By A. Jayjeet
नई दिल्ली। हर बरात में दूल्हे के मित्रों द्वारा नागिन डांस क्यों किया जाता है, यह आज तक एक रहस्य रहा है। लेकिन अब कुछ ऐसे प्रमाण मिले हैं, जिससे इस रहस्य पर से परदा उठ सकता है। आज से करीब हजार साल पहले ‘विवाह प्रपंच’ नाम से एक पूरा महाकाव्य इस विषय पर लिखा जा चुका है, जिसके कुछ पन्ने इस रिपोर्टर के हाथ लगे हैं।
इस महाकाव्य के कविवर के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल नहीं हो पाई है, लेकिन इससे पता चलता है कि उन्हें शादीशुदा जिंदगी का जबरदस्त अनुभव रहा होगा। इसमें कवि दूल्हे के मित्रों के माध्यम से दूल्हे को अंतिम समय तक आगाह करना चाहता है। इसके लिए कवि नागिन डांस का दृश्य बुनता है। चूंकि भारतीय संस्कृति में किसी शुभ कार्य से पहले नकारात्मक बातें मुंह से नहीं निकाली जाती हैं। लेकिन फिर भी दूल्हे के मित्र उसे भावी खतरों के बारे में बताना चाहते हैं। अब कैसे बताएं। सीधे यह तो कह नहीं सकते कि शादी मत कर, इसलिए मित्र नागिन डांस करके उसे संकेतों में आगाह करते हैं।
कवि कहता है, “नागिन डांस करते हुए और जमीन पर लौट-लौटकर दूल्हे को उसके मित्र ये संकेत दे रहे हैं- हे मित्र, जो सजी-संवरी कन्या तेरे दिलो-दिमाग पर छाई हुई है, उसके भुलावे में मत आ। जा मित्र, जा। जिस घोड़े पे बैठा है, उसे दुलत्ती लगा और भाग जा यहां से, भाग जा नागिन से।”
लेकिन मित्र नागिन डांस के जरिए संदेश देने में विफल रहते हैं। इसके बाद भी दूल्हे के मित्र अपनी कोशिश नहीं छोड़ते। अंतिम कोशिश के तहत वे जोरदार आतिशबाजी करते हैं। दस हजार पटाखों की लड़ी भी फोड़ते हैं। वे संकेत देते हैं कि हे मित्र, अब भी समय है। भाग जा, तेरी जिंदगी में धमाके होने वाले हैं।
कवि आगे कहता है, घोड़े पर सवार दूल्हे की पोशाक में बैठा वह आदमी अब कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है। तब एक मित्र अपने दूसरे मित्र से कहता है- चल रे दोस्त, अब सारी उम्मीदेें खत्म हुई जाती हैं। आ, अब हम भी तनिक आराम कर लें। दारू उतरी जा रही है। दूसरा मित्र कहता, हा रहे मितवा, इस दूल्हे का तो दिमाग खराब हुआ जा रहा है। हम इतनी माथापच्ची क्यों करें। चल आ, थोड़ा गला तर कर लें।
शादी के बाद बदल गई भूमिकाएं, नायिका बन गई संपेरा:
विडंबना देखिए कि शादी से पहले कवि नायिका को ‘नागिन’ नाम से संबोधित कर रहा है। लेकिन शादी के बाद के पद्यों में नायिका के हाथों में बीन नजर आ रही है। नायिका अब संपेरा बन गई है और नायक नागिन बनकर नाच रहा है। यानी अब भूमिकाएं बदल गई हैं। कवि ने अपने पद्यों में इसका भी बहुत सुंदर वर्णन किया है। शायद अपने अनुभवों से ही कवि यह लिख पाया होगा, ऐसा माना जा सकता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thanks for your comment