यहां आपको कॉन्टेंट मिलेगा कभी कटाक्ष के तौर पर तो कभी बगैर लाग-लपेट के दो टूक। वैसे यहां हरिशंकर परसाई, शरद जोशी जैसे कई नामी व्यंग्यकारों के क्लासिक व्यंग्य भी आप पढ़ सकते हैं।
बुधवार, 11 मार्च 2020
मंगलवार, 10 मार्च 2020
Humor :अपनी कुत्ता फजीहत से तंग आकर सुसाइड करने जा रहे थे 2 कोरोना वायरस, देखिए फिर क्या हुआ?
By Jayjeet
आगरा में ताजा-ताजा पहुंचे कोरोना के दो वायरस आपस में बातें कर रहे थे।
पहला कोरोना : यार कमाल है। हम यहां आतंक फैलाने आए हैं और ये स्साले इंडियन, जोक्स और मीम्स में हमारा मजाक उड़ा रहे हैं। हद है यार…
दूसरा कोरोना : हां, भाई इनका कुछ नहीं हो सकता। आ लौट चलें…
पहला : कहां?
दूसरा : अपने देश चाइना,और कहां!
पहला : अबे मरवाएगा क्या, वहां चाइनीज सरकार हमें चाइना वाॅल से लटका-लटकाकर इतना मारेगी कि हमारे पुरखे याद आ जाएंगे।
दूसरा : जो भी हो, इंडिया से मन भर गया… इन स्सालों की तो हर चीज को लाइटली लेने की आदत ही हो गई है। हमें भी लाइटली ले रहे हैं…
पहला : तो क्या करें? सुसाइड कर लें?
दूसरा : हां, अब यही एक रास्ता बचा है। चल ताजमहल के पीछे चलते हैं। वहीं से जमुनाजी में डुबकी मारकर इहलीला समाप्त कर लेंगे। न रहेंगे हम, न होगी हमारी इत्ती कुत्ता फजीहत।
पहला : अरे नहीं, वो तो बहुत गंदी है। उसकी बू तो यहां तक आ रही है। मैं उसमें डुबकी नहीं मार सकता।
दूसरा : ये तेरे दिमाग का लोचा है। वो साफ है। अभी ट्रम्प जी यहां आए थे तो उसे साफ किया गया था।
पहला : एक तो तू ट्रम्प को ट्रम्पजी बोलना छोड़। तुझे पता नहीं वो हमारा दुश्मन है!
दूसरा : ट्रम्प हमारा दुश्मन कैसे हो गया?
पहला : अरे भिया, हमारी कंट्री को ट्रेड वॉर में फंसा रखा है उसने। हमारी इकोनॉमी की वाट लग गई है उससे।
दूसरा : इकोनॉमी तो ठीक है। पर ये बता, भिया शब्द कहां से सीख लिया?
पहला : कल यहां दो इंदौरी आए थे। उन्होंने ही सिखाया। और साथ में क्या झन्नाट नमकीन खिलाया, मजा आ गया।
दूसरा : अरे खां, क्या बात है! इंदौरियों से मिल लिए आप तो।
पहला : लगता है तू किसी भोपाली से मिल लिया है!
दूसरा : हां, कल एक भोपाली मियां अड़सट्टे में आ गए थे। तो उन्हीं से अरे खां सीखा…
पहला : पर तूने उनको इंफेक्टेड तो नहीं किया?
दूसरा : नई रे… सीधे-सीधे मानुष। पर तूने तो इंदौरियों को नहीं किया?
पहला : मैंने भी छोड़ दिया। वैसे भी झन्नाट नमकीन खाने वाले इंदौरी अपन से कोई इंफेक्टेड हो रिये क्या?
दूसरा : चल बहुत फालतू बातें हो गईं। पाइंट पर आते हैं, बता सुसाइड का क्या करना?
पहला : छोड़ यार। इंडियन्स को देख। कोई टेंशन नहीं। हम काहें सुसाइड करेंगे? सुसाइड करेंगी डेंगू की अम्मा..।
दूसरा : तो हम क्या करेंगे? यहीं रहेंगे?
पहला : अपन तो सीधे पटाया चलते हैं। वहीं कुछ दिन एश करेंगे। फिर देखते हैं..
दूसरा : थाईलैंड वाला पटाया? तो रुक। जरा आगरे का पैठा बांध लूं दो-चार किलो…
#Humor #Satire #Coronavirus
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रविवार, 8 मार्च 2020
Humor : कोरोना वायरस को इन 7 पारंपरिक तरीकों से भी मार सकते हैं, सातवां तरीका सबसे दमदार
By Jayjeet
हिंदी सटायर डेस्क। इन दिनों दुनियाभर के वैज्ञानिक और डॉक्टर्स कोरोना वायरस के खात्मे के लिए काम कर रहे हैं। अब जबकि कोरोना भारत भी आ गया है तो उसे मारने के लिए हम पारंपरिक तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं। पारंपरिक तरीके कई हो सकते हैं। लेकिन हम 7 तरीके बता रहे हैं :
तरीका एक : कोरोना के लिए राहुल गांधी की एक चुनावी रैली आयोजित करवाकर। उनका भाषण सुनने के बाद वह हंस-हंसकर ही यमलोक सिधार जाएगा।
तरीका दो : इसे मोदीजी का कोई भी भाषण सुनवा दीजिए। मोदीजी की फेंकी हुई चीजों को संभालते-संभालते ही वह टें बोल जाएगा।
तरीका तीन : कोरोना को उसके उसके बच्चे के एडमिशन के लिए किसी भी प्राइवेट स्कूल भेज दीजिए। फीस और अन्य खर्च सुनकर वह इतने अवसाद में चला जाएगा कि अपने आप मौत हो जाएगी।
तरीका चार : उसे हमारे यहां के किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कर दीजिए। एक दिन वह खुद ही डॉक्टर से बोल देगा – डॉक साहब, मेरा लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटा दीजिए।
तरीका पांच : कोरोना के वायरसों को दो समूहों में बांटकर एक का नामकरण हिंदू और दूसरे का मुस्लिम कर दीजिए। फिर कोई अफवाह फैला दो। आपस में ही लड़कर मर मिटेंगे।
तरीका छह : उसे किसी धर्मस्थल की लाइन में खड़ा कर दीजिए। उसे देखकर लोग इतने बेकाबू हो जाएंगे कि वहां मची भगदड़ में वह मारा जाएगा।
तरीका सात (सबसे दमदार) : योगीजी से बोलकर उसका नाम ‘नेता’ कर दीजिए। वह इतना नीचे गिर जाएगा, इतना नीचे गिर जाएगा कि फिर कभी उठ ही ना पाएगा।
#coronavirus jokes #humor #satire
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शनिवार, 7 मार्च 2020
Humor : हॉर्स ट्रेडिंग वाले घोड़े से कर्री बात, गधों और खच्चरों के बीच फंसी नेताओं की ट्रेडिंग..
By Jayjeet
मप्र से जैसे ही हॉर्स ट्रेडिंग की खबर आई, यह रिपोर्टर अपने खच्चर पर बैठ सीधे पहुंच गया अस्तबल… इंटरव्यू की आज्ञा-वाज्ञा टाइप की फार्मलिटीज पूरी हो, उससे पहले ही रिपोर्टर को देखकर हॉर्स ने कहा, आओ गुरु, मुझे मालूम था तुम मेरे पास ही आओगे…
रिपोर्टर : यह आपको कैसे मालूम था?
हॉर्स : राजनीति और पत्रकारिता को देखे अरसा हो गया है। अब तुम पत्रकारों से ज्यादा पत्रकारिता समझने लगा हूं…
रिपोर्टर : मतलब?
हॉर्स : मतलब यही कि जहां सुभीता हो, वहां की पत्रकारिता करो।
रिपोर्टर : थोड़ा डिटेल में बताएंगे महोदय कि आपके यह कहने का आशय क्या है? मुझे यह आरोप प्रतीत हो रहा है।
हॉर्स : भैया, हॉर्स ट्रेडिंग स्साले वे नेता करें और सवाल उनसे पूछने के बजाय हमसे पूछ रहे हों? ये सुभीता की पत्रकारिता नहीं तो और क्या है?
रिपोर्टर : महोदय, आपका गुस्सा जायज है, लेकिन कृपया इस खच्चर के सामने तो हमें जलील न करो…
हॉर्स : ओ हो, माफी चाहता हूं, मुझे लगा कि साथ में तुम्हारा साथी है। खैर, पूछो क्या पूछना है?
रिपोर्टर : विधायकों की खरीद पर बार-बार हॉर्स ट्रेडिंग शब्द का यूज किया जाता है। क्या नेताओं के साथ तुलना आपको अपमानजनक नहीं लगती?
हॉर्स : कोई नया सवाल नहीं है? ये तो आप पहले भी पूछ चुके हो, पचास बार पूछ चुके हो। कुछ पढ़ा-लिखा करो जरा..
रिपोर्टर : अभी कृपा करके नए पाठकों के लिए बता दीजिए। मैं जाकर पढ़ लूंगा…
हॉर्स : चलिए,थोड़ी इज्जत रख लेता हूं। तो हमारे घोड़ों का जो एसोसिएशन है, उसने मई 2018 में कर्नाटक में विधायकों की खरीद-फरोख्त के दौरान बार-बार हॉर्स ट्रेडिंग शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। उस याचिका में हॉर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिया था कि हॉर्स ट्रेडिंग का नाम बदलकर ‘डंकी ट्रेडिंग’ किया जा सकता है।
रिपोर्टर : ये तो एकदम सटीक नाम है। फिर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
हॉर्स : सुप्रीम कोर्ट कुछ कहे, उससे पहले ही डंकियों के एसोसिएशन की इस पर आपत्ति आ गई। उनका कहना था कि वे पहले से ही बदनाम हैं। ऊपर से नेताओं की खरीद-फरोख्त के साथ उनका नाम जोड़ दिया गया तो वे मुंह दिखाने के लायक भी न रहेंगे।
रिपोर्टर : तो अब क्या स्थिति है महोदय?
हॉर्स : अभी तो मामला सब्ज्यूडाइस है। इसलिए ज्यादा बोलना अदालत की अवमानना हो जाएगा।
रिपोर्टर : अगर घोड़ों और गधों दोनों को आपत्ति है, तो क्यों न खच्चर ट्रेडिंग नाम रख लिया जाए। क्या विचार है?
घोड़ा विचार करें, उससे पहले ही यह रिपोर्टर जिस खच्चर पर बैठा था, वह बिदक गया…. और दचक के नौ-दो ग्यारह हो गया…
घोड़ा जोर-जोर हिनहिनाकर हंस रहा है… और यह रिपोर्टर ब्रेकिंग न्यूज देने जा रहा है कि गधों और खच्चरों के बीच फंसी नेताओं की ट्रेडिंग…
#Horse_trading #satire #humor #Jayjeet
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गुरुवार, 5 मार्च 2020
Funny Interview : गधों और खच्चरों के बीच फंसी नेताओं की ट्रेडिंग
By Jayjeet
मप्र से जैसे ही हॉर्स ट्रेडिंग की खबर आई, यह रिपोर्टर अपने खच्चर पर बैठ सीधे पहुंच गया अस्तबल… इंटरव्यू की आज्ञा-वाज्ञा टाइप की फार्मलिटीज पूरी हो, उससे पहले ही रिपोर्टर को देखकर हॉर्स ने कहा, आओ गुरु, मुझे मालूम था तुम मेरे पास ही आओगे…
रिपोर्टर : यह आपको कैसे मालूम था?
हॉर्स : राजनीति और पत्रकारिता को देखे अरसा हो गया है। अब तुम पत्रकारों से ज्यादा पत्रकारिता समझने लगा हूं…
रिपोर्टर : मतलब?
हॉर्स : मतलब यही कि जहां सुभीता हो, वहां की पत्रकारिता करो।
रिपोर्टर : थोड़ा डिटेल में बताएंगे महोदय कि आपके यह कहने का आशय क्या है? मुझे यह आरोप प्रतीत हो रहा है।
हॉर्स : भैया, हॉर्स ट्रेडिंग स्साले वे नेता करें और सवाल उनसे पूछने के बजाय हमसे पूछ रहे हों? ये सुभीता की पत्रकारिता नहीं तो और क्या है?
रिपोर्टर : महोदय, आपका गुस्सा जायज है, लेकिन कृपया इस खच्चर के सामने तो हमें जलील न करो…
हॉर्स : ओ हो, माफी चाहता हूं, मुझे लगा कि साथ में तुम्हारा साथी है। खैर, पूछो क्या पूछना है?
रिपोर्टर : विधायकों की खरीद पर बार-बार हॉर्स ट्रेडिंग शब्द का यूज किया जाता है। क्या नेताओं के साथ तुलना आपको अपमानजनक नहीं लगती?
हॉर्स : कोई नया सवाल नहीं है? ये तो आप पहले भी पूछ चुके हो, पचास बार पूछ चुके हो। कुछ पढ़ा-लिखा करो जरा..
रिपोर्टर : अभी कृपा करके नए पाठकों के लिए बता दीजिए। मैं जाकर पढ़ लूंगा…
हॉर्स : चलिए,थोड़ी इज्जत रख लेता हूं। तो हमारे घोड़ों का जो एसोसिएशन है, उसने मई 2018 में कर्नाटक में विधायकों की खरीद-फरोख्त के दौरान बार-बार हॉर्स ट्रेडिंग शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। उस याचिका में हॉर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिया था कि हॉर्स ट्रेडिंग का नाम बदलकर ‘डंकी ट्रेडिंग’ किया जा सकता है।
रिपोर्टर : ये तो एकदम सटीक नाम है। फिर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
हॉर्स : सुप्रीम कोर्ट कुछ कहे, उससे पहले ही डंकियों के एसोसिएशन की इस पर आपत्ति आ गई। उनका कहना था कि वे पहले से ही बदनाम हैं। ऊपर से नेताओं की खरीद-फरोख्त के साथ उनका नाम जोड़ दिया गया तो वे मुंह दिखाने के लायक भी न रहेंगे।
रिपोर्टर : तो अब क्या स्थिति है महोदय?
हॉर्स : अभी तो मामला सब्ज्यूडाइस है। इसलिए ज्यादा बोलना अदालत की अवमानना हो जाएगा।
रिपोर्टर : अगर घोड़ों और गधों दोनों को आपत्ति है, तो क्यों न खच्चर ट्रेडिंग नाम रख लिया जाए। क्या विचार है?
घोड़ा विचार करें, उससे पहले ही यह रिपोर्टर जिस खच्चर पर बैठा था, वह बिदक गया…. और दचक के नौ-दो ग्यारह हो गया…
घोड़ा जोर-जोर हिनहिनाकर हंस रहा है… और यह रिपोर्टर ब्रेकिंग न्यूज देने जा रहा है कि गधों और खच्चरों के बीच फंसी नेताओं की ट्रेडिंग…
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सोमवार, 2 मार्च 2020
Funny : तुम इंसान ही हिंदू और मुसलमान हों, हम पत्थरों की कोई कौम नहीं होती…
हिंदी सटायर, नई दिल्ली। दिल्ली में दंगाई बेकाबू हुए तो इस जांबाज रिपोर्टर ने भी हिम्मत दिखाई और पहुंच गया मैदान-ए-जंग में। और कोई नज़र न आया तो उस पत्थर को ही रोक लिया जो बस दंगाई के हाथ से छूटने ही वाला था…(देखिए फोटो में उसकी तस्वीर…)
पत्थर : अबे, मुझे रास्ते में रोक लिया। बड़ी हिम्मत दिखाई तुने। सिर फूट जाता तो…
रिपोर्टर : क्या करें, कभी-कभी पत्रकार को हिम्मती नजर आना पड़ता है।
पत्थर : वाह, क्या हाइपोथेटिकल बात कही है! बाय दे वे, रोका क्यों?
रिपोर्टर : आपसे कुछ बात करनी है। और कोई तो जवाब दे नहीं रहा..
पत्थर : इधर दिल्ली जल रही है, उधर तुझे इंटरव्यू की सूझ रही है? पूछो, क्या पूछना, पर जल्दी। मेरे कई साथी अपने टारगेट पर जा चुके हैं …
रिपोर्टर : आप किस कौम से है?
पत्थर : हम पत्थरों की कोई कौम नहीं होती। और ये वाहियात सवाल पूछने के लिए तुमने मुझे रोका?
रिपोर्टर : पर इंसानों की तो होती है, कोई हिंदू है तो कोई मुसलमान।
पत्थर : स्सालो, इसीलिए तो आपस में लड़ते-झगड़ते हों…और ख़बरदार जो इंसानों के साथ मेरी तुलना की..
रिपोर्टर : शांत शांत, आप मुझ गरीब पत्रकार पर तो न बरसो..
पत्थर : बात ही बरसने वाली कर रहे हो, स्साला इतना फ्रस्टेशन है.. बताओ कहां बरसें..
रिपोर्टर : बरसो उन नेताओं पर जो तुम्हें दंगाइयों के हाथों में थमा देते हैं…
पत्थर : भाई, ऐसा करना तो हमारे हाथ में नहीं है…
रिपोर्टर : तो फिर किनके हाथ में है?
पत्थर : वही जिनके हाथ में हम हैं…
रिपोर्टर : मतलब?
पत्थर : मतलब जो हाथ पत्थर फेंक रहे हैं, बस वे हाथ जरा घूम ही लें उन नेताओं की ओर, जिन्होंने थमाए हैं हम मासूम पत्थर.. इतिहास बदल जाएगा, पर कभी दंगे नहीं होंगे, लिख लेना…
रिपोर्टर : पर मेरे भाई, इन्हें इसके लिए समझाएगा कौन?
पत्थर : तुम पत्रकार, और कौन…क्या ये तुम्हारी रिस्पॉन्सिबिलिटी नहीं है?
रिपोर्टर : अच्छा, चलता हूं…
#satire #humor #Jayjeet
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रविवार, 1 मार्च 2020
First Interview : जब कोरोना वायरस ने पॉलिटिकल सवाल पूछने से मना कर दिया…
By Jayjeet
कोरोना वायरस के भारत पहुंचते ही यह रिपोर्टर भी चौकस हो गया। उससे बचने के लिए नहीं, बल्कि उससे दो-दो हाथ करने के लिए। सीधे पहुंच गया सीधी बात करने।
रिपोर्टर : कोरोना जी, नमस्कार। क्या आप मेरी बात समझ पा रहे हैं?
कोरोना : आप तो किसी भी भाषा में बात कर लीजिए, हिंदी से लेकर भोजपुरी तक। सब समझ जाएंगे हम तो।
रिपोर्टर : कैसे भला?
कोरोना : हम चाइनीज वायरस हैं, एआई से लेस हैं।
रिपोर्टर : एआई मतलब?
कोरोना : अबे रिपोर्टर की औलाद, एआई ना जानता! मतलब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस।
रिपोर्टर : जनाब, आप अबे से परहेज करेंगे और थोड़ी-बहुत इज़्ज़त से पेश आएंगे क्या!
कोरोना : माफ करना, हम चाइनीज हैं। थोड़ी अकड़ तो रहेगी ना, डीएनए में ही है ये हमारे…अच्छा पूछिए क्या पूछना है। पर जरा जल्दी कीजिए, पूरे भारत का टूर करना है हमें।
रिपोर्टर : सबसे पहला सवाल तो यही है जनाब कि आप चमगादड़ से आए हो या पैंगोलिन से, जैसा कि आपकी सरकार ने दावा किया है।
(कोरोना ने चुप्पी साध ली..)
रिपोर्टर : क्या हुआ जनाब, कुछ तो बोलिए। चमगादड़ सूंघ गया क्या?
कोरोना (धीरे से) : भाई,पॉलिटिकल क्योश्चन नहीं। हमारी सरकार की हर जगह नजर रहती है। हम दो यहां पर हैं, पर हमारे चार भाई-बहन उनके कब्जे में हैं।
रिपोर्टर : ये क्या बात हुई भला, आपकी सरकार ना हुई, अजित हो गई…वही बॉलीवुडी अजित..जानते हो ना उसे?
कोरोना : सब जानता हूं, पर नो नॉलिटिकल क्योश्चन प्लीज…
रिपोर्टर : पॉलिटिकल सवाल ना पूछूं तो फिर क्या पूछूं? पत्रकार हूं आखिर…
कोरोना : वही एंटरटेन टाइप के क्योश्चन, जो तुम लोग अपने यहां की सरकारों से पूछते हों।
रिपोर्टर : बहुत टांट मार लिए। ये मत भूलिए,आप हमारी धरती पर हैं। अतिथि देवो भव: की भावना के कारण हम आपकी इज्जत कर रहे हैं, नहीं तो आप चाइनीज चीजों की वैसे हमारे यहां कोई इज्जत नहीं है।
कोरोना : क्या मतलब?
रिपोर्टर : मतलब, आपके बारे में सब कह रहे हैं कि चाइनीज है, कितना टिकेगा? महीना, दो महीना, तीन महीना..
कोरोना : पूरी दुनिया हमसे डर रही है और आप लोग हमें हलके में ले रहे हो?
रिपोर्टर : पर मेरा सवाल उलटा है। क्या आपको भारत आते डर नहीं लगा?
कोराना (धीरे से) : सच बताऊं, अंदर से तो डर ही रहा हूं, पता नहीं किस मोड़ पर बड़ा वायरस टकरा जाए। वो देखो, तुम्हारे पीछे ही बैनर पर एक बड़े वायरस के दर्शन हो गए..।
रिपोर्टर : अच्छा वो… वो तो हमारे माननीय हैं… सबके हृदय सम्राट। चुनाव में खड़े हुए हैं।
कोरोना : इसीलिए… इसीलिए मैंने हमारी सरकार से कहा भी था कि हमको इंडिया ना भेजो जी…वहां तो हमसे भी बड़े-बड़े वायरस हैं… पर कोई हमारी सुने तो …अच्छा भगता हूं…!
(यह इंटरव्यू मूल रूप से hindisatire.com पर प्रकाशित हुआ है।)
शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2020
खास बातचीत : कैसे ट्रम्प ने बापू के बंदर को भूखा रहने से बचा लिया…!
By jayjeet
कल ट्रम्प साहब ने गांधी आश्रम में बापू के बंदरों से मुलाकात की थी। तो यह रिपोर्टर भी आज सुबह-सुबह बंदरों के पास पहुंच गया। लेकिन नजर एक ही आया और वह भी स्मार्टफोन पर व्यस्त था। रिपोर्टर को देखते ही उसने स्मार्टफोन बाजू में पटक दिया। मौका देखकर रिपोर्टर ने भी राम-शाम किए बगैर ही सवाल दाग दिया- स्मार्टफोन में क्या देख रहे हों बापू के बंदर जी?
बापू का बंदर : अखबारों के ई-पेपर्स देख रहा था। देख रहा था कि ट्रम्प की हमसे मुलाकात के बारे में क्या-क्या ऊटपटांग छपा अखबारों में?
रिपोर्टर : आपके बाकी दोनों साथी कहां हैं?
बापू का बंदर : कोई साथी-वाथी नहीं है। मैं अकेला ही हूं। समय-काल के हिसाब से पोश्चर बदलता रहता हूं। कभी मुंह बंद कर लेता हूं, कभी आंखें तो कभी कान।
रिपोर्टर : अच्छा तो आप गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले प्राणी हो?
बापू का बंदर : बेटा, ज्यादा मालूम ना हो तो मुंह बंद रखना चाहिए। आय-बाय-शाय कुछ बकना नहीं चाहिए। मुंह बंद रखने वाली पोजिशन का मैसेज तुम पत्रकारों के लिए ही है, समझें…
रिपोर्टर : मुझ पर नाराज क्यों हो रहे हों? बाकी पत्रकार लोग टीवी पर कुछ भी बके जाते हैं। उन्हें भी तो मैसेज दीजिए।
बापू का बंदर : उन्हें मैसेज देने का कोई मतलब नहीं रहा। इसलिए मैं ही अक्सर कान ढंकने वाले पोश्चर में रहने लगा हूं।
रिपोर्टर : अच्छा, ट्रम्प साहब आश्रम आए पर विजिटर बुक में बापू के बारे में कुछ भी ना लिखा। बुरा ना लगा?
बापू का बंदर :अच्छा ही हुआ, ना लिखा। नहीं तो आज बापू को ऊप्पर एक दिन के लिए पश्चात्ताप व्रत रखना पड़ता और यहां मुझे भी जबरदस्ती भूखे मरना पड़ता। करे कोई, भरे कोई…।
रिपोर्टर : ट्रम्प साहब ने कल चरखे जी से भी मुलाकात की थी। क्या बात हुई उन दोनों में?
बापू का बंदर : वैसे ट्रम्प साहब के आगमन पर चरखे जी का तो कल मौन व्रत था। इसलिए जो भी कहा, ट्रम्प ने ही कहा। ट्रम्प के मुंह से बस यही सुनने में आया कि चरखा चलाने से कहीं आसान तो लोगों को चलाना है।
रिपोर्टर : अब आखिरी सवाल…. अरे आपने तो कानों पर हाथ रख लिए…
बंदरजी ने गर्दन हिलाकर जाने का इशारा किया। बाहर जाकर देखा तो टीवी चैनलों पर आय-बाय-शाय शुरू हो चुकी थी…
(Disclaimer : इसका मकसद केवल हास्य-व्यंग्य करना है, किसी की मानहानि करना नहीं। )
सोमवार, 24 फ़रवरी 2020
अहमदाबाद की दीवार ने गुस्से में क्यों कहा? मैं क्या कांग्रेस नजर आती हूं?
By Jayjeet
हिंदी सटायर डेस्क, अहमदाबाद। अहमदाबाद की दीवार से अब बात करने को कुछ बचा नहीं था। पर संपादक को पता नहीं, इस रिपोर्टर से क्यों उम्मीद थी कि बंदा कुछ तो नया लाएगा। तो भेज दिया उसी दीवार के पास जलील होने के लिए…
रिपोर्टर : दीवार जी दीवार जी, मैं रिपोर्टर फलानांचद, आपसे बात करनी है।
दीवार : अरे वाह, बड़ी जल्दी आ गए मुझसे बात करने!!
रिपोर्टर : आप मेरी तारीफ कर रही है या मेरे मजे ले रही है?
दीवार : अबे! पूरी दुनिया मुझसे बात करके चली गई। मुझ पर पता नहीं क्या-क्या लिखा जा चुका है। और तुम अब आ रहे हो?
रिपोर्टर : मैं क्या करता, दीवार जी। जरा बिजी था।
दीवार : ऐसी कौन-सी खबर थी जो मुझसे ज्यादा जरूरी थी?
रिपोर्टर : अब क्या बताएं। बाजू में वह पुराना खंडहर है ना, वहां भूत आ गया था। तो उसी भूत को कवर करने चला गया था।
दीवार : तो जाओ, भूत को ही कवर करो।
रिपोर्टर : आप भी तो भूत ही बनने वाली है। ट्रम्प साहब चले जाएंगे तो फिर आपको कौन पूछेगा भला? हे हे हे…
दीवार : तुम मुझसे बात करने आए हो तो सीधे से बात करो..इधर-उधर की क्यों फेंक रहे हो? और ये हंसने की क्या जरूरत है?
रिपोर्टर : जी, वही तो करने की कोशिश कर रहा हूं। अच्छा, पहला सवाल- इतनी फेमस होने पर आपको कैसा लग रहा है?
दीवार : अच्छा ही लग रहा है। मेहमाननवाजी में नवाचार शुरू हुआ है। हिंदुस्तान में यह पहला मौका है जब किसी मेहमान के आने पर दीवार बन रही है। नहीं तो रोड ही बनते आई है।
रिपोर्टर : कहा जा रहा है कि मोदीजी ने आपकी आड़ लेकर गरीबी छुपाने की कोशिश की है?
दीवार : देखिए, मैं कोई मोदी की अंधी भगत नहीं हूं। पर आप आंख खोलकर एक बात सोचिए। जो मोदी अपनी गरीबी नहीं छुपाते, बल्कि भर-भरके अपनी गरीबी का बखान करते हैं, वे भला दूसरों की गरीबी क्यों छुपाएंगे?
रिपोर्टर : तो फिर यह दीवार बनाई क्यों गई है? कोई तो कारण रहा होगा?
दीवार : चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए। चीन अगर 10 दिन में हॉस्पिटल बना सकता है तो हम भी 9 दिन में दीवार तो बना ही सकते हैं।
रिपोर्टर : जब ट्रम्प अहमदाबाद में आएंगे तो क्या वे आपसे भी मिलने आएंगे?
दीवार : देखो भाई, ये हाइपो थेटिकल टाइप के सवाल मुझे पसंद नहीं है। हां, मेरी डिजाइन उनकी डेस्क तक पहुंच चुकी है और जल्दी ही मैक्सिको की बॉर्डर पर वे इसी तरह की दीवार बनाने के निर्देश भी देने वाले हैं।
रिपोर्टर : सुना है, आपने ट्रम्प साहब की यात्रा के बाद खुद को हैरिटेज साइट में शामिल करवाने की लॉबिंग शुरू कर दी है?
दीवार : बस, तुम रिपोर्टर लोग सुनी-सुनाई बातों पर रिपोर्टिंग करते रहो। अरे, क्या मैं तुम्हें कांग्रेस नजर आ रही हो जो खुद को हैरिटेज में शामिल करवाने की बात करूं।
रिपोर्टर : अंतिम सवाल …
दीवार :तुम्हारा अंतिम सवाल हमेशा घटिया ही होता है। इसलिए अब कोई जवाब नहीं। धन्यवाद। मैं सोने जा रही हूं…
शनिवार, 22 फ़रवरी 2020
निर्वाचन आयोग से कांग्रेस की मांग, चुनावों में हो ‘कांग्रेस आरक्षित सीटाें’ की व्यवस्था
By Jayjeet
नई दिल्ली। कांग्रेस ने दिल्ली चुनावों में हुई हार से बड़ा सबक लेते हुए आने वाले तमाम चुनावों में अपने लिए सीटें आरक्षित करने की मांग की। इस संबंध में बुधवार को पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त से मिलकर अपना मांग-पत्र भी सौंपा।
दिल्ली चुनावों में लगातार दूसरी बार जीरो स्कोर करने के बाद यहां मंगलवार की रात को कांग्रेस कोर कमेटी की एक आपातकालीन बैठक हुई। बैठक में कई वरिष्ठ नेताओं का मानना था कि अगर लोकसभा चुनाव सहित सभी राज्यों की विधानसभा सीटों के लिए कांग्रेस पार्टी के लिए कुछ सीटें आरक्षित कर दी जाएं तो इससे भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक विरासत को बचाना संभव हो सकेगा। अगर निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस की यह मांग मान ली तो जिस तरह एससी/एसटी सीटों पर केवल इन्हीं वर्गों के लोग चुनाव लड़ सकते हैं, उसी तरह कांग्रेस आरक्षित सीटों पर भी कांग्रेसियों को ही चुनाव लड़ने की अनुमति होगी।
पार्टी को उम्मीद है कि इसी साल बिहार विधानसभा चुनावों से यह नई व्यवस्था लागू हो जाएगी। सूत्र ने बताया कि अगर निर्वाचन आयोग इस संबंध में कोई फैसला नहीं लेता है तो कांग्रेस व्यापक जनांदोलन छेड़ देगी। राहुलजी अगली छुट्टियां मनाकर जैसे ही विदेश से लौटेंगे, आंदोलन की रूपरेखा बना ली जाएगी। फिलहाल राहुलजी के जल्दी ही छुट्टियों पर जाने का इंतजार किया जा रहा है।
(खबरी व्यंग्य पढ़ने के लिए आप हिंदी खबरी व्यंग्यों पर भारत की पहली वेबसाइट http://www.hindisatire.com पर क्लिक कर सकते हैं।)
सोमवार, 10 फ़रवरी 2020
Humor : कांग्रेस को कोई खरीददार न मिल रहा तो मैं क्या करूं? : ताजमहल
By Jayjeet
कांग्रेस के वर्चुअल प्रेसिडेंट राहुल गांधी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर इस आरोप के बाद कि समय आने पर वे यानी मोदीजी ताजमहल को भी बेच सकते हैं, रिपोर्टर ब्रेकिंग न्यूज के चक्कर में सीधे ताजमहल के पास पहुंच गया। आप भी पढ़ें रिपोर्टर-ताजमहल के बीच हुई बातचीत के मुख्य अंश :
रिपोर्टर : सलाम वालेकुम चच्चा।
ताजमहल : तुम टूरिस्ट लोग भी भोत तलते हों.. और ये अस्सलामु अलैकुम होता है.. तमीज़ सीख लो जरा..
रिपोर्टर : चच्चा, मैं टूरिस्ट नहीं, रिपोर्टर हूं रिपोर्टर
ताजमहल : भैया, माफ़ करना, मैं आपके लिए फ्री में ताज दीदार की व्यवस्था नहीं करवा सकता..
रिपोर्टर : चच्चा, मैं ताज देखने ना आया, मैं तो आपके इंटरव्यू के लिए आया हूं
ताजमहल : ओ हो, इंटरव्यू, वॉट एन आइडिया…
रिपोर्टर : अरे, आप तो अंग्रेजी भी बोल लेते हैं!
ताजमहल (शर्माते हुए) : बस, टूरिस्ट्स की संगत में सीख गया…अच्छा बताओ क्या पूछना है?
रिपोर्टर : कल राहुल गांधी बोले कि मोदीजी ताजमहल, मसलन आपको भी बेच सकते हैं। क्या कहना है आपका इस पर…?
ताजमहल : अब, ये तुम मुझे अपनी घटिया सियासत में तो मत ही घसीटो..
रिपोर्टर : ओ हो, तो क्या आपके जमाने में सियासत नहीं होती थी?
ताजमहल : हां, होती थी। बेटा पिता को कैद कर लेता था। देखा है मैंने। भाई भाई को मरवा देता था। यह भी देखा है। पर इतना घटियापन ना था जो आप लोगों की सियासत में है। जो भी था, खुल्ला खेल था। ऐसा ना कि बाहर कुछ और, अंदर कुछ और।
रिपोर्टर : पर राहुलजी ने आपका नाम लिया है। कुछ तो बोलो…
ताजमहल : अब क्या बोलूं, मोदी है तो मुमकिन है।
रिपोर्टर : क्या राहुल जी की पीड़ा यह तो नहीं कि वे कहना चाह रहे हो कि देखो, मोदी ताजमहल जैसी बासी चीजों को तो बेच रहे हैं, पर कांग्रेस की कोई वकत नहीं…
ताजमहल (थोड़ी नाराजगी के साथ) : अब तुम मुंह तो मत खुलवाओ, कांग्रेस के कोई भाव हो तो बिके?
रिपोर्टर : चच्चा, तो कांग्रेस क्या करें?
ताजमहल : क्या करें!! खुद को हैरिटेज पार्टी घोषित करवा लें, फिर देखो कांग्रेस हेड क्वार्टर कैसे टूरिस्ट प्लेस बन जाएगा। और एक दिन कांग्रेस के बिकने की बात भी होने लगेगी।
रिपोर्टर : यानी आपका यह कहना है कि कांग्रेस खुद ही बिकना चाहती है, पर कोई खरीददार न मिल रहा… मतलब ब्रेकिंग न्यूज… मैं चला…
ताजमहल (जोर से चिल्लाते हुए) : अबे चच्चा की औलाद, मैंने ये कब बोला…तू खुद ही बोल रहा है ये उल्टा-सीधा … और ये ब्रेकिंग व्रेकिंग में मेरा नाम न लेना… अपनी भी कोई इज्जत है…
पर रिपोर्टर तो फांदते-फूंदते यह चला, वह चला…
# tajmahal
बुधवार, 5 फ़रवरी 2020
Satire : रिहाना के एक ट्वीट की कीमत पूरे 18 करोड़ , क्या खाक बराबरी करेंगी कंगना!
किसान आंदोलन को लेकर भारत पर सवाल उठाने वाली अमेरिकन सिंगर रिहाना (rihana) अब खुद विवादों में हैं। रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि उनके पोस्ट के लिए rihana को कनाडा की एक पीआर फर्म ने 18 करोड़ रुपए दिए थे, जो खालिस्तान समर्थक से जुड़ी है। देखिए, यह व्यंग्य शॉर्ट वीडियो...
क्रेकिंग इंटरव्यू… कांग्रेस को कोई खरीददार न मिल रहा तो मैं क्या करूं? : ताजमहल
ताजमहल से खास बातचीत…
कांग्रेस के वर्चुअल प्रेसिडेंट राहुल गांधी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर इस आरोप के बाद कि समय आने पर वे यानी मोदीजी ताजमहल को भी बेच सकते हैं, रिपोर्टर ब्रेकिंग न्यूज के चक्कर में सीधे ताजमहल के पास पहुंच गया। आप भी पढ़ें रिपोर्टर-ताजमहल के बीच हुई बातचीत के मुख्य अंश :
रिपोर्टर : सलाम वालेकुम चच्चा।
ताजमहल : तुम टूरिस्ट लोग भी भोत तलते हों.. और ये अस्सलामु अलैकुम होता है.. तमीज़ सीख लो जरा..
रिपोर्टर : चच्चा, मैं टूरिस्ट नहीं, रिपोर्टर हूं रिपोर्टर
ताजमहल : भैया, माफ़ करना, मैं आपके लिए फ्री में ताज दीदार की व्यवस्था नहीं करवा सकता..
रिपोर्टर : चच्चा, मैं ताज देखने ना आया, मैं तो आपके इंटरव्यू के लिए आया हूं
ताजमहल : ओ हो, इंटरव्यू, वॉट एन आइडिया…
रिपोर्टर : अरे, आप तो अंग्रेजी भी बोल लेते हैं!
ताजमहल (शर्माते हुए) : बस, टूरिस्ट्स की संगत में सीख गया…अच्छा बताओ क्या पूछना है?
रिपोर्टर : कल राहुल गांधी बोले कि मोदीजी ताजमहल, मसलन आपको भी बेच सकते हैं। क्या कहना है आपका इस पर…?
ताजमहल : अब, ये तुम मुझे अपनी घटिया सियासत में तो मत ही घसीटो..
रिपोर्टर : ओ हो, तो क्या आपके जमाने में सियासत नहीं होती थी?
ताजमहल : हां, होती थी। बेटा पिता को कैद कर लेता था। देखा है मैंने। भाई भाई को मरवा देता था। यह भी देखा है। पर इतना घटियापन ना था जो आप लोगों की सियासत में है। जो भी था, खुल्ला खेल था। ऐसा ना कि बाहर कुछ और, अंदर कुछ और।
रिपोर्टर : पर राहुलजी ने आपका नाम लिया है। कुछ तो बोलो…
ताजमहल : अब क्या बोलूं, मोदी है तो मुमकिन है।
रिपोर्टर : क्या राहुल जी की पीड़ा यह तो नहीं कि वे कहना चाह रहे हो कि देखो, मोदी ताजमहल जैसी बासी चीजों को तो बेच रहे हैं, पर कांग्रेस की कोई वकत नहीं…
ताजमहल (थोड़ी नाराजगी के साथ) : अब तुम मुंह तो मत खुलवाओ, कांग्रेस के कोई भाव हो तो बिके?
रिपोर्टर : चच्चा, तो कांग्रेस क्या करें?
ताजमहल : क्या करें!! खुद को हैरिटेज पार्टी घोषित करवा लें, फिर देखो कांग्रेस हेड क्वार्टर कैसे टूरिस्ट प्लेस बन जाएगा। और एक दिन कांग्रेस के बिकने की बात भी होने लगेगी।
रिपोर्टर : यानी आपका यह कहना है कि कांग्रेस खुद ही बिकना चाहती है, पर कोई खरीददार न मिल रहा… मतलब ब्रेकिंग न्यूज… मैं चला…
ताजमहल (जोर से चिल्लाते हुए) : अबे चच्चा की औलाद, मैंने ये कब बोला…तू खुद ही बोल रहा है ये उल्टा-सीधा … और ये ब्रेकिंग व्रेकिंग में मेरा नाम न लेना… अपनी भी कोई इज्जत है…
पर रिपोर्टर तो फांदते-फूंदते यह चला, वह चला…
मंगलवार, 4 फ़रवरी 2020
गुरुवार, 30 जनवरी 2020
Satire : पहले बजट हुआ 'बही खाता', अब महंगाई और टैक्स का नाम बदलने की बारी
हमारे देश में सबसे आसान काम होता है बजट का एनालिसिस करना। साथ ही महंगाई और टैक्स का नाम बदलने की क्यों है जरूरत, देखिए इस व्यंग्य वीडियो में ...
# बजट हास्य व्यंग्य, # बजट कटाक्ष, # budget satire
रविवार, 26 जनवरी 2020
#republic_day : एक बच्चे की डायरी से जानें गणतंत्र दिवस के असली मायने!
गणतंत्र दिवस के मायने अक्सर पूछे जाते हैं और हम सब फर्जी टाइप के जवाब देते हैं। गणतंत्र दिवस (republic-day) का हमारी जिंदगी में क्या मतलब है, इसका असली खुलासा तो 8 साल के एक बच्चे की डायरी से होता है। इस डायरी के कुछ पन्ने humourworld.com के हाथ लगे हैं। पेश है इसका सार :
प्रिय डायरी,
26 जनवरी को हमारे घर में खूब खुशी का माहौल होता है। पापा एक दिन पहले ही मम्मी से कह देते हैं, रेखा, कल छुट्टी है, जरा देर तक सोऊंगा।
इस बार भी पापा 9 बजे उठे हैं। नाश्ते के लिए बाहर से कचौरी-समोसे लाए। आते समय मेरे लिए प्लास्टिक की पन्नी वाले चार-पांच तिरंगा झंडे भी ले आए। कहा – जा तेरी साइकिल पर लगा लेना। अभी एक लगाना। गिर जाए तो फिर दूसरा लगा लेना। मम्मी ने कहा – ये क्यों लाकर देते रहते हो। सब कचरा करता रहेगा। पापा ने कहा- अरे, आज गणतंत्र दिवस है। बच्चों को हमारे तिरंगे के मायने पता होने चाहिए।
फिर जब मेरा झंडा गिर गया तो कहा- चिंटू, नीचे की चीज नहीं उठाना। नीचे बहुत गंदगी रहती है। दूसरा लगा लें, चार-पांच इसीलिए तो लाया हूं।
मम्मी ने खाना खाते-खाते पापा से कहा, – सुनो जी, आज कोई सेल चल रही है। 50 परसेंट तक डिस्काउंट मिल रहा है। मैंने कहा – मम्मी, रिपब्लिक डे सेल है। कोई ऐसी-वैसी सेल नहीं। पापा ने हंसकर कहा- देखा रिपब्लिक डे के बारे में तुमसे ज्यादा जानकारी तो अपने चिंटू को है।
हम सेल में जाने को तैयार हो रहे हैं। पापा बाहर के मौसम को देखकर कहते हैं- कमबख्त ये रिपब्लिक डे को भी रविवार को ही मरना था। एक दिन की छुट्टी मारी गई। सोमवार को आता तो तीन दिन की लगातार छुट्टी हो जाती। कहीं हो आते।
मम्मी ने कहा- तो ले लो। कल-परसो ले लो। ऑफिस के काम का क्या? होता रहेगा। नहीं भी होगा तो क्या फर्क पड़ेगा। पापा ने हामी में सिर हिला दिया।
तो अब तीन दिन हमारे साथ रहेंगे। … पिछली 15 अगस्त को भी तो ऐसा ही हुआ था।
(Disclaimer : यह खबर कपोल-कल्पित है। इसका मकसद केवल स्वस्थ मनोरंजन और सिस्टम पर कटाक्ष करना है, किसी की मानहानि करना नहीं।)
# republic_day # republic_day_satire
सोमवार, 20 जनवरी 2020
गुरुवार, 16 जनवरी 2020
Satire & Humour : भारत में कोरोना वैक्सीनेशन शुरू, लेकिन देश में हैं कोरोना से भी भयंकर वायरस, इनसे रहें बचकर
मंगलवार, 14 जनवरी 2020
#मकर_संक्रांति पर न नहाने वालों को भी मिलेगा पूरा पुण्य, सरकार ने जारी किया अध्यादेश
इस तरह से केवल पानी में उतरने को भी स्नान माना जाएगा।
By Jayjeet
नई दिल्ली। एक और हिंदुत्ववादी कदम उठाते हुए मोदी सरकार ने एक अध्यादेश जारी किया है जिसके तहत उन हिंदुओं को भी पूरा पुण्य उपलब्ध करवाया जाएगा जो ठंड के चलते मकर संक्रांति की अलसुबह स्नान करने में खुद को असमर्थ पाएंगे। हालांकि विपक्ष ने इसे सीएए की तरह ही धार्मिक भेदभाव वाला अध्यादेश करार दिया है।
यह फैसला यहां मंगलवार को मकर संक्रांति से एक दिन पहले बुलाई गई कैबिनेट की एक विशेष बैठक में लिया गया। फैसले के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि देश की बड़ी आबादी ठंड के कारण सप्ताह में तीन से चार दिन में एक बार ही नहा रही है। लेकिन मकर-संक्रांति पर मिलने वाले स्नान संबंधी पुण्य के मद्देनजर अधिकांश लोग धर्मसंकट में हैं कि नहाएं कि न नहाएं। लोगों को इसी धर्मसंकट से बाहर निकालने के लिए सरकार ने यह फैसला किया है। इसके लिए कैबिनेट ने हिंदू आचरण संहिता में संक्रांति के स्नान लाभ संबंधी अध्याय में आवश्यक संशोधन के लिए अध्यादेश लाने को मंजूरी दे दी है। इससे न नहाने वाले देश के करोड़ों हिंदुओं को फायदा होगा। यह अध्यादेश बुधवार की सुबह संक्रांति के दिन से देशभर में लागू हो जाएगा।
राहुल ने देशवासियों से किया जमकर नहाने का आह्वान :
विपक्ष ने सरकार के इस अध्यादेश को धार्मिक विभाजन बढ़ाने वाला कदम करार दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीररंजन ने कहा कि इस अध्यादेश से फिर साबित हो गया कि सरकार केवल हिंदुओं का ही ध्यान रख रही है। अगर सरकार की मंशा नेक होती तो वह मुस्लिमों को भी जुम्मे की नमाज के दिन स्नान वगैरह से छूट देने का इसमें प्रावधान करती। इस बीच, राहुल गांधी ने इस अध्यादेश के विरोध स्वरूप देशवासियों से जमकर नहाने का आह्वान किया है। आम लोगों को नहाने के लिए प्रेरित करने के वास्ते उन्होंने रणदीप सुरजेवाला, मनीष तिवारी, अधीररंजन चौधरी सहित कांग्रेस के सात नेताओं को सुबह ब्रह्म मुहुर्त में स्नान करने के निर्देश दिए। हालांकि उन्होंने पत्रकारों के इस सवाल का कोई सीधा जवाब नहीं दिया कि क्या विरोध स्वरूप वे भी नहाएंगे? राहुल ने मुस्कुराते हुए इतना ही कहा- “मैं कल ही नहाया हूं और आज भी फ्रेश ही नजर आ रहा हूं।”
अमित शाह की सफाई :
इस अध्यादेश पर अमित शाह ने मुस्कराते हुए इस तरह से सफाई दी, ‘मैं कहना चाहूंगा कि यह अध्यादेश स्नान नहीं करने से संबंधित है। यह किसी भी धर्म के व्यक्ति को नहाने के लिए मजबूर नहीं करता है, भले ही वह हिंदू हो या मुसलमान।’
(Disclaimer : इसका मकसद मकर संक्रांति के बहाने केवल राजनीतिक कटाक्ष करना है। धार्मिक भावनाओं का पूरा ख्याल रखा गया है… )
# makar-sankranti-snan