By Jayjeet
मप्र से जैसे ही हॉर्स ट्रेडिंग की खबर आई, यह रिपोर्टर अपने खच्चर पर बैठ सीधे पहुंच गया अस्तबल… इंटरव्यू की आज्ञा-वाज्ञा टाइप की फार्मलिटीज पूरी हो, उससे पहले ही रिपोर्टर को देखकर हॉर्स ने कहा, आओ गुरु, मुझे मालूम था तुम मेरे पास ही आओगे…
रिपोर्टर : यह आपको कैसे मालूम था?
हॉर्स : राजनीति और पत्रकारिता को देखे अरसा हो गया है। अब तुम पत्रकारों से ज्यादा पत्रकारिता समझने लगा हूं…
रिपोर्टर : मतलब?
हॉर्स : मतलब यही कि जहां सुभीता हो, वहां की पत्रकारिता करो।
रिपोर्टर : थोड़ा डिटेल में बताएंगे महोदय कि आपके यह कहने का आशय क्या है? मुझे यह आरोप प्रतीत हो रहा है।
हॉर्स : भैया, हॉर्स ट्रेडिंग स्साले वे नेता करें और सवाल उनसे पूछने के बजाय हमसे पूछ रहे हों? ये सुभीता की पत्रकारिता नहीं तो और क्या है?
रिपोर्टर : महोदय, आपका गुस्सा जायज है, लेकिन कृपया इस खच्चर के सामने तो हमें जलील न करो…
हॉर्स : ओ हो, माफी चाहता हूं, मुझे लगा कि साथ में तुम्हारा साथी है। खैर, पूछो क्या पूछना है?
रिपोर्टर : विधायकों की खरीद पर बार-बार हॉर्स ट्रेडिंग शब्द का यूज किया जाता है। क्या नेताओं के साथ तुलना आपको अपमानजनक नहीं लगती?
हॉर्स : कोई नया सवाल नहीं है? ये तो आप पहले भी पूछ चुके हो, पचास बार पूछ चुके हो। कुछ पढ़ा-लिखा करो जरा..
रिपोर्टर : अभी कृपा करके नए पाठकों के लिए बता दीजिए। मैं जाकर पढ़ लूंगा…
हॉर्स : चलिए,थोड़ी इज्जत रख लेता हूं। तो हमारे घोड़ों का जो एसोसिएशन है, उसने मई 2018 में कर्नाटक में विधायकों की खरीद-फरोख्त के दौरान बार-बार हॉर्स ट्रेडिंग शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। उस याचिका में हॉर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिया था कि हॉर्स ट्रेडिंग का नाम बदलकर ‘डंकी ट्रेडिंग’ किया जा सकता है।
रिपोर्टर : ये तो एकदम सटीक नाम है। फिर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
हॉर्स : सुप्रीम कोर्ट कुछ कहे, उससे पहले ही डंकियों के एसोसिएशन की इस पर आपत्ति आ गई। उनका कहना था कि वे पहले से ही बदनाम हैं। ऊपर से नेताओं की खरीद-फरोख्त के साथ उनका नाम जोड़ दिया गया तो वे मुंह दिखाने के लायक भी न रहेंगे।
रिपोर्टर : तो अब क्या स्थिति है महोदय?
हॉर्स : अभी तो मामला सब्ज्यूडाइस है। इसलिए ज्यादा बोलना अदालत की अवमानना हो जाएगा।
रिपोर्टर : अगर घोड़ों और गधों दोनों को आपत्ति है, तो क्यों न खच्चर ट्रेडिंग नाम रख लिया जाए। क्या विचार है?
घोड़ा विचार करें, उससे पहले ही यह रिपोर्टर जिस खच्चर पर बैठा था, वह बिदक गया…. और दचक के नौ-दो ग्यारह हो गया…
घोड़ा जोर-जोर हिनहिनाकर हंस रहा है… और यह रिपोर्टर ब्रेकिंग न्यूज देने जा रहा है कि गधों और खच्चरों के बीच फंसी नेताओं की ट्रेडिंग…
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