By Jayjeet
कोरोना ने
हम सब लोगों की जिंदगी में तूफान मचा रखा है। लेकिन अक्षय तृतीया के बाद से अब यह
तूफान कोरोना की जिंदगी में उठ रहा है। वजह - उसने कोरोनी से शादी जो कर ली है।
कोरोना की जिंदगी में क्या स्यापा चल रहा है, आइए सुनते हैं कोरोना और उसकी
धर्मपत्नी यानी कोरोनी की यह बातचीत।
कोरोना
: हे कोरोनी, तुमने ये इतना बड़ा-सा घुंघट क्यों डाल रखा है?
कोरोनी
: आपसे हमें संक्रमण ना हो जाए, इसी खातिर...
कोरोना
: अरे, जबसे तुमसे शादी हुई है, तबसे हममें संक्रमित करने की ना तो
इतनी ताकत बची, ना इतना समय..
कोरोनी
: तो इसमें हमें काहे दोष देते हों? हमने ऐसा क्या किया?
कोरोना
: क्या किया? सुबह से ही बिस्तर पर बैठे-बेठे ऑर्डर देने लगती हो, चाय
बनी क्या? नाश्ता बना क्या? चाय-नाश्ता बनाकर फारिग होता ही हूं कि आलू-प्याज की
रट लगा देती हो। बस, थैला उठाए आलू-प्याज और सब्जी लेने निकल जाता हूं। लोगों को
संक्रमित क्या खाक करुं?
कोरोनी
(घुंघट को हटाते हुए) : देखिए जी, अब ये तो ज्यादा हो रहा है... अरे और दूसरे
हस्बैंड लोग भी तो हैं। वे अपने पड़ोस में शर्माजी को ही देखो..
कोरोना
: शर्माजी, कौन शर्माजी?
कोरोनी
: वही शर्माजी, जिनको तुमने हमारी इन्गेजमेंट के दिन ही संक्रमित किया
था, भूल गए क्या? देखो उनको भी तो, कैसे बीवी के इशारों पर नाचते हैं, पर बॉस की
भी पूरी हाजिरी लगाते हैं। ऐसे एक नहीं, कई लोग हैं जो बीवी और बॉस दोनों की चाकरी
पूरे तन-मन से करते हैं और मुंह से उफ्फ तक नहीं निकलाते। और एक तुम हो कि बीवी
जरा-से काम क्या बताती, उसी में चाइना वाली नानी याद आने लगती है.... काम धाम कुछ
नहीं, शो-बाजी तो पूछो मत...
कोरोना
(गुस्से में) : क्या काम-धाम ना करता हूं, बताओ तो जरा? सुबह उठकर
चाय-नाश्ता तैयार मैं करता हूं, सब्जी-वब्जी मैं लाता हूं। दोनों टाइम के बर्तन
मैं साफ करता हूं। तंग आ गया मैं तो ... घर-गृहस्थी के चक्कर में अपना असली काम ही
भूल गया... देखो, कैसे लोग बिंदास बगैर मास्क लगाए घूम रहे हैं, जैसे मुझे चिढ़ा
रहे हों कि आ कोरोना आ... पर अब ताकत ही ना बची ...
कोरोनी
(मामले को शांत करते हुए) : अरे जानू, तुम तो
नाराज हो गए। अच्छा, चलो आज डिनर में चाऊमिन मैं बना दूंगी। .... और सुनो जी,
गांधी हॉल में साड़ी की सेल शुरू हुई है। उसमें हजार-हजार की साड़ी पांच-पांच सौ
में मिल रही है। चलो ना वहां, तुम्हारा भी मूड फ्रेश हो जाएगा...
कोरोना
(सीने पर हाथ रखते हुए) : हे भगवान, क्यों सेल
का नाम लेकर मेरा बीपी बढ़ा रही हो? उधर, सरकार ने वैक्सीन पर फिर पॉलिसी बदल ली है।
मेरे लिए तो जिंदगी में टेंशन ही टेंशन है। क्या करुं, कहां जाऊं...!!
कोरोनी
: हाय
दैया, ये सरकार है कि तमाशा है। पल में तोला, पल में माशा। पर सरकार तुम्हारे पीछे
हाथ धोकर क्यों पड़ी है?
कोराना
: अरे
हमें पूरी तरह से नाकारा बनाने के लिए, और क्या! आधे मरे को पूरा मारने के लिए।
कोरोनी : अजी, तब तो
तुम टेंशन मत लो। हम सरकार से कह देंगे कि देश में कोनो वैक्सीन-फैक्सीन की जरूरत
नहीं है। अब हम है ना...!! और अब फटाफट तैयार हो जाओ। लॉकडाउन खुलने के बाद पहली
सेल है। ऐसा ना हो कि सेल में अच्छी-अच्छी साड़ियां पहले ही खतम हो जाए...
और कोरोना
"जी जी' करते हुआ तैयार हुआ और कंधे झुकाए निकल पड़ा बाइक पर कपड़ा मारने...
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