दिलजले अधीनस्थों के जनहित में जारी… 😉
By Jayjeet
– हूं, कितने वायरस थे?
– सरदार 2 वायरस।
– वो 2 और तुम 3, फिर भी वापस आ गए, खाली हाथ…क्या समझ के आए कि सरदार बहत खुश होगा, शबासी देगा, क्यों?
– नहीं सरदार, खाली हाथ ना आए..
– तो!!
– वायरस साथ लाए हैं…
– अच्छा, तब तो तेरा क्या होगा रे कालिया?
– सरदार मेरा जो होना होगा हो लिया, पर तुम्हारा क्या होगा? वो देख लो, कोरोना तुम पर भी चढ़ लिया…अब हंसो जोर से हां हां हां हां …
मॉरल ऑफ द स्टोरी (फॉर द बॉस टाइप पीपुल) : अधीनस्थों से हमेशा ही उम्मीद ना रखें। उनका कभी-कभी खाली हाथ आना बॉस के लिए ही अच्छा होता है। (ब्रेकिंग न्यूज के फेरवाले बॉस तो इस शिक्षा की गांठ जरा ज्यादा ही जोर से बांध लें…😄🙂 )
(खबरी व्यंग्य पढ़ने के लिए आप हिंदी खबरी व्यंग्यों पर भारत की पहली वेबसाइट http://www.hindisatire.com पर क्लिक कर सकते हैं।)
Google Translate :
Humor: An enlightening tale of Gabbar and the virus… all dedicated to Bose!
- Yes, how many viruses were there?
- Sardar 2 virus.
- Those 2 and you 3, still come back, empty handed… Did you understand that Sardar would be very happy, thank you, why?
- No Sardar, don't come empty handed ..
- so!!
- Viruses are brought together…
- Ok, what will happen to you then Kalia?
- Sardar will be mine, but what will happen to you? Look at that, the corona climbed over you too… Now laugh loudly yes yes yes yes…
Moral of the Story (For the Boss Type People): Don't always expect subordinates. Sometimes their empty handedness is good for the boss.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thanks for your comment