बुधवार, 11 जून 2014

वेदव्यास पर नई महाभारत लिखने का दबाव बढ़ा

मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा संसद में 44 पांडवों वाले बयान से देवलोक में मची खलबली

 

देवलोक से विशेष संवाददाता।

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा संसद में कांग्रेस सांसदों को परोक्ष रूप से 44 पांडव बताने के बाद महाभारत के रचियता वेदव्यास पर नई महाभारत रचित करने का दबाव बढ़ता जा रहा है। देवलोक में प्रगतिशील धड़े से ताल्लुक रखने वाले लोगों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को वेदव्यास से मिलकर उन्हें इस संबंध में ज्ञापन सौंपा और बदलते समयानुसार नवीन महाभारत की रचना करने का आग्रह किया। उधर, बजरंग दल की देवलोक शाखा ने कांग्रेस नेता के बयान को हिंदू संस्कृति के लिए अपमानजनक बताते हुए कांग्रेस का बैनर जलाकर विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के कारण कुछ देवताओं के रथों को भी नुकसान पहुंचा।
देवलोक के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार धरती पर संसद में कांग्रेस संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा 44 पांडवों की बात को प्रभु कृष्ण ने भी गंभीरता से लिया है। उन्होंने इस संबंध में फोन पर वेदव्यासजी से चर्चा की। हालांकि माना जा रहा है कि वेदव्यासजी ने प्रभु से कहा है कि 44 पांडवों वाली नई महाभारत लिखना मुश्किल तो नहीं है, लेकिन संसद में नेताओं का भरोसा क्या! कल अगर मुलायम सिंह यादव अपनी पार्टी को चार पांडवों वाली पार्टी बता देंगे तो फिर क्या और नए सिरे से महाभारत लिखेंगे! वेदव्यास द्वारा ‘यादव’ शब्द पर ज्यादा जोर देने से प्रभु नाराज भी हुए। सू़त्रों का यह भी कहना है कि कांग्रेस नेता के नाम में ‘अर्जुन’ जुड़ा होने के कारण प्रभु थोड़े भावुक से हो रहे हैं और उन्होंने वेदव्यासजी से कोई रास्ता निकालने को कहा है। इस बीच, वेदव्यासजी ने दबाव पड़ने की स्थिति में एक कान्टनजेंसी प्लान पर काम शुरू कर दिया है। उन्होंने कहानी में सब-पांडवाज (उप पांडवों) की एक श्रेणी जोड़ने की योजना बना ली है।
पांडव ‘वेट एंड वाॅच’ की स्थिति में: पांडव वेट एंड वाॅच की स्थिति में हैं। युधिष्ठिर ने देवलोक में एक निजी चैनल से बातचीत में कहा कि अगर वेदव्यासजी 44 पांडवों वाली नई महाभारत लिखते हैं तो यह धर्म के खिलाफ होगा और वे इसका विरोध करेंगे। हालांकि इसमें स्वयं कृष्ण द्वारा रुचि लेने की बात पर वे बोले कि अगर ऐसा है तो वे अपने विरोध पर पुनर्विचार करेंगे। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि नई महाभारत लिखने से पहले द्रौपदी की राय सबसे अहम होगी। इस संवाददाता ने द्रौपदी से फोन पर दो बार संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन उनकी टिप्पणी प्राप्त नहीं हो पाई।

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