रविवार, 14 फ़रवरी 2021

Funny Short Video : पेट्रोल भरवाने से पहले क्या पैन कार्ड रखा?





पेट्रोल के भाव 100 रुपए के आसपास पहुंच गए हैं। तो ऐसे में उसी पर कटाक्ष करते हुए यह वीडियो है। कार्टून कैरेक्टर्स का इस्तेमाल किया गया है...

शनिवार, 13 फ़रवरी 2021

Satire & humor : महंगाई के मन में फूटे राजनीति के लड्‌डू…गिरी हुई महंगाई से खास बातचीत

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By Jayjeet

महंगाई क्या गिरी, रिपोर्टर तुरंत उछलकर उसके पास पहुंच गया। रिपोर्टर को देखते ही महंगाई ने मुंह बनाया - आ गए तुम रिपोर्टर लोग, जले पर तेल डालने...

रिपोर्टर : इसे जले पे नमक छिड़कना कहते हैं बहन…

महंगाई : वाह, मतलब आप रिपोर्टर लोगों को मुहावरे भी पता हैं..! मैं तो बस तुम्हारी परीक्षा ले रही थी।

रिपोर्टर : हम आम आदमी भी हैं। परीक्षा तो आप हम आम लोगों की हमेशा ही लेती रहती हो... वैसे हम आपके जले पे नमक छिड़कने नहीं, बल्कि बधाई देने आए हैं।

महंगाई :  बधाई! किस बात की?

रिपोर्टर : अब गिरने के मामले में आप भी नेताओं से होड़ लेने लगी हैं। मतलब, इस मामले में आप देश में दूसरे स्थान पर पहुंच गई हैं। इसी बात की आपको लख लख बधाइयां…

महंगाई: अच्छा, तो मतलब हम भी क्या पॉलिटिक्स-वॉलिटिक्स में आ सकती हैं?

रिपोर्टर : अरे आपने तो मुंह की बात ही छीन ली।

महंगाई: पर एक बात अब भी समझ में नहीं आ रही। मुझे थोड़ा डाउट सा हो रहा है। हम गिरे कब हैं? मतलब हमें तो गिरने जैसा कोई फील ही नहीं हो रहा।

रिपोर्टर : यह तो हमको भी समझ में नहीं आ रहा। हमें भी आपमें गिरने वाले कोई लक्षण नजर नहीं आ रहे। आज भी प्याज 50 रुपए किलो मिल रहे हैं। पेट्रोल सेंचुरी मारने जा रहा है। हमने अपने मन की बात पहले इसलिए नहीं बताई कि कहीं आप हमें अज्ञानी पत्रकार ना समझ लो...

महंगाई : अच्छा किया जो मन की बात ना बताई। एक के मन की बात ही काफी है।

रिपोर्टर : वाह! आप तो बड़ी डेयरिंग भी हो। देखना, बैन-वैन ना हो जाओ...ट्विटर पर हों?

महंगाई : मजाक  छोड़िए, आप तो यह बताइए, राजनीति करने के लिए हमें करना क्या होगा? हमारे मन में तो राजनीति के लड्‌डू फूट रहे हैं।

रिपोर्टर : आप असल में गिरी हैं या नहीं, यह तो किसी को ना पता, पर राजनीति करनी है तो खुद को गिरा हुआ फील करना जरूरी है।

महंगाई : ठीक है, हम मुंह पर सरकारी आंकडे़ चिपका लेते हैं। इससे गिरने का फील आ जाएगा।

रिपोर्टर : एक शर्त और है।

महंगाई : वो क्या?

रिपोर्टर : आपको गिरने के मामले में कंसिस्टेंसी भी बनाए रखनी होगी। ऐसे नहीं कि आज गिरी और कल ऊपर चढ़ गई। परसो गिरी और फिर ऊपर चढ़ गई…समझें!!

सेंसेक्स : मतलब, स्साला पूरा नेता बनना होगा!

रिपोर्टर : बिल्कुल।

महंगाई : पर यह तो संभव ही नहीं है। हम आंकड़ों में खुद को गिरा लें, वहां तक ठीक है। पर चाल-चलन, कैरेक्टर, इन सब मामलों में हम कैसे गिर सकती है? नहीं करनी ऐसी राजनीति, यह नेताओं को ही मुबारक...। मैं तो चली...

रिपोर्टर : अरे, सुनो तो सही। कोई ब्रेकिंग-व्रेकिंग तो देती जाओ...

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Short Satire : महंगाई दर ने की खुदकुशी की कोशिश

नई दिल्ली। एक चौकाने वाले घटनाक्रम के तहत महंगाई दर ने यहां शनिवार सुबह खुदकुशी करने की कोशिश की। उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है जहां उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है। करीबी सूत्रों के अनुसार वह उसी दिन से मानसिक तौर पर काफी परेशान थी, जिस दिन यह बात सामने आई थी कि वह पिछले 16 महीनों में सबसे ज्यादा नीचे गिर गई है। उसके पास से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है, जिसमें लिखा है – “मैं महंगाई हूं, मैं कैसे गिर सकती हूं? इसके बावजूद मुझे यह कहकर प्रताड़ित किया जा रहा है कि मैं नीचे गिर रही हूं। मुझे क्या नेता समझ लिया है?”

गुरुवार, 11 फ़रवरी 2021

valentine day video jokes : सुनिए वैलेंटाइन डे पर एक मॉरल स्टोरी, एक लड़के की जुबानी....

 


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valentine day funny jokes : लड़कियां लड़कों को कहेंगी हैंडसम, तो लड़के क्या करें?

 


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Funny Video : कोरोना क्यों हुआ पस्त?


देश में कोरोना का असर कम होता जा रहा है। लेकिन इसकी वजह वैक्सीन कार्यक्रम कम, घर-गृहस्थी ज्यादा है। देखिए यह शुद्ध ह्यूमर एवं फनी वीडियो... कार्टून कैरेक्टर्स के जरिए....

ऐसे ही वीडियोज के लिए क्लिक करें...

मंगलवार, 2 फ़रवरी 2021

Satire & Humor Video : इकोनॉमी में जबरदस्त योगदान देने वाले दारूबाज क्यों हैं बजट से नाखुश?

 



2020-21 के केंद्रीय बजट ने दारूबाजों को नाखुश कर दिया है। ऐसे ही एक दारूबाज से सुनिए कि उसकी दर्दभरी दास्तान...

सोमवार, 1 फ़रवरी 2021

Humor : राहुल को समझ में आया बजट, कांग्रेसियों में खुशी की लहर, सोनिया के निवास पर पहुंचकर की आतिशबाजी

Rahul understood budget Congressmen happy
मुझे खुशी है कि मेरे बेटे काे आखिरकार बजट समझ में आ गया : सोनिया 


By A. Jayjeet

नई दिल्ली। राहुल गांधी को बजट (budget) समझ में आ गया है। इसका ऐलान खुद राहुल ने एक ट्वीट कर किया। इसकी खबर मिलते ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर छा गई। कार्यकर्ता ढोल नगाड़ों के साथ सोनिया के निवास पर पहुंचे और वहां जमकर आतिशबाजी की। कार्यकर्ताओं की भावनाओं को देखते हुए खुद सोनिया ने सड़क पर आकर राहुल के साथ विक्टरी चिह्न दिखाकर खुशी मनाई (देखें चित्र)।

जयराम रमेश ने खुशी के आंसू रोकते हुए कहा – आखिर मेरी तपस्या सफल हुई। मनमोहन सिंह ने कहा – मैं तो अब भी बजट समझने की कोशिश कर रहा हूं। राहुल बाबा मुझसे भी होशियार हो गए। विश्वास नहीं होता, मगर खुशी की बात है। दिग्गी राजा ने कहा- जिस बजट को आज तक मनमोहन सिंह जी तक नहीं समझ सके, उसे राहुलजी ने समझ लिया। इससे साफ है कि हमें राहुलजी की जरूरत है। मैं उनसे फिर से पार्टी की कमान संभालने का अनुरोध करता हूं।

सोनिया के निवास पर पहुंचे कार्यकर्ता, खुशी जताई :

राहुल के ट्वीट के बाद हजारों की संख्या में कार्यकर्ता सोनिया गांधी के निवास पर पहुंचे और वहां जमकर आतिशबाजी की। सोनिया ने बाहर निकलकर कार्यकर्ताओं से कहा – “ऐसा लग रहा है कि हम देश में आम चुनाव जीत गए हैं।”

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Budget Satire : आम आदमी को समझ में आया बजट, सदमे में पहुंची वित्त मंत्री






By Jayjeet

नई दिल्ली। बजट के इतिहास में पहली बार एक आम आदमी ने आम बजट को समझने का दावा कर आर्थिक और राजनीतिक गलियारों में सनसनी फैला दी है। इस खबर से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सदमे में बताई जा रही हैं। पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने इसके लिए सीतारमण को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है।

इस बीच, अनेक आर्थिक विशेषज्ञों ने इस दावे को फेक बताते हुए कहा है कि यह संभव ही नहीं है कि कोई आम आदमी आम बजट को समझ सके। न पहले कोई समझ सका है, न आगे कोई समझ सकेगा। हालांकि अभी इस आम आदमी की पहचान का खुलासा नहीं किया गया है। सरकार ने इस आदमी के दावे की जांच के लिए आनन-फानन में तीन विशेषज्ञों की समिति गठित कर दी है।

विपक्ष ने मांगा सीतारमण का इस्तीफा
आम आदमी के इस दावे के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण विपक्ष के निशाने पर आ गई हैं। इसके लिए कांग्रेस ने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को आगे किया है। चिदंबरम ने कहा कि आम आदमी के इस दावे ने वित्त मंत्रालय के इतिहास को कलंकित कर दिया है। उन्होंने इसके लिए सीतारमण को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है।

सदमे में सीतारमण
आम आदमी के इस दावे के बाद सीतारणम सदमे में बताई जा रही हैं। सदमे में आने से पहले उन्होंने ऐसा बजट तैयार करने के लिए तीन जिम्मेदार अफसरों को सस्पेंड कर दिया है। एक प्रत्यक्षदर्शी ने हिंदी सटायर को बताया, “वित्त मंत्री अपने कक्ष में अपने अफसरों पर चिल्ला रही थीं। जाहिलो, ऐसा कैसा बजट बना दिया कि एक आम आदमी भी इसे समझ गया। आप लोगों ने इसे हलवा समझ रखा क्या?” अफसर बार-बार दलील देते रहे कि मैडम, यह विपक्ष की साजिश है। ऐसा बिल्कुल नहीं हो सकता। आम आदमी तो हमारे फोकस में ही नहीं होता। लेकिन सीतारमण पर इसका कोई असर नहीं हुआ।

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रविवार, 31 जनवरी 2021

हलवे की कड़ाही और वोटर्स में क्या समानता है? जानिए इसी कड़ाही से, बजट पूर्व खास इंटरव्यू में…

बजट का हलवा

 

By Jayjeet

ह्यूमर डेस्क, नई दिल्ली। बजट पेश होने में अब कुछ ही घंटे बाकी हैं। ऐसे में बजट संबंधी ब्रेकिंग न्यूज कबाड़ने के फेर में रिपोर्टर ने सोचा कि क्यों न कड़ाही से बात की जाए, वही कड़ाही जिसमें बजट की प्रिंटिंग से पहले हलवा बना था। तो छिपते-छापते रिपोर्टर पहुंच गया नॉर्थ ब्लॉक कड़ाही के पास :

रिपोर्टर : राम-राम कढ़ाही काकी। कल बजट आ रहा है और आप आराम कर रही हों?

कड़ाही : अब हमारा बजट से क्या काम? हलवा बनना था, बन गया और बंट भी गया।

रिपोर्टर : पर आप यहां इस समय कोने में क्या कर रही हों?

कड़ाही : अब यही तो हमारी नियति है बेटा। बजट छपने से पहले ही हमारी पूछ-परख है। एक बार हलवा खतम तो हमारा काम भी खतम। बस यहीं कोने में सरका दी जाती है। साल भर यहीं पड़े रहो।

रिपोर्टर : मतलब आपमें और हममें कोई फर्क नहीं?

कड़ाही : बिल्कुल। जैसे तुम वोटर्स की वोटिंग से पहले ही पूछ-परख होती है, वैसे ही मेरी बजट की छपाई से पहले।


रिपोर्टर : अच्छा, तनिक यह तो बताओ कि बजट में क्या आ रहा है? थोड़ी-बहुत ब्रेकिंग-व्रेकिंग हम भी चला दें…

कड़ाही : ब्रेकिंग का क्या, कुछ भी चला दो। चला दो कि बजट की एक रात पहले नॉर्थ ब्लॉक के पिछवाड़े में एक भूत के कदमों के निशान पाए गए। हो गई ब्रेकिंग न्यूज..।

रिपोर्टर : अरे नहीं काकी। मैं टीवी वाली ब्रेकिंग की बात ना कर रहा। हमें तो ‘हिंदी सटायर’ के लिए ब्रेकिंग चाहिए, वही जो खबरी व्यंग्यों में हिंदी में भारत का पहला पोर्टल है।

कड़ाही : अच्छा। तो खबर चाहिए? ऐसा बोलो ना। पर वो मुझे कहां पता। मैंने बजट थोड़े देखा है।

रिपोर्टर : मंत्री और अफसर हलवा खाते समय कुछ तो बतियाए होंगे?

कड़ाही : हां, मंत्राणी अपने अफसरों से पूछ रही थीं कि क्या उस आम आदमी की पहचान हो गई है जिसके लिए हम बजट बना रहे हैं?

रिपोर्टर : अरे वाह, फिर क्या हुआ?

कड़ाही : वही तो बता रही हो। बीच में ज्यादा टोकाटोकी मत करो…हां तो इस पर अफसर एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे। तब एक सीनियर अफसर ने हिम्मत करके कहा कि मैडम जी, हम तो हलवे में लगे थे। वैसे भी बजट का आम आदमी से क्या लेना-देना? फिर भी हमने उसकी तलाश में टीमें लगा दी हैं…. और भी बहुत बातें हुईं, पर ज्यादा समझ में ना आईं।

रिपोर्टर : हमें तो हलवे की फोटो ही देखने को मिलती आई है। ये तो बता दो उसमें क्या-क्या माल डलता है?

कड़ाही : बेटा, ये तो बहुत कॉन्फिडेंशियल है, बजट से भी ज्यादा।

रिपोर्टर : ठीक है, ना पूछता। पर दिल में कई सालों से एक सवाल उठ रहा था, हलवे को लेकर।

कड़ाही : क्या?

रिपोर्टर : यही कि क्या कभी ऐसा नहीं हो सकता कि किसी दिन कोई वित्त मंत्री यह कहें कि इस बार हलवा न बनेगा और न बंटेगा। इस बार रोटियां बनेंगी और गरीबों में बंटेंगी, क्योंकि इस देश को हलवे से ज्यादा रोटियों की दरकार है और…

कड़ाही (बीच में टोकते हुए) : बेटा, अब ज्यादा हरिशंकर परसाई मत बनो। अपनी औकात में रहो। वो तो समय रहते निकल लिए। तुम परसाई बनने के चक्कर में अपनी लिंचिंग न करवा बैठना। तुम अभ्भी के अभ्भी यहां से निकल लो…खुद तो मरोगे, मुझे भी मरवाआगे…

(Disclaimer : बताने की जरूरत नहीं कि यह खबर कपोल-कल्पित है। मकसद केवल कटाक्ष करना है, किसी की मनहानि करना नहीं।)

सोनू सूद से क्यों है शिकायत? एक व्यंग्य (Satire) वीडियो...


हाल ही इंदौर नगर निगम के कुछ कर्मचारियों द्वारा कुछ बूढ़े भिखारियों के साथ बदसलूकी की घटना सामने आई थी। इस दिल दहला देने वाली घटना के वीडियो देखकर सोनू सूद ने इन भिखारियों की मदद करने का प्रस्ताव रखा है। इसी पर यह एक व्यंग्यात्मक वीडियो है...





Video : कैसे ठंड, बाजार और महंगाई कर रहे हैं नेताओं से कॉम्पिटिशन?


 

कैसे ठंड, बाजार और महंगाई कर रहे हैं नेताओं से कॉम्पिटिशन?

शनिवार, 30 जनवरी 2021

गोडसे ने बापू की डायरी में यह क्यों लिखा : 1,10,234 …?

 

gandhi-godse


By Jayjeet


गोडसे ने आज फिर बापू की डायरी ली और उसमें कुछ लिखा।


गांधी ने पूछा- अब कितना हो गया है रे तेरा डेटा?


एक लाख क्रॉस कर गया बापू। 1 लाख 10 हजार 234… गोडसे बोला


गांधी – मतलब सालभर में बड़ी तेजी से बढ़ोतरी हुई है।


गोडसे : हां, 12 परसेंट की ग्रोथ है। बड़ी डिमांड है …. गोडसे ने मुस्कराकर कहा…


गांधीजी ने भी जोरदार ठहाका लगाया…


नए-नए अपॉइंट हुए यमदूत से यह देखा ना गया। गोडसे के रवाना होने के बाद उसने अनुभवी यमदूत से पूछा- ये क्या चक्कर है सर? ये गोडसे नरक से यहां सरग में बापू से मिलने क्यों आया था?


अनुभवी यमदूत – यह हर साल 30 जनवरी को नर्क से स्वर्ग में बापू से मिलने आता है। इसके लिए उसने स्पेशल परमिशन ले रखी है।


नया यमदूत – अपने किए की माफी मांगने?


अनभवी – पता नहीं, उसके मुंह से तो उसे कभी माफी मांगते सुना नहीं। अब उसके दिल में क्या है, क्या बताए। हो सकता है कोई पछतावा हो। अब माफी मांगे भी तो किस मुंह से!


नया – और बापू? वो क्यों मिलते हैं उस हरामी से? उसके दिल में भले पछतावा हो, पर बापू तो उसे कभी माफ न करेंगे।


अनुभवी – अरे, बापू ने तो उसे उसी दिन माफ कर दिया था, जिस दिन वे धरती से अपने स्वर्ग में आए थे। मैं उस समय नया-नया ही अपाइंट हुआ था।


नया – गजब आदमी है ये… मैं तो ना करुं, किसी भी कीमत पे..


अनुभवी – इसीलिए तो तू ये टुच्ची-सी नौकरी कर रहा है…


नया – अच्छा, ये गोडसे, बापू की डायरी में क्या लिख रहा था? मेरे तो कुछ पल्ले ना पड़ रहा।


अनुभवी – यही तो हर साल का नाटक है दोनों का। हर साल गोडसे 30 जनवरी को यहां आकर बापू की डायरी को अपडेट कर देता है। वह डायरी में लिखता है कि धरती पर बापू की अब तक कितनी बार हत्या हो चुकी है। गोडसे नरक के सॉफ्टवेयर से ये डेटा लेकर आता है।


नया – अच्छा, तो वो जो ग्रोथ बोल रहा था, उसका क्या मतलब?


अनुभवी – वही जो तुम समझ रहे हो। पिछले कुछ सालों के दौरान गांधी की हत्या सेक्टर में भारी बूम आया हुआ है।


नया – ओ हो, इसीलिए इन दिनों स्वर्ग में आमद थोड़ी कम है…


अनुभवी – अब चल यहां से, कुछ काम कर लेते हैं। वैसे भी यहां मंदी छाई हुई है। नौकरी बचाने के लिए काम का दिखावा तो करना पड़ेगा ना… हमारी तो कट गई। तू सोच लेना….


(Disclaimer : इसका मकसद गांधीजी को बस अपनी तरह से श्रद्धांजलि देना है, गोडसे का रत्तीभर भी महिमामंडन करना नहीं… )

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गुरुवार, 28 जनवरी 2021

Political Cartoon Video : कांग्रेस को क्यों है बजट से उम्मीदें?




वित्त वर्ष 2021-22 का बजट आने वाला है। वैसे तो किसी भी बजट से किसी विपक्षी पार्टी को कोई उम्मीद नहीं रहती है, लेकिन इस बार कांग्रेस को अपने राहुल बाबा की वजह से खास उम्मीद है। 

बुधवार, 20 जनवरी 2021

आम आदमी की खोज पूरी, अब सरकार बजट से पहले खिलाएगी भरपेट हलवा, ताकि...

 

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आम आदमी (दाएं) के बारे में बताती हुईं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ...



By Jayjeet

नई दिल्ली। सरकार ने उस आम आदमी को ढूंढ निकालने का दावा किया है जिसके लिए आम बजट पेश किया जाना है। बजट के पहले हलवे की रस्म के दौरान इस आम आदमी को ठूंस-ठूंसकर इतना हलवा खिलाने की योजना है ताकि बाद में वह रोटी न मांग सके।।

इस आम आदमी को वित्त मंत्री ने स्वयं अपने प्रयासों से ढूंढा है। वे पिछले साल भर से इसी की तलाश में जुटी हुई थीं। इसकी तलाश में ही वित्त मंत्री उस दिन देश के प्रमुख अर्थशास्त्रियों के साथ प्रधानमंत्री की अहम बैठक में भी शामिल नहीं हो पाई थीं। प्रधानमंत्री ने भी वित्त मंत्री से कह रखा था कि अर्थशास्त्रियों के साथ तो बातचीत होती रहेगी। हर साल ही होती है। लेकिन उस आम आदमी को ढूंढकर लाना ज्यादा जरूरी है, जिसके नाम पर हम बजट बनाते हैं।

आज सुबह खुद वित्त मंत्री ने एक प्रेस वार्ता में इस बात की जानकारी दी। उन्होंने कहा, “जो काम पिछले 70 साल में कोई नहीं कर सका, उसे हमने कर दिखाया है। कांग्रेस की सरकारें केवल आम आदमी की बातें करती रहीं, लेकिन हमने उसे ढूंढ भी लिया है।”

कांग्रेस का दावा, नेहरूजी पहले ही खोज चुके :
इस बीच, कांग्रेस ने वित्त मंत्री के इस दावे को हास्यास्पद बताया है। कांग्रेस प्रवक्ता सूरजेवाला ने प्रतिदावा किया कि नेहरूरी ने जिस इंडिया की खोज (डिस्कवरी ऑफ इंडिया) की थी, उसमें आम आदमी भी शामिल था। इसलिए यह कहना सरासर झूठ है कि आम आदमी की खोज मोदी सरकार ने की।

हलवे की रस्म के दिन रखा जाएगा खास ख्याल :
हर साल बजट की छपाई शुरू होने पर वित्त मंत्रालय में हलवे की रस्म होती है। एक सूत्र के अनुसार आम आदमी को इसी रस्म के दौरान इतना ठूंस-ठूंसकर हलवा खिलाया जाएगा ताकि बजट के बाद वह रोटी के बारे में कोई बात करने की स्थिति में ही न रहे।

(Disclaimer : यह खबर कपोल कल्पित है। इसका मकसद केवल कटाक्ष करना है, किसी की मानहानि करना नहीं)

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गुरुवार, 14 जनवरी 2021

Satire : करप्शन में 'Skill Development' करेगी सरकार, ढंग से रिश्वत न लेने वालों के खिलाफ कार्रवाई की भी तैयारी


मप्र के सीधी जिले में एक महिला विकास परियोजना अधिकारी को 10 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया गया। यहां रिश्वतखोरी पर दो सवाल उठ रहे हैं- हमारे अफसर इतनी छोटी-मोटी रिश्वत क्यों ले रहे हैं? और दूसरा, आखिर ऐसे कैसे रिश्वत ले रहे हैं कि इतनी आसानी से पकड़ में आ रहे हैं? इससे तो पूरे सिस्टम और सरकार पर ही सवालिया निशान लग गए हैं। देखिए, यह व्यंग्य वीडियो...


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मंगलवार, 12 जनवरी 2021

Satire & Humour : विवेकानंद के अनमोल विचारों से हमारे नेताओं ने क्या सीखा?

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By Jayjeet

आज स्वामी विवेकानंद (swami vivekanand) की जयंती है। 12 जनवरी को उनका जन्मदिवस होता है और हर साल इसे ‘युवा दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है। विवेकानंद ने अपने भाषणों और लेखों में कई अनमोल और Thought-Provoking विचार दिए हैं। भारतीय नेताओं ने उनके विचारों को कैसे यूज किया, इस पैकेज में देखिए इसका satirical अंदाज :

विवेकानंद का विचार : उठो, जागो और तब तक नहीं रुको, जब तक कि लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।

नेताओं ने ऐसे किया यूज : उठाईगिरी करो, लोगों की नींद हराम करो, कुछ भी करो। तब तक नहीं रुको, जब तक कि कुर्सी प्राप्त न हो जाए।

विवेकानंद का विचार : उस व्यक्ति ने अमरत्त्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता।

नेताओं ने ऐसे किया यूज : उस नेता ने अमरत्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी नैतिकता जैसी चीज से व्याकुल नहीं होता।

विवेकानंद का विचार : विश्व एक व्यायामशाला है, जहां हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।

नेताओं ने ऐसे किया यूज : राजनीति एक व्यायामशाला है, जहां हम खुद को बाहुबलि बनाने के लिए आते हैं।

विवेकानंद का विचार : जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिए, नहीं तो लोगों का विश्वास उठ जाता है।

नेताओं ने ऐसे किया यूज : चुनाव के दौरान आप जो वादे करते हैं, उन्हें समय पर पूरा बिल्कुल नहीं करना चाहिए, नहीं तो आम लोगों का राजनीति पर से विश्वास ही उठ जाता है।

विवेकानंद का विचार : जिस तरह से विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न धाराएं अपना जल समुद्र में मिला देती हैं, उसी तरह मनुष्य द्वारा चुना हर मार्ग, चाहे अच्छा हो या बुरा, भगवान तक जाता है।

नेताओं ने ऐसे किया यूज : जिस तरह से विभिन्न राजनीतिक दलों से उत्पन्न नेता अपनी पूरी नैतिकता को धूल में मिला देते हैं, उसी प्रकार हर नेता द्वारा चुना हुआ मार्ग, जाे हमेशा बुरा होता है, कुर्सी तक ही जाता है।

विवेकानंद का विचार : ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वे हमीं हैं जो अपनी आंखों पर हाथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार है!

नेताओं ने ऐसे किया यूज : पुलिस से लेकर ब्यूरोक्रेसी तक, सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। हममें से कुछ नादान लोग हैं जो इन शक्तियों का यूज नहीं करते और फिर कहते हैं कि कितना अंधकार है भाई।

विवेकानंद का विचार : अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है। अन्यथा ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाए, बेहतर है।

नेताओं ने ऐसे किया यूज : अगर कुर्सी हमारे अपने भाई-भतीजों की भलाई करने में मदद करें तो इसका कुछ मूल्य है। अन्यथा यह सिर्फ बुराई का ढेर है। ऐसी घटिया राजनीति से जितना जल्दी छुटकारा मिल जाए, बेहतर है।

विवेकानंद का विचार : कभी मत सोचिए कि आत्मा के लिए कुछ भी असंभव है। ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है। अगर कोई पाप है, तो यह कहना कि तुम निर्बल हों।

नेताओं ने ऐसे किया यूज : कभी मत सोचिए कि सत्ता के लिए कुछ भी असंभव है। ऐसा सोचना ही सबसे बड़ी ‘अराजनीति’ है। अगर कोई पाप है तो यह कहना कि तुम बाहुबलि नहीं हों।

स्वामी विवेकानंद का विचार : बस वही जीते हैं ,जो दूसरों के लिए जीते हैं।

नेताओं ने ऐसे किया यूज : बस वही राजनीति कर पाते हैं, जो अपने लिए राजनीति करते हैं।

विवेकानंद का विचार : यह जीवन अल्पकालीन है। संसार की विलासिता क्षणिक है, लेकिन जो दूसरों के लिए जीते हैं, वे ही वास्तव में जीते हैं।

नेताओं ने ऐसे किया यूज : यह सत्ता अल्पकालीन है। कुर्सी की विलासिता क्षणिक है, लेकिन जो नेता अपने भाई-बंधुओं के लिए काम करते हैं, वे ही वास्तव में राजनीति करते हैं।

(Disclaimer : यहां स्वामी विवेकानंदजी की किसी भी तरह से अवज्ञा नहीं की जा रही। मकसद केवल आज की राजनीति पर कटाक्ष करना है।)

शनिवार, 9 जनवरी 2021

Satire : मंत्री बने हैं तो कोई सम्मानजनक घोटाला कीजिए...आखिर हमने वोट क्यों दिया?




हाल ही में मप्र के एक मंत्री प्रभुराम चौधरी ने अपनी अफसर पत्नी को प्रमोट करने में तमाम नियम-कायदों को ताक पर रख दिया। इस पर कटाक्ष करता हुआ है यह वीडियो...


मंगलवार, 5 जनवरी 2021

Satire & Humour Video : राहुल 51 साल की उम्र में 'शिशु नेता' से बन जाएंगे यंग लीडर! कोरोना कर लेगा सुसाइड


 

नया साल (New Year) कई तरह की उम्मीदें लेकर आता है। लकिन क्या आम आदमी भी नए साल से कुछ उम्मीदें रख सकता है? नए साल 2021 में हम क्या उम्मीदें रख सकते हैं, देखिए इस satire Video में ...

# New Year # Satire # Satire Video # New year jokes


शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020

Satire : ठंड क्यों हो रही है कांग्रेस?



ठंड अब तक उस तरह से नहीं गिरी है, जैसी गिरनी चाहिए। तो क्या ठंड कांग्रेस हो रही है? आखिर दोनों की तुलना क्यों हो रही है? और इसमें भाजपा का क्या रोल है? देखिए यह व्यंग्य वीडियो News-Pachchi में.. 


यह वीडियो भी देखिए... पप्पू, मोटा भाई, बाबाजी और सरकार… कैसे सबकी उड़ी धज्जियां



Satire : पप्पू, मोटा भाई, बाबाजी और सरकार… कैसे सबकी उड़ी धज्जियां



इस वीडियो में बात-बात में राहुल गांधी, अमित शाह, बाबा रामदेव, सरकार की धज्जियां उड़ाई गई है। कुल मिलाकर आज की राजनीतिक व्यवस्था पर व्यंग्य है यह वीडियो…

In this video, we did satire on Rahul Gandhi, Amit Shah, Baba Ramdev and the government. Overall, this video is a satire on today’s political system …

यह वीडियो भी देखिए... ठंड क्यों हो रही है कांग्रेस?


सोमवार, 21 दिसंबर 2020

Satire 1 Minute Video : सर्दी के मौसम में देश के काम आएंगे ये बड़े-बड़े नेता...जानिए कैसे?




By A. Jayjeet

पुणे। देश में शीतलहर के बढ़ते प्रकाेप का सामना करने के लिए मौसम विभाग ने प्रभावित इलाकों में ओवेसी और गिरिराज सिंह की CDs बंटवाने का फैसला किया है।

मौसम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया- “ये दोनों जहां भी मुंह फाड़ते हैं, उस पूरे क्षेत्र में माहौल गर्म हो जाता है। इसी के मद्देनजर हमने इनकी CDs खरीदने का फैसला किया है। हम इन CDs को शीतलहर से प्रभावित इलाकों में घर-घर बंटवा देंगे। हमारे आकलन के अनुसार ये CDs भी वही काम करेंगी, जो एक हीटर करता है।”

उन्होंने बताया कि जहां ठंड से ज्यादा ही नुकसान होने की खबर मिलेगी, वहां हम इनके वीडियो भाषण दिखाएंगे। इसके लिए विभाग ने थोक में DVDs भी खरीदने के आदेश दे दिए हैं।

ओवेसी और गिरिराज सिंह ने स्वागत किया :

मौसम विभाग की इस अनूठी पहल का ओवेसी और गिरिराज सिंह ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि इस सामाजिक-राष्ट्रीय कार्य में योगदान देकर वे गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। इन दोनों ने मौसम विभाग से यह भी कहा है कि अगर ज्यादा ही गर्मी की आवश्यकता हो तो वे राष्ट्रहित में प्रत्यक्ष भाषण देने के लिए भी हरदम तैयार रहेंगे।

गर्मी से बचाव के लिए मनमोहन सिंह के पोस्टर छपवाए जाएंगे :

इस बीच, मौसम विभाग ने अगले साल भारी गर्मी की आशंका को देखते हुए इससे निपटने की तैयारियां अभी से शुरू कर दी है। इसके तहत मनमोहन सिंह के लाखों पोस्टर छपवाए जा रहे हैं। गर्मी के दिनों में लू-लपट वाले इलाकों में ये पोस्टर चिपकवाकर थोड़ी ठंडक पहुंचाई जाएगी।

विभाग के एक अधिकारी के अनुसार पहले मनमोहन सिंहजी के बयानों की भी CDs खरीदने का विचार था, लेकिन इस आधार पर इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया कि जब कुछ सुनाई ही नहीं देगा तो फिर सीडीज पर धनराशि बर्बाद करने का कोई मतलब नहीं है।

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(Disclaimer : यह खबर कपोल-कल्पित है। इसका मकसद केवल स्वस्थ राजनीतिक कटाक्ष करना है, किसी की मानहानि करना नहीं। )






सोमवार, 30 नवंबर 2020

Hindi Satire : नए साल में एक माह का समय बाकी, जानिए लोग क्यों खा रहे हैं बादाम?

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मेरा रिजाेल्यूशन : अगले साल से मैं रोज बादाम खाऊंगा,
ताकि अपना रिजाेल्यूशन याद रहे।

Humour Desk, दिल्ली/भोपाल। अब जबकि नए साल को आने में एक माह से भी कम का वक्त बचा है, लोगों ने पिछली बार लिए अपने-अपने रिजोल्यूशन्स की तलाश तेज कर दी है। कई लोग तो रोज मुट्‌ठी भर-भरके बादाम खा रहे हैं ताकि उन्हें यह याद आ सके कि साल 2020 की शुरुआत में उन्होंने क्या रिजोल्यूशन लिया था।

इस संबंध में हमारी टीम ने कुछ लागों से बात की। भोपाल के युवक राजेश सा रा रा रा ने इस बारे में पूछने पर बताया, “सर, था तो बहुत अच्छा, एकदम यूनिक-सा, पर अभी याद नहीं आ रहा। लेकिन इस बार मैं अपने फोन में सेव कर लूंगा ताकि अगले साल कोई पूछे तो बता तो सकूं।”

इसी तरह एक कॉलेज कन्या ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “मैंने वजन कम करने का रिजोल्यूशन लिया था। पर एक्चुअली हुआ क्या कि फ्रेंड लोग कहने लगे कि इत्ता अच्छा रिजोल्यूशन लिया है तो एक पार्टी तो बनती है। ऑब्वयसली, पार्टी तो बनती थी। तो फिर मैंने दो दिन बाद उसे OLX पर बेच दिया। जो पैसे मिले, उससे ही शानदार पिज्जा पार्टी थ्रो कर दी।’ फिर आनन-फानन में समोसा मुंह में भरते हुए उसने कहा, “इस बार मैं कुछ ऐसा डिफरंट टाइप का रिजोल्यूशन लूंगी कि लोग देखते रह जाएंगे, देखना, रियली!”

क्यों भूल जाते हैं रिजोल्यूशन?

इस बारे में साइकोलॉजिस्ट डॉ. सुरेश शर्मा का कहना है कि नए साल पर 99 फीसदी लोग रिजोल्यूशन लेते ही लेते हैं। इसमें कोई कॉम्प्रोमाइज नहीं करते। हां, लेकिन इनमें से केवल एक फीसदी ही लोग ऐसे होते हैं जो ईमानदारी के साथ कन्फेस करते हैं कि वे इस साल भी अपना रिजोल्यूशन पूरा नहीं कर पाए। ऐसे लोग फिर उसे अगले साल के लिए कैरी फारवर्ड कर देते हैं। बाकी के बचे 99 फीसदी को तो याद ही नहीं रहता कि उन्होंने रिजोल्यूशन क्या लिया था।

इसलिए डॉ. सुरेश ने लोगों को सलाह दी कि रिजोल्यूशन लेना ही काफी नहीं है। उसे डायरी में लिखकर रखना ज्यादा जरूरी है, ताकि हमें 364 दिन बाद फिर नए रिजोल्यूशन को ढूंढने की मगजमारी नहीं करनी पड़े। उन्होंने कहा, “मैं ऐसा ही करता हूं। अभी डायरी देखकर बता सकता हूं कि मैंने इस साल क्या रिजोल्यूशन लिया था।’

(Disclaimer : यह खबर कपोल-कल्पित है। इसका मकसद केवल स्वस्थ मनोरंजन और सिस्टम पर कटाक्ष करना है, किसी की मानहानि करना नहीं।)

Hindi Satire : 500 रन नहीं बनने पर ICC ने जताई चिंता, गेंदबाजों की चालाकी खत्म करने मशीनों से होंगी बॉलिंग

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By Jayjeet

Humour Desk. मेलबर्न। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने अब तक किसी भी ODI की एक पारी में 500 रन नहीं बनने पर चिंता जताई है। इसने गेंदबाजों की चालाकी और धूर्तता को खत्म करने के लिए अब मशीनों से बॉलिंग करवाने का निर्णय लिया है। यह निर्णय रविवार को सिडनी में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाजों के शर्मनाक प्रदर्शन की वजह से लिया गया है। इस मैच में दोनों टीमों के बल्लेबाज मिलकर 100 ओवर में महज 727 रन ही बना पाए।

ICC के एक सूत्र ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, “इतने सारे नियमों में बदलाव करने और सपाट पिचें बनाने के बावजूद टीमें एक पारी में 500 रन भी नहीं बना पा रहीं। यहां तक कि सिडनी की सपाट पिचों पर भी बल्लेबाज फेल हो रहे हैं। यह बेहद अफसोसजनक हैं और बल्लेबाजों के निकम्मेपन को दर्शाता है।”

ICC के इस सूत्र ने कहा, “क्रिकेट में रोमांच बना रहे, इसके लिए गेंदबाजों की धूर्तता और चालाकी को खत्म करने का वक्त आ गया है। अब भी देखा गया है कि कई बार कोई-कोई गेंदबाज नैतिकता को ताक पर रखकर ऐसी बॉल फेंक देता है कि बेचारा बल्लेबाज मात खा जाता है। इस विसंगति को दूर करने के लिए अब हम तकनीक का सहारा लेने जा रहे हैं। इसके लिए अब आगे से हर वन डे मैच में गेंदबाजी केवल बॉलिंग मशीनों से होंगी। मशीनों में ऐसी सेटिंग की जाएगी कि न तो बॉल स्विंग हो और न ही स्पिन। सीधी-सपाट बॉल आएगी तो बल्लेबाजों को खेलने में आसानी होगी।”

यह पूछे जाने पर कि ऐसा करना क्या गेंदबाजों के साथ अन्याय नहीं होगा? उन्होंने प्रश्नकर्ता की नादानी पर हंसते हुए कहा, “जब किसी भी टीम में गेंदबाज ही नहीं होंगे ताे उनके साथ अन्याय कहां से होगा!”

(Disclaimer : यह खबर कपोल-कल्पित है।)

रविवार, 29 नवंबर 2020

Humour & Satire : वैक्सीन से नहीं, किसी और चीज से होगा कोरोना का इलाज !


 

Humour Desk. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना की वैक्सीन के विकास की जानकारी हासिल करने के मकसद से तीन लैब्स का दौरा किया, लेकिन वहां वे यह जानकर दंग रह गए कि वैक्सीन तो नहीं बन रही, बल्कि बगैर वैक्सीन के ही कोरोना को ठिकाने लगाने की तैयारी की जा रही है...कैसे, जानने के लिए देखें यह फनी वीडियो। 

(Disclaimer : This video is work of fiction and fun. Viewers are advised not to confuse about the content in the video as being true.)



बुधवार, 25 नवंबर 2020

Satire & Humour : कोरोना को नाकारा करने की प्लानिंग, लैब में तैयार हो रही है सुशील-सुंदर कोरोनी

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By Jayjeet

Humour Desk . नई दिल्ली/पुणे। देवउठनी एकादशी का इंतजार खत्म होने के साथ ही कोरोना की उल्टी गिनती भी शुरू हो गई है। किसी शुभ मुहूर्त में कोराना को 'नाकारा' करने की प्लानिंग की जा रही है। इसके लिए निपुण, सुंदर व सुशील कोरोनी के विकास का काम लैब में जारी है। 

स्वास्थ्य मंत्रालय में पदस्थ एक सूत्र ने बताया कि पिछले कई दिनों से हमें वैक्सीन से भी ज्यादा देवउठनी एकादशी का इंतजार था। उन्होंने यह खुलासा भी किया कि किसी भी लैब में कोई वैक्सीन वगैरह नहीं बन रही है। ये केवल कोरोना को भरमाने के लिए अफवाह भर हैं। बल्कि हर लैब अपने-अपने स्तर पर सुंदर व सुशील कोरोनी का विकास कर रही है। इसमें सबसे आगे भारत का सीरम इंस्टीट्यूम ऑफ इंडिया है।

तीसरे चरण की टेस्टिंग जारी : 

सीरम इंस्टीट्यूम ऑफ इंडिया के CEO अदार जूनावाला ने बताया कि उनके यहां जिस कोरोनी का विकास किया जा रहा है, उसके तीसरे चरण में रसोईघर की टेस्टिंग चल रही है। इस चरण में इस बात का परीक्षण किया जा रहा है कि कोरोनी कितनी खूबी से अपने होने वाले पति से बर्तन मंजवाने से लेकर सुबह की चाय-नाश्ता वगैरह तैयार करवा सकती है। अब तक के नतीजे उत्साहवर्धक रहे हैं। इससे पूर्व पहले चरण में कोरोनी का इस बात के लिए टेस्ट किया गया था कि वह कोरोना से फोन पर मिमियाने वाली आवाज में जी-जी निकलवा पाती है या नहीं। दूसरे चरण में इस बात की टेस्टिंग की गई थी कि साड़ी वगैरह की सेल की खबर से वह कोरोना का बीपी कितना बढ़ा पाती है। दोनों चरण में सफलता मिलने के बाद तीसरे चरण की टेस्टिंग जारी है। शुभ मुहूर्त खत्म होने से पहले ही हम भारतीय परिवेश के अनुकूल सुंदर व सुशील कोरोनी भारत सरकार को सौंप देंगे। उम्मीद है कि कोरोना की शादी के बाद उसकी बची-खुची ताकत भी खत्म हो जाएगी। इस तरह corona पूरी तरह से नाकारा हो जाएगा।

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रविवार, 22 नवंबर 2020

Satire : गायों के हित में मप्र की गो-कैबिनेट का बड़ा फैसला, पॉलिथीन पर से बैन हटेगा

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मजा आ गया! पॉलिथीन पर से बैन हटने के बाद...!

Humour Desk, भोपाल। मप्र में पॉलिथीन बैन होने के बाद गायों को हो रहीं दिक्कतों को देखते हुए राज्य सरकार ने गाय-हित में इसके उपयोग में छूट दे दी है। यह फैसला यहां रविवार को मप्र सरकार की पहली गो-कैबिनेट में लिया गया। गो कैबिनेट में इस बात पर चिंता जताई गई कि अगर पॉलिथीन पूरी तरह बैन हो गई तो गायें खाएंगी क्या? उन्हें भूखों मरने से बचाने के लिए यह संशोधन किया गया है।

मप्र की गोभक्त सरकार ने 24 मई 2017 को पॉलिथीन पर बैन (Polythene ban) लगाने के संबंध में गजट नोटिफिकेशन जारी किया था। सरकार ने इसके लिए पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ गायों को बचाने की दलील दी थी। नोटिफिकेशन जारी होते ही लोगों ने इसका मतलब यह निकाल लिया कि अब प्रदेश में न तो पॉलिथीन बनेगी और न ही बिकेगी। कई भोले दुकानदारों ने दुकानों पर नोटिस भी चिपका दिए थे कि – “सरकार ने पॉलिथीन पर बैन लगा दिया है। कृपया मांगकर शर्मिंदा न करें।” आम लोगों ने पतले कपड़े की बनी पॉलिथीन के लिए सहर्ष तीन से लेकर पांच रुपए तक खर्च करने भी शुरू कर दिए। कई लोग घर से ही थैले लेकर जाने लगे।

फिर मरने लगी गायें…

मप्र सरकार का यह फैसला भी नोटबंदी की तरह उलटा साबित हो गया। राज्य सरकार को मिली एक गोपनीय रिपोर्ट के अनुसार पॉलिथीन बैन होते ही सड़कों पर से ये गायब होने लगी। चूंकि मप्र की सड़कों पर विचरने वाली गायें सालों से पॉलिथीन खाकर ही अपना पेट भर रही थीं। ऐसे में पॉलिथीन की आदी ये गायें भूखी मरने लगी। कई सड़कों पर गायों के मरने की खबरें भी आईं। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए गो कैबिनेट की पहली ही बैठक में सरकार ने पॉलिथीन बैन पर आंशिक छूट दे दी।

कौन कर सकेगा यूज, कौन नहीं?

अभी यह स्पष्ट नहीं है कि पॉलिथीन पर बैन से छूट किसे दी जाएगी, लेकिन गोधन सेवा से जुड़े वरिष्ठ अफसरों के अनुसार गायों के हित में कोई भी हिंदू नागरिक पॉलिथीन में सामान लाकर उसे कहीं भी फेंक सकेगा। मुस्लिम और ऐसे ही उन समाजों के लिए यह प्रतिबंध जारी रहेगा जो गोधन को मां नहीं मानते हैं।

(Disclaimer : यह खबर कपोल-कल्पित है। इसका मकसद केवल स्वस्थ मनोरंजन और कटाक्ष करना है, किसी की मानहानि करना नहीं। )