यहां आपको कॉन्टेंट मिलेगा कभी कटाक्ष के तौर पर तो कभी बगैर लाग-लपेट के दो टूक। वैसे यहां हरिशंकर परसाई, शरद जोशी जैसे कई नामी व्यंग्यकारों के क्लासिक व्यंग्य भी आप पढ़ सकते हैं।
बुधवार, 11 दिसंबर 2019
रविवार, 8 दिसंबर 2019
Satire : बापू की प्रतिमा ने ये क्या कर दिया? आपको यकीन नहीं होगा!!
By Jayjeet
नई दिल्ली। मंगलवार को संसद परिसर में गले में प्याज की मालाएं पहनकर दो सांसद महोदय महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शन कर रहे थे। उसी समय एक ऐसी घटना हो गई जिस पर कोई विश्वास करने को तैयार नहीं है। इस घटना के एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी थे गांधी प्रतिमा की सफाई करने वाले सफाईकर्मी झंकारसिंह। तो पहले उन्हीं की जुबानी सुनते है यह पूरी घटना :
‘ये दोनों सांसद महोदय बापू की मूर्ति के पास प्रदर्शन कर रहे थे, उधर मैं मूर्ति की सफाई कर रहा था। तभी मैंने बापू की आंखों में कुछ गीला-गीला सा देखा। पर मैंने सोचा कि ये बेचारी पत्थर की मूर्ति। इंसानों की आंखों में तो पानी बचा नहीं तो इस पत्थर की आंखों में भला पानी कहां से आएगा! यह सोचकर मैं मूर्ति के नीचे झाडू लगाने लगा। तभी तपाक से मेरी पीठ पर दो बड़ी-बड़ी बूंदें गिरी। गर्दन ऊप्पर की तो देखा बापू अपने हाथों से आंखें पोंछ रहे हैं। मुझे देखते ही उन्होंने तपाक से अपने हाथ नीचे कर लिए। मैं ये तो समझ गया कि ये बापू के आंसू हैं, पर यह समझ में नहीं आया कि वे रो क्यों रहे हैं। फिर बाद में दिमाग की बत्ती जली कि हां प्याज… । स्साले ये दोनों सांसद महोदय बापू की प्रतिमा के ठीक नीचे प्याज की माला पहनकर प्रदर्शन कर रहे थे ना, तो प्याज की गंध बापू सहन नहीं कर पाए होंगे और बिचारे के आंसू आ गए होंगे।’
झंकारसिंह इस मामले की गंभीरता को समझ नहीं पाए, लेकिन मामला तो बड़ा संगीन था कि आखिर बापू रोए क्यों ? क्या साध्वी प्रज्ञा के कारण, क्या हैदराबाद की घटना ने उन्हें इतना आघात पहुंचाया? या वाकई प्याज के कारण? इस बारे में हमने संसद में ही मौजूद कुछ पार्टियों के सांसदों से ही राय लेने का फैसला किया। सबसे पहले कांग्रेस के एक सांसद से बात की तो उन्होंने छूटते ही कहा, “क्या बकवास कहानी है? अब कहां बापू में जान आएगी! और क्या बापू की प्रतिमा भगवान गणेशजी हैं जो कभी भी दूध पीने लगे! हां हां हां…।”
बापू की प्रतिमा के पास प्रदर्शन करने वाले AAP सांसद से पूछा तो उन्होंने कुछ याद करते हुए कहा, “हां, मेरी पीठ पर कुछ गीला-गीला सा महसूस तो हुआ था। लेकिन मुझे नहीं लगता कि वे बापू के आंसू होंगे। शायद किसी चिड़िया की बीट होगी।”
इस बारे में एक भाजपा सांसद ने कहा, “हमें ऐसे अंधविश्वासों पर भरोसा नहीं करना चाहिए। देश मोदीजी के नेतृत्व में विकास के मार्ग पर आगे बढ़ चुका है। देखिएगा, जीडीपी को हम जीरो पर लाकर कैसे 100 तक ले जाते हैं। आप देखते ही रह जाएंगे।”
रहस्य अब भी अनसुलझा था। तो यह रिपोर्टर खुद बापू की मूर्ति के पास गया। देखा, कोई आंसू नहीं। आंखें झुकी हुईं, मानों किसी बात पर शर्मिंदा हों। रिपोर्टर ने खुद को धिक्कारते हुए खुद से ही कहा, कहां झंकारसिंह की बातों में आ गया। बापू इतने कमजोर तो शायद नहीं होंगे जो आंसू बहाएं। वे तो रोजाना कितने ही लीटर खून के आंसू गटक जाते होंगे… और पता नहीं कब से ऐसा कर रहे होंगे। हां, आंसू नहीं बहाएंगे,यह यकीन है।
क्योंकि जिस दिन गांधी टूट गए, उस दिन शायद आखिरी उम्मीद भी टूट जाएगी…!
(Disclaimer : कहने की जरूरत नहीं, यह एक राजनीतिक कटाक्ष है)
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मंगलवार, 3 दिसंबर 2019
मंगलवार, 26 नवंबर 2019
Satire : भाजपा ने की कांग्रेस पर कब्जे की औपचारिक घोषणा, कांग्रेसियों ने भी किया स्वागत
नई दिल्ली। आज 26 नवंबर को संविधान दिवस के मौके पर भाजपा ने अंतत: कांग्रेस पर कब्जे का औपचारिक ऐलान कर दिया। इसके साथ ही 1975 के बाद वाली कांग्रेस की तमाम नीतियों, कार्यक्रमों, दांव-पेंचों और साम-दाम-दंड-भेद संहिता पर भाजपा का अधिकार हो गया।
भाजपा की ओर से इसकी औपचारिक घोषणा 24 अकबर रोड स्थित कांग्रेस के सुनसान पड़े मुख्यालय से की गई। वहां आयोजित कार्यक्रम में भाजपा अध्यक्ष ने बेहद भावुक भाषण में कहा, ‘आज संविधान दिवस है। इस पवित्र मौके पर हमें यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि आज से कांग्रेस की तमाम नीतियों का हमने औपचारिक तौर पर अधिग्रहण कर लिया है। वैसे हम पिछले कई महीनों से कांग्रेस के कार्यक्रमों को अमल में लाने का अभ्यास कर रहे थे। कर्नाटक से लेकर गोवा तक में हमने सफल प्रयोग किए। और अब महाराष्ट्र में हमें उन प्रयोगों को दोहराने में सफलता मिली है।’
कांग्रेस ने भी किया स्वागत :
भाजपा के इस फैसले का कांग्रेस ने स्वागत करते हुए कहा है कि अब कम से कम अब 24 अकबर रोड मुख्यालय की सही देखरेख हो सकेगी। हमारा काम तो 10 जनपथ से ही चल जाएगा। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने खुशी जताते हुए कहा, ‘आज साफ हो गया कि देश में सत्ता किसी भी पार्टी की हो, नीतियां कांग्रेस की ही चलेंगी।’
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सोमवार, 18 नवंबर 2019
Humor : हाऊसफुल-4 ने छुआ 200 करोड़ का आंकड़ा, सरकार ने दिए भारतीयों के IQ लेवल में गिरावट की जांच के आदेश
By Jayjeet
मुंबई/दिल्ली। हाऊसफुल-4 मूवी बुधवार को 200 करोड़ क्लब में शामिल हो गई। इस बीच, मूवी की भयंकर सफलता से चिंतित सरकार ने भारतीयों के IQ लेवल में गिरावट के मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं।
हाऊसफुल-4 जिस तरह से कमाई कर रही है, वह इस बात का संकेत है कि बीते कुछ दिनों में भारतीयों के IQ लेवल में रिकॉर्डतोड़ गिरावट आई है। इस बीच, रैंकिंग देने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल आईक्यू मॉनिटरिंग ऑर्गनाइजेशन ने भी भारत की रैंकिंग घटाकर 152 कर दी है। हाऊसफुल-4 की रिलीज से पहले यह रैंकिंग 72 थी। सरकार ने इसे काफी गंभीरता से लिया है। माना जा रहा है कि स्वयं प्रधानमंत्री ने ब्रिक्स सम्मेलन से बाहर निकलकर PMO के अफसरों से इस मामले में बात की। प्रधानमंत्री के दखल के बाद हरकत में आई सरकार ने आनन-फानन में एक कमेटी बनाकर IQ लेवल में गिरावट के सभी पहलुओं की जांच कराने के आदेश जारी कर दिए हैं।
साजिद खान और कपिल शर्मा कठघरे में :
सरकार द्वारा गठित कमेटी इस पूरे मामले की जड़ में जाने का प्रयास करेगी। सरकार ने खासकर ‘हमशकल्स’ वाले साजिद खान और कपिल शर्मा के कॉमेडी शो को जांच के दायरे में रखा है। इस मामले में रितेश देशमुख और तूषार कपूर की भूमिकाओं का भी पता लगाया जाएगा। कमेटी को एक साल में रिपोर्ट देने को कहा गया है।
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गुरुवार, 10 अक्तूबर 2019
गुरुवार, 5 सितंबर 2019
Satire : अपने ‘राजनीतिक गुरु’ को सम्मानित करना चाहते हैं राहुल, गायब हुए सीनियर कांग्रेसी
हाव-भाव पर न जाइए... सच्ची में अपने गुरु को सम्मानित करना चाहते हैं बाबा... |
हिंदी सटायर डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की इस मंशा कि वे शिक्षक दिवस के मौके पर अपने राजनीतिक गुरु को सम्मानित करना चाहते हैं, को जानकर कांग्रेस के अधिकांश वरिष्ठ नेता भूमिगत बताए जा रहे हैं। जनार्दन द्विवेदी, जयराम रमेश से लेकर दिग्गी राजा तक ने अपने फोन नॉट रिचेबल कर लिए हैं।
हिंटी सटायर को प्राप्त जानकारी के अनुसार शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर राहुल ने अपने करीबियों से इच्छा जताई कि वे शिक्षक दिवस पर अपने राजनीतिक गुरु को सम्मानित करना चाहते हैं। जैसे ही यह खबर कांग्रेस के गलियारों में फैली, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में चिंता की लहर दौड़ गई। सीपी जोशी और अहमद पटेल अलग-अलग जगहों पर यह कहते सुने गए कि उन्हें तो राहुलजी से बहुत कुछ सीखने को मिला है, वे भला राहुलजी को क्या गुर दे सकते हैं? मोतीलाल वोरा ने अपने करीबियों से कहा (और यह भी कहा कि यह बात कुछ सूत्रों के जरिए राहुलजी तक पहुंच जाए) कि वे अब राजनीति में बहुत ज्यादा सक्रिय नहीं हैं, इसलिए उन्होंने राजनीतिक आधार पर सम्मानित होना छोड़ दिया है।
दिग्गी को पहले ही हो गया था भान! :
लगता है दिग्गी राजा को पहले से ही भान हो गया था कि शिक्षक दिवस पर राहुलजी कुछ गड़बड़-घोटाला कर सकते हैं। शायद इसीलिए उन्होंने कुछ दिन पहले से अपने गृह राज्य मप्र में कांग्रेस में कलह की स्थिति पैदा करवा दी ताकि राहुल उनके नाम पर अगर विचार कर रहे हों, तो वे छोड़ दें। हालांकि दिग्गी के घोर विरोधी उन्हें राहुल से सम्मानित करवाने के अभियान में जुट गए हैं।
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गुरुवार, 22 अगस्त 2019
गुरुवार, 8 अगस्त 2019
Satire : कांग्रेस को मिलेगा ‘विशेष पार्टी का दर्जा’, लोकतंत्र को बचाने सरकार लाएगी कानून
राहुल ने किया स्वागत, पर पार्टी कर रही है विरोध... |
हिंदी सटायर डेस्क, नई दिल्ली। धारा 370 पर कांग्रेस के रुख के मद्देनजर सरकार ने उसे विशेष पार्टी का दर्जा देने का फैसला किया है, ताकि पार्टी को बचाकर लोकतंत्र को भी बचाया जा सके। हालांकि कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले का पूरजोर विरोध करते हुए कहा है कि उसे कोई भी तानाशाहीपूर्वक लिया गया निर्णय स्वीकार नहीं है। जनता दल यू ने भी इसका विरोध करने निश्चय किया है।
केंद्रीय कानून मंत्री हरिशंकर प्रसाद ने कहा, 'हम पर लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगता रहा है। लेकिन हम बताना चाहते हैं कि हमारा लोकतंत्र में पूरा विश्वास है। चूंकि लोकतंत्र में विपक्ष की भी अहम भूमिका होती है। इसके मद्देनजर ही हम कांग्रेस पार्टी को विशेष पार्टी का दर्जा देने जा रहे हैं। भले ही कांग्रेसी खुद कांग्रेस को खत्म करने के हरसंभव प्रयास कर लें, लेकिन कांग्रेस को संरक्षित करना हमारा दृढ़ संकल्प है।'
कानून में क्या होगा?
कांग्रेस को बचाने के लिए सरकार 'कांग्रेस विशेष पार्टी दर्जा बिल 2019' जल्दी ही राज्यसभा में पेश करेगी। इसके तहत देश की 44 लोकसभा सीटें कांग्रेस के लिए आरक्षित की जाएंगी। वहां कांग्रेसी ही कांग्रेसी के खिलाफ चुनाव लड़ सकेगा। इस तरह यह सुनिश्चित हो सकेगा कि संसद में कांग्रेस की न्यूनतम 44 सीटें तो हमेशा रहें ही। इसके अलावा सभी प्रमुख राज्यों की विधानसभाओं में भी कुछ सीटें आरक्षित की जाएंगी।
कांग्रेस विरोध करेगी, जद यू भी खिलाफ :
कांग्रेस ने इस विधेयक को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए इसका विरोध करने का निश्चय किया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार यह कानून इसलिए बनाना चाहती है ताकि देश में कांग्रेस बची रहे और मोदी सरकार उसे गालियां दे-देकर सालों-साल सत्ता में आती रहे। हम ऐसा हरगिज नहीं होने देंगे। हालांकि रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस के इस आरोप को सिरे से ही खारिज करते हुए कहा कि अगर हमारी गलत मंशा होती तो हम 'राहुल गांधी स्थाई कांग्रेस अध्यक्ष बिल' लाते। लेकिन हमारा लोकतंत्र में पूर्ण विश्वास है और हम हर काम लोकतंत्र को मजबूत करने के मकसद से ही कर रहे हैं।
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मंगलवार, 6 अगस्त 2019
बुधवार, 12 जून 2019
Satiire : हिंदी के भक्तिकाल की तर्ज पर सिलेबस में जुड़ेगा नया अध्याय – राजनीति का भक्तिकाल
By Jayjeet
हिंदी सटायर डेस्क, नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी की दोबारा सत्ता में वापसी के बाद केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक नई पहल की है। इसके तहत हिंदी के भक्तिकाल की तर्ज पर पाठ्यक्रमों में ‘राजनीति का भक्तिकाल’ नाम से एक नया अध्याय जोड़ा जा रहा है। इस अध्याय की एक कॉपी hindisatire के भी हाथ लगी है। इसके मुख्य अंश हम अपने रीडर्स के लिए पेश कर रहे हैं :
‘राजनीति का भक्तिकाल’ पाठ के मुख्य अंश :
भारतीय राजनीति में भक्तिकाल का आरंभ ईस्वी 2014 (संवत् 2071) से माना जाता है। मोदी भक्त इतिहासकार (जो साेशल मीडिया की देन रहे हैं) इसे भारतीय राजनीतिक शासन व्यवस्था का श्रेष्ठ काल मानते हैं। वैसे भक्तिकाल की धारा का उद्गम सन् 2001 से होता है जब नरेंद्र मोदी ने गुजरात की बागडोर संभाली थी। लेकिन साल 2012 में चौथी बार मुख्यमंत्री बनने और 2013 में पीएम पद का उम्मीदवार घोषित करने के बाद से भक्तिकाल की यह धारा फूट-फूटकर बहने लगी। 2014 के बाद से तो सोशल मीडिया पर भक्तों ने ऐसी भक्ति पेली कि कृष्ण के सूरदास, राम के तुलसीदास जैसे दासों की भक्ति तक फीकी पड़ गई। भक्ति की पिलाई करते समय न जात का फर्क रखा, न पांत का :
जाति-पांति पूछे नहिं कोई।
मोदी को भजै सो मोदी का होई।
इस काल में मोदी भक्ति की कई रचनाएं रची गई हैं जो अविस्मरणीय है :
भक्ति जो सीढ़ी मुक्ति की, चढ़ै मोदी भक्त हरषाय।
और न कोई चढ़ि सकै, लात दे गिराय।।
यानी कवि कहता है कि मोदी का जो भक्त मोदी भक्ति नामक सीढ़ी चल लेता है, वह हमेशा प्रसन्नचित्त रहता है। लेकिन जो चढ़ने में हिचक करता है, तो सीढ़ी के ऊपरी पायदान पर बैठे मोदी भक्त उसे लात मारकर और भी नीचे गिरा देते हैं।)
मोदी की भक्ति बिन, अधिक जीवन संसार।
धुवाँ का सा धौरहरा, बिनसत लगै न बार।।
यानी कवि कहता है कि मोदी की भक्ति के बिना संसार में जीना धिक्कार है। यह माया (वती) तो धुएं के महल के समान है। इसके खतम होने में समय नहीं लगता।
दो तरह की होती है भक्ति :
इतिहासकारों ने मोदी के प्रति भक्ति को सगुण भक्ति माना है। यानी वह भक्ति जो गुणों की वजह से की जाती है। लेकिन इसी दौरान निर्गुण भक्ति का भी एक दौर चला है। राजनीति में एक खास परिवार के प्रति भक्ति को इतिहासकार निर्गुण भक्ति मानते हैं। यानी वह भक्ति, जो गुणों की वजह से नहीं, परिवार के कारण की गई।