By Jayjeet Aklecha/ जयजीत अकलेचा
अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि हमारा देश एक साल में थोड़ा और भ्रष्ट हो गया ( ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत की रैंकिंग दुनिया के सबसे भ्रष्ट देशों में 85 से बढ़कर 93 हो गई है)।
ED जैसी राष्ट्र हितैषी एजेंसियों पर सवाल नहीं उठाया जा सकता, फिर भी अपने आप उठता है कि आखिर वह इतने सालों से कर क्या कर रही है? क्यों इतने सारे विपक्षी नेता बाहर रहकर देश को भ्रष्टाचार के पायदान पर ऊपर चढ़ा रहे हैं? इनफ इज इनफ। देश और ज्यादा भ्रष्ट न हो, इसके लिए हमें राष्ट्रीय स्तर पर दो काम प्रॉयोरिटी पर करने होंगे...
1. या तो विपक्ष के तमाम नेताओं (नेता हैं तो भ्रष्ट होंगे ही, यह मानकर) को जेल के भीतर किया जाना चाहिए।
2. या विपक्ष के तमाम नेताओं को एनडीए के भीतर किया जाना चाहिए।
शुक्र है... सुशासन बाबू एनडीए में आ गए। उनके आने से उम्मीद है अगले साल भ्रष्टाचार की रैंकिंग में हम थोड़ा सुधार करेंगे, बशर्ते वे एनडीए के साथ बने रहें। और इसमें कोई शक है?
कोई शक नहीं है कि वे एनडीए के साथ नहीं रहेंगे... पर फिर वही सवाल... आखिर हम राष्ट्र के स्तर पर विपक्षी दलों के भ्रष्टाचार को कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं?
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