बुधवार, 9 अप्रैल 2014

जब मुसीबत में पड़ गया हैरी पाॅटर

जयजीत अकलेचा/Jayjeet Aklecha

हैरी पाॅटर दिल्ली क्या घूमने आया, उसकी मुसीबत हो गई। अभी वह अपने वाहन से नीचे उतरकर सुस्ता ही रहा था कि टोपी पहने कुछ आम टाइप के नेता आ टपके। उन्होंने सबसे पहले उनके वाहन को प्रणाम किया। फिर उनमें से एक बोला, ‘हैरीजी, हम चाहते हैं कि आप हमारी पार्टी के स्टार प्रचारक बन जाएं।’
‘मैं कुछ समझा नहीं।’ हैरी बोला।
‘आपको यह तो पता ही है कि इस समय भारत में लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व चल रहा है। हमारे एक स्टार प्रचारक खुली जीप में चल रहे हैं। इससे या तो जीप का प्रचार हो रहा है या उस पंजे का जो उन्हें जगह-जगह मिल रहे हैं। ’
‘लेकिन मैं क्या कर लूंगा?’ हैरी बोला।
‘अब आपसे ही उम्मीद बची है। वैसे भी हमने आपसे ही प्रेरणा ली है।’
‘वह कैसे?’
‘एक तो आप झाडू लेकर चलते हैं और दूसरा हमेषा हवा में उड़ते रहते हैं।’
‘अगर मैं ऐसा नहीं करुं तो!’
‘तो हम चुनाव आयोग को षिकायत कर देंगे। आपकी झाडू जब्त करवा देंगे। हमें कोई मना नहीं कर सकता। या तो आप हमारे साथ हैं या हमारे खिलाफ।’



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