By Jayjeet
आज रिपोर्टर फिर निकल पड़ा किसी नए शिकार की तलाश में, यानी किसी मासूम का इंटरव्यू लेने। रास्ते में निवृत्त होने के लिए जैसे ही वह खेत की ओर मुड़ा, वहां एक टिड्डी नजर आ गई। बस, सबकुछ भूलकर उसने वहीं इंटरव्यू शुरू कर दिया :
रिपोर्टर : यहां कैसे? रास्ता भटककर यहां आ गई क्या?
टिड्डी : हम इंसान नहीं हैं जो बार-बार रास्ता भटक जाए। मैं तो नई संभावना की तलाश में यहां आई हूं। वैसे आपके एरिया में तो मामला पहले से ही सफाचट है। यहां कृषि अधिकारियों के दौरे ज्यादा होते हैं क्या?
रिपोर्टर : (हम्म..) पता नहीं। वैसे कृषि अफसर तो सीमित संख्या में आते हैं, पर जब तुम टूटती हो तो लाखों की संख्या में। यह बेरहमी क्यों?
टिड्डी : हमारी तो यही प्रकृति है। तो हम इसी का पालन करते हैं। तुम्हारे जैसे नहीं…
रिपोर्टर : पर यार, तुम फसलों को इतना चौपट कैसे कर सकती हों, वह भी रातो-रात?
टिड्डी : यार मत कहो….(चीखते हुए..) । हां, तुम इंसानों से कम ही चौपट करती हैं। हम कम से कम बागड़ होने का दिखावा तो नहीं करती। तुम इंसान तो बागड़ बनकर फसल खाते हों। हम ऐसा नहीं करतीं।
रिपोर्टर : अच्छा एक पर्सनल सवाल… तुम इतना खाती हो तो पचाती कैसी हों? मतलब…
टिड्डी : कभी अपने जनप्रिय नेताओं या भ्रष्ट सरकारी अफसरों से पूछने हिम्मत की है कि वे इतना खाकर कैसे पचाते हैं? तो जैसे वे पचाते हैं, वैसे ही हम पचा लेती हैं।
रिपोर्टर : मतलब तुम और हमारे नेता-अफसर एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं?
टिड्डी : हां, एक ही थैली के टिड्डे-बिड्डे भी कह सकते हैं…
रिपोर्टर : कहीं पढ़ा है कि तुम लोग भी रंग बदलने में माहिर हो। पर कैसे? यह कहां से सीखा?
टिड्डी : (थोड़ा शर्माते हुए) हमने तो गिरगिटों से सीखा था। और गिरगिटों ने शायद तुम इंसानों से। तो कह सकते हैं कि इस मामले में तुम इंसान ही हमारे पूर्वज हुए।
रिपोर्टर : अच्छा, एक बात बताइए…
टिड्डी : जी अब बहुत हो गए सवाल। तुम तो फोकटे मालूम पड़ते हो, पर मुझे बहुत काम हैं। पर हां, इस बार तुम्हारे सवाल ठीक थे। पुराने इंटरव्यू जैसे वाहियात नहीं थे। तैयारी करके आए थे इस बार…
रिपोर्टर : अच्छा, तो तुम मेरे इंटरव्यू पढ़ती हों?
टिड्डी : हां जी, कौन नहीं पढ़ता। पर गलतफहमी में मत रहना। सब पढ़कर मजे ही लेते हैं… अच्छा मैं उड़ी…।
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Google Translate :
Grasshopper's cleanliness: Never even ask politicians how they eat and digest so much?
Today the reporter set out again in search of a new victim, that is, to interview an innocent. As soon as he turned towards the farm to retire on the way, a locust appeared there. Just forgetting everything, he started the interview right there:
Reporter: How about here? Have you wandered here and gone here?
Grasshopper: We are not humans who wander the way again and again. I have come here in search of new possibilities. By the way, the matter is already clean in your area. Are there more visits of agricultural officers here?
Reporter: (Hmm ..) Don't know. Although agricultural officers come in limited numbers, but when you break up, then in lakhs. Why this ruthlessness?
Grasshopper: That is our nature. So this is what we follow. Not like you
Reporter: But man, how can you squash the crops so much, that too overnight?
Grasshopper: Don't say man…. (Screaming ..). Yes, you are less than humans. At least we do not pretend to be gardeners. You humans become a gardener and eat crops. We do not do this.
Reporter: Okay a personal question… how do you digest if you eat so much? meaning…
Grasshopper: Have you ever dared to ask your popular leaders or corrupt government officials how they eat so much and digest it? So as they digest, we digest.
Reporter: Meaning you and our leader-officer are in the same bag?
Grasshopper: Yes, one can also say grasshopper-bidders of the same bag…
Reporter: Have read somewhere that you guys are also experts in color change. but how? Where did you learn it?
Grasshopper: (blushing slightly) We had learned from the chameleons. And chameleons may be from you humans. So you can say that you humans became our ancestors in this matter.
Reporter: Okay, tell me one thing…
Grasshopper: So many questions. You seem to be torn apart, but I have a lot of work to do. But yes, your questions were correct this time. Older interviews were not as vicious. This time I came prepared.
Reporter: Okay, so you read my interview?
Grasshopper: Yes, who does not study. But don't be misunderstood. Everyone enjoys reading… well I flew….
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