शनिवार, 20 जून 2020

Not Funny : चाइनीज प्रोडक्ट्स के बायकॉट के इस दौर में हम जय श्री भैरू भवानी वाले से क्या सीख सकते हैं?



By Jayjeet

हम इस सवाल का जवाब जानें, उससे पहले एक नजर इस ठेले पर डाल लेने का आग्रह करता हूं। मंचुरियन, चाऊमिन से लेकर अमेरिकन चोप्सी तक यहां सबकुछ बिक रहा है। और यह भी पक्की बात है कि इन तमाम चीजों में शिमला मिर्च, सोयाबड़ी से लेकर पत्तागोभी जैसे चीजें होंगी। सॉसेस के नाम पर होगा तीखी मिर्च का पेस्ट…।

वापस सवाल पर आते हैं। जय श्री भैरू भवानी वाले से या भारत में चाऊमिन/मंचुरियन बेचने वालों से हम क्या सीखें? यही कि कैसे हमने शुद्ध चाइनीज प्रोडक्ट में अपनी हैसियत, अपनी टेस्ट हैबिट और अपने परिवेश के मुताबिक बदलाव करके एक ऐसी चीज बना दी जो चाइनीज होते भी हमारी है। क्या हमें ‘राष्ट्रभक्ति’ के नाम पर भैरू भवानी की चाऊमिन का विरोध करने की जरूरत है? बिल्कुल नहीं। हम इसे मजे से खा सकते हैं, बगैर इस ग्लानि के कि यह चाइनीज है। इसकी धेले भर की रॉयल्टी भी चाइना को नहीं मिलने वाली।

तो जरूरत इस बात की है कि हम महज चाइनीज चीजों के प्रोडक्ट्स का बहिष्कार करने के थोथे नारों से ऊपर उठें और यह देखें कि हम किन चाइनीज प्रोडक्ट्स को मेड इन इंडिया बना सकते हैं। जिन्हें बना सकते हैं, उन्हें बनाइए। जिन्हें नहीं बना सकते, उनका तब तक के लिए इस्तेमाल कीजिए जब तक कि उनका उचित विकल्प नहीं मिल जाता। क्योंकि देश की जरूरतों और देश के हितों के मुताबिक जमीनी व्याहारिकता पर चलना ही आज असली राष्ट्रभक्ति है।

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Google Translate : 

Not Funny: What can we learn from Jai Sri Bhairu Bhavani in this phase of Chinese products bycott?

Before we know the answer to this question, I urge you to take a look at this cart. Everything from Manchurian, Chowmin to American Chopsy is on sale here. And it is also a sure thing that there will be things like capsicum, soybean to cabbage among these things. There will be hot chili paste in the name of sausages….

Come back to the question. What can we learn from Jai Shri Bhairu Bhavani Wale or from those who sell Chowmin / Manchurian in India? This is how we changed our status, our test habit and our environment into pure Chinese product and made such a thing that we are Chinese. Do we need to oppose Bhairu Bhavani's Chaumin in the name of 'patriotism'? off course not. We can eat it with pleasure, without the guilt that it is Chinese. It is not even going to get royalties for China.


So the need is that we should rise above the slight slogans of boycotting the products of Chinese things and see which Chinese products we can make in India. Make those you can make. Those that cannot be made, use them till they find a suitable alternative. Because walking on the ground practicality according to the needs of the country and the interests of the country is the real patriotism today.

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