By Jayjeet
रिपोर्टर तो अक्सर गढ़े मुर्दों की तलाश में रहते ही हैं। एक दिन ऐसे ही एक मुर्दा तलाशते-तलाशते रिपोर्टर के हाथ लग गई एक खास बंसी, जिस पर लिखा था- मेड इन रोम। उससे थोड़ी हाय-हेलो हुई तो पता चला कि यह वही ऐतिहासिक बंसी है जो कभी नीरो ने बजाई थी। अब इतनी कीमती चीज हाथ लगी हो तो रिपोर्टर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू का मौका कैसे छोड़ सकता था। पढ़िए उसी इंटरव्यू के मुख्य अंश...
रिपोर्टर : जब रोम जल रहा था, तब आप कहां थीं?
नीरो की बंसी : नीरो जी के हाथों में।
रिपोर्टर : तो मतलब यह बात सही है ना कि जब रोम जल रहा था, तब नीरो बंसी ही बजा रहे थे?
बंसी: हां, लेकिन यह पूरा सच भी नहीं है।
रिपोर्टर: पर इतिहास में भी यही लिखा है कि....
बंसी: आपने इतिहास में जो पढ़ा है, वे केवल आरोप हैं जो उस समय नीरो जी के विरोधियों ने लगाए थे। मीडिया ट्रायल में उन्हें दोषी मान लिया गया और वही इतिहास का हिस्सा हो गया।
रिपोर्टर: लगता है आप नीरो की बड़ी भक्त रही हैं।
बंसी: भक्ति, चमचागीरी तो आपके यहां की महामारियां हैं जी। मैं तो तथ्यों के प्रकाश में यह बात कर रही हूं।
रिपोर्टर: तो तथ्य ही बताइए, पहेलियां बहुत हो गईं।
बंसी: तो सुनिए। जिस समय रोम जल रहा था, उस समय मैं नीरो के पास ही थी। वे वैसे ही बंसी वादन कर रहे थे, जैसा अभी आपके यहां हो रहा है। लेकिन आपके और हमारे यहां जो अंतर है, वह विपक्ष का है। हमारे यहां का विपक्ष एग्रेसिव था, आपके यहां जैसा नहीं कि बस दो-चार चिटि्ठयां लिख दो, ट्विट कर दो, हो गई विपक्षगीरी। तब हमारे यहां विपक्षियों ने रोम की गली-गली गुंजा दी थी - इस्तीफा दो इस्तीफा दो, बंसी वादक नीरो, इस्तीफा दो।
रिपोर्टर : सही तो था। पूरा रोम जल गया तो इस्तीफा तो बनता ही था।
बंसी: इस्तीफा इसलिए नहीं मांगा गया था कि रोम जल गया था। रोम की किसको चिंता थी? चिंता का विषय तो केवल यह था कि नीरो जी बांसुरी क्यों बजा रहे थे?
रिपोर्टर: उफ, मतलब सदियां बीत जाती हैं, लेकिन राजनीति नहीं बदलती। हमारे यहा, आपके यहां सब शेम टू शेम... अच्छा, आगे बताइए, फिर क्या हुआ? इस्तीफा दिया?
बंसी: अब ऐसे छोटे-मोटे मामलों मंे इस्तीफा कैसे दे दें? पर विपक्ष का भी तो मुंह बंद करना था। तो सरकार ने बंसी कांड की जांच के लिए तीन सदस्यों की एक जांच समिति बैठा दी ।
रिपोर्टर: तो जांच समिति ने अपनी जांच में क्या कहा?
बंसी: लंबे समय तक तो मामले की जांच ही नहीं हो पाई।
रिपोर्टर: क्यों?
नीरो: दरअसल जांच समिति के सदस्यों ने अपने घर से ऑफिस और ऑफिस से घर आने-जाने तथा अपनी पत्नियों के लिए बाजार जाने के वास्ते एयरकंडिशनर रथों की मांग कर दी। अब जब तक इनके पास अपना वाहन न हों, वे जांच कर भी कैसे सकते थे।
रिपोर्टर: हां, रथ की मांग तो जायज थी। तो उनके लिए स्पेशल रथों की व्यवस्था कैसे की गई?
बंसी: यही तो पेंच था। रथों की स्वीकृति उस समय साम्राज्य की सीनेट की उच्चाधिकार प्राप्त समिति से जरूरी थी। इस स्वीकृति में डेढ़ साल लग गया। इसके बाद रथों के लिए टेंडर बुलाए गए। टेंडर एक पार्टी को दे भी दिए गए। लेकिन फिर विपक्ष ने नया आरोप लगा दिया कि टेंडर में भारी घोटाला हुआ है। टेंडर नीरो के भतीजे के नाम पर बनाई गई एक फर्जी फर्म को दे दिए गए थे। इसको लेकर विपक्ष के लोगों ने इतना हंगामा किया कि सरकार को अंतत: झुकना पड़ा। टेंडर निरस्त कर दिए गए। विपक्ष यहीं तक नहीं रुका। उसने टेंडर घोटाले की जांच के लिए एक अलग से कमेटी गठित करने को भी मजबूर कर दिया।
रिपोर्टर: पर उस बंसी जांच समिति का क्या हुआ? रथों का क्या हुआ?
बंसी: समिति के सदस्यों को सरकारी रथ नहीं मिले तो नहीं मिले, लेकिन फिर भी उनके महल रूपी बंगलों में अत्याधुनिक रथ देखे गए, ऐसा लोगों का कहना था। पर मैं मान ही नहीं सकती कि उन्होंेने जांच के दौरान कोई भ्रष्टाचार किया होगा। बहुत ही सज्जन लोग थे तीनों के तीनों। इतने सज्जन कि नीरो के आगे हमेशा हाथ जोड़े खड़े रहते। मैं खुद चश्मदीद रही।
रिपोर्टर: इतनी राम कहानी आपने कह दी। पर मुद्दे की बात तो बताइए, जांच हुई भी कि नहीं? रिपोर्ट आई कि नहीं?
बंसी: जैसा कि हर जांच समिति के लिए रिपोर्ट पेश करना नैतिक दायित्व होता है, तो नीरो बंसी जांच समिति ने भी अपना नैतिक दायित्व पूरा किया। सीनेट के पटल पर बाकायदा रिपोर्ट रखी गई। रिपोर्ट में जांच समिति के माननीय सदस्यों ने सर्वसम्मति से लिखा - 'नीरो पर लगाए गए आरोप तथ्य आधारित प्रतीत नहीं होते। हमारी विस्तृत जांच से पता चलता है कि यह बात सत्य नहीं है कि 'जब रोम जल रहा था, तब नीरो बंसी बजा रहे थे।' सत्य इसके बिल्कुल विपरीत है और सत्य यह है कि 'जब नीरो बंसी बजा रहे थे, तब रोम जल रहा था।' इसलिए इसमें गलती नीरो की नहीं, बल्कि रोम की है। नीरो के बंसी बजाने के मौके पर रोम ने स्वयं आगे आकर जलने का जो आपराधिक कृत्य किया, उसके लिए समिति रोम को कड़ी से कड़ी सजा दिए जाने की अनुशंसा करती है और नीरो को तमाम आरोपों से मुक्त करती है।' नीरो पक्ष ने करतल ध्वनि के साथ रिपोर्ट को मंजूर कर लिया और विपक्ष ने पूरे मामले में एक नई जांच समिति की मांग करते हुए सीनेट की कार्रवाई का बायकॉट कर दिया।
रिपोर्टर : ओह, यह तो बिल्कुल नई ऐतिहासिक जानकारी है।
नीरो की बंसी : जी, और अब अपने इतिहासकारों से भी कहिएगा कि वे किताबों में जरूरी बदलाव करें। जबरन हमारे-तुम्हारे नीरो बदनाम हो गए। अब मैं चलती हूं।
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