हमारे देश में सबसे आसान काम होता है बजट का एनालिसिस करना। साथ ही महंगाई और टैक्स का नाम बदलने की क्यों है जरूरत, देखिए इस व्यंग्य वीडियो में ...
# बजट हास्य व्यंग्य, # बजट कटाक्ष, # budget satire
यहां आपको कॉन्टेंट मिलेगा कभी कटाक्ष के तौर पर तो कभी बगैर लाग-लपेट के दो टूक। वैसे यहां हरिशंकर परसाई, शरद जोशी जैसे कई नामी व्यंग्यकारों के क्लासिक व्यंग्य भी आप पढ़ सकते हैं।
हमारे देश में सबसे आसान काम होता है बजट का एनालिसिस करना। साथ ही महंगाई और टैक्स का नाम बदलने की क्यों है जरूरत, देखिए इस व्यंग्य वीडियो में ...
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गणतंत्र दिवस के मायने अक्सर पूछे जाते हैं और हम सब फर्जी टाइप के जवाब देते हैं। गणतंत्र दिवस (republic-day) का हमारी जिंदगी में क्या मतलब है, इसका असली खुलासा तो 8 साल के एक बच्चे की डायरी से होता है। इस डायरी के कुछ पन्ने humourworld.com के हाथ लगे हैं। पेश है इसका सार :
प्रिय डायरी,
26 जनवरी को हमारे घर में खूब खुशी का माहौल होता है। पापा एक दिन पहले ही मम्मी से कह देते हैं, रेखा, कल छुट्टी है, जरा देर तक सोऊंगा।
इस बार भी पापा 9 बजे उठे हैं। नाश्ते के लिए बाहर से कचौरी-समोसे लाए। आते समय मेरे लिए प्लास्टिक की पन्नी वाले चार-पांच तिरंगा झंडे भी ले आए। कहा – जा तेरी साइकिल पर लगा लेना। अभी एक लगाना। गिर जाए तो फिर दूसरा लगा लेना। मम्मी ने कहा – ये क्यों लाकर देते रहते हो। सब कचरा करता रहेगा। पापा ने कहा- अरे, आज गणतंत्र दिवस है। बच्चों को हमारे तिरंगे के मायने पता होने चाहिए।
फिर जब मेरा झंडा गिर गया तो कहा- चिंटू, नीचे की चीज नहीं उठाना। नीचे बहुत गंदगी रहती है। दूसरा लगा लें, चार-पांच इसीलिए तो लाया हूं।
मम्मी ने खाना खाते-खाते पापा से कहा, – सुनो जी, आज कोई सेल चल रही है। 50 परसेंट तक डिस्काउंट मिल रहा है। मैंने कहा – मम्मी, रिपब्लिक डे सेल है। कोई ऐसी-वैसी सेल नहीं। पापा ने हंसकर कहा- देखा रिपब्लिक डे के बारे में तुमसे ज्यादा जानकारी तो अपने चिंटू को है।
हम सेल में जाने को तैयार हो रहे हैं। पापा बाहर के मौसम को देखकर कहते हैं- कमबख्त ये रिपब्लिक डे को भी रविवार को ही मरना था। एक दिन की छुट्टी मारी गई। सोमवार को आता तो तीन दिन की लगातार छुट्टी हो जाती। कहीं हो आते।
मम्मी ने कहा- तो ले लो। कल-परसो ले लो। ऑफिस के काम का क्या? होता रहेगा। नहीं भी होगा तो क्या फर्क पड़ेगा। पापा ने हामी में सिर हिला दिया।
तो अब तीन दिन हमारे साथ रहेंगे। … पिछली 15 अगस्त को भी तो ऐसा ही हुआ था।
(Disclaimer : यह खबर कपोल-कल्पित है। इसका मकसद केवल स्वस्थ मनोरंजन और सिस्टम पर कटाक्ष करना है, किसी की मानहानि करना नहीं।)
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इस तरह से केवल पानी में उतरने को भी स्नान माना जाएगा।
By Jayjeet
नई दिल्ली। एक और हिंदुत्ववादी कदम उठाते हुए मोदी सरकार ने एक अध्यादेश जारी किया है जिसके तहत उन हिंदुओं को भी पूरा पुण्य उपलब्ध करवाया जाएगा जो ठंड के चलते मकर संक्रांति की अलसुबह स्नान करने में खुद को असमर्थ पाएंगे। हालांकि विपक्ष ने इसे सीएए की तरह ही धार्मिक भेदभाव वाला अध्यादेश करार दिया है।
यह फैसला यहां मंगलवार को मकर संक्रांति से एक दिन पहले बुलाई गई कैबिनेट की एक विशेष बैठक में लिया गया। फैसले के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि देश की बड़ी आबादी ठंड के कारण सप्ताह में तीन से चार दिन में एक बार ही नहा रही है। लेकिन मकर-संक्रांति पर मिलने वाले स्नान संबंधी पुण्य के मद्देनजर अधिकांश लोग धर्मसंकट में हैं कि नहाएं कि न नहाएं। लोगों को इसी धर्मसंकट से बाहर निकालने के लिए सरकार ने यह फैसला किया है। इसके लिए कैबिनेट ने हिंदू आचरण संहिता में संक्रांति के स्नान लाभ संबंधी अध्याय में आवश्यक संशोधन के लिए अध्यादेश लाने को मंजूरी दे दी है। इससे न नहाने वाले देश के करोड़ों हिंदुओं को फायदा होगा। यह अध्यादेश बुधवार की सुबह संक्रांति के दिन से देशभर में लागू हो जाएगा।
राहुल ने देशवासियों से किया जमकर नहाने का आह्वान :
विपक्ष ने सरकार के इस अध्यादेश को धार्मिक विभाजन बढ़ाने वाला कदम करार दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीररंजन ने कहा कि इस अध्यादेश से फिर साबित हो गया कि सरकार केवल हिंदुओं का ही ध्यान रख रही है। अगर सरकार की मंशा नेक होती तो वह मुस्लिमों को भी जुम्मे की नमाज के दिन स्नान वगैरह से छूट देने का इसमें प्रावधान करती। इस बीच, राहुल गांधी ने इस अध्यादेश के विरोध स्वरूप देशवासियों से जमकर नहाने का आह्वान किया है। आम लोगों को नहाने के लिए प्रेरित करने के वास्ते उन्होंने रणदीप सुरजेवाला, मनीष तिवारी, अधीररंजन चौधरी सहित कांग्रेस के सात नेताओं को सुबह ब्रह्म मुहुर्त में स्नान करने के निर्देश दिए। हालांकि उन्होंने पत्रकारों के इस सवाल का कोई सीधा जवाब नहीं दिया कि क्या विरोध स्वरूप वे भी नहाएंगे? राहुल ने मुस्कुराते हुए इतना ही कहा- “मैं कल ही नहाया हूं और आज भी फ्रेश ही नजर आ रहा हूं।”
अमित शाह की सफाई :
इस अध्यादेश पर अमित शाह ने मुस्कराते हुए इस तरह से सफाई दी, ‘मैं कहना चाहूंगा कि यह अध्यादेश स्नान नहीं करने से संबंधित है। यह किसी भी धर्म के व्यक्ति को नहाने के लिए मजबूर नहीं करता है, भले ही वह हिंदू हो या मुसलमान।’
(Disclaimer : इसका मकसद मकर संक्रांति के बहाने केवल राजनीतिक कटाक्ष करना है। धार्मिक भावनाओं का पूरा ख्याल रखा गया है… )
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