गुजरात की सूरत लोकसभा सीट से भले ही भाजपा के प्रत्याशी मुकेश दलाल को निर्विरोध विजयी घोषित कर दिया गया है और निर्वाचन आयोग ने उन्हें सर्टिफिकेट भी दे दिया है। फिर भी एक हाइपोथेटिकल स्थिति की कल्पना कर रहा हूं कि अगर यह मामला सुप्रीम कोर्ट में जाता है और कोर्ट कहता है कि NOTA के होते हुए किसी को भी निर्विरोध नहीं चुना जा सकता, तब मामला कितना दिलचस्प हो जाएगा!!
तो चुनाव होगा...
नोटा V/s दलाल...!!
अगर ऐसा होता है तो यह NOTA के लिए यह कितना क्रांतिकारी होगा!!!
तब कहलाएगा ये असल लोकतंत्र!!!
पुनश्च... कई लोगों को बड़ा अफसोस हो रहा होगा कि काश, बतौर निर्दलीय वे भी परचा दाखिल कर देते तो लोकतंत्र की बहती गंगा में वे भी हाथ धो लेते।
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