सोमवार, 31 अगस्त 2020

छह घंटे में राहुल गांधी के वीडियो पर एक भी लाइक नहीं, जानिए क्या है वजह?

rahul gandhi video jokes राहुल गांधी जोक्स

modi video unlike मोदी का वीडियो अनलाइक
30 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' कही थी। भाजपा के ऑफिशियल यू ट्यूब चैनल पर डले इस वीडियो पर लाइक्स से छह गुना ज्यादा अनलाइक्स आए हैं ( देखें तस्वीर, लाइक्स करीब 100 K, डिसलाइक्स 625 K)। लनलाइक की वजह से यह वीडियो जबरदस्त चर्चा में आ गया है।

लेकिन इतनी ही आश्चर्य की बात और भी है। 31 अगस्त को सुबह करीब 10 बजे राहुल गांधी ने अर्थव्यवस्था की बदहाली पर एक वीडियो डाला। उसे दोपहर में 12 बजे कांग्रेस के ऑफिशियल यू ट्यूब चैनल पर पोस्ट किया गया। शाम को 6 बजे तक यानी करीब 6 घंटे में उस पर न तो एक भी लाइक था और न ही डिसलाइक (देखें राहुल के वीडियो का स्क्रीन शॉट)

आखिर राहुल गांधी के वीडियो पर कोई भी प्रतिक्रिया क्यों नहीं है? इसकी वजह क्या है? humourworld की पड़ताल में पता चला है कि इसकी सीधी सी वजह यही है  कि कांग्रेस के जिन लोगों को चैनल पर जाकर राहुल का वीडियो लाइक करना था, वे सभी तो भाजपा के चैनल पर जाकर मोदी के वीडियो को अनलाइक करने में लगे थे।

#modi video #rahul gandhi

(Modi youtube video disliked my many, but rahul gandhi's video on economy also not liked even by a single people )


Joke : न्यूज चैनल के सामने दो घंटे रहने का खामियाजा!

पक्के केले, सड़े हुए केले, न्यूज चैनल पर जोक्स, pucce banana

केले काफी कच्चे थे। तो जुगाड़ लगाई और उन्हें न्यूज चैनल के सामने रख दिया। मैं खुद दूसरे कमरे में क्वारंटीन हो गया। दो घंटे बाद देखा तो बेचारों की यह स्थिति हो गई थी...

😀😅🤓

रविवार, 30 अगस्त 2020

Humor : बेताल ने सुनाई सुशांत-रिया की कहानी, जानिए विक्रम ने क्या दिया जवाब!

 # vikram aur betaal  # Baital Pachchisi # Baital Pachisi # बेताल पच्चीसी  विक्रम और बेताल

By Jayjeet

बेताल आज विक्रम की बाइक पर कूदा तो कुछ परेशान था। विक्रम हौले-हौले बाइक चलाते रहा। उसे मालूम था कि भूत आया है तो कोई ऊटपटांग कहानी सुनाएगा ही, साथ में यह गीदड़ भभकी भी देगा ही कि अगर मैंने जवाब जानते हुए भी न दिया तो मेरी बाइक के टायर के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे ...

लेकिन 15 मिनट हो गए, बेताल चुप की चुप। विक्रम ने बाइक की स्पीड थोड़ी बढ़ा दी, शायद हवा चलने से बेताल का कुछ दिमाग खुले। बेताल धीरे से बुदबुदाया- टीवी चैनल वालों से पचा मारा। स्साले मुझसे भी बड़ेवाले स्टोरीटेलर हो गए। फिर थोड़ी ऊंची आवाज में विक्रम से बोला - विक्रम सुन, आज तुझे बहुत इंटरेस्टिंग कहानी सुनाता हूं, एक एक्टर, उसकी प्रेमिका और सुसाइड की कहानी। ऐसी कहानी जो तुने आज तक ना सुनी होगी।

विक्रम मुस्कुराया, पर बोला कुछ नहीं, क्योंकि बोलते ही हूं हूं करते हुए बेताल उड़ जाता और कहानी धरी की धरी रह जाती।

बेताल ने बोलना शुरू किया - कुछ माह पुरानी बात है। एक अभिनेता हुआ करता था, नाम था सुशांत सिंह राजपूत। रिया नाम की उसकी एक प्रेमिका थी .... और इसके बाद बेताल ने लाग-लपेटकर वह पूरी कहानी सुना दी जो उसने पिछले कुछ दिनों से न्यूज चैनलों पर सुन रखी थी, यह मानते हुए कि विक्रम तो कभी न्यूज चैनल देखता नहीं।

कहानी सुनाने के बाद बेताल ने अपनी चिर-परिचित शैली में पूछा - विक्रम बता कि उस अभिनेता ने वाकई सुसाइड किया था? अगर नहीं किया तो उसका मर्डर किसने किया होगा? इसमें उसकी प्रेमिका रिया का क्या हाथ है? अगर तू जानकर भी चुप रहा तो तेरी बाइक के टायर के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे...

विक्रम एक मिनट के लिए चुप रहा और फिर बोला - सुन बेताल, मुझे सब मालूम है कि इस कहानी में क्या-क्या हुआ होगा। लेकिन अगर मैं आज बता दूं तो फिर उन न्यूज चैनलों का क्या होगा, जहां से तुने ये कहानी चुराई है। मैं एक राजा की आत्मा हूं और विक्रम का रिकॉर्ड रहा है कि उसने किसी के साथ अन्याय नहीं किया। इसलिए जब तक न्यूज चैनलों के पास कोई और कहानी नहीं आ जाती या तैमूर का कोई भाई-बहन नहीं आ जाता, मैं उनके पेट पर लात नहीं मार सकता।

बेताल - वाह विक्रम, क्या राजा वाली बात कही। टीवी चैनलों ने तो पका मारा था, पर तुने मन प्रसन्न कर दिया। पर तू बोला और मैं चला ....

विक्रम (उड़ते हुए बेताल से चिल्लाकर बोला) - बेताल, अब किसी ऐसे घर की छत पर मत टंगना जहां दिनभर न्यूज चैनल चलता है... फिर मिलेंगे...।

# vikram aur betaal  #Baital Pachchisi # Baital Pachisi #बेताल पच्चीसी


विक्रम बेताल पार्ट 1 : बेताल ने विक्रम को सुनाई ट्रम्प के रहस्यमयी प्लान की कहानी

सोमवार, 24 अगस्त 2020

Funny Interview : कांग्रेस में कौन बन सकता है नया अध्यक्ष, राहुल के डॉगी PIDI ने किया खुलासा

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By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क, दिल्ली। जैसे ही सोनिया गांधी ने कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश की और राहुल गांधी ने चिट्‌ठी लिखने वाले कांग्रेसियों को आढ़े हाथ लिया, किसी ब्रेकिंग न्यूज के चक्कर में रिपोर्टर लपककर पहुंच गया 10 जनपथ पर सीधे पीडी के पास। पीडी राहुल भैया का प्रिय डॉगी है। वह दो साल पहले उस समय सुर्खियों में आया था, जब राहुल ने कहा था कि उनके ट्वीटस पीडी ही करता है।

रिपोर्टर : पीडी भैया, उधर कांग्रेस में अफरातफरी मची है और इधर आप बड़े खुश नजर आ रहे हो?

पीडी: हां, राहुल भैया ने हमको तैयार रहने को कहा है।

रिपोर्टर : किस बात के लिए?

पीडी : शायद कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनने के लिए।

रिपोर्टर (जानबूझकर अनजान बनने का नाटक करते हुए) : क्यों भाई, ऐसा क्या हो गया?

पीडी : अरे आपको ना पता? किसने रिपोर्टर बना दिया! अभी कुछ देर पहले सोनिया मम्मा ने इस्तीफा देने की पेशकश की है। और राहुल भैया और प्रियंका दीदी ने भी कह दिया है कि अध्यक्ष गांधी परिवार से बाहर का बनेगा। तो बताओ, अब अध्यक्ष कौन बनेगा? है कोई?

रिपोर्टर : पर आप भी तो परिवार में ही रहते हो? यानी प्रैक्टिकली तो आप भी गांधी परिवार का ही हिस्सा हो। तो आप भी ऐलिजिबल कैसे हो जाआगे?

पीडी : आप भी क्या बात करते हों...  हम परिवार में जरूर रहते हैं, पर गांधी-नेहरू खानदान के थोड़े हुए।

रिपोर्टर : अच्छा, राहुल भैया ने आपको ही अध्यक्ष बनने के लिए तैयार रहने को क्यों कहा? आपमें ऐसी क्या योग्यता है?

पीडी : वफादारी, सबसे बड़ी योग्यता तो यही है। फिर मैं मम्मा, भैया और दीदी की ऑन डिमांड पर कभी भी दुम हिला सकता हूं। उनके तलवे भी मैं ही बड़े अच्छे से चाट सकता हूं।

रिपोर्टर : माफ करना पीडी भैया, अभी आपने मुझ पर ताना मारा था, लेकिन पता आपको भी कुछ नहीं है।

पीडी : ऐसा क्या पता नहीं है?

रिपोर्टर : आप जिस वफादारी की बात कर रहे हो ना, वह तो कांग्रेस में कई लोगों के पास है। दुम हिलाने वाले भी बहुत मिल जाएंगे और तलवे चाटने वाले भी।

पीडी : पर भैया, दो पैर वाले तो दो पैर के ही होते हैं। दो पैर वालों की वफा का भरोसा नहीं। देखा नहीं, अभी कैसे फटाक से चिट्ठी लिख मारी। ये कोई वफादारी है !! भला राहुल भैया को नाराज कर दिया। वफादारी में चार पैर वालों से टक्कर नहीं ले सकते आपके दो पैर वाले वफादार।

रिपोर्टर : पर दूसरे कांग्रेसी नेता आपको पार्टी का अध्यक्ष क्यों स्वीकार करेंगे?

पीडी : अरे, थोड़ी देर पहले आपने ही तो कहा था कि प्रैक्टिकली हम गांधी परिवार का हिस्सा है... इसलिए, समझें...

रिपार्टर कुछ और पूछें, इतने में पीडी के पास जमीन पर रखा मोबाइल बज उठा। स्क्रिन पर राहुल भैया नाम चमक रहा था। और पीडी भी जी भैया, जी भैया में बिजी हो गया... और यह रिपोर्टर भी अपनी दुम को समेटकर वापस आ गया, ब्रेकिंग न्यूज के साथ...

#congress new president  #political satire #congress #rahul #humor

गुरुवार, 20 अगस्त 2020

देखिए नई टाइप की स्मार्ट रोड : ग्राउंड वाॅटर रिचार्ज करेगी, आसान होंगे कई काम

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By Jayjeet

1. जैसा कि चित्र से स्पष्ट है, यह बारिश के दिनों में ग्राउंड वाॅटर को रिचार्ज करने का काम करेगी। इसके पीछ सोच यह है कि चूंकि अब जगह-जगह कांक्रटीकरण के कारण पानी को जमीन के भीतर जाने का मौका नहीं मिलता है। तो ऐसे में इस तरह की सड़कों के निर्माण को प्रोत्साहन दिया जाएं।

2. इस सड़क में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) का यूज किया जाएगा। इसका फायदा यह होगा कि अफसरों, इंजीनियरों और ठेकेदारों को सामग्री में मिलावट की मात्रा को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं होगी। यह काम सड़क खुद ही बहुत ही साइंटिफिक ढंग से कर लेगी।

3. AI के जरिए सड़क बादलों की डेंसिटी को देखकर पहले से ही उचित आकार के गड्‌ढों में तब्दील हो सकेगी, ताकि पानी की एक भी बूंद खराब न हो और वह सीधे जमीन में नीचे उतर सकें। सामान्य सड़क में पहली-दूसरी बारिश का पानी गड्‌ढे करने में ही व्यर्थ हो जाता है।

4. सड़क से जुड़े सभी नेताओं, इंजीनियरों, ठेकेदारों और अफसरों के बीच कमीशन का बंटवारा भी सड़क अपने आप डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम (DBT) के जरिए खुद ही कर देगी। इससे विभिन्न पक्षों के बीच किसी तरह का विवाद नहीं होगा।

5. जमीन के भीतर पर्याप्त पानी पहुंचाने के बाद बचे हुए पानी का इस्तेमाल यह सड़क बिजली बनाने में करेगी। अनुमान है कि ऐसी एक सड़क बारिश के हर सीजन में दस हजार वॉट तक अतिरिक्त बिजली का निर्माण कर सकेगी जो मुफ्त बांटने के काम आएगी।

#smart_city #satire #humor

यह भी पढ़ें ... एक्ट्रेस के मुंह से अचानक गिरा मास्क, चेहरा देखकर सदमे में आया कोरोना

UPSC Toppers Interview : नाम न छापने की शर्त पर एक यूपीएससी रैंकर ने दिया बेलाग इंटरव्यू

IAS officer


नई दिल्ली। यूपीएससी (UPSC) के रिजल्ट की घोषणा हो चुकी है। इसमें सिलेक्ट होकर टॉप 500 रैंक में रहने वाले एक बेहद टैलेंटेड Topper ने नाम नहीं छापने की शर्त पर hindisatire को दिया बेलाग इंटरव्यू। पेश हैं उसके मुख्य अंश:

सवाल: इस परीक्षा में बेहतरीन रैंक हासिल कर कैसा लग रहा है?

जवाब: बहुत अच्छा लग रहा है। मैं अपने सपने को पूरा करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ गया हूं।

सवाल: कैसा सपना?

जवाब: जी, मेरा सपना है कि जैसे मेरे पूर्वजों ने इस देश को लूटा है, मैं भी उसमें अपना योगदान दे सकूं। भ्रष्टाचार करने में मैं नया कीर्तिमान बनाना चाहता हूं।

सवाल: अपने सपने को पूरा करने के लिए क्या कोई फ्रेमवर्क है?

जवाब: जी, अभी तो शुरुआत है। ट्रेनिंग के बाद पहली पोस्टिंग का इंतजार करूंगा, फिर कोई प्लान बनाउंगा। हां, लेकिन चूंकि मेरे अपने परिवार में कई लोग सरकारी पदों पर रहे हैं। इसलिए उनकी ट्रेनिंग काफी मायने रखेगी और मुझे उम्मीद है कि अपने बड़े-बुजुर्गों के आशीर्वाद से मैं अपनी आने वाली सात पुश्तों के लिए काफी कुछ जोड़ सकूंगा।

सवाल: जब देश के आप जैसे क्रीम लोग ही भ्रष्टाचार करेंगे तो आम आदमी का क्या होगा?

जवाब: इस सवाल के जवाब में मेरा आपसे ही एक सवाल है। अगर क्रीम लोग भ्रष्टाचार नहीं करेंगे तो कौन करेगा? क्या आम लोगों और सामान्य बुद्धि वाले व्यक्ति में इतना कौशल व दम है? फिर देश का क्या होगा?

सवाल: आप जैसे कई चयनित उम्मीदवार पहले ही प्राइवेट सेक्टर में अच्छी नौकरी कर रहे हैं। खूब कमा रहे हैं और ईमानदारी से कमा रहे हैं। तो फिर आईएएस अधिकारी क्यों बनना चाहते हैं?

जवाब: अगर आप मेरा नाम छापते तो कहता कि मैं देशसेवा और आम लोगों की सेवा के लिए आईएएस अधिकारी बनना चाहता हूं। देश में बहुत गरीबी हैं, गरीबों का कल्याण इसी सेवा के माध्यम से हो सकता हूं। समाज में बदलाव के लिए, आदिवासियों के जीवन में सुधार के लिए काम करना चाहता हूं, वगैरह-वगैरह। पर आपने नाम न छापने की गारंटी दी है। इसलिए अपने दिल की बात करता हूं। यह ऐसी सर्विस है, जिसमें रहकर आपको वही सुखद एहसास होता है जैसा कभी दशकों पहले ब्रिटेन के गोरे शासकों को होता होगा। इसमें हमें खुद को राजा होने और आम लोगों के प्रजा होने का एहसास होता है। यह सबसे बड़ा एहसास है। आप जैसे आम लोग इसे महसूस भी नहीं कर सकते।

सवाल: तो क्या मान लें कि देश में अब कोई भी ईमानदार अफसर नहीं है? देश ईमानदार अफसरों के कलंक से मुक्त हो गया है?

जवाब: यह बेहद दुर्भाग्य की बात है कि अभी भी मुठ्ठीभर ऐसे नालायक ईमानदार अफसर हैं, जो केवल देश की सोचते हैं। मुझे आशंका है कि मेरे साथ की बैच में भी कुछ ऐसे अफसर जरूर होंगे। हमें इनसे जल्दी ही मुक्त होना होगा।

(Disclaimer : यह खबर कपोल-कल्पित है। इसका मकसद केवल सिस्टम पर कटाक्ष करना है, किसी टॉप रैंकर पर नहीं।) 

बुधवार, 19 अगस्त 2020

New Baital Pachchisi : बेताल ने विक्रम को सुनाई ट्रम्प के रहस्यमयी प्लान की कहानी

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By Jayjeet

विक्रम की आत्मा 24 अकबर रोड पर सुस्ताने को रुकी ही थी कि हमेशा की तरह बेताल फिर उसकी बाइक की पिछली सीट पर टपक पड़ा। विक्रम समझ गया, लो, भूत फिर आ गया। स्साला फिर वही ऊटपटांग कहानी, फिर वही गीदड़ भभकी कि अगर मैंने जानते हुए भी जवाब न दिया कि मेरी बाइक के टायर के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे ...

मित्रो, कहानी को रोकते हुए कुछ बैकग्राउंड में चलते हैं। विक्रम की आत्मा पिछले कुछ दिनों से भारत में उतरी हुई है और इस समय दिल्ली में है। और जहां विक्रम है, वहां बेताल तो होगा ही। लेकिन विक्रम का रंग-रूप बदल गया है। फुल बाह की टीशर्ट-जिंस, हाथ में स्मार्ट फोन और धुआं उड़ाती बाइक। बेताल का रंग-ढंग वही है, वैसा ही भूत टाइपिया, लेकिन उसकी कहानियां बदल गई हैं। तो आइए सुनते हैं उसकी कहानियां और विक्रम के जवाब, इस नई बेताल माथापच्चीसी में...

तो आत्मा-ए-विक्रम की बाइक पर बैठते ही बेताल ने पहले तो गीदड़ भभकी दी। विक्रम ने कुटिल मुस्कान मारी जो मास्क के कारण बेताल को नजर न आई।

और शुरू हुई कहानी... सुन विक्रम। वैसे तो तू भी इस समय स्मार्टफोन के चाले में है और इसलिए तुझे सब पता ही होगा कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहे हैं। वहां चुनावों में अब पांच माह से भी कम का वक्त बचा है। वहां जो सर्वे आए हैं, उनमें ट्रम्प भाईसाहब अपने विरोधी बाइडेन से बहुत पीछे चल रहे हैं। फिर बाइडेन उपराष्ट्रपति पद के लिए भारतीय मूल की कमला बाईजी को भी ले लाए हैं। ट्रम्प को सलाह दी गई कि अगर वे अमेरिका में भारतीयों पर फोकस करें तो बाइडेन की टक्कर में आ सकते हैं। जब ट्रम्प ने अपनी टीम से चर्चा की और पूछा कि इस संबंध में कौन हमारी मदद कर सकता है तो सभी हाथ उठा-उठाकर एक स्वर में चिल्लाने लगे - मोदी मोदी मोदी... । इसका मतलब यह है कि ट्रम्प को एक बार फिर से मोदी को यहां लाकर हाउडी मोदी जैसा कुछ करवाना होगा।

बेताल ने कहानी जारी रखी... लेकिन ट्रम्प तो ट्रम्प है। खुर्राट आदमी। उसने कहा- नहीं, अब हमारी स्थिति ऐसी नहीं रही कि हम थोड़ी-सी भी रिस्क उठाए। हमें ऐसा आदमी चाहिए जो 100 परसेंट हमें चुनाव जिताने की गारंटी देता हो। यह सुनकर उसके सारे सहयोगी बगलें झांकने लगे। उन्होंने तो यही नारा सुन रखा था कि मोदी है तो मुमकिन है। अब ये ट्रम्प साहब किस आदमी को लाने जा रहे हैं जो मोदी से भी बढ़कर हो और उन्हें चुनाव जितवा सके। फिर ट्रम्प ने जिस आदमी का नाम लिया, उसे सुनकर लोग हक्का-बक्का रह गए। कुछ लोग तो हंस के लोट-पोट भी हो गए। ट्रम्प से चिढ़ने वाले कुछ दरबारी तो आपस में यह भी कहने लगे कि हमने अब तक तो दूसरों से ही सुना था कि ट्रम्प पागल आदमी है। पर अब ये तो खुद ही अपने पर पागलपंथी की मोहर लगा रहा है। पर ट्रम्प के लिए तो ये था ट्रम्प कार्ड जो उसे चुनावों में जिताने की हंड्रेड परसेंट गारंटी दे रहा था।

इतनी कहानी सुनाने के बाद बेताल रुक गया। फिर बोला - विक्रम बता कि आखिर वह कौन हैं जिसका ट्रम्प ने नाम लिया और वह भी पूरे विश्वास के साथ। ट्रम्प की आखिर पूरी योजना क्या है। अगर तू जानकर भी चुप रहा तो तेरी बाइक के अगले टायर के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे...

विक्रम एक मिनट के लिए चुप रहा। फिर उसने 24 अकबर रोड पर स्थित उस सुनसान और खंडहर इमारत पर एक नजर डाली जहां कई चमगादड़ उलटे लटके-लटके जुगाली कर रहे थे। फिर बोलना शुरू किया, 'सुन बेताल। ट्रम्प है तो बहुत शातिर पॉलिटिशयन। वह जानता है कि किस आदमी का इस्तेमाल कहां करना चाहिए। उसने मोदी के बजाय जिस आदमी को चुना, उसका नाम है राहुल गांधी। भारत में अपनी-अपनी श्रद्धा के अनुसार उसे अलग-अलग नामों से पुकारते हैं। ट्रम्प ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि मोदी जहां ट्रम्प के लिए 99 फीसदी जीत की गारंटी है, बल्कि राहुल गांधी 101 परसेंट।

बेताल जो अमूमन कहानी सुनाने के बाद बोलता नहीं था, वह राहुल का नाम सुनकर ही बीच में बोल पड़ा- पर राहुल! वह खुद अपनी सीट जीत नहीं सकता, वह भला ट्रम्प को क्या जितवाएगा? इसका समाधान करो फटफटिए वाले राजन!

विक्रम ने बोलना जारी रखा - ट्रम्प राहुल के टैलेंट का इस्तेमाल अपने विरोधी बाइडेन के पक्ष में रैलियां आयोजित करने में करेगा। ट्रम्प जानता है कि राहुल बाबा बाइडेन के पक्ष में जितनी अधिक रैलियां करेंगे, उतना ही बाइडेन की स्थिति कमजोर होती जाएगी। इतना ही नहीं, ट्रम्प यह भी करेंगे कि राहुल गांधी उससे रोज ट्विटर पर सवाल भी पूछें और उनमें उसे खूब आड़े हाथ भी लें। इससे भी धीरे-धीरे ट्रम्प की स्थिति बेहतर होती जाएगी और बाइडेन की स्थिति कमजोर। और एक समय ऐसा भी आ सकता है कि ट्रम्प क्लीन स्विप ही कर जाए और बाइडेन का सूपड़ा साफ हो जाए।'

वाह, विक्रम की आत्मा, तूने जवाब तो सही दिया, पर मैंने पहले ही कहा था कि तू एक शब्द भी बोलेगा तो मैं उड़ जाऊंगा... तू बोला और मैं चला।

और बेताल 24 अकबर रोड स्थित उस खंडकर इमारत के एक कंगूरे पर जाकर उलटा लटक गया...

(Courtesy :  hindisatire.com )

रविवार, 16 अगस्त 2020

Joke : आखिर सच्चे योद्धा को मिला सम्मान

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विगत दिनों काफी कोरोना योद्धा सम्मान देखने को मिले..। कुछ वाकई दिए गए, कुछ बांटे भी गए... अंतत: दिल को थोड़ा सुकुन मिला, जब एक सच्चे योद्धा को हासिल हुआ ऐसा ही सम्मान 

#corona #jokes #humor

Humour : बाइडेन से पीछे चल रहे ट्रम्प ने अब राहुल गांधी से मांगी मदद, क्यों और कैसे? पढ़िए यहां

Trump Rahul Gandhi humor ट्रम्प राहुल गांधी जोक्स

By Jayjeet

वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में अब पांच माह से भी कम का वक्त बचा है। हाल ही में हुए कई सर्वे में प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प अपने प्रतिद्वंद्वी जो बाइडेन से पीछे चल रहे हैं। ऐसे में ट्रम्प ने अब राहुल गांधी से मदद लेने की योजना बनाई है। इस बीच, ट्रम्प की इस योजना की भनक लगते ही बाइडेन के खेमे में अफरातफरी का माहौल है।

क्या है ट्रम्प का ट्रम्प कार्ड? 
ट्रम्प की कोर टीम द्वारा बनाए गए प्लान के अनुसार राहुल गांधी अगले तीन माह तक अमेरिका में रहकर बाइडेन के पक्ष में जोरदार चुनावी रैलियां करेंगे। इसके अलावा वे ट्विटर पर एक्टिव रहकर रोजाना ट्रम्प से एक सवाल भी पूछेंगे। ट्रम्प के योजनाकारों के अनुसार इससे एक माह के भीतर ही ट्रम्प के खिलाफ बना माहौल पक्ष में हो जाएगा और चुनाव आते-आते वे क्लीन स्वीप करने की स्थिति में आ जाएंगे।

विरोधी खेमे में अफरातफरी, सदमे में बाइडेन
ट्रम्प की इस योजना की भनक लगते ही बाइडेन के खेमे में सन्नाटा खींच गया है। वहां से आ रही खबरों के अनुसार अगर ट्रम्प अपनी इस योजना में सफल हो गए तो बाइडेन के लिए चुनाव जीतना तो दूर, अपनी जमानत तक बचाना मुश्किल हो जाएगा। अपुष्ट सूत्रों के अनुसार इससे बाइडेन गहरे सदमे में पहुंच गए हैं।

राहुल ने पूछा, कौन हैं बाइडेन?
इस बीच बाइडेन के लिए एक राहत की खबर भी है। राहुल गांधी के करीबी सूत्रों के अनुसार ट्रम्प के इस प्रस्ताव के जवाब में राहुल ने पूछ लिया कि ये बाइडेन कौन हैं? राहुल के करीबी निजी सचिव कहा, 'राहुल भैया तब तक किसी के पक्ष-विपक्ष में नहीं बोलते, जब तक कि वे खुद उनके बारे में गूगल से पुख्ता जानकारी नहीं ले लेते।' ऐसे में बाइडेन खेमे को उम्मीद है कि पुख्ता जानकारी लेते-लेते अमेरिकी चुनाव ऐसे ही गुजर जाएंगे।

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यह भी पढ़ें :  देवउठनी एकादशी के बाद खत्म हो जाएगी कोरोना की सारी अकड़, एक अदद कोरोनी की तलाश



शुक्रवार, 14 अगस्त 2020

Jokes : शहरी बाढ़ जोड़ योजना के बारे में क्या ख्याल है?




पहले मुंबई की सड़कों पर बाढ़ आई, अब जयपुर की सड़कों पर... तो अब शहरी बाढ़ जोड़ योजना भी आ ही जानी चाहिए... 🧐🧐



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गुरुवार, 13 अगस्त 2020

Jokes : सचिन का प्लेन...


sachin-pilot-jokes


जयपुर के पास आज यह छकड़ा गाड़ी बरामद हुई है। आशंका जताई जा रही है कि सचिन पायलट इसे विमान समझकर उड़ाने का प्रयास कर रहे थे ... 

🧐🧐🤓

शनिवार, 8 अगस्त 2020

कोरोना वैक्सीन की ब्लैक मार्केट वाली कीमत भी तय करेगी सरकार, गरीबों के हितों का रखा जाएगा ध्यान

corona vaccine कोरोना वैक्सीन कीमत


By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क, नई दिल्ली। देश में कोरोना वैक्सीन के जल्दी ही लॉन्च होने की संभावना को देखते हुए सरकार ने वैक्सीन को लेकर कालाबाजारियों की मनमानियों पर अंकुश लगाने की तैयारी भी शुरू कर दी है। सरकार देश के प्रमुख कालाबाजारियों से चर्चा कर वैक्सीन की अलग-अलग श्रेणियों की कीमत फिक्स करेगी। देश के किसी भी कालाबाजार में उससे अधिक कीमत में वैक्सीन बेचे जाने को दंडनीय अपराध माना जाएगा।

हाल ही में कोरोनावायरस की दवा रेमडेसिवीर के कालाबाजार में 900 फीसदी तक ज्यादा दामों पर बेचे जाने की खबरों को देखते हुए सरकार वैक्सीन के मामले में कालाबाजारियों को खुली छूट देने के मूड में नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार इस बार समय रहते ही सरकार कालाबाजार में बिकने वाली वैक्सीन के दाम तय कर देगी, ताकि बाद में कालाबाजारिये मनमानी करके मुनाफाखोरी न कर सकें। जरूरत पड़ने पर संबंधित एक्ट में जरूरी संशोधन भी किए जाएंगे। वैक्सीन को निर्धारित ब्लैक मार्केट प्राइस से अधिक दाम में बेचे जाने को दंडनीय अपराध बनाने पर भी विचार किया जा रहा है।

अलग-अलग श्रेणियां निर्धारित की जाएंगी...
सीरम इंस्टीट्यूट ने अपने कोरोना वैक्सीन के एक डोज की कीमत 225 रुपए तय की है। सरकार इसी कीमत को आधार बनाकर कालाबाजार में बिकने वाली वैक्सीन की कीमत तय करेगी। तुरंत वैक्सीन चाहने वालों को यह 2000 रुपए में उपलब्ध होगी। एक साल बाद की कीमत 1000 रुपए और दो साल बाद की कीमत 500 रुपए तय की जाएगी। कीमत तय करते समय गरीब तबकों के हितों का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा। गरीबों को तीन साल बाद केवल 25 रुपए के प्रीमियम पर यानी 250 रुपए में वैक्सीन उपलब्ध करवाना सभी कालाबाजारियों का सामाजिक दायित्व होगा।

(Disclaimer : यह सिस्टम पर व्यंग्य है, फेक न्यूज नहीं... )

#satire #Jayjeet #corona_vaccine

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गुरुवार, 6 अगस्त 2020

Satire : अब बनेगी ‘शहरी बाढ़ जोड़ योजना’, पहले चरण में जुड़ेगा गुड़गांव-मुंबई की सड़कों का पानी

heavy rains flood mumbai मुंबई में बाढ़

नई दिल्ली। देश के विभिन्न शहरों में भारी बारिश के बाद पैदा हुए बाढ़ के हालात के मद्देनजर केंद्र सरकार 'शहरी बाढ़ जोड़ योजना' बनाने जा रही है। इसके तहत इन शहरों में भरे बारिश के पानी का सदुपयोग देश के विकास में किया जाएगा। इसके संकेत केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह ने दिए हैं।

यहां शनिवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्हाेंने कहा , “इन दिनों जगह-जगह बाढ़ आई हुई है। उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार के कई शहरों में बाढ़ आई हुई है। मुंबई तो बाढ़ के लिए फेमस है ही। इस दिशा में मप्र सरकार ने भी अच्छा काम किया है और अब भोपाल व इंदौर जैसे शहरों में भी बाढ़ आने लगी है।”

उन्होंने आगे कहा, “वाजपेयी सरकार ने कुछ साल पहले नदी जोड़ योजना बनाई थी। इसी तर्ज पर अब हम स्मार्ट सिटी योजना के तहत शहरी बाढ़ जोड़ योजना लाने की प्लानिंग कर रहे हैं ताकि इन शहरों में भरे बारिश के पानी का सदुपयोग किया जा सके। पहले चरण में गुड़गांव और मुंबई शहरों की बाढ़ को जोड़ा जाएगा। अगले चरणों में बेंगलुरु, तिरुवनंतपुरुम, भोपाल, इंदौर और अन्य शहरों को शामिल किया जाएगा।”

#Flood #heavy_rains #humor #satire

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रविवार, 2 अगस्त 2020

चंदन चाचा के बाड़े में, नाग पंचमी की कविता (Nag panchami classic kavita )



नागपंचमी (Nag panchami) से संबंधित कविता चंदन चाचा के बाड़े में ...( chandan chacha ke bade me)। इसे मप्र के जबलपुर के कवि नर्मदा प्रसाद खरे ने लिखा था। इसे सबसे पहले 1960 के दशक में कक्षा 4 की बाल भारती में शामिल किया गया था। हालांकि कुछ सोर्स इसके कवि सुधीर त्यागी बताते हैें। 

नर्मदा प्रसाद खरे
सूरज के आते भोर हुआ
लाठी लेझिम का शोर हुआ
यह नागपंचमी झम्मक-झम
यह ढोल-ढमाका ढम्मक-ढम
मल्लों की जब टोली निकली।
यह चर्चा फैली गली-गली
दंगल हो रहा अखाड़े में
चंदन चाचा के बाड़े में।।

सुन समाचार दुनिया धाई,
थी रेलपेल आवाजाई।
यह पहलवान अम्बाले का,
यह पहलवान पटियाले का।
ये दोनों दूर विदेशों में,
लड़ आए हैं परदेशों में।
देखो ये ठठ के ठठ धाए
अटपट चलते उद्भट आए
थी भारी भीड़ अखाड़े में
चंदन चाचा के बाड़े में।।

वे गौर सलोने रंग लिये,
अरमान विजय का संग लिये।
कुछ हंसते से मुसकाते से,
मूछों पर ताव जमाते से।
जब मांसपेशियां बल खातीं,
तन पर मछलियां उछल आतीं।
थी भारी भीड़ अखाड़े में,
चंदन चाचा के बाड़े में॥

यह कुश्ती एक अजब रंग की,
यह कुश्ती एक गजब ढंग की।
देखो देखो ये मचा शोर,
ये उठा पटक ये लगा जोर।
यह दांव लगाया जब डट कर,
वह साफ बचा तिरछा कट कर।
जब यहां लगी टंगड़ी अंटी,
बज गई वहां घन-घन घंटी।
भगदड़ सी मची अखाड़े में,
चंदन चाचा के बाड़े में॥

वे भरी भुजाएं, भरे वक्ष
वे दांव-पेंच में कुशल-दक्ष
जब मांसपेशियां बल खातीं
तन पर मछलियां उछल जातीं
कुछ हंसते-से मुसकाते-से
मस्ती का मान घटाते-से
मूंछों पर ताव जमाते-से
अलबेले भाव जगाते-से
वे गौर, सलोने रंग लिये
अरमान विजय का संग लिये
दो उतरे मल्ल अखाड़े में
चंदन चाचा के बाड़े में।।

तालें ठोकीं, हुंकार उठी
अजगर जैसी फुंकार उठी
लिपटे भुज से भुज अचल-अटल
दो बबर शेर जुट गए सबल
बजता ज्यों ढोल-ढमाका था
भिड़ता बांके से बांका था
यों बल से बल था टकराता
था लगता दांव, उखड़ जाता
जब मारा कलाजंघ कस कर
सब दंग कि वह निकला बच कर
बगली उसने मारी डट कर
वह साफ बचा तिरछा कट कर
दंगल हो रहा अखाड़े में
चंदन चाचा के बाड़े में।।

# nag-panchami-kavita  # नागपंचमी की कविता

शनिवार, 1 अगस्त 2020

Humor : जब राफेल से मिलने पहुंच गए राहुल, जानिए फिर क्या हुई बातचीत …

 

rafel-rahul-gandhi-jokes-satire



By Jayjeet

अंबाला। लंबे सफर के बाद एक लंबी नींद। नींद के बाद जैसे ही राफेल ने आंखें खोलीं, उसे सामने एक शख्स नजर आया। चेहरे पर मास्क था। इसलिए पहचानने में थोड़ी दिक्कत हुई। लेकिन राफेल कुछ बोले, उससे पहले ही उसे आवाज सुनाई दी- राफेल भैया, नमस्कार।


अब राफेल को पहचानने में देर ना लगी- अच्छा राहुल भैया आए हैं। और सुनाओ, कैसे आना हुआ।

राहुल : बस भैया, आपका नाम बहुत सुना था, तो सोचा खुद ही मिल आऊं..

राफेल : हां, नाम तो मैंने भी आपका बहुत सुन रखा है।

राहुल : अच्छा! क्या सुन रखा है मेरे बारे में?

राफेल : एक तो यह कि आप सवाल बहुत पूछते हों और सवाल पूछने के चक्कर में आपने एक बार यह सवाल भी पूछ डाला था कि राफेल नडाल पर सरकार इतना खर्च करने क्यों जा रही है?

राहुल : हां, याद आया। वो शुरू में हमारे सलाहकारों ने कुछ कन्फ्यूज कर दिया था। हमें लगा था कि सरकार देश में करोड़ों खर्च कर टेनिस प्लेयर राफेल नडाल को ला रही है। इस सरकार का कुछ भरोसा नहीं…

राफेल : भई, सरकार की तो हम ना जानें, हमें तो फ्रांस सरकार ने कहा कि इंडिया जाना है तो चले आए। पर आप मुझसे मिलने यहां क्यों चले आए?

राहुल : राफेल भैया, सबसे पहले तो हम आपको पोलाइटली क्लियर कर दें कि सवाल पूछने का काम हमारा है। पर आप हमारे मेहमान हैं तो आपके सवाल का जवाब दे देते हैं। हम तो बस ये पूछने आए थे कि आप हमसे नाराज तो नहीं हों?

राफेल : आपसे नाराज क्यों होने लगा भला?

राहुल : मैंने आपका नाम ले-लेकर काफी कुछ बोला हैं ना, इसलिए पूछ रहा हूं।

राफेल : अरे बाबा, मुझे क्या भाजपा के प्रवक्ता या मोदी के मंत्री समझ रखा है जो मैं आपकी हर बात को इतना सीरियसी लूंगा?

राहुल : मतलब भैया, आप नाराज नहीं हैं ना? बस यही सुनने आया था। आज मैं चेन से सो सकूंगा। कल तो मैं रातभर छत पर खड़े होकर बस आसमां की ओर ही देखता रहा कि कभी गुस्से में ऊपर से फट ना पड़ो… अच्छा चलता हूं। अब ना मिलेंगे…!

गुरुवार, 30 जुलाई 2020

Humor : जब राफेल से मिलने पहुंच गए राहुल, जानिए फिर क्या हुई बातचीत

राफेल राहुल जोक्स, rahul rafel jokes

By Jayjeet
अंबाला। लंबे सफर के बाद एक लंबी नींद। नींद के बाद जैसे ही राफेल ने आंखें खोलीं, उसे सामने एक शख्स नजर आया। चेहरे पर मास्क था। इसलिए पहचानने में थोड़ी दिक्कत हुई। लेकिन राफेल कुछ बोले, उससे पहले ही उसे आवाज सुनाई दी- राफेल भैया, नमस्कार।
अब राफेल को पहचानने में देर ना लगी- अच्छा राहुल भैया आए हैं। और सुनाओ, कैसे आना हुआ।
राहुल : बस भैया, आपका नाम बहुत सुना था, तो सोचा खुद ही मिल आऊं..
राफेल : नाम तो मैंने भी आपका बहुत सुन रखा है।
राहुल : अच्छा! क्या सुन रखा है मेरे बारे में?
राफेल : एक तो यह कि आप सवाल बहुत पूछते हों और सवाल पूछने के चक्कर में आपने एक बार यह सवाल भी पूछ डाला था कि राफेल नडाल पर सरकार इतना खर्च करने क्यों जा रही है?
राहुल : हां, याद आया। वो शुरू में हमारे सलाहकारों ने कुछ कन्फ्यूज कर दिया था। हमें लगा था कि सरकार देश में करोड़ों खर्च कर टेनिस प्लेयर राफेल नडाल को ला रही है। इस सरकार का कुछ भरोसा नहीं...
राफेल : भई, सरकार की तो हम ना जानें, हमें तो फ्रांस सरकार ने कहा कि इंडिया जाना है तो चले आए। पर आप मुझसे मिलने यहां क्यों चले आए?
राहुल : राफेल भैया, सबसे पहले तो हम आपको पोलाइटली क्लियर कर दें कि सवाल पूछने का काम हमारा है। पर आप हमारे मेहमान हैं तो आपके सवाल का जवाब दे देते हैं। हम तो बस ये पूछने आए थे कि आप हमसे नाराज तो नहीं हों?
राफेल : आपसे नाराज क्यों होने लगा भला?
राहुल : मैंने आपका नाम ले-लेकर काफी कुछ बोला हैं ना, इसलिए पूछ रहा हूं।
राफेल : अरे बाबा, मुझे क्या भाजपा के प्रवक्ता या मोदी के मंत्री समझ रखा है जो मैं आपकी हर बात को इतना सीरियसी लूंगा?
राहुल : मतलब भैया, आप नाराज नहीं हैं ना? बस यही सुनने आया था। आज मैं चेन से सो सकूंगा। कल तो मैं रातभर छत पर खड़े होकर बस आसमां की ओर ही देखता रहा कि कहीं गुस्से में ऊपर से फट ना पड़ो... अच्छा चलता हूं। अब ना मिलेंगे...!
#satire #rafale #humor

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Joke & Humor : राफेल के भारत आने से राहुल गांधी क्यों हुए चिंतित?

बुधवार, 29 जुलाई 2020

Satire : हरिशंकर परसाई का क्लासिक व्यंग्य : प्रेमचंद के फटे जूते

हरिशंकर परसाई प्रेमचंद harishankar parsai-premchand



प्रेमचंद का एक चित्र मेरे सामने है, पत्नी के साथ फोटो खिंचा रहे हैं। सिर पर किसी मोटे कपड़े की टोपी, कुरता और धोती पहने हैं। कनपटी चिपकी है, गालों की हड्डियां उभर आई हैं, पर घनी मूंछें चेहरे को भरा-भरा बतलाती हैं।
पांवों में केनवस के जूते हैं, जिनके बंद बेतरतीब बंधे हैं। लापरवाही से उपयोग करने पर बंद के सिरों पर की लोहे की पतरी निकल जाती है और छेदों में बंद डालने में परेशानी होती है। तब बंद कैसे भी कस लिए जाते हैं। दाहिने पांव का जूता ठीक है, मगर बाएं जूते में बड़ा छेद हो गया है जिसमें से अंगुली बाहर निकल आई है।
मेरी दृष्टि इस जूते पर अटक गई है। सोचता हूं – फोटो खिंचवाने की अगर यह पोशाक है, तो पहनने की कैसी होगी? नहीं, इस आदमी की अलग-अलग पोशाकें नहीं होंगी – इसमें पोशाकें बदलने का गुण नहीं है। यह जैसा है, वैसा ही फोटो में खिंच जाता है।
मैं चेहरे की तरफ़ देखता हूं। क्या तुम्हें मालूम है, मेरे साहित्यिक पुरखे कि तुम्हारा जूता फट गया है और अंगुली बाहर दिख रही है? क्या तुम्हें इसका ज़रा भी अहसास नहीं है? ज़रा लज्जा, संकोच या झेंप नहीं है? क्या तुम इतना भी नहीं जानते कि धोती को थोड़ा नीचे खींच लेने से अंगुली ढक सकती है? मगर फिर भी तुम्हारे चेहरे पर बड़ी बेपरवाही, बड़ा विश्वास है! फोटोग्राफर ने जब ‘रेडी-प्लीज़’कहा होगा, तब परंपरा के अनुसार तुमने मुस्कान लाने की कोशिश की होगी, दर्द के गहरे कुएं के तल में कहीं पड़ी मुस्कान को धीरे-धीरे खींचकर ऊपर निकाल रहे होंगे कि बीच में ही क्लिक करके फोटोग्राफर ने ‘थैंक यू’ कह दिया होगा। विचित्र है यह अधूरी मुस्कान। यह मुस्कान नहीं, इसमें उपहास है, व्यंग्य है!
यह कैसा आदमी है, जो खुद तो फटे जूते पहने फोटो खिंचा रहा है, पर किसी पर हंस भी रहा है!
फोटो ही खिंचाना था, तो ठीक जूते पहन लेते या न खिंचाते। फोटो न खिंचाने से क्या बिगड़ता था। शायद पत्नी का आग्रह रहा हो और तुम, ‘अच्छा, चल भई’ कहकर बैठ गए होंगे। मगर यह कितनी बड़ी ‘ट्रेजडी’है कि आदमी के पास फोटो खिंचाने को भी जूता न हो। मैं तुम्हारी यह फोटो देखते-देखते, तुम्हारे क्लेश को अपने भीतर महसूस करके जैसे रो पड़ना चाहता हूं, मगर तुम्हारी आंखों का यह तीखा दर्द भरा व्यंग्य मुझे एकदम रोक देता है।
तुम फोटो का महत्व नहीं समझते। समझते होते, तो किसी से फोटो खिंचाने के लिए जूते मांग लेते। लोग तो मांगे के कोट से वर-दिखाई करते हैं। और मांगे की मोटर से बारात निकालते हैं। फोटो खिंचाने के लिए तो बीवी तक मांग ली जाती है, तुमसे जूते ही मांगते नहीं बने! तुम फोटो का महत्व नहीं जानते। लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए! गंदे-से-गंदे आदमी की फोटो भी खुशबू देती है!
टोपी आठ आने में मिल जाती है और जूते उस ज़माने में भी पांच रुपये से कम में क्या मिलते होंगे। जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियां न्योछावर होती हैं। तुम भी जूते और टोपी के आनुपातिक मूल्य के मारे हुए थे। यह विडंबना मुझे इतनी तीव्रता से पहले कभी नहीं चुभी, जितनी आज चुभ रही है, जब मैं तुम्हारा फटा जूता देख रहा हूं। तुम महान कथाकार, उपन्यास-सम्राट, युग-प्रवर्तक, जाने क्या-क्या कहलाते थे, मगर फोटो में भी तुम्हारा जूता फटा हुआ है!
मेरा जूता भी कोई अच्छा नहीं है। यों ऊपर से अच्छा दिखता है। अंगुली बाहर नहीं निकलती, पर अंगूठे के नीचे तला फट गया है। अंगूठा ज़मीन से घिसता है और पैनी मिट्टी पर कभी रगड़ खाकर लहूलुहान भी हो जाता है। पूरा तला गिर जाएगा, पूरा पंजा छिल जाएगा, मगर अंगुली बाहर नहीं दिखेगी। तुम्हारी अंगुली दिखती है, पर पांव सुरक्षित है। मेरी अंगुली ढकी है, पर पंजा नीचे घिस रहा है। तुम परदे का महत्त्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुर्बान हो रहे हैं!
तुम फटा जूता बड़े ठाठ से पहने हो! मैं ऐसे नहीं पहन सकता। फोटो तो ज़िंदगी भर इस तरह नहीं खिचाऊं, चाहे कोई जीवनी बिना फोटो के ही छाप दे।
तुम्हारी यह व्यंग्य-मुस्कान मेरे हौसले पस्त कर देती है। क्या मतलब है इसका? कौन सी मुस्कान है यह?
क्या होरी का गोदान हो गया?
क्या पूस की रात में नीलगाय हलकू का खेत चर गई?
क्या सुजान भगत का लड़का मर गया, क्योंकि डॉक्टर क्लब छोड़कर नहीं आ सकते?
नहीं, मुझे लगता है माधो औरत के कफ़न के चंदे की शराब पी गया। वही मुस्कान मालूम होती है।
मैं तुम्हारा जूता फिर देखता हूं। कैसे फट गया यह, मेरी जनता के लेखक?
क्या बहुत चक्कर काटते रहे?
क्या बनिये के तगादे से बचने के लिए मील-दो मील का चक्कर लगाकर घर लौटते रहे?
चक्कर लगाने से जूता फटता नहीं है, घिस जाता है। कुंभनदास का जूता भी फतेहपुर सीकरी जाने-आने में घिस गया था। उसे बड़ा पछतावा हुआ। उसने कहा – ‘आवत जात पन्हैया घिस गई, बिसर गयो हरि नाम।’
और ऐसे बुलाकर देने वालों के लिए कहा था—‘जिनके देखे दुख उपजत है, तिनको करबो परै सलाम!’
चलने से जूता घिसता है, फटता नहीं। तुम्हारा जूता कैसे फट गया?
मुझे लगता है, तुम किसी सख्त चीज़ को ठोकर मारते रहे हो। कोई चीज़ जो परत-पर-परत सदियों से जम गई है, उसे शायद तुमने ठोकर मार-मारकर अपना जूता फाड़ लिया। कोई टीला जो रास्ते पर खड़ा हो गया था, उस पर तुमने अपना जूता आज़माया।
तुम उसे बचाकर, उसके बगल से भी तो निकल सकते थे। टीलों से समझौता भी तो हो जाता है। सभी नदियां पहाड़ थोड़े ही फोड़ती हैं, कोई रास्ता बदलकर, घूमकर भी तो चली जाती है।
तुम समझौता कर नहीं सके। क्या तुम्हारी भी वही कमज़ोरी थी, जो होरी को ले डूबी, वही ‘नेम-धरम’वाली कमज़ोरी? ‘नेम-धरम’ उसकी भी ज़ंजीर थी। मगर तुम जिस तरह मुसकरा रहे हो, उससे लगता है कि शायद ‘नेम-धरम’ तुम्हारा बंधन नहीं था, तुम्हारी मुक्ति थी!
तुम्हारी यह पांव की अंगुली मुझे संकेत करती-सी लगती है, जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ़ हाथ की नहीं, पांव की अंगुली से इशारा करते हो?
तुम क्या उसकी तरफ़ इशारा कर रहे हो, जिसे ठोकर मारते-मारते तुमने जूता फाड़ लिया?
मैं समझता हूं। तुम्हारी अंगुली का इशारा भी समझता हूं और यह व्यंग्य-मुस्कान भी समझता हूं।
तुम मुझ पर या हम सभी पर हंस रहे हो, उन पर जो अंगुली छिपाए और तलुआ घिसाए चल रहे हैं, उन पर जो टीले को बरकाकर बाजू से निकल रहे हैं। तुम कह रहे हो – मैंने तो ठोकर मार-मारकर जूता फाड़ लिया, अंगुली बाहर निकल आई, पर पांव बच रहा और मैं चलता रहा, मगर तुम अंगुली को ढांकने की चिंता में तलुवे का नाश कर रहे हो। तुम चलोगे कैसे?
मैं समझता हूं। मैं तुम्हारे फटे जूते की बात समझता हूं, अंगुली का इशारा समझता हूं, तुम्हारी व्यंग्य-मुस्कान समझता हूं!

#premchand #harishankar_parsai  #satire

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Satire : हरिशंकर परसाई के 10 राजनीतिक और सामाजिक Quotes

harishankar parsai हरिशंकर परसाई के व्यंग्य
व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई  के लिखे व्यंग्यों में से 10 राजनीतिक और सामाजिक कोट्स : 

1. मेरे आसपास ‘प्रजातंत्र’ बचाओ के नारे लग रहे हैं। इतने ज्यादा बचाने वाले खड़े हो गए हैं कि अब प्रजातंत्र का बचना मुश्किल दिखता है।

2. मंथन करके लक्ष्मी को निकालने के लिए दानवों को देवों का सहयोग अब नहीं चाहिए। पहले समुद्र- मंथन के वक्त तो उन्हें टेक्निक नहीं आती थी, इसलिए देवताओं का सहयोग लिया। अब वे टेक्निक सीख गए हैं।

3. गणतंत्र ठिठुरते हुए हाथों की तालियों पर टिका है। गणतंत्र को उन्हीं हाथों की ताली मिलती हैं, जिनके पास हाथ छिपाने के लिए गर्म कपड़ा नहीं है।

4. चीन से लड़ने के लिए हमें एक गैर-जिम्मेदारी और बेईमानी की राष्ट्रीय परम्परा की सख्त जरूरत है। चीन अपने पड़ोसी देशों से बेईमानी करता है, तो हमें देश के भीतर ही बेईमानी करने का अभ्यास करना पड़ेगा। तब हम उसका मुकाबला कर सकेंगे।

5. निंदा कुछ लोगों के लिए टॉनिक होती है। हमारी एक पड़ोसन वृद्धा बीमार थी। उठा नहीं जाता था। सहसा किसी ने आकर कहा कि पड़ोसी डॉक्टर साहब की लड़की किसी के साथ भाग गई। बस चाची उठी और दो-चार पड़ोसियों को यह बताने चल पड़ी।

6. अगर पौधे लगाने का शौक है तो उजाड़ू बकरे-बकरियों को कांजीहाउस में डालो। वरना तुम पौधे रोपोगे और ये चरते चले जाएंगे।

7. देश के बुद्धिजीवी शेर हैं,लेकिन वे सियारों की बारात में बैंड बजाते हैं।

8. बेइज्जती में अगर दूसरे को भी शामिल कर लें तो आधी इज्जत बच जाती है।

9. जो लोग पानी छानकर पीते हैं, वे आदमी का खून बिना छाने पी जाते हैं।

10. कुछ लोग खिजाब लगाते हैं। वे बड़े दयनीय होते हैं। बुढ़ापे से हार मानकर, यौवन का ढोंग रचते हैं।

#harishankar_parsai #harishankar_parsai_satire

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मंगलवार, 28 जुलाई 2020

Humor : देवउठनी एकादशी के बाद खत्म हो जाएगी कोरोना की सारी अकड़, एक अदद कोरोनी की तलाश

corona jokes कोरोना जोक्स

By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क, नई दिल्ली। भारत में पिछले छह माह से पूरी ताकत से उधम मचा रहे कोरोना का यह तामझाम देवउठनी एकादशी तक ही रहेगा। उसके बाद उसकी पूरी अकड़ दूर हो जाएगी। कोरोना के पर कुतरने के लिए सरकार ने उस प्लान पर काम करना शुरू कर दिया है जो न केवल भारत, बल्कि दुनियाभर में टेस्टेड रहा है।

कोरोना से लड़ने के लिए तमाम तरह के काढ़े, गिलोय, अश्वगंधा और हाल ही में ईजाद हुए नए तरीके पापड़, इन सबका इस्तेमाल किया जा चुका है। इसके बावजूद कोरोना का रुतबा कम होने का नाम नहीं ले रहा। इसलिए समाज वैज्ञानिकों की सलाह पर सरकार के संस्कृति विभाग ने अब अपने फाइनल प्लान पर काम करना शुरू कर दिया है। इसके तहत हर कार्य में निपुण, सुंदर, सुशील कोरोनी की तलाश शुरू कर दी गई है। जरूरत पड़ने पर भारत और चीन की मेट्रोमोनियल साइट्‌स का सहारा लिया जाएगा। ऐसी कोरोनी मिलते ही देवों के उठने के साथ कोरोना को सात जन्मों के बंधन में बांध दिया जाएगा।

कैसे नाकारा होता जाएगा कोरोना?
- शादी होते ही हम सभी की तरह कोरोना भी हाथ में सब्जी का थैला लिए सब्जी मंडी में भाव करता मिलेगा। फोन आने पर जी-जी करता पाया जाएगा। इससे उसकी वह धार जाती रहेगी जो अभी है।
- हमको बीमार बनाने वाले कोरोना को जैसे ही किसी सेल, जैसे साड़ी सेल आदि की खबर मिलेगी, खुद की तबीयत खराब हो जाएगी, बीपी बढ़ जाया करेगा।
- साल भर के भीतर जूनियर कोरोना के आने के बाद रही-सही कसर भी पूरी हो जाएगी। आधा समय जूनियर कोरोना की नैपी बदलने में निकल जाएगा और इससे उसकी बची-खुची ताकत भी खत्म हो जाएगी। इस तरह कोरोना पूरी तरह से नाकारा हो जाएगा।

#corona #corona_jokes #देवउठनी_एकादशी  #humor #satire

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रविवार, 26 जुलाई 2020

Humor : जब शिवराज सिंह ने कोरोना से कहा - हम नेता तो बच जाएंगे, मुझे आपकी चिंता है

shivraj singh corona शिवराज सिंह चौहान जोक्स

भोपाल। मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी कोरोनावायरस की चपेट में आ गए हैं। पर जैसा कि सभी जानते हैं कि शिवराज जी एक जमीनी नेता हैं और वे किसी से भी कनेक्ट होने का कोई मौका नहीं छोड़ते। तो इलाज के लिए चिरायु हॉस्पिटल के वीआईपी बेड पर बैठे-बैठे उन्होंने कोरोना से ही बात करनी शुरू कर दी।

शिवराज : हमारी संस्कृति मेहमानों का स्वागत करने की रही है। पहले हमने सिंधियाजी के स्वागत में पलक-पावड़े बिछाए, अब आपका स्वागत करने मैं खुद आया हूं।

कोरोना : आप तो हमें शर्मिंदा कर रहे हैं। आप हम जैसे छोटे वायरसों से बात कर रहे हैं, हमारे लिए तो यही बड़ी बात है।

शिवराज : देखिए, हमारे राज में कोई छोटा, कोई बड़ा नहीं है। आप तो कमलनाथ जी के जमाने से मप्र में हो। देख ही रहे हो कि कैसे हमने छोटे से सिंधिया गुट के लोगों को भी हमारे बराबर जगह दी। जितने हमारे मंत्री, उतने ही सिंधियाजी के मंत्री।

कोरोना : जैसा आपके बारे में सुना, बिल्कुल वैसे ही निकले आप। इसीलिए आपसे मिलने चला गया। लेकिन माफी चाहूंगा, इस चक्कर में आपको संकट में डाल दिया।

शिवराज : संकट की चिंता मत कीजिए। जैसा कि मोदीजी ने कहा, हम तो आपदा को अवसर में बदलने वाले लोग हैं। देखा नहीं, हम कैसे कांग्रेस में फंसे आपदाग्रस्त विधायकों को हमारी पार्टी में लाकर उनके लिए अवसर पैदा कर रहे हैं।

कोरोना : मुझे सोशल मीडिया पर पता चला कि लोग आपकी इस बात की निंदा कर रहे हैं कि आप सरकारी हमीदिया हॉस्पिटल में भर्ती होने के बजाय प्राइवेट हॉस्पिटल चिरायु में भर्ती हो गए।

शिवराज : लोगों का काम है कहना। अगर हम हमीदिया में भर्ती होते तो लोग कहते कि देखो गरीबों के लिए बने हॉस्पिटल में भर्ती होकर एक मुख्यमंत्री ने गरीबों का हक मार दिया। हम हमीदिया में जाते तो वहां का स्टॉफ हमारी तिमारदारी में लग जाता, जिससे वहां भर्ती होने वाले गरीब-गुर्गों का प्रॉपर ट्रीटमेंट नहीं हो पाता। उनकी खातिर ही हमने प्राइवेट हॉस्पिटल को चुना।

कोरोना : आप हम जैसे वायरसों के लिए क्या कुछ संदेश देना चाहेंगे?

शिवराज : देखिए, मैं इस प्रदेश का मुख्यमंत्री हूं और इसलिए मुझे सबकी चिंता होनी चाहिए। आप जिस तरह से नेताओं में घुसपैठ कर रहे हैं, उससे मुझे आप लोगों की चिंता हो रही है। हम नेताओं की जितनी चमड़ी मोटी होती है, उतनी ही मोटी इम्युनिटी भी। हम तो आप लोगों को झेल जाएंगे। पर आप हमें झेल पाओगे, इसको लेकर मुझे डाउट है।

कोरोना : जी बिल्कुल, हमसे ये गलती तो हो रही है। अब मैं आपको राज की एक बात बताता हूं। जब हम चीन से चले थे तो हमें एक गाइडलाइन दी गई थी। इसमें हमसे कहा गया था कि हम भारत में नेताओं से दूर ही रहे। पर गाइडलाइन तो होती ही है ना तोड़ने के लिए। तो हमने भी तोड़ दी...

शिवराज : बिल्कुल, वैसे ही जैसे हमारे यहां के लोग भी तुमसे बचने के लिए बनाई गई गाइडलाइन की धज्जियां उड़ा रहे हैं। अच्छा, जरा मैं आराम कर लूं, फिर फुर्सत में बात करेंगे...

#shivraj_singh  #humor #satire #corona

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शनिवार, 25 जुलाई 2020

Jokes : लॉकडाउन पर दिल को गुदगुदाने वाले मजेदार जोक्स

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#lockdown_jokes #lockdown

Special Interview : पौधे की मुंहफट, इंसान को दिखाया आईना


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By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क। कोने में कई पौधे पड़े-पड़े मुस्करा रहे थे। हमने इंटरव्यू के लिए ऐसे ही एक पौधे से रिक्वेस्ट की। पहले तो बिजी होने का बहाना मारा, पर फिर राजी हो गया। पेश है बातचीत के खास अंश :

रिपोर्टर : बड़े मुस्कुरा रहे हों? कोई अच्छी वजह?

पौधा : आप लोगों के अच्छे दिन आए या न आए, हमारे तो आ गए महाराज। मानसून जो आ गया। अब हर जगह हमारी पूछ-परख बढ़ गई है। हमारे नाम पर तो कई कैम्पेन भी शुरू गए हैं। क्या नेता, क्या अफसर, सब हमारा ही नाम जप रहे हैं।

रिपोर्टर : कौन-सी प्रजाति के पौधे हैं आप?

पौधा : अरे यार, ये जाति-वाति का रोग तो हमारे यहां मत फैलाओ। हम किसी भी जाति के हो, धर्म एक है वातावरण को खुशगवार बनाना, न कि तनाव पैदा करना, जैसे धर्म के नाम पर तुम्हारे यहां होता है।


रिपोर्टर : चलिए, प्रजाति छोड़ते हैं। फल तो लगेंगे ना आपमें?

पौधा : फिर इंसानों टाइप की ओछी बात कर दी ना आपने। हम फलों की चिंता भी नहीं करते। आप ही लोग करते हों। देख लो ना, कैसे मप्र, राजस्थान में आपके नेता लोग ‘फल’ की इच्छा में इधर से उधर हो रहे हैं।


रिपोर्टर : अच्छा, इस समय तो आपको लोग खूब हाथों-हाथ ले रहे हैं।

पौधा (एटिट्यूड में) : ये तो है। पर कभी-कभी क्या होता है कि हमारे सामने इतने लोग आ जाते हैं कि जब अगले दिन अखबार में तस्वीर छपती है तो उसमें बस मैं ही नहीं होता। पीछे छिप जाता हूं।


रिपोर्टर : आप अपना भविष्य कैसे देखते हैं?

पौधा : वैसे तो हम वर्तमान में ही खुश रहने वाले सजीव हैं। पर अपने पुरखों के साथ जिस तरह से हादसे हुए, उनसे भविष्य को लेकर जरूर थोड़ा-थोड़ा डर भी लगता है।


रिपोर्टर : क्यों, पुरखों के साथ क्या हुआ?

पौधा : अब आप बनने की कोशिश तो मत कीजिए। आप लोग ही तो हो जिम्मेदार हों। रोप भर देते हों। फोटो-वोटो, सेल्फी-वेल्फी के बाद फिर भगवान भरोसे छोड़ देते हों। पनप भी गए तो आठ-दस साल बाद कभी सड़क के लिए, कभी मेट्रो के लिए तो कभी किसी भवन के लिए हमारी बलि ले लेते हों।


रिपोर्टर : तो हम इंसानों को क्या संदेश देना चाहेंगे?

पौधा : यही कि भैया, हमारी चिंता भले मत करो। अपनी ही कर लो। इंसान तो बड़ा स्वार्थी है। तो अपना स्वार्थ समझकर ही कर लो। हम न रहेंगे, तो आप भी न रहोंगे, समझ लेना।


रिपोर्टर : बस आखिरी सवाल।

पौधा : अब भैया बस करो। उधर नेताजी और उनके छर्रे आ गए हैं। फोटोग्राफर इशारा कर रहा है। मैं चलता हूं। नमस्कार।