By Jayjeet
कोविड सेंटर्स में फैली अफरा-तफरी, हॉस्पिटल्स से आ रही करुण कंद्रन के बीच थोड़ा फील गुड करने-करवाने के लिए रिपोर्टर निकल पड़ा एक रिजॉर्ट की ओर। नहीं जी, वहां तफरीह वगैरह के लिए नहीं, बस उससे बात करने के लिए.... पांच राज्यों में चुनाव नतीजे आने से पहले ही किसी रिजॉर्ट का पहला इंटरव्यू। एक्सक्लूसिव, हमेशा की तरह केवल इस रिपोर्टर के पास...
रिपोर्टर : मुंह पर बड़ी मुर्दानगी छाई हुई है जी..
resort : तो क्या मैं नाचूं? माहौल नहीं देख रहो?
रिपोर्टर : अरे महोदय, खुश हो जाइए, कम से कम आपके अच्छे दिन आने वाले हैं।
resort : क्यों? चुनाव खतम हो गए क्या?
रिपोर्टर : नहीं, बस समझो खत्म होने ही वाले हैं। जब चुनाव आयोग जाग जाता है, तब चुनाव खत्म होने का टाइम आ जाता है। अभी-अभी आयोग जागा है। इसीलिए तो मैं आपके पास भागा-भागा आया हूं।
resort : चलो भगवान का लाख-लाख शुक्र है। मैंने तो सारी उम्मीदें ही छोड़ दी थीं। मुझे याद है जब चुनाव शुरू हुए थे, तो उस समय मेरे आंगन के किनारे पर आम का वह छोटा-सा पौधा लगाया गया था - मैंगू। देखो, कितना बड़ा हो गया है। अब तो उसमें फल भी आने वाले हैं।
रिपोर्टर : बस, वही फल खाने के लिए तो आपको गुलजार करने आ रहे हैं हमारे माननीय।
resort : मुंह ना नोच लूं... आ तो जाए जरा निगोड़े। इस माहौल में भी लाज ना आ रही है इनको..
रिपोर्टर : काबा किस मुंह से जाओगे 'ग़ालिब', शर्म तुमको मगर नहीं आती। ऐसा ही हाल है इनका। आप इनका मुंह नोच लो कि नंगा कर दो, कुछ फर्क ना पड़ने वाला इन्हें। भाई, ये चुनाव लड़ते ही क्यों है? महीनों से मेहनत कर रहे हैं। अब फल भी ना खाएं भला...!!
resort :###$$&##**#### (गालिया)
रिपोर्टर (बीच में टोकते हुए) : माफी चाहूंगा। आप इतने सोफिस्टेकैटेड रिजॉर्ट हो। ये गालियां, आई मीन ओछी बातें आपकी जबान पर शोभा नहीं देती।
resort : भैया क्या करें। स्साले इन नेताओं की संगत में मेरा कैरेक्टर भी खराब हो गया है। मुंह में गालियां भर गई हैं। रात को बुरे-बुरे सपने आते हैं। वैसे नेताओं को गालियां देने में आपको क्यों तकलीफ हो रही है?
तभी फोन की घंटी....
resort : (फोन पर ही) : जी, जी, जी.... बिल्कुल, जैसा आप कहें नेताजी...। हो जाएगी, सारी व्यवस्थाएं...
रिपोर्टर : फोन आने लगे...?
resort : हां जी, चलता हूं। दवा-दारू, कबाब-शबाब की व्यवस्था करने...।
रिपोर्टर .... सही है। रिजॉर्ट है तो क्या हुआ। आपमें और हम जनता में क्या फर्क है। पीठ पीछे गालियां, और सामने आते ही - जी जी जी...
रिजॉर्ट तब तक अपनी व्यवस्थाओं में जुट चुका था।
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