By Jayjeet
एलोपेथी और आयुर्वेद के बीच जारी विवाद के बीच अचानक ही बाबाजी की कोरोना से मुलाकात हो गई। पहली नजर मिलते ही दोनों एक-दूसरे को देखकर कन्नी काटने लगे। पर जब सामने पड़ ही गए और एक-दूसरे से बचना नामुमकिन हो गया तो औपचारिक हाय-हलो से बात यूं शुरू हुई :
बाबाजी : अरे कोरोना, क्या हाल है? बहुत मुटा गया इतने दिनों में!
कोरोना : पर कल मैंने वुहान वीडियो कॉल लगाया था। मम्मी तो कह रही थी कि इंडिया जाकर तू बहुत दुबला हो गया। प्रॉपर खाने को नहीं मिलता क्या?
बाबाजी : अब क्या करें, हर मां को ऐसा ही लगता है। 100 किलो वजनी बेटे को भी यही बोलती है- तू बहुत दुबला हो गया रे। पर तू ने बताया नहीं कि यहां तो तेरी खूब खातिरदारी होती है। लोग पलक-पावड़े बिछाए तेरा इंतजार करते हैं। कई लोग तो तेरे को खुद ही अपने साथ घर ले जाते हैं।
कोरोना : हां, पर बाबाजी अब मैं बोर हो गया हूं। अब घर की याद आने लगी है।
बाबाजी : बेटा, इतनी जल्दी चला जाएगा तो हमारा इनोवेशन धरा का धरा ना रह जाएगा? अब तो हम स्वदेशी वैक्सीन के फॉर्मूले पर भी काम करने वाले हैं।
कोरोना : बाबाजी, तीन करोड़ के करीब मरीज हो तो गए। अब बच्चे की जान लोगे क्या?
बाबाजी : पर तेरे को जल्दी क्या है? मेहमाननवाजी में कोई कमी रह गई है क्या? रोज चाऊमीन खाने को मिल तो रही है।
कोराना : सोया बड़ी व पत्ता गोभी वाली चाऊमीन भी कोई चाऊमीन होती है क्या? ऊपर से इतना ऑयल अलग डाल देते हो। माना आप लोगों की हमारे चाइना से दुश्मनी है, पर ये दुश्मनी चाऊमीन के साथ क्यों निकालते हों!
बाबाजी : पर बेटा, अभी तू चाइना वापस जाएगा तो वहां तुझे बहुत दिक्कतें हो सकती हैं। अमेरिका के नए राष्ट्रपति ने वुहान लैब वाला मामला फिर छेड़ दिया है। तो तू जैसे ही चाइना जाएगा, तेरी अपनी सरकार अमेरिका की नजर से बचाने के लिए तुझे ही काल कोठरी में डाल देगी। फिर सड़ते रहना....
कोरोना : तो आप चाहते क्या हो?
बाबाजी : बेटा अगले दो-चार दिन में देश के कई राज्य धीरे-धीरे अनलॉक हो रहे हैं। देखना फिर लोग मजे में घूमेंगे। न मास्क लगाएंगे, न सोशल डिस्टेंसिंग रखेंगे। तेरे लिए तो स्कोप ही स्कोप है..
कोराना : बाबाजी, इनडायरेक्टली आप इसमें अपना तो स्कोप ना देख रहे हों? वो आपने कौन-सी दवा बनाई। नाम भूल रहा हूं, मेरे ही नाम से मिलती-जुलती है ना ...
बाबाजी : (बीच में बात काटते हुए) : आज तू कुछ ज्यादा समझदारी की बात ना कर रहा!
कोरोना : समझदार होता तो यूं इंडिया में आता क्या? यहां आकर वजन बढ़ा सो बढ़ा, पर न जाने कितनी ही बीमारियां और हो गईं।
बाबाजी : हर बीमारी का मेरे पास इलाज है। कल से आ जा मेरे पास। दो चार महीने योगासन करेगा तो सारी बीमारियां छूमंतर हो जाएंगी।
कोरोना : बाबा, ये वो बीमारियां नहीं हैं, जो किसी योग से जाएंगी। ब्लैक मार्केटिंग, नकली दवाइयों का धंधा, झूठ, चमचागीरी, भाई-भतीजावाद, वंशवाद, भ्रष्टाचार, बेमतलब पंगेबाजी जो आपने अभी ली है, इन सब बीमारियों के लक्षण मैं यहां इंडिया में आकर फील कर रहा हूं। इनका कोई इलाज हो तो बताओ आपके पास...
बाबाजी : हूंम्म... बताता हूं, पर अभी जरा बिजी हूं, वो एलोपैथी वालों को दो-चार जवाब और दे दूं, फिर इसके बाद अपने सीईओ के साथ एक जरूरी बिजनेस मीटिंग है। अपन फिर मिलते हैं... पर ये शीर्षासन जरा करते रहता... सबसे बढ़िया आसन है।
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