रविवार, 21 मार्च 2021

Political Satire : जान बचाकर भागा रिपोर्टर, जब घोषणा पत्र ने सुना दी कविता ...

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By Jayjeet

दो दिन पहले ममता दीदी ने अपना घोषणा-पत्र जारी किया था। आज बीजेपी ने भी जैसे ही घोषणा-पत्र जारी किया, रिपोर्टर क्विक इंटरव्यू के चक्कर में तुरत-फुरत घोषणा-पत्र के पास पहुंच गया...

रिपोर्टर : बधाई हो, राजनीतिक दलों ने फिर से आप पर भरोसा जताया है...

घोषणा पत्र : हां जी, संतोष की बात है ये। नेता लोग अब तक मुझे भूले नहीं हैं। कभी वचन पत्र तो कभी संकल्प पत्र, अलग-अलग नामों से जारी कर ही देते हैं।

रिपोर्टर : लेकिन हर बार आप जनता के लिए तो छलावा ही साबित होते हैं?

घोषणा पत्र : जनता का मुझसे क्या लेना-देना?

रिपोर्टर : आपको जारी तो आम जनता के लिए ही किया जाता है ना?

घोषणा पत्र : अच्छा...? तो पहले मेरे एक सवाल का जवाब दीजिए।

रिपोर्टर : वैसे तो सवाल मैं लिखकर लाया हूं। पूछने का नैतिक अधिकार भी मेरा ही है। फिर भी एक ठौ पूछ लीजिए।

घोषणा पत्र : इस साल न्यू ईयर पर आपने कोई रिजोल्यूशन जैसा कुछ लिया था?

रिपोर्टर : हां, लिया तो था। बड़ा अच्छा-सा था कोई, पर अब याद नहीं आ रहा।

घोषणा : देख लो, ये है आम जनता की स्थिति। अपने रिजोल्यूशन, संकल्प तो याद रहते नहीं। और बात मेरे संकल्पों की करती है।

रिपोर्टर : फिर भी अपनी कसम खाकर कहिए कि अब आप केवल मखौल बनकर नहीं रह गए हैं।

घोषणा-पत्र : हां, कसम खाकर कहता हूं कि मैं मखौल बनकर नहीं रह गया हूं। मेरे अक्षर-अक्षर में ईमानदारी है, सच्चाई है, नैतिकता है, वगैरह-वगैरह...

रिपोर्टर (थोड़ी ऊंची आवाज में) : लो जी, कसम खाकर भी सरासर, खुल्लमखुल्ला झूठ बोल रहे हों? शरम नहीं आती आपको?

घोषणा-पत्र (मुस्कराते हुए) : सही कह रहे हों मित्र। शरम ही तो नहीं आती हमें। क्यों आएगी शरम बेचारी? नेताओं के साथ रहते-रहते हमने उम्र गुजार दी है सारी। हमारे बाप-दादाओं के जमाने से चली आ रही है नेताओं के साथ यारी। अब चल यहां से रिपोर्टर महोदय, बहुत हो गई तुम्हारी होशियारी। आज विश्व कविता दिवस भी है, ज्यादा पेल दूंगा तो पूरी रात दूर ना होगी मेरी कविता की खुमारी...।

रिपोर्टर : बस कर मेरे बाप... गलती हो गई आज। रिजोल्यूशन तो याद ना आया, पर आ बैल मुझे मार कहावत जरूर याद आ गई है। जा रहा हूं ...

Video : देखें गब्बर सिंह के मैनेजमेंट फंडे, कभी ना देखे होंगे, गब्बर की कसम...

रविवार, 14 मार्च 2021

Humor : राहुल का फनी इंटरव्यू ... हास्यास्पद सवालों के हास्यास्पद जवाब


 

By Jayjeet 

राहुल का फनी इंटरव्यू ... हास्यास्पद सवालों के हास्यास्पद जवाब, पूरी गरिमा के साथ...

इसमें वे बता रहे हैं कांग्रेस को बचाने के अनूठे तरीके... उठा रहे हैं मोदी के आत्मनिर्भरता के नारे पर सवाल, कांग्रेसियों द्वारा दी गई कुर्बानी के बारे में भी दे रहे हैं लाजवाब तर्क... और एक सवाल उनकी समझदारी पर भी ...

(Disclaimer: इसका मकसद व्यक्तिगत कटाक्ष करना नहीं है, बल्कि इसके जरिए राजनीतिक व्यंग्य पैदा करना है।)

# rahul humour # rahul gandhi satire # congress satire


शनिवार, 13 मार्च 2021

#ओलागीरी : चाल-चलन में भी पक्का नेता ही निकला ओला बाबू

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By Jayjeet

मप्र, राजस्थान सहित कई प्रदेशों में कई जगहों पर ओले गिरे तो रिपोर्टर को तुरंत पहुंचना पड़ा एक ओले के पास...

रिपोर्टर : आप मुझे पहचान तो गए होंगे?

ओला : हां जी, ओले गिरने के बाद सबसे पहले किसान और फिर रिपोर्टर्स ही पहुंचते हैं। फिर बहुत बाद में पहुंचते हैं सरकारी अफसर…

रिपोर्टर :
 कुछ लोग आपकी नीयत पर सवाल उठा रहे हैं।

ओला : मैं सीधा-साधा ओला हूं। तिरछे सवाल क्यों पूछ रहे हों?

रिपोर्टर : कुछ लोगों का कहना है कि आप सरकारी अफसरों के साथ मिले हुए हों, ताकि फसलें खराब हों तो मुआवजे में उनका भी वारा-न्यारा हो सके।

ओला (रिपोर्टर की अज्ञानता पर हंसते हुए): अब तो मुआवजा सीधे किसानों के बैंक अकाउंट में जाता है। तो अफसरों का इसमें कुछ खास बचा नहीं है। मैं तो इसलिए गिरता हूं क्योंकि गिरना मेरी नियति है।

रिपोर्टर : अच्छा, तो आप स्वीकार कर रहे हैं कि आप गिरे हुए हों?

ओला : हां, पर गिरने का मेरी नीयत से क्या लेना-देना?

रिपोर्टर : गिरना आपकी सिफ़त है और गिरकर नुकसान पहुंचाना आपका शौक। यह सब बताता है कि कहीं न कहीं नेतागीरी से आपके पुराने संबंध हैं।

ओला : अच्छा, वैसे तो मेरा रंग भी सफेद है, नेताओं के सफेद झक्क कुरते की तरह। तो लगा दो मेरे नेता होने की अटकलें। अटकलबाजी के अलावा आप लोग कर भी क्या सकते हों?

रिपोर्टर : इसीलिए तो कह रहा था, अब तो मान लो कि आपमें और नेताओं में कोई अंतर नहीं है।

ओला : खुद को इंटेलेक्चुअल रिपोर्टर साबित करने के चक्कर में आप मुझे नेता साबित करके मेरा लगातार अपमान कर रहे हैं...

रिपोर्टर : परिस्थितिजन्य साक्ष्य यही इशारा कर रहे हैं। इसमें अपमान की क्या बात है!

ओला : धूप तेज हो रही है। लगता है मेरे जाने का टाइम आ गया है। तुम जैसे रिपोर्टर से बात करने से अच्छा है गायब हो जाना…

(और देखते ही देखते धूप में ओला पिघलकर गायब हो गया…)

रिपोर्टर : गिरकर तबाही के निशान फैलाना, फिर लोगों को खून के आंसू पिलाना…और फिर उन्हें उनके हाल पर छोड़कर नौ दो ग्यारह हो जाना… रंग-ढंग ही नहीं, चाल-चलन से भी तुम पक्के नेता ही निकले, ओला बाबू …

(और अपनी इमोशनल स्टोरी लिए रिपोर्टर निकल पड़ा संपादक के कैबिन की ओर ...)

# ola # olavrashti # hailstorm

रविवार, 7 मार्च 2021

Video Jokes : जब आपदा में अवसर ही बन नई आपदा!

 


कोराना काल आपदा का काल था। इस काल में कई लोगों ने आपदा को अवसर में बदल दिया। लेकिन कुछ लोगों के लिए यह अवसर ही नई आपदा बन गई। कैसे, जानने के लिए देखें यह फनी वीडियो...

शनिवार, 6 मार्च 2021

Humor & Satire : 135 साल की बेबस कांग्रेस अम्मा से खास बातचीत, कहा- अब मुक्त होने का टाइम आ गया!

 

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By Jayjeet

आज रिपोर्टर का मन काम में नहीं लग रहा था। मन कुछ-कुछ कांग्रेसी हो रहा था। तो वह यूं ही 24 अकबर रोड पर टहलने चला गया। वहां के एक सुनसान इलाके में स्थित एक खंडहर इमारत, जिसे लोग आज भी कांग्रेस मुख्यालय के नाम से जानते हैं, के सामने से गुजरते हुए अचानक उसकी नजर एक पत्थर पर बैठी हुई एक बुढ़िया पर गई। टूटी हुई लाठी, झीने-से कपड़े, झुर्रियों में खोया-खोया चेहरा। हालांकि झुर्रियों के पीछे छिपे चेहरे पर हल्की-सी चमक यह भी बता रही थी कि इस बुढ़िया के कभी बड़े ठाठ रहे होंगे। खूब इज्जत, मान-सम्मान मिला होगा। पर अब चेहरे पर उपेक्षा का दंश है... रिपोर्टर पहले तो यह सोचकर डर गया कि चमगादड़ों से पटी इस इमारत में कहीं बुढ़िया के रूप में कोई भूत-वूत तो नहीं है। पर पैरे देखे तो सीधे थे। रिपोर्टर ने सुन रखा था कि भूत के पैर उलटे होते हैं। राहत की सांस ली। हिम्मत करके वह उस बूढ़ी अम्मा के पास पहुंच गया...

रिपोर्टर : आप इतने सुनसान से खंडहर में क्या कर ही हैं, अम्मा?

बुढ़िया ने नजरें ऊंची की, एनक पोंछी : कौन है, जो मुझसे इतने सालों के बाद बात कर रहा है?

रिपोर्टर : जी, मैं रिपोर्टर.. मैं भी सालों बाद इस खंडहर इमारत के सामने से गुजर रहा था तो आप दिख गईं। पहले तो मैं डर गया कि कहीं आप कोई भूत-वूत तो नहीं। फिर आपके पैरों से कंफर्म किया कि आप भूत ना हैं। आप कौन हैं?

बुढ़िया : तुम्हारा अंदाजा गलत था बेटा। मैं सीधे पैर वाली भूत ही हूं... (एक ठहाका)

(रिपोर्टर ढाई मिनट तक यूं ही निशब्द खड़ा रहा... भागना चाहता था, पर पैर वहीं जम गए...रिपोर्टर की हालत को वही समझ सकते हैं जिनका कभी भूतों से पाला पड़ा होगा। रिपोर्टर के होश में आने के बाद अब आगे पढ़ें आगे का इंटरव्यू...)

रिपोर्टर : आप भी अच्छा मजाक कर लेती हो अम्मा।

बुढ़िया : चलो मजाक ही मान लो, नहीं तो तुम्हारा भूत बन जाता। बताओ, तुम मेरे पास क्यों आए हो?

रिपोर्टर : ऐसा लग रहा है कि बहुत पहले किसी तस्वीर में आपको कहीं देखा है...

बुढ़िया : शायद तुमने अपने दादाजी या नानाजी के कमरे में लगी मेरी तस्वीर देखी होगी...

रिपोर्टर : हां, हां, बिल्कुल....याद आ गया। जब मैं छोटा था, उस समय दादाजी और उनके जितने भी दोस्त थे, उन सभी के घरों में आपकी तस्वीर लगी रहती थी।

बुढ़िया : पुराने जमाने में हर घर में मेरी तस्वीर लगी रहती थी....

रिपोर्टर : हां, उन तस्वीरों में आप बहुत ही सुंदर-शालीन नजर आती थीं। पर आप हैं कौन? आपने अपना परिचय नहीं दिया।

बुढ़िया : बेटा, अब मैं क्या परिचय दूं। परिचय के लिए कुछ बचा ही नहीं। फिर भी बता देती हूं, मैं कांग्रेस हूं... 135 साल की बुढ़िया। इसीलिए मैं खुद तो भूत कह रही थी.... अतीत वाला भूत..।

रिपोर्टर (आश्चर्य से) : अरे, अगर आप कांग्रेस हैं तो फिर 10 जनपथ पर जो एक संभ्रान्त महिता रहती हैं, अपने एक नन्ने-मुन्ने बालक के साथ, वो कौन हैं? मैं तो उन्हें ही कांग्रेस समझता आया हूं। सभी उन्हें ही कांग्रेस समझते हैं।

कांग्रेस अम्मा : अरे हां, वो। बेटा, उन्हें मेरा प्रणाम कहना, अगर मिल सको। वैसे तुम क्या मिल सकोंगे। मैं ही नहीं मिल पाती उनसे तो।

रिपोर्टर : आप कांग्रेस होकर उनसे नहीं मिल पातीं? क्या वे भी आपसे मिलने नहीं आतीं?

कांग्रेस अम्मा : कभी नहीं आईं। अब इसमें उनकी भी क्या गलती? हो सकता है उनके सलाहकारों ने उन्हें मेरे बारे में बताया ही ना हो। अगर उन्हें मेरे बारे में कोई बताता तो वे जरूर आतीं।

रिपोर्टर : और उनका नन्ना-मुन्ना बालक?

कांग्रेस अम्मा : हां, वह बालक कभी-कभार आ जाता है। कभी मेरी लकुटिया ले लेता है और कंधे पर लाठी रख जैसे किसान चलते हैं ना, वैसे ही चलने की एक्टिंग करता है। कभी मेरा ये टूटा हुआ ऐनक पहन लेता है और पूछता है- देखो दादी, मैं गांधी बाबा दिख रहा हूं ना...। जैसा भी है, पर है बहुत प्यारा बच्चा। पर आश्चर्य है, मेरे बारे में उसने भी अपनी मां को कभी नहीं बताया।

रिपोर्टर : आप इस खंडहर इमारत में सालों से अकेली रहती हों। अपने बारे में कुछ तो सोचिए।

कांग्रेस अम्मा : अब मेरा कुछ भरोसा नहीं बेटा। इस दुनिया से कब मुक्त हो जाऊं, क्या पता।

रिपोर्टर : अरे नहीं, इस देश को आपकी बहुत जरूरत है। भले ही अब आपके घर वाले ही आपको ना पूछते हो, लेकिन देश के लिए आपने क्या ना किया, मैं सब जानता हूं। मैंने किताबों में सब पढ़ा है। क्या-क्या नाम गिनाऊं, गोखले जी, तिलक जी लेकर बापू तक, सब आपकी ही छत्रसाया में पले-बढ़े। नहीं, अभी आपको जाना नहीं है...

कांग्रेस अम्मा : बस कर पगले, अब रुलाएगा क्या! (और बेबस आंखों से एक आंसू टपक पड़ा...)

रिपोर्टर : आप बहुत भावुक हो रही हैं। बढ़ती उम्र में ऐसा होता है। मोदीजी भी अभी भावुक हो गए थे। अरे हां, मोदीजी से याद आया, उन्होंने अभी-अभी कोरोना का टीका लगवाया है। आप भी लगवा लीजिए, फिर आप भी सेफ हो जाओगी।

कांग्रेस अम्मा : तू पत्रकार होकर भी इतना भोला कैसा है रे? मेरे शरीर में तो वंशवाद, चमचागीरी, दलाली जैसे संक्रमण भरे पड़े हैं। इन संक्रमणों ने ही मेरे तन-मन को तोड़कर रख दिया है। कोरोना वाले टीके से कुछ नहीं होगा।

रिपोर्टर : फिर भी कोई तो टीका ऐसा होगा जिनसे आप हमारे बीच हमेशा के लिए रह सकती है?

कांग्रेस अम्मा : लीडरशिप का, मेहनत का, सांगठनिक क्षमताओं का, इसके टीके की जरूरत है। ये है क्या ...?

रिपोर्टर (15-20 सेकंड की शांति के बाद) : माफ करना अम्मा, कम से कम आपके लिए तो ऐसा टीका अभी अवेलेबल नहीं है। पर, इस खंडहर से आप बाहर तो निकलिए...। टीका भी बन जाएगा।

कांग्रेस अम्मा : जब टीका बन जाए तो पहले उन कांग्रेसियों को जरूर लगवा देना जो घर बैठकर चमत्कार का इंतजार कर रहे हैं, मेरी जवानी फूटने के चमत्कार का इंतजार। और हां, मेरे नन्हे-मुन्ने बालक को मत भूल जाना...अब मैं चलती हूं...सोने का समय हो गया है...

रिपोर्टर काफी देर तक किंकत्तर्व्यविमूढ़ भाव से वहीं खड़ा रहा... उसे पता ही नहीं चला कि वह बूढ़ी अम्मा अचानक कहां ओझल हो गई.... क्या रिपोर्टर वास्तव में किसी भूत से बात कर रहा था? शायद!! पर जो भूतों को नहीं मानते, वे पाठक भला इसे क्या समझेंगे!!

शुक्रवार, 5 मार्च 2021

Humor & Satire Video : केजरीवाल ने क्यों पहना भर गर्मी में मफलर? Exclusive Interview में उन्हीं से जानिए इसका सच ...


केजरीवाल ने क्यों पहना गर्मी में मफलर? मौसम विभाग के लिए क्यों इतना अहम है उनका मफलर? इस फनी एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में वे बता रहे हैं इसका सच... देखिए, कार्टून कैरेक्टर्स में बना यह वीडियो...


मंगलवार, 2 मार्च 2021

Exclusive Interview : बढ़ते दामों के बीच गैस सिलिंडर को क्यों हुई नेहरूजी की चिंता?

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By jayjeet

जैसे ही कुछ लोगों द्वारा गैस सिलेंडर को लतियाने की खबर मिली, रिपोर्टर अपनी संवेदना जताने सिलेंडर के पास पहुंच गया..

रिपोर्टर : यह तो ठीक नहीं हुआ। आपको पैरों से लतियाया गया।
सिलेंडर : आ गए, जले को लाइटर लगाने। वैसे लतियाते पैरों से ही है, हाथों से नहीं... इट्स कॉमन सेंस...

रिपोर्टर : हां हां, पर कौन थे ये लोग?
सिलेंडर : रिपोर्टर आप हो। पता आपको होना चाहिए। और अब अगला डायलॉग जॉली एलएलबी फिलिम का यह मत मार देना- न जाने कहां से आते हैं ये लोग।

रिपोर्टर : हां, याद आया। ये मप्र यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता थे। पर यह सवाल तो लाजिमी है - आज ये सालों बाद कहां से आ गए‌? बल्कि यह पूछना ज्यादा उचित होगा- बीच-बीच में कहां चले जाते हैं ये लोग?
सिलेंडर : युवा कांग्रेस पर तो मेरा मुंह मत खुलवाओ, यही अच्छा होगा।

रिपोर्टर : कहीं ऐसा तो नहीं कि एक तरफ तमिलनाडु में राहुल गांधी पुश-अप लगा रहे थे। तो शायद अपने नेता के सामने अपनी धाक जमाने के लिए युवा कांग्रेसियों ने आपको लतियाया हो!
सिलेंडर : हां, धाक तो गरीब पर ही जमाई जाती है। भाव गैस के ऊंचे हो रहे और लात हम गरीब खा रहे हैं। अगर धाक जमानी ही थी तो भरी हुई गैस वाले सिलेंडर के साथ जमाते। नानी याद आ जाती।

रिपोर्टर : इटली वाली ...!!!
सिलेंडर : आप कांग्रेसियों के नितांत पर्सनल इश्यू पर जा रहे हैं। इट्स नॉट फेयर। मैंने केवल मुहावरे का यूज किया था...

रिपोर्टर : खैर, असली मुद्दे पर आते हैं। यह सरकार कब समझेगी कि सिलेंडर जैसी चीजों, मेरा मतलब गैस के दाम बढ़ने से गरीबों को कितनी दिक्कत हो रही है।
सिलेंडर : जिस दिन समझ गई, उस दिन तो बेचारे नेहरूजी की शामत आ जाएगी।

रिपोर्टर : कैसे, इसका नेहरूजी से क्या लेना-देना?
सिलेंडर : अगर सरकार की पार्टी वाले मतलब बीजेपियों को यह लग गया कि गैस के दाम बढ़ने से उनके मतदाता बिचक रहे हैं तो वे नेहरूजी के पुतले फूंकना शुरू कर देंगे, यह कहते हुए कि आज गैस के दाम इसलिए बढ़ रहे हैं, क्योंकि 50 साल पहले नेहरू सरकार ने कुछ नहीं किया...

रिपोर्टर : वाह, आप तो बड़े दूरंदेशी हैं... तो फिर करना क्या चाहिए?
सिलेंडर : देखो भाई, बहुत सवाल हो गए, और सब के सब फालतू के सवाल। अब और पूछकर मेरा बीपी मत बढ़ाओ। लतियाने की वजह से मैं पहले से ही मेंटली परेशान हूं। टेंशन से मेरा सिर फटा जा रहा है, मैं पूरा फटूं, उससे पहले ही नौ दो ग्यारह हो जाओ... नहीं तो तुम्हारी ब्रेकिंग न्यूज बन जाएगी...

रिपोर्टर : रुको भाई, भागता हूं मैं...

पढ़ें ऐसे ही और भी मजेदार इंटरव्यू ...

Exclusive Interview : शिवराज को काटने वाले मच्छर की बदल गई ज़िंदगी
महंगाई के मन में फूटे राजनीति के लड्‌डू…गिरी हुई महंगाई से खास बातचीत
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शनिवार, 27 फ़रवरी 2021

Humor : राहुल ने मोदी पर देश बेचने का लगाया आरोप, अमित शाह ने क्या कहा, जरा सुनिए तो सही...



राहुल गांधी, मोदीजी पर लगातार देश को बेचने का आरोप लगाते जा रहे हैं। इस फनी और व्यंग्य वीडियो में देखिए एक अलग एंगल...

(Disclaimer : यह केवल राजनीतिक व्यंग्य है। किसी की व्यक्तिगत मानहानि का प्रयास नहीं।)

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Funny Video : पेट्रोल के दाम बढ़ने से इस लड़की को क्यों हुआ फायदा?



शनिवार, 20 फ़रवरी 2021

Humour : बदल गई मच्छर की जिंदगी, दो दिन से पेल रहा है भाषण पर भाषण

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By jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क। मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सीधी के गेस्टहाउस में मच्छरों द्वारा काटने की जैसे ही खबर आईं, रिपोर्टर कुछ नया करने के जुनून से भर उठा। वह जुट गया उस सौभाग्यशाली मच्छर की तलाश में... कुछ ही घंटों के भीतर उसे गेस्टहाउस के पास मच्छरों का मजमा लगाए एक मच्छर मिला। कुछ समझदार मच्छरों से पूछताछ करने पर पता चला कि दो दिन पहले तक यह ठीक था। लेकिन पिछले दो दिन से यह भाषण पर भाषण पेले जा रहा है। सभी मच्छरानियों को माताएं-बहनें कह रहा है। छोटी-छोटी मच्छरियों से कह रहा है कि जब तक तुम्हारा मच्छर मामा है, तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है....रिपोर्टर की तलाश पूरी हो गई थी। उसे वह मिल गया था, जिसने शिवराज सिंह को काटा था। अपाइंटमेंट मिलते ही तुरंत शुरू हुआ यह इंटरव्यू। दुनिया का पहला इंटरव्यू किसी मच्छर के साथ...

रिपोर्टर : मच्छर महोदय, एक विशिष्ट हस्ती के साथ आप रूबरू हुए। उनके साथ कैसा अनुभव रहा?
मच्छर : मेरी पूरी जिंदगी ही बदल गई। एक दिव्य अनुभूति हुई है। आप देख ही रहे हैं, कैसा रूपान्तरण हो गया है मेरा। मेरे मुंह से भाषण पर भाषण फूट रहे हैं।

रिपोर्टर : आप आम आदमी को भी काटते हैं और आपने एक नेता को भी काटा। दोनों में क्या अंतर महसूस हुआ?
मच्छर : देखिए, एक आम आदमी को काटना बड़ा आसान होता है। उसकी चमड़ी तो चमड़ी जैसी होती ही नहीं। बिल्कुल झिल्ली सी। ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती। डंक टच करते ही वह चमड़ी को पार कर जाता है। लेकिन नेताओं के साथ बड़ी मुश्किल होती है। बड़ी मेहनत करनी पड़ती है। कई बार हमारे डंक तक टूट जाते हैं। जो नेता का खून पीकर आता है, उसका हमारे यहां बड़ा सम्मान भी होता है। उसे नेता डंकमणि की उपाधि तक दी जाती है।

रिपोर्टर : खून-खून में भी कुछ फर्क होता है?
मच्छर : बिल्कुल। क्वालिटी में अंतर होता है। आम आदमी का खून क्या होता है। बिल्कुल पानी होता है। कुछ भी न्यूट्रिशियस उसमें नहीं होता। और अगर वह आम आदमी और भी टुच्चा-सा हुआ, आई मीन गरीब-गुरबा तो फिर तो कई बार हमारी जान पर बन आती है। गंदा पानी और स्प्रिट मिली कच्ची दारू पीने और रुखी-सूखी दो-चार रोटियां खाने वाले के खून में भला होगा भी क्या! ऐसा दूषित खून पीकर तो कई बार हमारे मच्छर लोग बीमार पड़ गए। हमने तो गर्भवती मच्छरानियों, बूढ़े-बुजुर्गों को झुग्गियों या छोटी बस्तियों में न जाने की हिदायत तक दे रखी है।

रिपोर्टर : पर नेताओं के खून में ऐसा क्या होता है जिसके आप बड़े मुरीद होते हैं?
मच्छर : देखिए, जैसा मैंने पहले बताया कि नेताओं का खून तो हम बड़ी मुश्किल से पी पाते हैं। हां, सरकारी अफसरों की चमड़ी अपेक्षाकृत थोड़ी पतली होती है। तो उनका खून हमारे लिए मुफीद रहता है। अच्छा तरी वाला खून होता है। शुद्ध घी, ऑर्गनिक सब्जियों और ड्राय-फूट्स के फ्लेवर होते हैं। तो हम सब उन्हीं का खून पीने को लालायित रहते हैं। कई बार तो हमारे यहां अफसरों का खून पीने को लेकर डंक तक चल गए, वो आपके यहां क्या कहते हैं, तलवारें चलना, वही समझ लो...

रिपोर्टर : पर अफसरों का खून भी इतनी आसानी से मिल जाता है?
मच्छर : वही तो कह रहा हूं कि एक अनार सौ बीमार जैसी स्थिति है। जैसे आम जनता का कैबिन में बंद अफसर से मिलना इतना आसान नहीं रहता , वैसे ही रात को मच्छरदानियों में बंद अफसरों का खून मिलना आसान नहीं रहता। .... अच्छा अब मैं चलता है। मुझे अगला भाषण देने पड़ोस की बस्ती में जाना है....

रिपोर्टर : बस आखिरी सवाल, इतनी चाक-चौबंद व्यवस्था के बीच आखिर आप एक मुख्यमंत्री के कक्ष में कैसे पहुंच गए?
मच्छर : जैसे हर सिस्टम में छेद होते हैं, वैसे ही हर मुख्यमंत्री के कक्ष में कुछ ऐसे छिद्र होते हैं जहां से हम पहुंच जाते हैं। बस पहुंचने वाला चाहिए... अच्छा नमस्कार।

(Disclaimer : यह केवल राजनीतिक कटाक्ष है, किसी की व्यक्तिगत मानहानि का प्रयास नहीं।)

इसी पर 30 सेकंड का हास्यास्पद (माफ करना, हास्य नहीं!) वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक करें...

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शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2021

Humor & satire : पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से मोदी भी परेशान, देशभर में नेहरूजी के पुतले फूंकने की तैयारी



ह्यूमर डेस्क। लगता है पंडित नेहरू की फिर से शामत आने वाली है। इस बार मुद्दा है पेट्रोल के बढ़ते दाम। इस बात का संकेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान से मिलता है जो उन्होंने गुरुवार को तमिलनाडु के लिए तेल और गैस परियोजनाएं शुरू करते समय दिया। उन्होंने कहा कि अगर पूर्ववर्ती सरकारें (यानी नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक, माइनस अटल सरकार) ऊर्जा के लिए आयात पर इतनी निर्भर नहीं होतीं तो देश में तेल की कीमतें इतनी नहीं बढ़ती।

भाजपा के करीबी सूत्रों के अनुसार पेट्रोल की लगातार ऊंची होती कीमतों पर जिस तरह से जनता नाराजगी जता रही है, उसने पार्टी से लेकर सरकार तक सभी को चिंतित कर दिया है। सूत्रों केअनुसार मोदी के इस बयान के बाद पार्टी ने बड़ी तादाद में पंडित नेहरू के पुतले खरीदने की तैयारी शुरू कर दी है। खुद मोदीजी ने संकेत दिए हैं (देखें वीडियो) कि जल्दी ही पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ भाजपा के कार्यकर्ता सड़कों पर प्रदर्शन करेंगे। इनमें नेहरूजी के पुतलों का भी इस्तेमाल किया जाएगा।

(Disclaimer : यह एक व्यंग्य वीडियो है जिसमें कार्टून्स का इस्तेमाल किया गया है।)

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सोमवार, 15 फ़रवरी 2021

Humor Video : राहुल गांधी ने दिया जब मोदी-शाह को तगड़ा जवाब...





राहुल गांधी ने रविवार को असम का दौरा क्यों किया, नरेंद्र मोदी और अमित शाह खुशी से झूम उठे। ऐसा क्यों? और राहुल न कैसा दिया तगड़ा जवाब, देखिए यह फनी वीडियो...

रविवार, 14 फ़रवरी 2021

Funny Short Video : पेट्रोल भरवाने से पहले क्या पैन कार्ड रखा?





पेट्रोल के भाव 100 रुपए के आसपास पहुंच गए हैं। तो ऐसे में उसी पर कटाक्ष करते हुए यह वीडियो है। कार्टून कैरेक्टर्स का इस्तेमाल किया गया है...

शनिवार, 13 फ़रवरी 2021

Satire & humor : महंगाई के मन में फूटे राजनीति के लड्‌डू…गिरी हुई महंगाई से खास बातचीत

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By Jayjeet

महंगाई क्या गिरी, रिपोर्टर तुरंत उछलकर उसके पास पहुंच गया। रिपोर्टर को देखते ही महंगाई ने मुंह बनाया - आ गए तुम रिपोर्टर लोग, जले पर तेल डालने...

रिपोर्टर : इसे जले पे नमक छिड़कना कहते हैं बहन…

महंगाई : वाह, मतलब आप रिपोर्टर लोगों को मुहावरे भी पता हैं..! मैं तो बस तुम्हारी परीक्षा ले रही थी।

रिपोर्टर : हम आम आदमी भी हैं। परीक्षा तो आप हम आम लोगों की हमेशा ही लेती रहती हो... वैसे हम आपके जले पे नमक छिड़कने नहीं, बल्कि बधाई देने आए हैं।

महंगाई :  बधाई! किस बात की?

रिपोर्टर : अब गिरने के मामले में आप भी नेताओं से होड़ लेने लगी हैं। मतलब, इस मामले में आप देश में दूसरे स्थान पर पहुंच गई हैं। इसी बात की आपको लख लख बधाइयां…

महंगाई: अच्छा, तो मतलब हम भी क्या पॉलिटिक्स-वॉलिटिक्स में आ सकती हैं?

रिपोर्टर : अरे आपने तो मुंह की बात ही छीन ली।

महंगाई: पर एक बात अब भी समझ में नहीं आ रही। मुझे थोड़ा डाउट सा हो रहा है। हम गिरे कब हैं? मतलब हमें तो गिरने जैसा कोई फील ही नहीं हो रहा।

रिपोर्टर : यह तो हमको भी समझ में नहीं आ रहा। हमें भी आपमें गिरने वाले कोई लक्षण नजर नहीं आ रहे। आज भी प्याज 50 रुपए किलो मिल रहे हैं। पेट्रोल सेंचुरी मारने जा रहा है। हमने अपने मन की बात पहले इसलिए नहीं बताई कि कहीं आप हमें अज्ञानी पत्रकार ना समझ लो...

महंगाई : अच्छा किया जो मन की बात ना बताई। एक के मन की बात ही काफी है।

रिपोर्टर : वाह! आप तो बड़ी डेयरिंग भी हो। देखना, बैन-वैन ना हो जाओ...ट्विटर पर हों?

महंगाई : मजाक  छोड़िए, आप तो यह बताइए, राजनीति करने के लिए हमें करना क्या होगा? हमारे मन में तो राजनीति के लड्‌डू फूट रहे हैं।

रिपोर्टर : आप असल में गिरी हैं या नहीं, यह तो किसी को ना पता, पर राजनीति करनी है तो खुद को गिरा हुआ फील करना जरूरी है।

महंगाई : ठीक है, हम मुंह पर सरकारी आंकडे़ चिपका लेते हैं। इससे गिरने का फील आ जाएगा।

रिपोर्टर : एक शर्त और है।

महंगाई : वो क्या?

रिपोर्टर : आपको गिरने के मामले में कंसिस्टेंसी भी बनाए रखनी होगी। ऐसे नहीं कि आज गिरी और कल ऊपर चढ़ गई। परसो गिरी और फिर ऊपर चढ़ गई…समझें!!

सेंसेक्स : मतलब, स्साला पूरा नेता बनना होगा!

रिपोर्टर : बिल्कुल।

महंगाई : पर यह तो संभव ही नहीं है। हम आंकड़ों में खुद को गिरा लें, वहां तक ठीक है। पर चाल-चलन, कैरेक्टर, इन सब मामलों में हम कैसे गिर सकती है? नहीं करनी ऐसी राजनीति, यह नेताओं को ही मुबारक...। मैं तो चली...

रिपोर्टर : अरे, सुनो तो सही। कोई ब्रेकिंग-व्रेकिंग तो देती जाओ...

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Short Satire : महंगाई दर ने की खुदकुशी की कोशिश

नई दिल्ली। एक चौकाने वाले घटनाक्रम के तहत महंगाई दर ने यहां शनिवार सुबह खुदकुशी करने की कोशिश की। उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है जहां उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है। करीबी सूत्रों के अनुसार वह उसी दिन से मानसिक तौर पर काफी परेशान थी, जिस दिन यह बात सामने आई थी कि वह पिछले 16 महीनों में सबसे ज्यादा नीचे गिर गई है। उसके पास से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है, जिसमें लिखा है – “मैं महंगाई हूं, मैं कैसे गिर सकती हूं? इसके बावजूद मुझे यह कहकर प्रताड़ित किया जा रहा है कि मैं नीचे गिर रही हूं। मुझे क्या नेता समझ लिया है?”

गुरुवार, 11 फ़रवरी 2021

valentine day video jokes : सुनिए वैलेंटाइन डे पर एक मॉरल स्टोरी, एक लड़के की जुबानी....

 


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valentine day funny jokes : लड़कियां लड़कों को कहेंगी हैंडसम, तो लड़के क्या करें?

 


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Funny Video : कोरोना क्यों हुआ पस्त?


देश में कोरोना का असर कम होता जा रहा है। लेकिन इसकी वजह वैक्सीन कार्यक्रम कम, घर-गृहस्थी ज्यादा है। देखिए यह शुद्ध ह्यूमर एवं फनी वीडियो... कार्टून कैरेक्टर्स के जरिए....

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मंगलवार, 2 फ़रवरी 2021

Satire & Humor Video : इकोनॉमी में जबरदस्त योगदान देने वाले दारूबाज क्यों हैं बजट से नाखुश?

 



2020-21 के केंद्रीय बजट ने दारूबाजों को नाखुश कर दिया है। ऐसे ही एक दारूबाज से सुनिए कि उसकी दर्दभरी दास्तान...

सोमवार, 1 फ़रवरी 2021

Humor : राहुल को समझ में आया बजट, कांग्रेसियों में खुशी की लहर, सोनिया के निवास पर पहुंचकर की आतिशबाजी

Rahul understood budget Congressmen happy
मुझे खुशी है कि मेरे बेटे काे आखिरकार बजट समझ में आ गया : सोनिया 


By A. Jayjeet

नई दिल्ली। राहुल गांधी को बजट (budget) समझ में आ गया है। इसका ऐलान खुद राहुल ने एक ट्वीट कर किया। इसकी खबर मिलते ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर छा गई। कार्यकर्ता ढोल नगाड़ों के साथ सोनिया के निवास पर पहुंचे और वहां जमकर आतिशबाजी की। कार्यकर्ताओं की भावनाओं को देखते हुए खुद सोनिया ने सड़क पर आकर राहुल के साथ विक्टरी चिह्न दिखाकर खुशी मनाई (देखें चित्र)।

जयराम रमेश ने खुशी के आंसू रोकते हुए कहा – आखिर मेरी तपस्या सफल हुई। मनमोहन सिंह ने कहा – मैं तो अब भी बजट समझने की कोशिश कर रहा हूं। राहुल बाबा मुझसे भी होशियार हो गए। विश्वास नहीं होता, मगर खुशी की बात है। दिग्गी राजा ने कहा- जिस बजट को आज तक मनमोहन सिंह जी तक नहीं समझ सके, उसे राहुलजी ने समझ लिया। इससे साफ है कि हमें राहुलजी की जरूरत है। मैं उनसे फिर से पार्टी की कमान संभालने का अनुरोध करता हूं।

सोनिया के निवास पर पहुंचे कार्यकर्ता, खुशी जताई :

राहुल के ट्वीट के बाद हजारों की संख्या में कार्यकर्ता सोनिया गांधी के निवास पर पहुंचे और वहां जमकर आतिशबाजी की। सोनिया ने बाहर निकलकर कार्यकर्ताओं से कहा – “ऐसा लग रहा है कि हम देश में आम चुनाव जीत गए हैं।”

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Budget Satire : आम आदमी को समझ में आया बजट, सदमे में पहुंची वित्त मंत्री






By Jayjeet

नई दिल्ली। बजट के इतिहास में पहली बार एक आम आदमी ने आम बजट को समझने का दावा कर आर्थिक और राजनीतिक गलियारों में सनसनी फैला दी है। इस खबर से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सदमे में बताई जा रही हैं। पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने इसके लिए सीतारमण को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है।

इस बीच, अनेक आर्थिक विशेषज्ञों ने इस दावे को फेक बताते हुए कहा है कि यह संभव ही नहीं है कि कोई आम आदमी आम बजट को समझ सके। न पहले कोई समझ सका है, न आगे कोई समझ सकेगा। हालांकि अभी इस आम आदमी की पहचान का खुलासा नहीं किया गया है। सरकार ने इस आदमी के दावे की जांच के लिए आनन-फानन में तीन विशेषज्ञों की समिति गठित कर दी है।

विपक्ष ने मांगा सीतारमण का इस्तीफा
आम आदमी के इस दावे के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण विपक्ष के निशाने पर आ गई हैं। इसके लिए कांग्रेस ने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को आगे किया है। चिदंबरम ने कहा कि आम आदमी के इस दावे ने वित्त मंत्रालय के इतिहास को कलंकित कर दिया है। उन्होंने इसके लिए सीतारमण को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है।

सदमे में सीतारमण
आम आदमी के इस दावे के बाद सीतारणम सदमे में बताई जा रही हैं। सदमे में आने से पहले उन्होंने ऐसा बजट तैयार करने के लिए तीन जिम्मेदार अफसरों को सस्पेंड कर दिया है। एक प्रत्यक्षदर्शी ने हिंदी सटायर को बताया, “वित्त मंत्री अपने कक्ष में अपने अफसरों पर चिल्ला रही थीं। जाहिलो, ऐसा कैसा बजट बना दिया कि एक आम आदमी भी इसे समझ गया। आप लोगों ने इसे हलवा समझ रखा क्या?” अफसर बार-बार दलील देते रहे कि मैडम, यह विपक्ष की साजिश है। ऐसा बिल्कुल नहीं हो सकता। आम आदमी तो हमारे फोकस में ही नहीं होता। लेकिन सीतारमण पर इसका कोई असर नहीं हुआ।

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