शुक्रवार, 11 अप्रैल 2014

जनमेजय का यज्ञ और अमित-आजम की बदला कथाएं

जयजीत अकलेचा/Jayjeet Aklecha

महाभारत नामक महाकाव्य यूं तो बदले की कहानियों से अटा पड़ा है, लेकिन राजा जनमेजय की कथा अद्भुत है। आज के भारत के दो धुरंधर प्रतापी राजकुंवरों अमित षाह और आजम खान की बदला लेने की भभकियों से राजा जनमेजय की वह कथा ताजा हो गई।
पहले कथा सुनते हैं- हुआ यूं कि राजा परीक्षित ने ऋषि षमीक का अपमान कर दिया। इस अपमान से उनके पुत्र षृंगी क्रुद्ध हो गए। उन्होंने पिता के अपमान का बदला लेने की ठानी। उन्होंने नागराज तक्षक को राजा परीक्षित को ठिकाने लगाने की सुपारी दे दी। तक्षक ने कोई कोताही नहीं बरती। परीक्षित की मृत्यु के पष्चात उनके पुत्र जनमेजय गद्दी पर बैठे। पिता की हत्या की कहानी का पता चलने पर जनमेजय इसका बदला लेने पर उतारू हो उठे। उन्होंने तक्षक को मारने के लिए सर्प यज्ञ करवाया। लेकिन मास्टरमाइंड यानी ऋषि षृंगी को छोड़ दिया। अब एक बाबा से पंगा कौन लें! बदला ही तो लेना है तो तक्षक से ही ले लेते हैं (ऐसा उन्होंने विचार किया होगा, लेकिन यह विचार महाभारत का आधिकारिक हिस्सा नहीं है)।
तो सर्पयज्ञ में एक-एक करके सारे सांप भस्म होने लगे। जो बेचारे भस्म हो रहे थे, उन्हें मालूम ही नहीं था कि आखिर हमारा कसूर क्या है? खैर, जब हजारों-लाखों सर्पों के मरने के बाद तक्षक की बारी आई तो उसने पता नहीं किन देवताओं से सेटिंग कर-कराके आस्तीक नामक एक बंदे को भिजवा दिया और सर्प यज्ञ रुकवा दिया। इस तरह तक्षक बच गया। सुना है बाद में जनमेजय और तक्षक सालों जीते रहे। तक्षक की तो इंद्र के महल में अच्छी-खासी पैठ बन गई।
हमारे आज के वीर-प्रतापी षाह और आजम भी क्या ऐसे ही बदला लेंगे? पता नहीं भस्म कौन होगा?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thanks for your comment