इसमें तीन नए
आईसीयू बनाए जा रहे हैं। डॉक्टरों के स्टाॅफ में भी सात नए भारतीय डॉक्टरों को शामिल
कर लिया गया है।
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