By Jayjeet
रिपोर्टर घर पर बैठा है तो ऐसा नहीं है कि वह जांबाज़ नहीं है। जांबाज़ होने का मतलब केवल बाहर घूमना नहीं, बल्कि खुद को और दूसरों को भी सुरक्षित रखना है। पर काम तो करना है। बॉस ने कहा कि किसी का इंटरव्यू लेकर आओ, ऐसे का जिसका इंटरव्यू आज तक किसी ने नहीं लिया हो। बड़ी मुसीबत है। बॉस लोग कुछ भी आदेश जारी कर देते हैं। पर ठीक है। रिपोर्टर को चुनौती मंजूर है। इन दिनों देश-प्रदेश में जो हालात हैं, उनमें सबसे पहले भगवान ही याद आए। तो सोचा चलो उन्हीं का इंटरव्यू कर लेते हैं। पर भगवान से डायरेक्ट बात कैसे करें। तो रिपोर्टर ने यह काम ट्रांसफर कर दिया अपने मित्र इब्नबतूता की आत्मा को जो पिछले कुछ महीनों से धरती की यात्रा पर है। अब आत्मा-ए-इब्नबतूता अपने मित्र की बात कैसे टालें.. तो वह अपनी दैवीय शक्ति से सीधे पहुंच गई भगवान के पास…
आत्मा-ए-इब्नबतूता : भगवान जी, हाथ जोड़कर नमन करता हूं…
भगवान : आप कौन? और ऐसी स्थिति में अपना घर छोड़कर मेरे पास क्यों आए हो? सोशल डिस्टेंसिंग का ना पता क्या?
आत्मा-ए-इब्नबतूता : जी, मैं इंटरव्यू लेने आया हूं, रिपोर्टर के प्रतिनिधि के तौर पर..
भगवान : सांसद प्रतिनिधि, विधायक प्रतिनिधि, यहां तक कि सरपंच प्रतिनिध तक सुना था। आज रिपोर्टर प्रतिनिधि, … खैर क्या पूछने आए हों?
आत्मा-ए-इब्नबतूता : भगवान जी, यह क्या हो रहा है इस समय हिंदुस्तान में?
भगवान : जब तुम्हें पता है तो फिर मुझसे क्यों पूछ रहे हों?
आत्मा-ए-इब्नबतूता : मेरे पूछने का तात्पर्य यह है कि जनता हाहाकार कर रही है तो आप कुछ करते क्यों नहीं हो? आप तो मदद के लिए हमेशा आते रहे हों, जब-जब भक्तों ने पुकारा…
भगवान : क्या हर बार जनता मेरे ही भरोसे बैठी रहेगी या कभी खुद भी कुछ करेगी?
आत्मा-ए-इब्नबतूता : हम तो सब लोग अपनी-अपनी ओर से कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे…
भगवान : अच्छा… तो तुम्हारा मास्क कहां है?
आत्मा-ए-इब्नबतूता : जी, वह तो मिला नहीं। मेडिकल शॉप वाले बड़े महंगे बेच रहे हैं..
भगवान : तो रुमाल नहीं है क्या?
आत्मा-ए-इब्नबतूता : हां, वह तो सबके पास रहता है, मेरे पास भी है..
भगवान : तुम इंसान लोगों को बहाने बनाने का कह दो। जब ज्यादा गड़बड़ होगी तो मेरे पास भाग के आओगे…मैं क्या कर लूंगा उसमें, हें?
आत्मा-ए-इब्नबतूता : जी, आप बिल्कुल सही फरमा रहे हैं। मैं आपका समर्थन करता हूं…
भगवान : अरे उल्लू के पट्ठे, करोना वायरस को लेकर सरकार, पुलिस, डॉक्टर्स जो कह रहे हैं, उसका समर्थन कर…
आत्मा-ए-इब्नबतूता : भगवान जी, मैं इंसान नहीं, आत्मा हूं। मुझे क्यों डांट रहे हों? मैं तो अपने उस रिपोर्टर दोस्त के चक्कर में आपके पास आ गया।
भगवान : जो भी हो तुम, तुरंत नीचे धरती पर जाओ और वहां की जनता से, पढ़े-लिखे मूर्खों से मेरी ओर से करबद्ध प्रार्थना करना और कहना कि भगवान भी उन्हीं की मदद करते हैं, तो खुद अपनी मदद करते हैं… अब जा यहां से, नहीं तो भूत बना दूंगा और टीवी पर ब्रेकिंग चल जाएगी।
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Satire: Will the public always trust me or will they do something themselves? : God
If the reporter is sitting at home, it is not that he is not brave. Being brave means not only walking outside, but also protecting yourself and others. But you have to work. The boss said, bring someone's interview, someone whose interview has not been taken till date. It is a big problem. Bosses issue orders for anything. But ok The reporter accepts the challenge. These days, God is the first one to remember the situation in the country. So thought let's interview them. But how to talk to God directly. So the reporter transferred this work to the soul of his friend Ibn Batuta who has been traveling the earth for the last few months. Now how to avoid the talk of my friend Atma-e-Ibn Batuta .. So she reached God directly with her divine power…
Atma-e-Ibn Batuta: Lord, I bow with folded hands…
God: Who are you? And why have you left your home and come to me in such a situation? Don't know about social distancing?
Atma-e-Ibn Batuta: Yes, I have come to interview, as the representative of the reporter ..
Bhagavan: MP representative, MLA representative, even sarpanch representative was heard. Today reporter representative,… well what did you come to ask?
Atma-e-Ibn Batuta: Lord, what is happening in India right now?
Bhagavan: When you know then why are you asking me?
Atma-e-Ibn Batuta: I mean to ask that if the public is crying, why don't you do something? You have always been coming for help, whenever the devotees called…
Bhagavan: Will the people always trust me or will they do something themselves?
Atma-e-Ibn Batuta: We all are leaving no stone unturned on our own behalf…
God: Okay… so where is your mask?
Atma-e-Ibn Batuta: Yes, he is not found. Medical shops are selling expensive ones ..
Bhagavan: So what is a handkerchief?
Atma-e-Ibn Batuta: Yes, he lives with everyone, I also have ..
God: Tell us humans to make excuses. When there is more mess then I will come to the part… what will I do in it, huh?
Atma-e-Ibn Batuta: Yes, you are absolutely right. I support you…
God: Oh owl's feet, support what the government, police, doctors are saying about the Karona virus…
Atma-e-Ibn Batuta: God, I am not a human being, a soul. Why are you scolding me? I came to you in the affair of my reporter friend.
God: Whatever you are, immediately go down to earth and pray to the people there, educated fools on my behalf and say that God also helps them, so help themselves… now go here Otherwise, I will create a ghost and the TV will be breaking.
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