शुक्रवार, 6 अप्रैल 2018

Humor : सलमान को सजा की खबर सबसे पहले किसने ब्रेक की, कोर्ट कल से करेगी सुनवाई

salman khan jokes सलमान खान जोक्स


हिंदी सटायर डेस्क। हिरण शिकार मामले में सलमान खान को 5 साल की सजा हो गई है। लेकिन अब टीवी चैनल इस बात में उलझे हुए हैं कि यह खबर सबसे पहले किसने दिखाई। यह तय करने के लिए कोर्ट कल से इस मामले की सुनवाई शुरू करेगा।

सलमान को सजा की घोषणा होते ही सभी चैनल हमेशा की तरह ब्रेकिंग न्यूज के चक्कर में इतने ज्यादा ज्यादा पगला गए कि इस अफरातफरी में चार चैनलों के रिपोर्टर्स और एक कैमरामैन के सिर भी फूट गए। इसको देखते हु विश्नोई समाज के वकीलों ने कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि कोर्ट को पहले इस बात का निपटारा कर लेना चाहिए कि आखिर खबर ब्रेक किसने की। हिरण न्याय के लिए वेट कर सकते हैं।

इस बीच, सूत्रों ने बताया कि सलमान खान के वकीलों ने भी कहा है कि कोर्ट पहले यह तय कर लें कि खबर किसने ब्रेक की। जमानत अर्जी पर तो सुनवाई बाद में भी हो जाएगी। सलमान भाई दो-चार दिन जेल की रोटियां खा भी लेंगे तो कुछ नहीं बिगड़ेगा। लेकिन अगर यह तय नहीं हो पाएगा कि सलमान की खबर ब्रेक किसने की तो राष्ट्रीय संकट पैदा हो सकता है।

इस बीच, इंडिया टीवी के वकील ने दावा किया है कि नतीजा उनके पक्ष में ही आएगा, क्योंकि भले ही चैनल ने सलमान को 2 साल की सजा मिलने की गलत खबर चलाई, लेकिन सबसे पहले चलाई तो उन्होंने ही। बाकी चैनलों ने ऐसा नहीं किया तो इसमें इंडिया टीवी की क्या गलती?

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बुधवार, 24 जनवरी 2018

Humor : करणी सेना की धमकी के बाद ‘हिम्मतवाला’ और ‘हमशकल्स’ के पोस्टर्स की मांग बढ़ी, जानिए क्यों?

padmavat karni sena


हिंदी सटायर डेस्क। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 25 जनवरी को देशभर में पद्मावती उर्फ पद्मावत को रिलीज करने की अनुमति देने और करणी-सेना की धमकियों के बाद अचानक से साजिद खान की दो फिल्मों – हिम्मतवाला और हमशकल्स के पोस्टर्स की मांग बढ़ गई है। यह मांग देशभर के सिनेमाघरों की ओर से आई है। इससे करणी सेना के सैनिकों में भी अफरातफरी का आलम है। कई करणी सैनिकों ने पोस्टर्स की मांग को देखते हुए सिनेमाघरों पर हमला करने वाली लिस्ट में से अपने नाम कटवा लिए हैं।

हिम्मतवाला और हमशकल्स के पोस्टर्स की क्यों बढ़ी मांग?

हिंदी सटायर की टीम ने इस पूरे मामले की पड़ताल की तो मजेदार कारण सामने आया। दरअसल, करणी सेना ने धमकी दी है कि अगर सिनेमाघरों में पद्मावत मूवी चलाई गई तो उन्हें इसके नतीजे भुगतने होंगे। चूंकि सिनेमाघर के मालिक इतनी बड़ी कमाई वाली मूवी को चलाने का लोभ छोड़ना नहीं चाहते। इसलिए उन्होंने करणी सेना के लोगों को डराने के लिए यह चाल चली है। इसके तहत सभी सिनेमाघरों के बाहर हिम्मतवाला या हमशकल्स मूवीज के पोस्टर लगा दिए जाएंगे। सिनेमाघर के मालिकों को उम्मीद है कि इन पोस्टर्स को देखकर करणी सेना वालों को लगेगा कि सिनेमाघरों में हिम्मतवाला या हमशकल्स चल रही है। इससे वे इस डर से थिएटरों के सामने फटकेंगे भी नहीं कि क्या पता उन्हें ये मूवी देखने के लिए बिठा लिया जाए और आधी मूवी के दौरान ही उन्हें जौहर करना पड़े। जैसे भी हैं, आखिर वे भी इंसान ही हैं।

करणी-सेना ने क्या कहा?

सिनेमाघरों की इस नई चाल से करणी सेना डिफेंसिव मूड में आ गई है। करणी सेना के एक प्रवक्ता ने कहा – “सिनेमाघरों के मालिक हिम्मतवाला/हमशकल्स के पोस्टर लगाने की प्लानिंग करके नीचता पर उतर आए हैं। उन्हें पता है कि हमारे लोग अब सिनेमाघरों के आसपास फटकेंगे भी नहीं। लेकिन इसका बदला हम अगली किसी फिल्म के समय लेंगे। देखते हैं पोस्टर्स कब तक उनकी रक्षा करते हैं।” इतना कहते ही प्रवक्ता यह कहते हुए भाग निकला कि है मैया पद्मिनी, हमें इन पोस्टर्स को सहन करने की शक्ति देना।

 #Karni-Sena  #padmavat #satire

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बुधवार, 20 दिसंबर 2017

Funny : राहुल के कांग्रेस का अध्यक्ष बनने से बदल जाएंगी ये 5 चीजें, आप भी जानिए


By A. Jayjeet

नई दिल्ली। राहुल गांधी ने शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष का कार्यभार संभाल लिया। इसके साथ ही कांग्रेस में राहुल युग की शुरुआत हो गई। ह्यूमर वर्ल्ड के राजनीतिक विश्लेषक बेचैन ढींगामस्ती ने अपना विश्लेषण कर बताया कि राहुल के आने के बाद कांग्रेस में क्या 5 चीजें बदल जाएंगी। आप भी पढ़िए :

1. कांग्रेस पिछले 19 साल से जिन पादुकाओं को पूजते आए थे, उनका आकार बदल जाएगा। सोनिया गांधी 7 नंबर की पादुका पहनती हैं। राहुल गांधी 8 नंबर की पादुका पहनते हैं। तो इस तरह पादुका का एक नंबर बढ़ जाएगा। कांग्रेसियों को पादुका और भी स्पष्ट नजर आएगी। ताे पूजा करने में और भी आसानी रहेगी।

2. पहले नियम था – ‘अगर कांग्रेस कोई भी चुनाव जीतेगी को उसका श्रेय सोनिया गांधी और राहुल गांधी को दिया जाएगा, हार का श्रेय अन्य नेताओं व सामान्य कार्यकर्ताओं को।’ अब नियम बदलकर इस तरह हो जाएगा – ‘अगर कांग्रेस कोई भी चुनाव जीतेगी को उसका श्रेय राहुल गांधी और सोनिया गांधी को दिया जाएगा, हार का श्रेय अन्य नेताओं व सामान्य कार्यकर्ताओं को।’

3. राहुल गांधी अब युवा से वरिष्ठ नेता बन जाएंगे। कांग्रेस के संविधान के तहत एक नियम पारित होगा जिसके अनुसार राहुल को अब ‘राहुल भैया’ की जगह ‘राहुल बड़े भैया’ कहा जाएगा।

4. उन्नीस साल पहले सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस के संविधान में ‘चम्मच’ शब्द को ‘स्पून’ किया गया था क्योंकि उन्हें ‘चम्मच’ को प्रोनाउंस करने में दिक्कत होती थी। अब राहुल के हिंदी में कंफर्टेबल होने के कारण ‘स्पून’ को फिर से ‘चम्मच’ कर दिया जाएगा।

5. कांग्रेस में ‘राहुल ब्रिगेड’ का नाम बदलकर ‘राहुल फायर ब्रिगेड’ रख दिया जाएगा। यह ब्रिगेड बीजेपियों द्वारा लगाई गई आग को देशभर में घूम-घूमकर बुझाने का काम करेगी।

#congress #satire_congress #rahul_funny #sonia_gandhi


रविवार, 10 दिसंबर 2017

Humor : मणिशंकर को कांग्रेस ने पार्टी से निकाला, फूट-फूटकर रो रहे हैं अमित शाह

mani shankar said modi Neech


By A. Jayjeet

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद मोदी को ‘नीच’ कहकर उनका अपमान करने वाले मणिशंकर अय्यर को कांग्रेस ने पार्टी से बाहर क्या निकाला, बीजेपी की सांसें फूल गई हैं। बताया जा रहा है कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह तो कल रात से ही रोए जा रहे हैं। मोदी भी उन्हें ढांढस बनाने पहुंचे और कहा कि कोई बात नहीं, हम दूसरा ‘मणिशंकर’ ढूंढ लेंगे।

कांग्रेस के (पूर्व) फ्रीलांसर नेता मणिशंकर (Mani-Shankar) ने गुरुवार को प्रधानमंत्री के बारे में कहा था, ‘यह आदमी नीच किस्म का है। इसमें सभ्यता नहीं है।’ मणिशंकर अय्यर की जुबान पर गोपनीय रूप से सेंसर लगाए बैठी बीजेपी की आईटी टीम तक जैसे ही ये शब्द पहुंचे, उन्होंने इन्हें अमित शाह तक ट्रांसफर कर दिया। सूत्र ने बताया कि अमितजी ये सुनते ही उछल पड़े। मन ही मन बड़बड़ाए- वाह बेटा, क्या गोल मारा! फिर उन्होंने सूरत में सभा करने जा रहे मोदी को फोन लगाकर कहा – नरेंद्र भाई, अय्यर फिर फूट पड़ा है। इसके बाद उन्होंने मोदी को अय्यर का वह पूरा बयान सुनाया। उधर से मोदीजी का जवाब आया- वेल डन। लगे रहो अमित भाई।

ज्यादा अंडों के चक्कर मुर्गी ही मार डाली…
Mani-Shankar के इस बयान पर मोदी सहित बीजेपी ने इतनी हाय-तौबा मचाई कि कांग्रेस बैकफुट पर आ गई। राहुल गांधी ने पहले मणिशंकर अय्यर को माफी मांगने को कहा। फिर बाद में देर रात को उन्हें पार्टी से निकाल दिया। अय्यर को कांग्रेस से बाहर निकाले जाने की खबर जैसे ही बीजेपी को मिली, पार्टी की जान हलक में आ गई। अमित शाह तो जैसे सदमे में चले गए। पार्टी दफ्तर में जाकर पहले धीरे-धीरे और फिर फूट-फूटकर रोने लगे। बार-बार एक ही बात बोले जा रहे थे- हाय, हमने ये क्या कर  डाला। सोने के ज्यादा अंडोें के लालच में पूरी मुर्गी ही हलाक करवा दी। अब अगले चुनाव कैसे जीतेंगे?

मोदी भी तुरंत बीजेपी ऑफिस पहुंचे, अमित शाह को ढांढस बंधाया…
अमित शाह के इस तरह सदमे में पहुंचने की खबर मिलते ही मोदी भी देर रात को ही पार्टी दफ्तर पहुंचे। उन्होंंने अमित शाह का मन हलका करने के लिए कहा कि गलती मेरी ही है। मैंने ही जबरदस्ती मामले तो ज्यादा तूल दे दिया। अमित शाह फिर भी नहीं रुके तो मोदी ने कहा, “चुप हो जा अमित, मैं खुद कांग्रेस के पास जाकर माफी मांग लूंगा और उनसे कहूंगा कि गलती किससे नहीं होती। हमसे भी हो गई। वे मणिशंकर को वापस रख लेंगे।” फिर उत्साह बढ़ाते हुए कहा, “और वापस नहीं लिया तो भी कोई बात नहीं। हम कांग्रेस में ही कोई दूसरा मणिशंकर ढूंढ लेंगे। वहां कोई कमी है क्या?”

#ManiShankar #AmitShah #Political_satire #satire #Humor

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शुक्रवार, 24 नवंबर 2017

Funny : कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव : हर कांग्रेसी से पूछे जाएंगे ये 5 सवाल

rahul gandhi funny


By Jayjeet
नई दिल्ली। कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। कांग्रेस ने दावा किया है कि हम राहुलजी को पूरे लोकतांत्रिक तरीके से चुनकर अपने उन आलोचकों को मुंहतोड़ जवाब देंगे, जो पार्टी पर वंशवाद का आरोप लगाते आए हैं।

कांग्रेस कार्यसमिति ने सोमवार की देर रात को चुनाव कार्यक्रम की मंजूरी दी थी। इसका मकसद राहुल गांधी की ताजपोशी करना है। लेकिन कांग्रेस ने भाजपा के वंशवाद संबंधी आरोपों का अच्छे से जवाब देने की तैयारी भी कर ली है। इसलिए कांग्रेस कार्यसमिति ने चुनावों को लोकतांत्रिक बनाने के लिए कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ी है।


ये रहे वे 5 सवाल :
कांग्रेस कार्यसमिति ने चुनावों को लोकतांत्रिक स्वरूप देने के लिए एक स्पेशल फॉर्म छपवाया है। हर सदस्य को इसमें अपने मन से राय देने की स्वतंत्रता रहेगी। इसमें कांग्रेस हाईकमान का कोई दबाव नहीं रहेगा। पार्टी का दावा है कि दुनिया में किसी भी अध्यक्ष के चुनाव से पहले इतनी लोकतांत्रिक प्रक्रिया किसी ने नहीं अपनाई होगी। hindisatire ने अपने सोर्सेस से इस फॉर्म की एक कॉपी जुगाड़ी है जो हम रीडर्स के सामने में भी पेश कर रहे हैं।

फॉर्म में इन 5 सवालों पर कांग्रेसियों से राय मांगी जाएगी :

1. राहुलजी के नेतृत्व में आप कितना विश्वास करते हैं?
A .100 फीसदी
B. 100 परसेंट

2. क्या आपको लगता है कि राहुलजी की लीडरशिप में कांग्रेस आगे बढ़ेगी?
A . हां, बिल्कुल। कोई शक?
B. जी, जरूर। बेशक।

3. कांग्रेस का अध्यक्ष चुने जाने के बाद भी क्या आप राहुलजी के नाम के आगे “बाबा” संबोधन चाहते हैं?
A. जैसा राहुलजी चाहें
B. राहुलजी जैसा चाहें

4. राहुलजी के अध्यक्ष बनने के बाद आगामी चुनावों में हार के लिए जिम्मेदार कौन होगा?
A. मैं यानी आम कांग्रेसी
B. आम मतदाता

5. राहुलजी के अध्यक्ष बनने के बाद उनके प्रिय पिडीजी से आप क्या चाहेंगे?
A. दुम हिलाने की ट्रेनिंग
B. तलवे चाटने की ट्रेनिंग

#rahul_gandhi #congress_president #congress_election

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मंगलवार, 26 सितंबर 2017

Satire : अमेरिका से भारत लौटे राहुल, कांग्रेसियों और भाजपाइयों दोनों की आंखों में आंसू


rahul gandhi funny photo राहुल गांधी फनी फोटो

नई दिल्ली। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अमेरिका की 14 दिन की यात्रा से वापस इंडिया लौट आए हैं। लेकिन उनके लौटने पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों के तमाम नेताओं की आंसों में आंसू नजर आ रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक तमाम कांग्रेसी नेता एक स्वर में जोर-जोर से कह रहे हैं, “ये गम के आंसू बिल्कुल नहीं हैं। राहुलजी के लौटने की खुशी में हमारी आंखें भर आईं।”

इस पर भाजपा के प्रवक्ता सांबित पात्रा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “सारे कांग्रेसी साफ झूठ बोल रहे हैं। ये गम के आंसू हैं। अब उन्हें इस बात की चिंता सता रही हैं कि राहुल बाबा के आने से गुजरात का क्या होगा?” गौरतलब है कि अगले तीन माह में गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं और 25 सितंबर को राहुल वहां चुनाव प्रचार का आगाज करेंगे।

सांबित से यह पूछे जाने पर कि आपकी खुद की आंखों में आंसू क्यों हैं, उन्होंने अपनी खुशी छिपाते हुए और अपने लड्‌डू भरे हाथों से आंसू पोंछते हुए कहा, “ये तो बस यूं ही। राहुलजी के लौटने से हमें भी तो खुशी है।”

#rahul_gandhi_jokes #Congress #satire #humor

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रविवार, 20 अगस्त 2017

Satire : राहुल को अध्यक्ष बनवाने के लिए अमित शाह ने कसी कमर


rahul gandhi with amit shah  राहुल गांधी अमित शाह व्यंग्य

नई दिल्ली/भोपाल। अगले लोकसभा चुनावों में भाजपा के मिशन 360 (Bjp Mission 2019) पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अभी से काम करना शुरू कर दिया है। इसके तहत वे अगले तीन महीनों के दौरान देशभर का दौरा कर राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनवाने के लिए जी-जोड़ लॉबिंग करेंगे।

तीन दिवसीय दौरे पर भोपाल पहुंचे अमित शाह के इस गेम प्लान का खुलासा hindisatire ने किया है। शाह के एक करीबी सूत्र की मानें तो उन्होंने तीन माह का राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम इसीलिए बनाया है ताकि जल्दी से जल्दी कांग्रेस राहुल के हाथों में दी जा सके। अमित शाह का स्पष्ट मानना है कि इसके बगैर भाजपा का 360 सीटें जीतने का टारगेट पूरा नहीं किया जा सकता।

दोपहर में भाजपा की मीटिंग, असली काम रात को …
सूत्र के अनुसार अमित शाह दोपहर में भाजपा नेताओं और मंत्रियों की बैठकें लेते हैं, लेकिन ये सब दिखावे के लिए होता है। उनका असली काम रात को शुरू होता है। वे रात को भेष बदलकर कांग्रेसियों से मिलते हैं और उन्हें यह समझाने की कोशिश करते हैं कि राहुल गांधी का कांग्रेस अध्यक्ष बनना देशहित में क्यों जरूरी है (भाजपाई पढ़ें - भाजपा हित)।

‘राहुल लाओ, देश बचाओ’ कैम्पेन भी शुरू करवाने का प्लान…
कांग्रेसियों को इमोशनल ब्लैकमेल करने के मकसद से भाजपा अध्यक्ष “राहुल लाओ देश बचाओ” नाम से एक कैम्पेन भी शुरू करवाने की प्लानिंग कर रहे हैं। हालांकि इसे कांग्रेसियों द्वारा ही शुरू करवाएंगे, लेकिन इसके लिए फंडिंग का काम भाजपा करेगी। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को विश्वास है कि इस कैम्पेन से देश बचे या न बचे, मोदीजी फिर से दूसरी बार सत्ता में जरूर आ जाएंगे, वह भी बड़ी आसानी से।

गुरुवार, 2 मार्च 2017

Humor : कटप्पा की तलाश में निकले UP के बाहुबली, अफवाह फैलाने से नाराज

katappa कटप्पा बाहुबलि


By Jayjeet

लखनऊ। यूपी के बाहुबली इन दिनों कटप्पा की तलाश में हैं। वे उसे पकड़कर जानना चाहते हैं कि आखिर यह अफवाह फैलाने की हिम्मत कैसे कर ली कि उसने बाहुबली को मारा है। सभी राजनीतिक दल भी इसे राज्य की अस्मिता से जुड़ा मुद्दा मानकर इस मामले में बाहुबलियों को मॉरल सपोर्ट दे रहे हैं।

बाहुबलियों के खेमों से आ रही खबरों के अनुसार चुनाव के इस मौसम में लोगों के दिमाग से जाले साफ करना जरूरी है कि कोई बाहुबली नहीं मरा है। सब के सब जिंदा हैं। एक बाहुबली के प्रवक्ता ने यूएस मेड पिस्टल जेब में रखते हुए कहा, “भाई जान अब तक चुप बैठे थे तो इसका मतलब यह नहीं कि कोई कुछ भी बके जाए और हम सुनते रहे। कोई बाहुबली को नहीं मार सकता। उस BIP BIP कटप्पा की क्या औकात। उसकी तो ###%%&$$$…, उसे बताते हैं हम…”

बाहुबली के मुद्दे पर सभी पार्टिंयां एकमत :


बाहुबली के मामले में सभी पार्टियों की एक राय हैं। सभी का कहना है कि बाहुबली वाला इश्यू उत्तरप्रदेश की अस्मिता से जुड़ा एक अहम मुद्दा है। ऐसे में कटप्पा को ढूंढने के मामले में हमारा मॉरल सपोर्ट बाहुबलियों को मिलता रहेगा। सभी पार्टियां यह वादा भी कर रही हैं कि उनके सत्ता में आने पर वे बाहुबली को मारने जैसी गिरी हुई अफवाह फैलाने के मामले की CBI से जांच भी करवाएंगी।

कटप्पा ने मांगी चंद्रबाबू से सुरक्षा :
इस बीच, बाहुबलियों की इस गर्जना के बाद से ही कटप्पा भूमिगत बताए जा रहे हैं। उन्होंने आंधप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से उन्हें सुरक्षा मुहैया करवाने का अनुरोध किया है। कटप्पा ने एक E-mail करके कहा, “उप्र के बाहुबलियों के बारे में पहले मुझे किसी ने कुछ नहीं बताया। मैं तो राजमौली की बातों में आ गया। अब आप ही बाहुबलियों के साथ चर्चा करके बीच का रास्ता निकालिए और मुझे बचाइए। मैं गरीब बेमतलब में मारा जाऊंगा। ”

#UP_politics #bahubali #satire #humor

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रविवार, 15 जनवरी 2017

Humor : जमानत बचाने में समर्थ लोगों को ही टिकट देगी Congress, पार्टी ने की 10 सीटों की पहचान

congress-rahul


नई दिल्ली/लखनऊ। उप्र में उम्मीदवारों के चयन को लेकर congress ने भी तैयारियां शुरू कर दी है। पार्टी हाईकमान ने साफ कर दिया है कि वह केवल उन्हीं लोगों को टिकट देगी जो अपने दम पर जमानत बचाने में सक्षम होंगे।

कांग्रेस से जुड़े सूत्रों के अनुसार पार्टी ने एेसी सीटों की तलाश शुरू कर दी है जहां उसके उम्मीदवार आसानी से जमानत बचा सकें। पार्टी ने हाल ही में एक सर्वे करवाया है जिसके अनुसार राज्य में पार्टी के पास अब भी ऐसी 10 सीटें हैं जहां उसके उम्मीदवार आसानी से जमानत बचा सकते हैं। इस सर्वे ने पार्टी कार्यकर्ताओं में नई जान फूंक दी है।

सूत्रों के अनुसार पिछले सप्ताह अखिलेश यादव से मुलाकात के दौरान भी पार्टी के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने साफ कर दिया था कि गठबंधन की स्थिति में पार्टी इन 10 सीटों पर कोई कॉम्प्रोमाइज नहीं करेगी। यहां पर वे अपने उम्मीदवार जरूरत उतारेगी।

इस बीच, प्रशांत किशोर ने पार्टी आलाकमान से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि इन सीटों पर राहुल गांधी प्रचार करने नहीं आएं। अगर आते हैं तो फिर जमानत बचाने की वे कोई गारंटी नहीं ले पाएंगे।

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गुरुवार, 5 जनवरी 2017

Humor : धर्म-जाति के नाम पर नहीं मांग सकेंगे वोट, उप्र में गहराया संवैधानिक संकट, चुनाव स्थगित करने की मांग


political rally चुनावी रैली

By Jayjeet

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के बाद कि चुनावों में धर्म, भाषा या जाति के नाम पर वोट नहीं मांग सकते, उप्र में संवैधानिक संकट गहराने की आशंका पैदा हो गई है। इसके मद्देनजर सभी राजनीतिक दलों ने पार्टी लाइन से ऊपर उठकर एक स्वर में चुनाव आयोग से आगामी विधानसभा चुनाव अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित करने की मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर प्रतिक्रिया देते हुए अपने लिखे हुए बयान में बहनजी ने कहा- “लगता है कोर्ट में पढ़े-लिखे लोगों की कमी हो गई है। तभी ऐसे फैसले सुनाए जा रहे हैं। हम जाति और धर्म के नाम पर वोट नहीं मांगेंगे तो क्या रोड और पानी के नाम पर मांगेंगे?”

जिंदगी में पहली बार बहनजी की बातों से सहमत होते हुए नेताजी ने भी कहा -“सई भात है, भैं भी यई #@#$%%%% ?” (सही बात है। मेरा भी यही कहना है कि ऐसे चुनाव लड़ने का क्या मतलब?)। हालांकि उन्होंने कहा कि वे भाषा के मामले में सुप्रीम कोर्ट के साथ हैं। किसी को भी भाषा के नाम पर वोट नहीं मांगने चाहिए।

लगातार हंसे जा रहे हैं साक्षी और ओवैसी :
इस बीच, खबर आ रही है कि सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के बाद से ही साक्षी महाराज और ओवैसी लगातार हंसे जा रहे हैं। उनकी हंसी रुकने का नाम ही नहीं ले रही।  दोनों एक-दूसरे के हाथों पर तालियां ठोक-ठोककर हंसे जा रहे हैं।

#political #satire #UPPolitics #humor

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रविवार, 25 दिसंबर 2016

Humor : म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के? कहने वाले आमिर को छोरों ने दियो यूं कर्रो जवाब

aamir khan in dangal


By Jayjeet

पानीपत। फिल्म दंगल में आमिर खान की ये बात छोरों को दिल में चूभ गई कि “म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के?”। छोरों ने एक खर्रा लिखकर ऐसा कर्रा जवाब दिया कि आमिर की बोलती अब बंद हैं और छोरे फटेली जिंस पहन के आधी-अधूरी मूंछ पर तांव दे रहे हैं। छोरों की मानें तो उनके पास इतने काम हैं कि उन्हें फालतू कामों के लिए वक्त ही नहीं मिलता है। ये फालतू काम छोरियां करके जबरदस्ती का नाम कमा लेती हैं और फिर उनके पिताजी कहते हैं- छोरियां कम हैं के‌?

आमिर को लिखे इस पत्र की एक प्रति इन छोरों के पास से hindisatire.com ने भी कबाड़ ली। आइए पढ़वाते हैं छोरों की भावनाएं (परिवार के सभी सदस्य इसे पढ़ सकें, इसके लिए हमने कुछ शब्दों को सेंसर कर दिया है। सब समझ सकें, इसके लिए हमने भाषा भी एडिट की है।) :

1. हमें करवाने पड़ते हैं छोरियों के मोबाइल रिचार्ज
छोरियों के मोबाइल रिचार्ज करवाने की एक बड़ी जिम्मेदारी हम छोरों की है। इसे हम राष्ट्रीय कर्त्तव्य समझकर निभाते हैं। इसके लिए मोदीजी के भाषण का भी रास्ता नहीं देखते।

2. धूप हो या बारिश, छोरियों की स्कूटी के पंचर हमें ही ठीक करवाने पड़ते हैं
छोरियों की स्कूटी पंचर हो जाए तो उसे कौन ठीक करवाता है? ये छोरियां? हम करवाते हैं। छोरियां तो हमें स्कूटी पकड़ाकर पढ़ने चले जाती है या फिर बैडमिंटन की प्रैक्टिस करने। धूप हो कि बारिश, पंचर ठीक करवाने का काम हम ही करते हैं।

3. कई-कई Facebook अकाउंट मेंटेन करने होते हैं
छोरियों को केवल अपना फेसबुक अकाउंट मेनटेन करना होता है, जबकि हम छोरों को अपना ओरिजिनल अकाउंट मेनटेन करने के अलावा कम से कम चार फेक अकाउंट भी देखने पड़ते हैं। समय-समय पर इनकी प्रोफाइल पिक भी बदलनी होती है। इनके लिए अच्छे चेहरे-मोहरे वाली छोरियां भी ढूंढनी पड़ती है।

4. छोरियों के हॉस्टल के बाहर वेट करना पड़ता है
छोरियों के हॉस्टल के बाहर रोजाना दो से तीन घंटे तक उनके गैलरी में आने का रास्ता देखते हैं हम। छोरियां तो बड़ी चालाक होती हैं। घंटों कमरे के अंदर रहकर पढ़ाई करती रहती हैं। जो खेलने वाली छोरियां होती हैं, वे चुपके से बैडमिंटन या टेनिस का रैकेट लिए कल्टी मार जाती है। हम छोरे लोग राह ताकते रहते हैं। चीप छोरियां….!

5. क्रिकेट मैच भी देखने पड़ते हैं…
Last but not the least… हम छोरों को क्रिकेट भी देखना होता है। सारे रिकॉर्ड-विकॉर्ड मुंहजुबानी याद रखने होते हैं। छोरियों के लिए ये कम्पलसरी नहीं है।

आखिरी में थोड़े भावुक होकर इन्होंने लिखा- आमिर जी, अब आप ही बताओ कि तुम्हारी छोरियों से हम छोरे कम हैं के? फिर हम पर फिलिम काहे को नहीं बनाते?

#aamir_khan #humor #satire

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शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2016

Satire : साजिद बनाएंगे ‘सर्जिकल स्ट्राइक', पाकिस्तान में मची खलबली, आतंकी भी हुए भूमिगत

Sajid surgical strike jokes साजिद खान सर्जिकल स्ट्राइक जोक्स
भारत-पाक सीमा पर इंडियन आर्मी को अपनी रणनीति समझाते साजिद।

नई दिल्ली/इस्लामाबाद। सर्जिकल स्ट्राइक पर हो रही राजनीति के बीच देश के जाने-माने अटैक डायरेक्टर साजिद खान ने अपनी नई मूवी ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ बनाने का एलान कर दिया है। उन्होंने कहा है कि अब भारत को आगे से कोई भी स्ट्राइक करने की जरूरत नहीं है। बस इस फिल्म्स की CDs पाकिस्तानी सरहद के पार फेंकनी होगी। साजिद की इस घोषणा से पाकिस्तान में हड़कम्प मच गया है। जनता के चाैतरफा दबाव में आए नवाज शरीफ ने तमाम आतंकी शिविरों को हटाने के फरमान जारी कर दिए हैं।

साजिद ने यहां बुधवार को पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत में यह घोषणा की। उन्होंने कहा, “पिछले हफ्ते हमारी सेना के बहादुर नौजवानों ने सर्जिकल स्ट्राइक की कार्रवाई की। मैं उनके जज्बे को सलाम करता हूं। लेकिन मुझे लगता है कि मेरे होते हुई इसकी कोई जरूरत नहीं थी। मोदीजी को मुझे याद करना था।”

उन्होंने आगे कहा, “एक सच्चा देशभक्त होने के नाते मेरा भी फर्ज बनता है कि देशसेवा के लिए मैं भी अपनी ओर से कोई योगदान दूं। इसी के मद्देनजर मैंने सर्जिकल स्ट्राइक नाम से अपनी नई मूवी बनाने का प्लान किया है। जैसे ही यह मूवी तैयार होगी, इसकी CDs मैं देश को समर्पित कर दूंगा। इसके बाद सेना के जवानों को सीमा पार जाकर रिस्क लेने की जरूरत नहीं होगी। बस सीमा पार CDs  फेंकने की धमकी भर देने की जरूरत होगी। मेरी जितनी ख्याति हिंदुस्तान में है, उतनी ही पाकिस्तान में भी है।”

साजिद की घोषणा से पाकिस्तान में अफरा-तफरी :
साजिद खान की इस घोषणा से घबराई पाकिस्तानी जनता सड़कों पर उतर आई है। इस्लामाबाद से लेकर लाहौर और कराची तक में लोगों के हुजुम निकल पड़े हैं। लोग ‘हमें साजिद के ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ से बचाओ’ जैसी तख्तियां हाथ में लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “सरकार को हम पब्लिक की चिंता पहले करनी चाहिए। जरूरत पड़े तो सारी आतंकी शिविरों को नष्ट कर दो, लेकिन हमें साजिद के सर्जिकल स्ट्राइक से बचाओ। हिम्मतवाला और हमशकल्स के सदमे से हम बड़ी मुश्किल से निकले हैं। ”

नवाज ने बुलाई सेना के सीनियर आफिसर्स और वरिष्ठ आतंकियों की बैठक :
साजिद की इस घोषणा से बैकफुट पर आई शरीफ सरकार ने आनन-फानन में एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई जिसमें सेना व खुफिया एजेंसी ISI के सीनियर अफसर और वरिष्ठ आतंकी शामिल हुए। शरीफ ने बैठक में कहा कि हम पर जनता की ओर से आतंकी शिविरों को बंद करने का काफी दबाव है। उन्होंने वरिष्ठ आतंकी हाफिज सईद से अनुरोध किया कि वे ही इस दिशा में सरकार का मार्गदर्शन करें।

स्थिति की गंभीरता को समझते हुए हाफिज सईद ने नवाज शरीफ कहा कि संकट टलने तक हमारे सारे आतंकी भाई शिविरों से हटकर भूमिगत होने को तैयार हैं। उन्होंने दबी जुबान में स्वीकार किया कि हमारे आतंकियों में भी इंडियन आर्मी के सर्जिकल स्ट्राइक से भी ज्यादा भय साजिद की इस अपकमिंग ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ का समा गया है। इसलिए वे संकट टलने तक इंडियन बॉर्डर से दूर ही रहना चाहते हैं। मैंने इसकी अनुमति दे दी है। और हां, मैं भी अगले छह माह तक सीरिया में ही रहूंगा। खुदा हफिज!!!

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मंगलवार, 6 सितंबर 2016

Humor : पाक को घेरने मोदी का एक और दांव, धमकाया- कश्मीर पर छोड़ें दावा, नहीं तो वाड्रा को बलूचिस्तान भेज देंगे


modi and robert vadra मोदी पर व्यंग्य राबर्ट वाड्रा पर व्यंग्य
मोदी के ट्वीट करते ही वाड्रा एयरपोर्ट पर पहुंच गए। कहा- I am Ready, Boss!

नई दिल्ली/इस्लामाबाद। पाकिस्तान को घेरने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक और दांव चल दिया है। उन्होंने धमकाया है कि अगर पाकिस्तान कश्मीर में अलगाववादियों को समर्थन देना बंद नहीं करेगा तो वे रॉबर्ट वाड्रा को बलूचिस्तान भिजवा देंगे। मोदी की इस धमकी से समूचे पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है। पाकिस्तान, कश्मीर पर अपना दावा छोड़ने पर भी विचार कर रहा है ताकि बलूचिस्तान की बेशकीमती जमीन को बचा सके। इस बीच, वाड्रा ने मोदी के इस बयान का स्वागत किया है।

मोदी ने यहां रविवार को ट्वीट कर कहा, “हमारा पड़ोसी कश्मीर में अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा। यदि वह अब भी नहीं रुका तो हमारे पास वाड्रा को बलूचिस्तान भिजवाने के अलावा और कोई चारा नहीं रहेगा।

पाकिस्तान में हड़कंप, छोड़ सकता है कश्मीर पर दावा :

 मोदी की यह रणनीति काम कर रही है। उनके इस बयान के तत्काल बाद पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अपने कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों, सेना के आला अधिकारियों और जेहादी संगठनों के सीनियर आतंकियों के साथ बंद कमरे में बातचीत की। सब इस बात से भयभीत थे कि अगर वाड्रा को बलूचिस्तान में ड्रॉप कर दिया गया तो पूरा प्रोविंस हमारे हाथ से चला जाएगा। इतना ही नहीं, पड़ोसी सिंध पर भी संकट आ सकता है।

सूत्र के अनुसार नवाज ने बैठक में कहा, “हमें मजबूरी में ही सही, कश्मीर की अपनी लड़ाई छोड़नी पड़ेगी।” इस पर मीटिंग में मौजूद सेना के आला अफसरों और सीनियर आतंकियों ने भी सहमति जताई लेकिन उन्होंने शरीफ से यह भी कहा कि हमें 100 रुपए के स्टाम्प पेपर पर साफ शब्दों में यह लिखवा लेना चाहिए कि भारत सरकार अगले 100 साल तक वाड्रा को पाकिस्तान की ओर मुंह भी नहीं करने देगी। शरीफ ने इस पर कहा कि मैं जिनपिंग भाईजान से बात करके यह डील पक्की करने की व्यवस्था करता हूं।

बलूच नेता भी भयभीत :
मोदी के इस ट्वीट के बाद बलूच नेता भी भयभीत हो गए हैं। बलूचों के सरदार ब्रहुमदाग बुगती ने कहा, “हम मोदीजी का सम्मान करते हैं, लेकिन अपनी समस्या सुलझाने के लिए वे ऐसा नहीं कर सकते। हम भी तो अपनी जमीन के लिए लड़ रहे हैं। वाड्रा यहां आ गया तो हमारे पास क्या रहेगा? बाबाजी का ठुल्लू!”

वाड्रा ने किया स्वागत :
मोदी के इस ट्वीट को रिट्वीट करते हुए वाड्रा ने लिखा- “Thanks, Modiji.” उन्होंने आगे लिखा, “यह पहली बार है जब आपने मुझ पर निशाना न साधते हुए मेरे टैलेंट का सम्मान किया है।”

#modi #satire #vadra

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मंगलवार, 20 अक्तूबर 2015

साहित्यकारों के साथ एकजुटता दिखाने साजिद बनाएंगे ‘हमशकल्स रिटर्न्स, दबाव में आई सरकार

देश में मचा हाहाकार, साहित्यकारों ने दी धमकी- सरकार फिल्म बनाने से रोके, अन्यथा हम अपने लौटाए अवार्ड वापस मांग लेंगे

मुंबई/नई दिल्ली। साहित्यकारों के साथ एकजुटता दर्शाने के मकसद से देश के जाने-माने-डरावने डायरेक्टर साजिद खान ने ‘हमशकल्स रिटर्न्स’ बनाने का एलान कर दिया है। उन्होंने कहा है कि अब साहित्यकारों को अपने अवार्ड रिटर्न करने की जरूरत नहीं है। उनकी यह फिल्म सरकार पर दबाव बनाने के लिए काफी होगी। साजिद की इस घोषणा से मोदी सरकार भी हरकत में आ गई है। उसने साम्प्रदायिकता और लेखकों पर हमले की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स के गठन की घोषणा कर दी है।

साजिद ने यहां गुरुवार को पत्रकारों के साथ बातचीत में यह एलान किया। उन्होंने कहा, “पिछले कई दिनों से मैं देख रहा हूं कि अनेक साहित्यकारों ने अपने अवार्ड लौटाए हैं। लेकिन अवार्ड लौटाने के बावजूद मोदी सरकार पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। इसलिए मुझे लगा कि अब कुछ ऐसा क्रांतिकारी करने की जरूरत है कि इससे पूरा देश हिल जाए। इसीलिए मैं हमशकल्स रिटर्न्स बनाने की घोषणा करता हूं।” उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार हम क्रिएटिव लोगों को हलके में न लें। जरूरत पड़ी तो मैं ‘हिम्मतवाला रिटर्न्स’ भी बना सकता हूं।

देश में मचा हाहाकार, दबाव में आई मोदी सरकार :
साजिद की इस घोषणा के बाद पूरे देश में हाहाकार मच गया है। सोशल साइट्स पर #WakeUpModi और #ActionModiSarkar नाम से कैम्पेन भी शुरू हो गए हैं। इनमें कहा गया है कि मोदी सरकार अब तो जाग जाए और बढ़ती साम्प्रदायिकता को लेकर कुछ कार्रवाई करे, नहीं तो एक और ‘हमशकल्स’  को देश झेल नहीं पाएगा। वहीं साहित्यकारों के एक समूह ने कहा है कि मोदी सरकार को साजिद खान को ‘हमशकल्स रिटर्न्स’ बनाने से रोकने के लिए कुछ भी करना चाहिए। हमें साम्प्रदायिकता मंजूर है, लेकिन हमशकल्स रिटर्न्स नहीं। इन साहित्यकारों ने धमकी दी है कि अगर ‘हमशकल्स रिटर्न्स’ बनाने की अनुमति दी गई तो वे अपने लौटाए अवार्ड वापस मांग लेंगे।

सरकार ने कहा, लोग घबराए नहीं, हम कार्रवाई करेंगे :
हमशकल्स रिटर्न्स के एलान से घबराई मोदी सरकार ने लोगों को ढांढस बंधाते हुए कहा है कि हम कार्रवाई कर रहे हैं, घबराने की जरूरत नहीं है। सरकार ने साम्प्रदायिकता और लेखकों पर हमले की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) बनाने की घोषणा भी कर दी है। अब सरकार की ओर से एक प्रतिनिधिमंडल आज दोपहर को ही साजिद से फिल्म न बनाने का अनुरोध करने  के वास्ते उनसे मिलने उनके निवास पर जाएगा।

इस बीच, साजिद की इस घोषणा को मोदी सरकार की बड़ी नाकामी करार देते हुए कांग्रेस ने सरकार के इस्तीफे की मांग की है।

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शनिवार, 30 मई 2015

Humor : हनी सिंह ने गाया अपने जीवन का पहला meaningful गीत, प्रशंसकों ने किया जमकर हूट


मुंबई। यहां मंगलवार की रात को जाने-माने रैपर हनी सिंह के कॉन्सर्ट में उस समय हंगामा हो गया, जब उन्होंने एक meaningful गीत गाने का प्रयास किया। इसे सुनते ही उनके प्रशंसक आपे से बाहर हो गए। नाराज प्रशंसकों ने जमकर हूटिंग की और अंडे व टमाटर फेंके।

यह घटना तब हुई जब हनी सिंह ने अपने कुछ प्रसिद्ध गीतों के बाद कहा कि अब वे इतिहास बनाना चाहते हैं। वे अपने जीवन का पहला meaningful गीत गाने जा रहे हैं जो गीतकार प्रसून जोशीजी ने लिखा है। पहले तो उनके फैंस काे लगा कि यह meaningful गीत भी उनका जाना-पहचाना बेसिर-पैर का रैप ही होगा। लेकिन वहां उपस्थित फैन्स को गीत का अर्थ समझ में आने लगा तो वे गुस्से में आ गए। ऐसे ही उनके एक फैन जेजे रॉकी ने गुस्से में थरथराते हुए कहा- “ अगर हमें ऐसे ही गीत सुनने हैं तो हम विविध भारती सुन लेते। यहां कॉन्सर्ट में तो क्यों आते?” उनकी एक अन्य फैन दीपिका जगमग ने चिल्ला-चिल्लाकर कहा- “हम तो चाहते हैं कि यो यो वही गाए जिसका मतलब किसी को समझ में नहीं आए। वॉव, यही तो उनकी USP है।”

इस बीच, ट्विटर पर भी उनके कई प्रशंसकों ने कहा – “यो यो तुम कहां हो? क्यों तुम प्रसून जोशी के meaningful गीत गाकर हमारा समय और अपना करियर बर्बाद कर रहे हो? लौट आओ, हनी।”

हनी सिंह ने कहा- मेरा दिमाग फिर गया था :
इस संवाददाता ने जब इस बारे में हनी सिंह से बात की तो वे भी बहुत दुखी नजर आए। उन्होंने कहा कि meaningful गीत गाने की गलती कर उन्होंने अपने प्रशंसकों को जो ठेस पहुंचाई है, उसके लिए वे माफी मांगते हैं। शायद वोदका चार बोतल से ज्यादा हो गई थी, इसलिए मेरा दिमाग फिर गया था। अब आगे से ऐसी गलती कभी नहीं होगी।

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मंगलवार, 15 जुलाई 2014

स्पीच कोचिंग सेंटर को भारी पड़ा राहुल को पांच साल में भाषण सिखाने का प्रस्ताव

नई दिल्ली। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मंगलवार सुबह राजधानी दिल्ली में भाषण सिखाने वाले एक बड़े कोचिंग संस्थान के सामने विरोध प्रदर्शन किया और जमकर नारेबाजी की। वे कोचिंग संस्थान के उस प्रस्ताव का विरोध कर रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि संस्थान राहुल गांधी को पांच साल के भीतर भाषण देना सिखा देगा और इसके लिए कोई फीस भी नहीं ली जाएगी।

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स्मार्टफोन के साथ शादी करने का चलन बढ़ा, मुंबई में खुला स्मार्टफोन मैट्रीमोनियल सेंटर


मुंबई। देश में स्मार्टफोन के संग युवाओं के लिव-इन रिलेशनशिप के बढ़ते मामलों के बीच मुंबई में स्मार्टफोन मैट्रीमोनियल सेंटर शुरू किया गया है। यह दुनिया का ऐसा पहला सेंटर है जो स्मार्टफोन के साथ युवाओं के वैवाहिक रिश्ते जोड़ने में मदद करेगा।

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शुक्रवार, 11 जुलाई 2014

साॅफ्ट ड्रिंक महंगा, किसानों के लिए संकट बढ़ा

नई दिल्ली। केंद्रीय बजट में सॉफ्ट ड्रिंक पर टैक्स बढ़ाने के फैसले को अनेक किसान संगठनों ने किसान विरोधी करार दिया है। उन्होंने कहा है कि इससे खेती की लागत बढ़ जाएगी और पहले से ही कर्ज के जाल में फंसे किसान और भी संकट में आ जाएंगे।
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संसद में सोना राहुल गांधी का ही गेम प्लान!

नई दिल्ली। संसद में राहुल गांधी के सोने को लेकर भले ही देशभर में उन पर कटाक्ष किए जा रहे हों, लेकिन यह आइडिया खुद राहुल गांधी का था। इसके जरिए उन्होंने वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों में देश की बागडोर संभालने के अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं। .......

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शनिवार, 5 जुलाई 2014

हर व्यक्ति को मिलेगा पानी, देश भर में बिछाई जाएंगी लीकेज वाली पाइप लाइनें

कांग्रेस ने बताया जनविरोधी कदम, कहा- मिनरल वॉटर वालों का धंधा हो जाएगा चौपट

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

Water leakage Mission.

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने हर तबके तक जल पहुंचाने की अपनी महत्वाकांक्षी योजना के तहत देशभर में बिछी पानी की पाइप लाइनों को लीक करने का फैसला किया है। जहां पाइप लाइनें नहीं हैं, वहां नई पाइप लाइनें बिछाकर उनमें लीकेज की प्रक्रिया शीघ्र ही शुरू की जाएगी। यह अहम फैसला शनिवार सुबह कैबिनेट की विशेष बैठक में लिया गया। उधर, प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे जनहित विरोधी कदम बताते हुए कहा है कि इससे मिनरल वाॅटर बनाने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों का धंधा चौपट हो जाएगा।
केंद्रीय मंत्री जयशंकर प्रसाद ने पत्रकारों को बताया कि जलधर समिति की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने लीकेज सिस्टम को पूरे देशभर में लागू करने का निर्णय लिया है। इस समिति ने अपनी बारह हजार पेज की रिपोर्ट में कहा है कि देश की आधी आबादी फूटे हुए पाइपों से रिसते पानी से ही अपनी दैनिक आवश्यकता की पूर्ति करती है। रिपोर्ट में 11,998 पेजों पर फूटी पाइप लाइनों की जीवंत तस्वीरें हैं, जिनमें लोगों को पाइपों से लीक हो रहे पानी को बाल्टियाें, मटकों और बोटलों में भरते हुए दिखाया गया है। ये तस्वीरें जम्मू से लेकर कन्याकुमारी और बड़ौदा से लेकर कोलकाता तक के शहरों की है। रिपोर्ट में इस बात पर संतोष व्यक्त किया गया है कि देश के अधिकांश हिस्सों में पाइप लाइनों में लगातार रिसाव होता रहता है, जिससे नागरिकों को पानी की कभी किल्लत महसूस नहीं होती।
प्रसाद ने बताया कि उनकी सरकार ने वर्ष 2018 तक सभी को पानी पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए केंद्र सरकार वॉटर लीकेज मिशन लाने जा रही है। इसके तहत हर राज्य में कम से कम पांच हजार किमी लंबी पाइप लाइनों को टूटा-फूटा बनाया जाएगा, ताकि एक बड़ी आबादी तक पानी की पहुंच हो सके। उन्होंने कहा कि चूंकि पानी राज्यों का विषय है। ऐसे में राज्य सरकारों से भी इस संबंध में आग्रह किया जाएगा कि वे अपने-अपने राज्यों में जितना संभव हो सके, पाइप लाइनाें से हो रहे रिसाव को रोकने की कोशिश न करें। व्यापक चर्चा के लिए राज्यों के जल संसाधन मंत्रियों की एक बैठक भी जल्दी ही बुलाई जा रही है।
कांग्रेस ने बताया जनविरोधी, केजरीवाल ने भी जुबान खोली : सरकार के इस फैसले का विरोध भी शु्रू हो गया है। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे जनविरोधी बताते हुए कहा कि इससे उन बहुराष्ट्रीय कंपनियों को काफी नुकसान होगा, जो मिनरल वॉटर के धंधे में लगी हुई है। जब लोगों को आसानी से पानी उपलब्ध हो सकेगा, तो इन कंपनियाें का पानी कौन खरीदेगा? इधर, काफी दिनों से चुप बैठे अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ऐसा केवल अंबानी को लाभ पहुंचाने के मकसद से किया जा रहा है, ताकि अच्छे पाइपों से गैस की आपूर्ति घरों तक की जा सके।

यूनेस्काे की विश्व विरासत सूची में शामिल हुआ व्यापमं

Now Vyapam is World Heritage Site.

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

भोपाल। करोड़ों रुपए के घोटालों से चर्चा में आए मप्र व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) के भोपाल स्थित मुख्यालय को विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल कर लिया गया है। इस संबंध में राज्य सरकार के एक प्रस्ताव को यूनेस्को ने मंजूरी दे दी है। सरकार को उम्मीद है कि इससे मप्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। सांची, खजुराहो और भीमबैठका के बाद यह प्रदेश का चौथा स्थल है जो विश्व विरासत सूची में शामिल हुआ है।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार भर्ती घाेटालों में आरोपी राज्य के एक पूर्व मंत्री की गिरफ्तारी के तत्काल बाद ही एक दूरदर्शी अफसर ने सरकार को व्यापमं मुख्यालय का इस्तेमाल प्रदेश व यहां की जनता के हित में करने का सुझाव दिया था। इस सुझाव के बाद ही मप्र पर्यटन विकास निगम के अफसरों ने विश्व विरासत स्थल का दर्जा देने वाली सर्वोच्च संस्था यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी के समक्ष इसका प्रजेंटेशन दिया। सूत्रों के अनुसार यूनेस्को ने राज्य सरकार के इस आवेदन से पहले ही स्वत: संज्ञान लेते हुए व्यापमं को विश्व विरासत स्थल का दर्जा देने का मन बना लिया था। इसलिए मप्र सरकार का आवेदन आते ही यूनेस्को की कमेटी ने इस पर मोहर लगा दी।
प्रदेश के पर्यटन मंत्री ने यूनेस्को के इस निर्णय का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई है कि इससे मप्र विश्व पर्यटन के नक्शे पर तेजी से उभर सकेगा। उन्होंने कहा कि उनकी योजना व्यापमं के साथ ही कई अन्य विभागाें के मुख्यालयों को जोड़कर एक सर्किट डेवलप करने की है, ताकि पर्यटक एक साथ मप्र में व्याप्त भ्रष्टाचार का लुत्फ उठा सकें।
अलौकिक है व्यापमं की बदसूरती : यूनेस्को
यूनेस्को की वेबसाइट पर इस संबंध में अधिसूचना जारी करते हुए लिखा गया है – ‘पिछले कुछ सालों के दौरान ही व्यापमं ने जो कुख्याति अर्जित की है, वह अद्भुत है। इसकी बदसूरती अलौकिक है। यहां के एक-एक बाबू को जिस तरह से तराशकर भ्रष्टाचार में लिप्त किया गया है, वह यहां आने वाले पर्यटकों को असीम घृणा व विरक्ति से भर देता है। इसके गुंबद पर विद्यमान भ्रष्ट अफसरों की करतूतें इस बात का प्रतीक है कि इस स्थल को भ्रष्टाचार के एक पूजनीय स्थल के रूप में विकसित करने में कितना परिश्रम किया गया।’

गुरुवार, 3 जुलाई 2014

अंतरिक्ष में महंगाई और सैटेलाइट की नजर

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

दो दिन पहले इसरो ने पांच विदेशी सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में क्या उतारे, सरकार में बैठे एक अफसर के दिमाग में एक इनाेवेटिव आइडिया घूमने लगा। उन्होंने महंगाई पर नजर रखने के लिए सरकार पर एक सैटेलाइट छोडऩे का आइडिया पटक मारा। हमें समझ में नहीं आया कि आखिर महंगाई का सैटेलाइट से क्या संबंध हो सकता है! ये अफसर हमारे मित्र हैं, इसलिए यही समझने हम उनके पास पहुंच गए।
'सालों पहले महंगाई बहुत हुआ तो तीसरे-चौथे माले तक पहुंचती थी। सरकार की जब इच्छा होती, वह हाथ पकड़कर नीचे उतार देती। लेकिन अब तो यह धरती की कक्षा तक पहुंच गई है। अंतरिक्ष में धूमकेतु की तरह घूम रही है और अब उसे पकड़कर नीचे लाना तो दूर, उस पर नजर तक रखना मुश्किल हुआ जा रहा है। सैटेलाइट ही यह काम कर सकता है।' उन्होंने हमें समझाया।
'लेकिन फायदा क्या होगा?' हमने पूछा।
'देखो, महंगाई अंतरिक्ष में जा रही है। यह तो किसी के रोकने से रुकने वाली नहीं। लेकिन सरकार कम से कम उस पर नजर तो रख सकती है। इसके लिए वह इसरो की मदद ले सकती है। सैटेलाइट की आंख से भला कौन बच सका है। सरकार अपने कुछ कारिंदों को बिठा देगी। वे हर समय स्क्रीन पर नजरें गढ़ाए रखेंगे। अब वह चांद पर चली जाए, तब भी सरकार की कड़ी नजर हर समय उस पर रहेगी।'
'लेकिन इसमें तो बहुत खर्च आ जाएगा?'
'देखो, इस समय हमारी प्राथमिकता महंगाई है, इसलिए कितना भी खर्चा आए, हमें इसकी परवाह नहीं करनी चाहिए।'
'लेकिन कोई और रास्ता भी तो निकल सकता है, थोड़ा सस्ता! क्या दूरबीन से काम नहीं चल सकता?'
पहले तो हमारे ये अफसर मित्र इस मिडिलक्लास टाइप आइडिया पर मुस्कुराए। फिर बोले, 'चल तो सकता है, लेकिन एक दिक्कत हो सकती है', कुछ दार्शनिक अंदाज में उन्होंने कहा। समस्याओं के समय बड़े सरकारी अफसर दार्शनिक हो जाते हैं। यही उन्हें शोभा भी देता है। 'दिक्कत यह कि सरकार के पास आते ही दूरबीनें अपना स्वाभिमान ताक पर रख देती हैं। बस सरकार की ही जी-हुजूरी में लग जाती हैं। अब वे वह नहीं दिखाती जो दिख रहा है, बल्कि वह दिखाती है जो सरकार देखना चाहती है।' मित्र अफसर अपने अनुभव के आधार पर बोले। दूरबीन बनने का उनका सालों का अनुभव रहा है।
'ओह, यह तो गंभीर बात है। वैसे हमारे पास एक और आइडिया है।' उन्होंने जिज्ञासावश हमारी ओर देखा।
'सबसे अच्छा आइडिया तो यह है कि सरकार आंखें ही बंद कर लें। इससे न उसे सैटेलाइट छोडऩा पड़ेगा, न दूरबीनों की सेवाएं लेनी होगी।'
'वाह! क्या आइडिया है।' सुनकर ही वे गदगद हो गए। वैसे भी सरकार को और भी कई जरूरी काम हैं। महंगाई का क्या! वे इस आइडिए को सरकार के साथ शेअर करने अपने दफ्तर की ओर चल दिए।
कार्टून : गौतम चक्रवर्ती

शिवराज सिंह की सशर्त संन्यास की घोषणा से आफरीदी गदगद

पत्र लिखकर कहा- मैं इस कठिन घाेषणा में आपके साथ हूं

 

जयजीत अकलेचा / Jayjeet Aklecha

वेलडन शिवराज !
भोपाल।
पाकिस्तान के महान आलराउंडर और क्रिकेट से कई बार संन्यास ले चुके शाहिद आफरीदी ने मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के उस जज्बे को सलाम किया है, जिसमें उन्होंने सशर्त संन्यास लेने की घोषणा की है।
मुख्यमंत्री को भेजे गए एक पत्र में आफरीदी ने लिखा है, मैंने किक्रेट से कई बार संन्यास लिया है। यह बहुत ही कठिन निर्णय होता है। लेकिन मुझे यह बताते हुए गर्व का अनुभव हो रहा है कि जितना कठिन निर्णय संन्यास लेने का होता है, उतना ही आसान संन्यास से वापसी का होता है। हालांकि आप हॉकी के ज्यादा प्रशंसक हैं, लेकिन फिर भी आपको ज्ञात होगा ही कि मैंने कितनी बार ऐसा कठिन निर्णय लिया और कितनी बार आसानी से अपने निर्णय को उलट दिया। आपने इस कठिन निर्णय को लेने की जो घोषणा की है, मैं उससे गदगद हूं और उम्मीद करता हूं कि अगर संन्यास की नौबत आई भी तो इंशा अल्ला, आप अपने इस संकल्प को तोड़ने में पीछे नहीं रहेंगे।
दिग्विजय सिंह का उल्लेख करते हुए उन्होंने लिखा, “आपके ही राज्य के एक पूर्व मुख्यमंत्री, शायद दिग्विजय सिंहजी ने भी मप्र की राजनीति से दस साल के लिए संन्यास की घोषणा की थी। इसके बाद भी वे सक्रिय राजनीति में बने रहे। आप उनसे भी प्रेरणा ले सकते हैं कि रिटायरमेंट का ऐलान करना कितना कठिन होता है, लेकिन बाद में ऊपरवाला सब ठीक कर देता है।”
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने यहां बुधवार को विधानसभा में कहा था कि अगर व्यापमं घाेटाले में वे दोषी पाए गए तो राजनीति और जीवन से संन्यास ले लेंगे।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने ऐसा पत्र मिलने की पुष्टि तो की है, लेकिन यह कहकर उस पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया कि पत्र में लिखी गई हिंदी में वर्तनियों की ढेर सारी अक्षम्य गलतियां हैं। यह पत्र शायद किसी हिंदीभाषी से फोन पर बोलकर लिखवाया गया प्रतीत होता है।

मप्र में भर्ती परीक्षाओं के दलालों ने फीस बढ़ाई, जोखिम के मद्देनजर बीमा की भी मांग

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

भोपाल। मप्र में भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी की जांच में तेजी आने और इस मामले में हुई गिरफ्तारियों को देखते हुए दलालों ने अपनी दलाली फीस में भारी बढ़ोतरी कर दी है। सबसे ज्यादा बढ़ोतरी मेडिकल की सीट में हुई है।
यह खुलासा हिंदी सटायर न्यूज सर्विस द्वारा किए गए एक स्टिंग अॉपरेशन में हुआ है। एसटीएफ की जांच के चलते इस समय सभी दलाल भूमिगत हो चुके हैं और वे अपने केवल कुछ खास लोगों के ही संपर्क में हैं। इस स्टिंग में एक बड़े दलाल नेटवर्क के सरगना ने स्वीकार किया कि मप्र में सरकार के अचानक सक्रिय होने का असर उनके बिजनेस पर पड़ना तय है। उसने कहा, 'अब इसमें पकड़े जाने का जोखिम भी बढ़ गया है। और अगर हमारा एक भी आदमी पकड़ा जाता है तो उसके लिए वकील की फीस, पुलिस के साथ सेटिंग इत्यादि पर खर्चा होना लाजिमी है। इसलिए हमें मजबूरी में अपनी फीस में बढ़ोतरी करनी पड़ रही है।' सबसे ज्यादा बढ़ाेतरी मेडिकल सीट में की गई है। उसे अब 80 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ रुपए कर दिया गया है। सब-इंस्पेक्टर जैसे पदों के लिए पांच से सात लाख रुपए तक की वृद्धि प्रस्तावित है। एक दूसरे दलाल ने फीस में बढ़ोतरी के लिए सीधे-सीधे राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उसका कहना था कि यह सरकार की गलत नीतियों का नतीजा है जिसके कारण हमें फीस बढ़ानी पड़ी है। इसका खामियाजा अब आम लोगों को भुगतना पड़ेगा।
रिस्क का बीमा करवाने की मांग : इस बीच, मप्र दलाल संघ ने अपने गुप्त ठिकाने से जारी एक विज्ञप्ति में सरकार से दलालों का बीमा करवाने की मांग की है। उसका कहना है कि दलाल इतनी मेहनत करके पेपर हासिल करते हैं। उन्हें पेपर सेटर्स को भारी पैसा चुकाना पड़ता है। फिर कई नेताओं, पुलिस अफसरों का भी हिस्सा बंधा रहता है। ऐसे में अगर कोई दलाल पकड़ में आ जाता है तो उसकी सारी मेहनत पर पानी फिर जाता है। इसलिए सरकार का दायित्व बनता है कि ऐसी विषम परिस्थितियों में उसकी क्षतिपूर्ति हो सके। संघ ने कहा कि अगर सरकार पहल करे तो दलाल भी बीमा प्रीमियम में अपनी ओर से एक हिस्सा मिलाने को तैयार हैं।
इस पर सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया तो नहीं आई है, लेकिन एक मंत्री ने आश्वस्त किया है कि दलालों के वाजिब हितों का पूरा ध्यान रखा जाएगा।

बुधवार, 2 जुलाई 2014

शंकर पुणतांबेकर का व्यंग्य - आम आदमी

 शंकर पुणतांबेकर/ Shankar Puntambekar

 शंकर पुणतांबेकर/ Shankar Puntambekar

 नाव चली जा रही थी।

मंझदार में नाविक ने कहा, 'नाव में बोझ ज्यादा है, कोई एक आदमी कम हो जाए तो अच्छा, नहीं तो नाव डूब जाएगी।'

अब कम हो जाए तो कौन कम हो जाए? कई लोग तो तैरना नहीं जानते थे : जो जानते थे उनके लिए भी तैरकर पार जाना खेल नहीं था। नाव में सभी प्रकार के लोग थे - डॉक्टर, अफसर, वकील, व्यापारी, उद्योगपति, पुजारी, नेता के अलावा आम आदमी भी। डाक्टर, वकील, व्यापारी ये सभी चाहते थे कि आम आदमी पानी में कूद जाए। वह तैरकर पार जा सकता है, हम नहीं।

उन्होंने आम आदमी से कूद जाने को कहा, तो उसने मना कर दिया। बोला, 'मैं जब डूबने को हो जाता हूूं तो आप में से कौन मेरी मदद को दौड़ता है, जो मैं आपकी बात मानूं?'

जब आम आदमी काफी मनाने के बाद भी नहीं माना, तो ये लोग नेता के पास गए, जो इन सबसे अलग एक तरफ बैठा हुआ था। इन्होंने सब-कुछ नेता को सुनाने के बाद कहा, 'आम आदमी हमारी बात नहीं मानेगा तो हम उसे पकड़कर नदी में फेंक देंगे।'

नेता ने कहा, 'नहीं-नहीं ऐसा करना भूल होगी। आम आदमी के साथ अन्याय होगा। मैं देखता हूं उसे। मैं भाषण देता हूं। तुम लोग भी उसके साथ सुनो।'

नेता ने जोशीला भाषण आरंभ किया जिसमें राष्ट्र, देश, इतिहास, परंपरा की गाथा गाते हुए, देश के लिए बलि चढ़ जाने के आह्वान में हाथ ऊंचा कर कहा, 'हम मर मिटेंगे, लेकिन अपनी नैया नहीं डूबने देंगे... नहीं डूबने देंगे... नहीं डूबने देंगे...।

सुनकर आम आदमी इतना जोश में आया कि वह नदी में कूद पड़ा।

Short version of आम आदमी

सोमवार, 30 जून 2014

मिनिस्टर को सांप ने डसा, किसने देखा!

- सांपनाथ-नागनाथ संघ ने डसने संबंधी मंत्री के आरोपों को मनगढ़ंत बताया।

- कहा- नेताओं और सर्पों के बीच दूरी बढ़ाने के लिए रची जा रही है साजिश, सीबीआई जांच की मांग।

 

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

सांपनाथ-नागनाथ संघ के अध्यक्ष डॉ कोबरानाथ
भोपाल।
'मिनिस्टर को सांप ने डसा, किसने देखा!' यह सवाल किसी और ने नहीं, सांपनाथ-नागनाथ संघ ने उठाया है। वह मीडिया में प्रकाशित उन खबरों पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहा था जिनमें मप्र के एक मंत्री को सांप द्वारा डसने की बात सामने आई है। सांपनाथ-नागनाथ संघ ने इस खबर का खंडन करते हुए कहा है कि यह नेताओं और सर्पों के बीच दूरी पैदा करने की एक साजिश है। मंत्री इसी साजिश का शिकार होकर हम पर ऐसे मनगढ़ंत आरोप लगा रहे हैं।
मप्र के एक मंत्री ने भोपाल में आरोप लगाया था कि शनिवार-रविवार की देर रात को उनके बंगले में किसी सर्प ने उन्हें डस लिया। हालांकि उनके बंगले से बाद में कोई भी सांप जिंदा या मुर्दा बरामद नहीं किया गया। सांपनाथ-नागनाथ संघ के अध्यक्ष डॉ कोबरानाथ ने सोमवार को एक निजी टीवी चैनल के साथ बातचीत में कहा कि नेता प्रजाति के लोगों के साथ हमारे अच्छे संबंध रहे हैं। जहां भी हमें मौका मिला, हमने उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश की सेवा की। यहां तक कि हमने उन्हें अपनी उपाधि तक देने में कोताही नहीं की। इसके बावजूद एक नेता हम पर मनगढ़ंत आरोप लगा रहा है। उन्होंने आशंका जताई कि मंत्री किसी के बहकावे में आकर ऐसे तुच्छ आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने सीबीआई से इस पूरे मामले की जांच करवाने की मांग की है।
आखिर निशान किसके हैं?
मंत्री ने अपने अाराेपों के सबूत के तौर पर कहा है कि उनके दाहिने हाथ की अंगुली में दांतों के निशान बने हुए हैं जो साबित करता है कि उन्हें किसी न किसी सांप ने डसा है। इस पर एक सर्प ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि मप्र में इस समय व्यापम घोटाला हावी है। जगह-जगह उसके तार बिखरे हुए हैं जो कई लोगों को चुभ रहे हैं। हो सकता है यह निशान ऐसे ही किसी तार से हुआ हो और मंत्रीजी ने किसी सांप पर आरोप मढ़ दिया हो। हालांकि इसका खुलासा तो जांच से ही हो पाएगा।

रविवार, 29 जून 2014

मनुष्यों की अमरता और देवताओं की चिंता

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha


जबसे नारदजी वह उड़ती-उड़ती खबर लाए, तभी से देवलोक में खलबली मची हुई है। आसन्न संकट पर विचार करने के लिए आनन-फानन में देवताओं की कार्यकारी समिति की बैठक बुलाई गई, जिसमें नारदजी को विशेष रूप से तलब किया गया था।
‘क्या यह सच है कि मानव अगले 40 सालों में अमर हो जाएगा?’ नारदजी से पूछा गया।
‘देखिए, खबर की पुष्टि तो आप लोग कीजिए। इतना भी नहीं कर सकते तो काहे के भगवान! मुझे किसी ने बताया तो मैंने आपको बता दिया।’ नारदजी बेफ्रिकी वाले अंदाज में बोले।
‘नारदजी कोई खबर लाए हैं तो कहीं न कहीं तो सच्चाई होगी ही।’ समिति के एक सदस्य बोले।
‘हमें किसी निष्कर्ष पर पहुंचने में इतनी जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। क्यों न इस मामले में एक उपसमिति गठित कर दी जाए।’ एक अन्य सदस्य बोले। इनकी नारदजी से कभी नहीं बनी। इसलिए उन्होंने मौका देखकर चौका जड़ दिया।
‘यदि हम इसी बात पर उलझे रहे कि क्या सच है और क्या झूठ तो मूल मुद्दे से भटक जाएंगे।’ समिति के अध्यक्ष ने कहा। उन पर हुई पुष्पवर्षा इस बात का संकेत थी कि अध्यक्ष की बातों से अधिकांश देवता सहमत हैं। इसलिए बैठक की कार्यवाही आगे बढ़ी। एक अन्य सम्मानित सदस्य ने चर्चा के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘यदि मनुष्य अमर हो गया तो इससे हमारा महत्व कम हो जाएगा। आखिर मनुष्य का सबसे बड़ा कंसर्न तो उसकी जिंदगी ही होती है। उसी की खातिर वह हमारी शरण में आता है।’
‘देखिए, हमें चिंता अपने महत्व की नहीं करनी चाहिए। जिसको मानना है वह तो हमें मानेगा ही। मुद्दे की बात यह है कि यदि सभी लोग अमर होने लग गए तो धरती का क्या होगा?’ अध्यक्ष ने चिंता जताई।
‘धरती को गोली मारो। मेरा और मेरे यमदूतों का क्या होगा?’ यह यमराज की आवाज थी। हालांकि वे समिति के सदस्य नहीं थे, लेकिन स्थिति की गंभीरता को देखते हुए स्वयं ही बिन-बुलाए मीटिंग में चले आए थे। उन्हें अपने और यमदूतों के बेरोजगार होने की चिंता सता रही थी।
‘मैं यमजी की बातों से सहमत हूं। हमें पहले अपना घर देखना चाहिए, फिर धरती।’ ये चित्रगुप्तजी थे। दरअसल, उनकी चिंता की एक बड़ी वजह यमदूतों की यूनियन भी थी। ये झंडा-बैनर लेकर आकाश में उतर आए तो उन्हें संभालेगा कौन?
तभी बातचीत के सिलसिले को ब्रेक करते हुए एक तेजस्वी किस्म के देवता उठे, ‘आप लोग नाहक ही परेशान हो रहे हैं। हमें अमृत कलश पाने के लिए असुरों से लड़ना पड़ा था। मनुष्य के असुर तो उसके अंदर ही हैं। उसे अमर होने के लिए अपने अंदर वाले असुरों से लड़ना होगा जो और भी मुश्किल है। एक मरेगा तो दूसरा पैदा हो जाएगा। इसलिए यकीन मानिए, मनुष्य अमर नहीं होने वाला।’ 
इस देवता की बुद्धिमत्ता पर अधिकांश को यकीन था। इसलिए कार्यकारी समिति ने भी उनकी राय पर अपनी मोहर लगा दी। मीटिंग समाप्त हुई। सभी सदस्यों ने सोमरस पिया और अपने-अपने घरों की ओर प्रस्थान कर गए।

जुगाड़ तकनीक के क्षेत्र में भारत शुरू करेगा अपना नोबेल पुरस्कार

हर साल 100 जुगाड़बाजों को प्रदान किए जाएंगे ये पुरस्कार

 

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

नई दिल्ली। देश में शोध के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के सूखे को दूर करने के लिए भारत सरकार ने अपना खुद का नोबेल पुरस्कार शुरू करने का फैसला किया है। यह पहल राष्ट्रपति की उस चिंता के बाद की गई है जिसमें उन्हाेंने कहा था कि पिछले आठ दशक में देश को शोध के क्षेत्र में एक भी नोबेल नहीं मिलना  दुर्भाग्यपूर्ण है।
केंद्रीय विज्ञान मंत्रालय के अनुसार 'इंडियन नोबेल प्राइज इन जुगाड़ टेक्नोलॉजी' के नाम से शुरू होने वाले इस पुरस्कार का खाका तैयार कर लिया गया है। इसे संक्षेप में ‘नोबेल प्राइज’ ही कहा जाएगा। यह पुरस्कार हर साल उन 100 लोगों को प्रदान किया जाएगा जिन्होंने मौजूदा उपलब्ध संसाधनों से जुगाड़ कर देसी आविष्कार किए हों। इससे भारत एक झटके में ही नोबेल पुरस्कार का सूखा खत्म कर लेगा। पुरस्कार में ट्रॉफी, शॉल, श्रीफल और रेलवे में द्वितीय श्रेणी की यात्रा का पास प्रदान किया जाएगा।
मंत्रालय की एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि नोबेल प्राइज कमेटी ने पिछले आठ दशकों में शोध के क्षेत्र में एक भी भारतीय को नोबेल पुरस्कार के योग्य नहीं पाया। इससे साफ जाहिर होता है कि कमेटी कितने पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर कार्य करती है। कमेटी ऐसे अपात्र व अक्षम लोगों से भरी पड़ी है जिनमें भारतीयों की जुगाड़ प्रवृत्ति को परखने की क्षमता का अभाव दृष्टिगोचर होता है। हम भविष्य में इस कमेटी द्वारा दिए जाने वाले पुरस्कार को नकारते हुए अपना खुद का नोबेल शुरू करने की पहल कर रहे हैं। अभी इसे भारत भूमि पर होने वाले जुगाड़ तक सीमित रखा जाएगा, लेकिन भविष्य में इसमें सार्क देशों के जुगाड़ को भी शामिल करने पर विचार किया जा सकता है।

शनिवार, 28 जून 2014

मप्र में भर्ती परीक्षाएं समाप्त, लॉटरी से चुने जाएंगे योग्य उम्मीदवार

मुख्यमंत्री ने इसे बताया सिस्टम में पारदर्शिता लाने की दिशा में बड़ा कदम।

 

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha
मेरी लॉटरी लग गई। आपको बाबाजी का ठेंगा।

भोपाल। मप्र में अब किसी भी पद के लिए कोई भर्ती परीक्षा नहीं हाेगी। तमाम भर्तियां लॉटरी सिस्टम के जरिए की जाएंगी। इसका फैसला शुक्रवार देर रात राज्य कैबिनेट की एक आपातकालीन बैठक में लिया गया। माना जा रहा है कि यह फैसला आगामी विधानसभा सत्र के मद्‌देनजर लिया गया है ताकि सदन में विपक्ष के आराेपों का करारा जवाब दिया जा सके। मुख्यमंत्री ने इसे सिस्टम में पारदर्शिता बढ़ाने वाला कदम बताया है।
सूत्रों के अनुसार व्यापम और मप्र लोकसेवा आयोग (एमपी-पीएससी) परीक्षाओं में गड़बड़ी के आरोपों के चलते संघ राज्य सरकार पर भर्ती परीक्षा व्यवस्था में आमूल-चुल बदलाव करने का दबाव बना रहा था। इसी के मद्देनजर यह बैठक बुलाई गई थी। बैठक में प्रदेश की आवासीय परियोजनाओं में मकान आवंटन से जुड़े एक पूर्व सीनियर अफसर ने भर्ती परीक्षाओं में भी लाॅटरी सिस्टम को लागू करने का सुझाव दिया। इस संबंध में कैबिनेट के समक्ष दिए अपने प्रजेंटेशन में उन्होंने दावा किया कि यह इतना फुलप्रूफ सिस्टम है कि कोई इसमें एक धेले की भी गड़बड़ी नहीं कर सकता। उनके दावे के बाद कई मंत्री इसे लागू करने के पक्ष में नहीं दिखे, लेकिन मुख्यमंत्री ने इस पर तत्काल सहमति जता दी।
इससे पहले कैबिनेट के सामने यह भी प्रस्ताव लाया गया था कि हर परीक्षा के पंद्रह दिन पहले व्यापम और एमपी-पीएससी अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर तमाम प्रश्न-पत्र लोड कर दें। साथ ही प्रश्न-पत्रों के जवाब भी वेबसाइट पर ही मुहैया करवाए जाएं। लेकिन मुख्यमंत्री ने इसे इस आधार पर खारिज कर दिया कि अगर किसी एक परीक्षार्थी ने भी दावा कर दिया कि उसके कंप्यूटर पर प्रश्न-पत्र अौर उनके उत्तर डाउनलोड नहीं हो रहे हैं तो अनावश्यक विवाद पैदा हो जाएगा। इससे विपक्ष को आरोप लगाने का मौका मिल जाएगा।
बाद में पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि अब तक जो हुआ, उसकी तो एसटीएफ जांच कर रही है। वह दूध का दूध पानी का पानी कर देगी, लेकिन हम आगे की परीक्षा प्रणाली को पारदर्शी बनाने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। इसी के तहत लॉटरी सिस्टम को लागू किया जा रहा है। इससे योग्य प्रतिभाओं को चुनने में मदद मिलेगी और सबके साथ न्याय हो सकेगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि नियमानुसार इसमें भी आरक्षण के प्रावधान लागू किए जाएंगे।

शुक्रवार, 27 जून 2014

प्रधानमंत्री की अपील पर जमाखोरी रोकने आगे आए जमाखोर

- सरकार आग्रह करे तो हम राष्ट्रहित में अपने कुछ हितों की कुर्बानी देने को तैयार : जमाखोर महासंघ

- खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने महासंघ की पहल का स्वागत किया, कहा-जमाखोरों की मदद से थामेंगे महंगाई


जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha
इतनी जमाखोरी अच्छी बात नहीं!

नई दिल्ली। बढ़ती महंगाई के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमाखोरों के खिलाफ राज्यों से कड़ी कार्रवाई करने की अपील के समर्थन में देश के बड़े जमाखोर भी आगे आए हैं। जमाखोरी पर नियंत्रण रखने के संबंध में उन्हाेंने प्रधानमंत्री को प्रजेंटेशन देने का फैसला किया है। इस बारे में अखिल भारतीय जमाखोर महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री खोरचंद स्टॉक ने पीएमओ को एक चिट‌्ठी लिखकर प्रधानमंत्री से समय मांगा है। उधर, केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने महासंघ की इस पहल का स्वागत किया है।
खोरचंद ने हिंदी सटायर के साथ बातचीत करते हुए कहा कि हम प्रधानमंत्री की इस अपील से गदगद हैं जिसमें उन्होंने राज्यों से जमाखोरों के खिलाफ सख्ती दिखाने की प्रार्थना की है। हालांकि हमें पूरा यकीन है कि राज्य सरकारें जमाखोरी के खिलाफ कुछ नहीं करेंगी। केंद्र भी केवल राज्यों के भरोसे बैठा है। तो ऐसे समय में जबकि मानसून फेल होता नजर आ रहा है, राष्ट्रहित में हमारा भी यह फर्ज बनता है कि हम अपनी ओर से ही कोई पहल करें। अखिल भारतीय जमाखोर महासंघ के विशेषज्ञों की टीम ने एक प्रजेंटेशन तैयार किया है जिसमें हम बता सकते हैं कि इस समस्या से मिलजुलकर किस तरह निपटा जा सकता है। श्री खाेरचंद ने कहा कि देश के राजनीतिक सिस्टम को रन करने में जमाखोर जी-जान से याेगदान देते हैं और इस तरह प्रत्यक्ष रूप से देश में पॉलिटीकल डेमोक्रेसी को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसे में एक बैलेंस्ड एप्रोच की जरूरत है। चूंकि जनता इस समय त्राही-त्राही कर रही है। तो ऐसे में अगर सरकार हमसे आग्रह करे तो हम राष्ट्रहित व जनहित में अपने कुछ हितों की कुर्बानी देने में पीछे नहीं रहेंगे।
प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने खोरचंद स्टॉक की चिट‌्ठी मिलने की पुष्टि की है, लेकिन अभी यह बताने से इनकार कर दिया कि प्रधानमंत्री इनसे कब मुलाकात करेंगे। इस बीच, केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने महासंघ की इस पहल का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई है कि अब हम जमाखोरों की मदद से आने वाले समय में महंगाई को थामने में जरूर कामयाब होंगे।