By Jayjeet
अंबाला। लंबे सफर के बाद एक लंबी नींद। नींद के बाद जैसे ही राफेल ने आंखें खोलीं, उसे सामने एक शख्स नजर आया। चेहरे पर मास्क था। इसलिए पहचानने में थोड़ी दिक्कत हुई। लेकिन राफेल कुछ बोले, उससे पहले ही उसे आवाज सुनाई दी- राफेल भैया, नमस्कार।
अब राफेल को पहचानने में देर ना लगी- अच्छा राहुल भैया आए हैं। और सुनाओ, कैसे आना हुआ।
राहुल : बस भैया, आपका नाम बहुत सुना था, तो सोचा खुद ही मिल आऊं..
राफेल : नाम तो मैंने भी आपका बहुत सुन रखा है।
राहुल : अच्छा! क्या सुन रखा है मेरे बारे में?
राफेल : एक तो यह कि आप सवाल बहुत पूछते हों और सवाल पूछने के चक्कर में आपने एक बार यह सवाल भी पूछ डाला था कि राफेल नडाल पर सरकार इतना खर्च करने क्यों जा रही है?
राहुल : हां, याद आया। वो शुरू में हमारे सलाहकारों ने कुछ कन्फ्यूज कर दिया था। हमें लगा था कि सरकार देश में करोड़ों खर्च कर टेनिस प्लेयर राफेल नडाल को ला रही है। इस सरकार का कुछ भरोसा नहीं...
राफेल : भई, सरकार की तो हम ना जानें, हमें तो फ्रांस सरकार ने कहा कि इंडिया जाना है तो चले आए। पर आप मुझसे मिलने यहां क्यों चले आए?
राहुल : राफेल भैया, सबसे पहले तो हम आपको पोलाइटली क्लियर कर दें कि सवाल पूछने का काम हमारा है। पर आप हमारे मेहमान हैं तो आपके सवाल का जवाब दे देते हैं। हम तो बस ये पूछने आए थे कि आप हमसे नाराज तो नहीं हों?
राफेल : आपसे नाराज क्यों होने लगा भला?
राहुल : मैंने आपका नाम ले-लेकर काफी कुछ बोला हैं ना, इसलिए पूछ रहा हूं।
राफेल : अरे बाबा, मुझे क्या भाजपा के प्रवक्ता या मोदी के मंत्री समझ रखा है जो मैं आपकी हर बात को इतना सीरियसी लूंगा?
राहुल : मतलब भैया, आप नाराज नहीं हैं ना? बस यही सुनने आया था। आज मैं चेन से सो सकूंगा। कल तो मैं रातभर छत पर खड़े होकर बस आसमां की ओर ही देखता रहा कि कहीं गुस्से में ऊपर से फट ना पड़ो... अच्छा चलता हूं। अब ना मिलेंगे...!
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