By Jayjeet
वह पिस्तौल सैनेटाइजेशन के बाद कोने में पड़ी सुस्ता रही थी, जिसे छीनकर गैंगस्टर विकास दुबे भागा था। इतना बड़ा कांड हो जाने के बाद भी पिस्तौल की सुरक्षा में एक भी सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं था। तो मौका देखकर यह जांबाज रिपोर्टर भी तुरंत पिस्तौल के पास पहुंच गया।
रिपोर्टर : राम राम पिस्तौल जी।
पिस्तौल : राम राम भैया, यहां क्या करने आए हो?
पिस्तौल : राम राम भैया, यहां क्या करने आए हो?
रिपोर्टर : आपका खास इंटरव्यू करने आए हैं।
पिस्तौल : क्यों? हमने ऐसा क्या तीर मार दिया, जो इंटरव्यू करने आ धमके?
पिस्तौल : क्यों? हमने ऐसा क्या तीर मार दिया, जो इंटरव्यू करने आ धमके?
रिपोर्टर : अरे, आपकी वजह से तो वह दुर्दांत गैंगस्टर मारा गया?
पिस्तौल : कौन? हमें ना याद आ रहा।
पिस्तौल : कौन? हमें ना याद आ रहा।
रिपोर्टर : अरे, वही विकासवा... भूल गई इतनी जल्दी?
(पिस्तौल को शायद याद आया कि उसे भी तो कहानी में चरित्र अभिनेत्री का रोल करने को कहा गया था। पर वह भूल गई थी। तो सपकपाकर बोली, हां हां याद आया। )
रिपोर्टर : भूल कैसे गई थी आप?
पिस्तौल : अब क्या है कि इतनी कहानियों में हम भाग ले चुकी हैं कि कई बार भूल जाती हैं कि हमसे किस कहानी के बारे में पूछा जा रहा है।
पिस्तौल : अब क्या है कि इतनी कहानियों में हम भाग ले चुकी हैं कि कई बार भूल जाती हैं कि हमसे किस कहानी के बारे में पूछा जा रहा है।
रिपोर्टर : तो कैसा लग रहा है आपको?
पिस्तौल : बहुत अच्छा लग रहा है। हम भी इस देश-दुनिया के काम आई,अच्छा क्यों ना लगेगा?
पिस्तौल : बहुत अच्छा लग रहा है। हम भी इस देश-दुनिया के काम आई,अच्छा क्यों ना लगेगा?
रिपोर्टर : नहीं, मतलब जब वह विकासवा आपको लेकर भाग रहा था तो उस समय क्या फील हो रहा था? थोड़ा डिटेल में बताइए ना।
पिस्तौल : तुम तो ऐसे पूछ रहे हो जैसे हम कोई छोकरिया है। तुम यह जानना चाहते हों कि जब वह हमें भगाकर ले जा रहा तो उस समय हम कैसा फील कर रही थी? तुम पत्रकार लोग कभी सुधरगो?
पिस्तौल : तुम तो ऐसे पूछ रहे हो जैसे हम कोई छोकरिया है। तुम यह जानना चाहते हों कि जब वह हमें भगाकर ले जा रहा तो उस समय हम कैसा फील कर रही थी? तुम पत्रकार लोग कभी सुधरगो?
रिपोर्टर : हम तो बस अपने रीडर्स के हिसाब से पूछ रहे थे। नहीं तो हमको क्या मतलब। फिर भी थोड़ा सिक्वेंस तो बताइए कि कैसे छीना और क्या-क्या हुआ?
पिस्तौल : भई, हमसे मुंह मत खुलवाओ। बाकी का तो कुछ नहीं होगा, पर अगर पता चल गया कि कोई हमारे साथ जबरदस्ती कर रहा है, मतलब जबरन में हमारा मुंह खुलवाने का प्रयास कर रहा है तो कहीं तुम्हारा एनकाउंटर ना हो जाए।
पिस्तौल : भई, हमसे मुंह मत खुलवाओ। बाकी का तो कुछ नहीं होगा, पर अगर पता चल गया कि कोई हमारे साथ जबरदस्ती कर रहा है, मतलब जबरन में हमारा मुंह खुलवाने का प्रयास कर रहा है तो कहीं तुम्हारा एनकाउंटर ना हो जाए।
रिपोर्टर : हमारा क्यों होगा? हम क्या कोई गैंगस्टर है?
पिस्तौल : तो तुम्हें क्या लगता है, सब एनकाउंटर गैंगस्टर के ही होते हैं?
पिस्तौल : तो तुम्हें क्या लगता है, सब एनकाउंटर गैंगस्टर के ही होते हैं?
रिपोर्टर : तुम हमें डरा रही हो। पर चलने से पहले एक आखिरी सवाल - हर बार कहानी में तुम्हारा ही अपहरण क्यों करवाया जाता है?
पिस्तौल : भई, यह तो स्क्रिप्ट राइटर्स से पूछो। हमारा काम एक्टिंग करना होता है तो हम वही करती है। बस, दुख इसी बात का होता है कि अब भी ये लोग हमें हीरोइन का दर्जा ये नहीं दे पाए हैं। बस, चरित्र अभिनेत्री ही मानकर चलते हैं। अच्छा भैया आप खिसक लो, फिर समझा रही हूं।
पिस्तौल : भई, यह तो स्क्रिप्ट राइटर्स से पूछो। हमारा काम एक्टिंग करना होता है तो हम वही करती है। बस, दुख इसी बात का होता है कि अब भी ये लोग हमें हीरोइन का दर्जा ये नहीं दे पाए हैं। बस, चरित्र अभिनेत्री ही मानकर चलते हैं। अच्छा भैया आप खिसक लो, फिर समझा रही हूं।
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