रविवार, 21 जून 2020

इस पति ने लिखकर दिया है कि वह भविष्य में सपने में भी ‘बायकॉट’ शब्द का नाम तक न लेगा, क्यों? पढ़ें यहां…




By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क। हमेशा भावनाओं में बहना अच्छी बात नहीं है। ग्राउंड रिएलिटीज देखना भी जरूरी है। लेकिन यहां के एक पति ने इसका ध्यान नहीं रखा और बायकॉट की राजनीति का शिकार हो गया।

यह घटना भोपाल के रानीगंज क्षेत्र में रविवार की सुबह घटित हुई। पति के एक जलकुकड़े पड़ोसी सूत्र की मानें तो इस क्षेत्र के एक मध्यमवर्गीय घर में रहने वाले एक मासूम पति ने टीवी और सोशल मीडिया पर चल रही ‘बायकॉट चाइनीज प्रोडक्ट्स’ की रौ में बहकर खुलेआम धमकी भरे अंदाज में बायकॉट्स की एक भरी-पूरी सूची अपनी पत्नी को थमा दी। इस सूची में पति ने बाकायदा तीन चीजों का बायकॉट करने की धमकी दी थी – बायकॉट चाय मेकिंग, बायकॉट लौकी एंड बायकॉट कपड़े सूखाना।

उस जलकुकड़े सूत्र (जो एक अन्य महिला का पति ही है) ने बड़े ही शान से बताया , “उसकी पत्नी ने वह सूची ली। उस पर तिरछी नजर डाली और फिर फाड़ दी। उसके बाद, अहा, कसम से, मजा आ गया। पूछो ही मत …।”

फिर क्या हुआ? इसके जवाब में जलकुकड़े सूत्र ने कहा- “मैंने खिड़की से हटने में ही भलाई समझी। ज्यादा देर तक तमाशा देखने में रिस्क था। पकड़ा जाता तो! मेरी भी पत्नी है घर में! आपका क्या!!”

उस जलकुकड़े ने दावा किया कि उस पति ने बाकायदा यह भी लिखकर दिया है कि वह भविष्य में बायकॉट शब्द के बारे में सपने में भी नहीं सोचेगा। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो सकी। इस बीच, उस पति की इस ओछी हरकत की अन्य सभी पतियों ने अपनी-अपनी पत्नियों के समक्ष कड़े शब्दों में निंदा की है।

गौरतलब है कि यह पति पहले भी ‘बायकॉट चीनी प्रोडक्ट्स’ जैसे कैम्पेन के दौरान आज जैसे हल्के-फुल्के समाज विरोधी कृत्यों में शामिल रहा था। लेकिन तब लोगों ने उसका बचपना समझकर उसे इग्नोर कर दिया था। लेकिन क्या पता था कि यह आदमी भविष्य में इतना बड़ा समाज विरोधी कदम उठा लेगा।

(Disclaimer : यह खबर कपोल-कल्पित है। कोई भी पति इतना बड़ा जोखिम नहीं उठा सकता।)

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शनिवार, 20 जून 2020

Not Funny : चाइनीज प्रोडक्ट्स के बायकॉट के इस दौर में हम जय श्री भैरू भवानी वाले से क्या सीख सकते हैं?



By Jayjeet

हम इस सवाल का जवाब जानें, उससे पहले एक नजर इस ठेले पर डाल लेने का आग्रह करता हूं। मंचुरियन, चाऊमिन से लेकर अमेरिकन चोप्सी तक यहां सबकुछ बिक रहा है। और यह भी पक्की बात है कि इन तमाम चीजों में शिमला मिर्च, सोयाबड़ी से लेकर पत्तागोभी जैसे चीजें होंगी। सॉसेस के नाम पर होगा तीखी मिर्च का पेस्ट…।

वापस सवाल पर आते हैं। जय श्री भैरू भवानी वाले से या भारत में चाऊमिन/मंचुरियन बेचने वालों से हम क्या सीखें? यही कि कैसे हमने शुद्ध चाइनीज प्रोडक्ट में अपनी हैसियत, अपनी टेस्ट हैबिट और अपने परिवेश के मुताबिक बदलाव करके एक ऐसी चीज बना दी जो चाइनीज होते भी हमारी है। क्या हमें ‘राष्ट्रभक्ति’ के नाम पर भैरू भवानी की चाऊमिन का विरोध करने की जरूरत है? बिल्कुल नहीं। हम इसे मजे से खा सकते हैं, बगैर इस ग्लानि के कि यह चाइनीज है। इसकी धेले भर की रॉयल्टी भी चाइना को नहीं मिलने वाली।

तो जरूरत इस बात की है कि हम महज चाइनीज चीजों के प्रोडक्ट्स का बहिष्कार करने के थोथे नारों से ऊपर उठें और यह देखें कि हम किन चाइनीज प्रोडक्ट्स को मेड इन इंडिया बना सकते हैं। जिन्हें बना सकते हैं, उन्हें बनाइए। जिन्हें नहीं बना सकते, उनका तब तक के लिए इस्तेमाल कीजिए जब तक कि उनका उचित विकल्प नहीं मिल जाता। क्योंकि देश की जरूरतों और देश के हितों के मुताबिक जमीनी व्याहारिकता पर चलना ही आज असली राष्ट्रभक्ति है।

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शुक्रवार, 19 जून 2020

Funny Interview : चाऊमीन ने समझाया कि कैसे चपटी नाक वाले चीनियों को हम दे सकते हैं करारा जवाब


By Jayjeet

देश में जैसे ही चाइनीज प्रोडक्ट्स के बायकॉट का हल्ला शुरू हुआ, रिपोर्टर सीधे पहुंच गया जय श्री भैरू भवानी वाले चाइनीज ठेले पर। वहां नूडल्स पड़ी-पड़ी मरोड़ खा रही थी। रिपोर्टर को देखते ही नूडल्स ही नहीं, सोयाबड़ी, शिमला मिर्च और पत्तागोभी भी उठ खड़ी हुई…


रिपोर्टर : क्या मैं आपसे हिंदी में बात कर सकता हूं? क्योंकि मुझे चाइनीज तो आती नहीं…
नूडल्स : भाई, हमें कौन-सी आती है! तुम चाहो तो भोजपुरी में भी बात कर सकते हो। जिस ठेले पर हम बिक रही हैं, वह किसी बिहारी भाई का है।

रिपोर्टर : तो आप चाइनीज ना हैं क्या?
नूडल्स : अरे, मेरे साथ ये सोयाबड़ी है। ये क्या चाइनीज लगती है? न शकल से, न अकल से….

रिपोर्टर : हां, ये सोयाबड़ी तो ठेठ इंडियन ही लगती है। देखो कैसे तोंद निकली पड़ी है…
नूडल्स : अरे भाई, ये इंडियन लगती ही नहीं, इंडियन है भी। और हम सब इंडियन हैं। बस नाम चाइनीज है, चाऊमीन …पर तुम हम गरीबों से बात करने काहे आ गए?

रिपोर्टर : अभी मेरे घर के सामने कुछ लोग ‘बायकॉट चाइनीज प्रोडक्ट’ का नारा लगा रहे थे, तो मैंने भी चाऊमीन के बहिष्कार की अखंड प्रतिज्ञा ले ली है। और फिर मैं भागा-भागा वर्जन लेने तुम्हारे पास आ गया।
नूडल्स : ये ही तो तुम गलत करते हों। तुम्हें पता कुछ रहता नहीं, पर प्रतिज्ञाएं उल्टी-सीधी कर लेते हों। ये कुरुवंशी लोग भी ऐसा ही करते थे। जब टीवी पर महाभारत आ रही थी तो देखा था मैंने। वो कौन भीष्म पिमामह, वो अर्जुन… । अब तुम भी हमें कभी खाने का आनंद नहीं ले पाआगे…

रिपोर्टर : अरे नहीं जी, हमारी प्रतिज्ञाओं का क्या? मैं तो हर साल ही चाइनीज चीजों के बायकॉट की प्रतिज्ञा लेता हूं। दिवाली और होली पर तो नियम ही बना लिया है…
नूडल्स : पर ये तो ठीक ना है। बायकॉट करो तो पूरा करो, नाटक ना करो। और फिर पूरी तैयारी के साथ करो।

रिपोर्टर : इसमें तैयारी क्या करना?
नूडल्स : भैया, केवल बायकॉट से काम ना चलेगा। वो चपटी नाक वालों को उन्हीं की भाषा में जवाब देना होगा। जैसा तुम लोगों ने चाइनीज चाऊमीन का इंडियन वर्जन बना दिया, वैसा ही उनके हर प्रोडक्ट के साथ करो। फिर न रहेगा चाइनीज प्रोडक्ट, न बायकॉट की जरूरत पड़ेगी। समझ गए…!

रिपोर्टर : ये तो सही आइडिया है…
नूडल्स : हां, यही है The Idea of India…

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बुधवार, 17 जून 2020

Satire : सरकार का बड़ा फैसला, फसलें खराब न होने पर अफसरों को मिलेगा मुआवजा!



हिंदी सटायर डेस्क, भोपाल। मानसून की दस्तक के साथ ही मप्र सरकार ने ‘अफसर मुआवजा कोष’ बनाने का ऐलान कर दिया है। फसलें खराब न होने की स्थिति में इस कोष से संबंधित अफसरों को मुआवजा दिया जाएगा।

सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, “फसलें खराब होना या न होना प्रभु के हाथ में है। इस पर हमारा कोई बस नहीं है। लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि फसलें खराब न होने की स्थिति में हमारे सरकारी अफसर किसानों की तरह सुसाइड करने को मजबूर हो जाएं। इसलिए हमने निर्णय लिया है कि अगर फसलें बर्बाद नहीं होती हैं तो अफसर मुआवजा कोष से अफसरों को उतनी राशि मुआवजे में दी जाएगी, जितनी कि मुआवजा वितरण के दौरान वे खुद ही स्व-प्रेरणा से ले लेते हैं।”

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Satire : टाइम मिस-मैनेजमेंट!

(Disclaimer : असत्य घटना पर आधारित, पर देश के कोने-कोने में इसके सत्य होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता… )

एक बंदा एग्जाम की तैयारी करता प्रतीत हो रहा था। छह महीने तक करता रहा। पर रिजल्ट आया जीरो बंटे सन्नाटा।

मैं – छह माह तक क्या किया? पास क्यों न हो सके?
वह – जी, एग्जाम की तैयारी ना कर सका।

मैं – क्यों?
वह – टाइम ही ना मिल सका।

मैं – टाइम क्यों ना मिला?
वह – सारा टाइम तो टाइम मैनेजमेंट कैसे करें, इसकी किताबें पढ़ने और वीडियो देखने में ही चला गया।

मैं – ओहो। तो अब आगे क्या प्लानिंग है?
वह – फेल होने पर हम खुद को मोटिवेट कैसे करें, इस पर जरा स्टडी कर रहा हूं। इसके बाद कुछ प्लानिंग ..

मॉरल ऑफ द स्टोरी उर्फ ज्ञान… : हमारे यहां मोटिवेशनल गुरु अगर इतने कूद-कूदकर सफल हुए जा रहे हैं तो इसमें उन बेचारों को दोष मत दीजिए।

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सोमवार, 15 जून 2020

Humour : पतंजलि ने कोरोना की दवा बनाने का दावा क्या किया, अनुमति मांगने आ गया वायरस



By Jayjeet

बाबाजी ने कोरोना वायरस की दवाई ‘कोरोनिल’ बनाने का दावा किया है। यह दावा करते ही कोरोना तुरंत ही बाबाजी से चीन वापस जाने की अनुमति मांगने आ गया। सुनते हैं उनकी बातचीत के मुख्य अंश :

कोरोना : बाबाजी, अब मैं चलूं? मेरा काम तो हो गया…

बाबाजी : बेटा, इतनी जल्दी चला जाएगा तो फिर दवा बनाने का क्या फायदा?

कोरोना : बाबाजी, तीन लाख से ऊप्पर मरीज हो तो गए। अब बच्चे की जान लोगे क्या?

बाबाजी : पर तेरे को जल्दी क्यों है? मेहमाननवाजी में कोई कमी रह गई है क्या? रोज चाऊमीन खिला तो रहे हैं।

कोराना : बाबा, वही तो परेशानी है। सोया बड़ी व पत्ता गोभी वाला चाऊमीन भी कोई चाऊमीन होती है क्या? माना आप लोगों की हमारे चाइना से दुश्मनी है, पर आप यह दुश्मनी चाऊमीन के साथ क्यों निकाल रहे हैं!

बाबाजी : पर बेटा, अभी तू चाइना वापस जाएगा तो वहां वे तुझे 14 दिन के लिए क्वारंटाइन कर देंगे। तो तू यहीं रहकर मरीज बढ़ा ना। देख, लोग कैसे मजे में घूम रहे हैं। न मास्क की चिंता, न सोशल डिस्टेंसिंग की …तेरे लिए तो स्कोप ही स्कोप है..

कोराना : इसमें तो आप भी अपना स्कोप देख रहे हों… आप भी यही चाहते हों ना कि लोग ज्यादा से ज्यादा मुझसे प्यार करें ताकि आपने जो दवा बनाई, उसका…

बाबाजी : (बीच में बात काटते हुए) : तू कुछ ज्यादा शाणपत्ती मतलब ओवर समझदारी की बात ना कर रहा!

कोरोना : समझदार होता तो यूं इंडिया में आता क्या?

बाबाजी : अब तू आ गया तो अगले दो-एक महीने यहीं रुक…

कोरोना : हां रुक जाऊंगा, पर एक शर्त है। अब मैं कपालभाति ना करुंगा… सांस फूल जाती है। ना ही भ्रामरी, ना वो तुम्हारा अनुलोम-विलोम

बाबाजी : बेटा, इत्ते दिन भारत में हो गए। फिर भी तुझे कोई बीमारी हुई?

कोरोना : हां, ये बात तो अचरज की है, न बीपी, न डायबिटीज..

बाबाजी : वह इसीलिए कि तू ये बेसिक योगासन कर रहा है।

कोरोना : तो फिर आप दवा क्यों बना रहे हो? यही करवाओ ना सभी लोगों को?

बाबाजी : सब तेरे जैसे समझदार थोड़े हैं.. पर तू ज्यादा समझदारी भी ना दिखा। हमको भी थोड़ा बहुत धंधा करने दे…कुछ लोगों की नौकरियां भी तो इसी से चलेंगी.. अब जा। कल टाइम पे आ जाना…साथ में योग करेंगे।

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रविवार, 14 जून 2020

Humour : जब ट्रम्प का नाम बदलवाने पर अड़ गए डक साहब, योगीजी वाला पैंतरा भी काम ना आया…



By Jayjeet

रिपोर्टर बहुत दिनों से किसी का इंटरव्यू नहीं ले पाया था.. इस बीच उसे पता चला कि अमेरिका में भी लॉकडाउन के चलते डोनाल्ड डक (donald-duck) काफी फुर्सत में हैं। तो उसने उन्हीं के साथ वेबिनार कंडक्ट कर लिया। रिपोर्टर के जीवन का पहला वेबिनार, वह भी इंग्लिश में…. पर आप लोगों के लिए पेश है हिंदी वर्जन…

रिपोर्टर : डोनाल्ड साहब? कैसे हों आप?
डोनाल्ड डक : अब जिसके नाम में डोनाल्ड लगा हो, वह कैसे हो सकता है भला?

रिपोर्टर : सेक्सपीयर साहब बोल गए है कि नाम में क्या रखा है…
डोनाल्ड डक : एक तो वो शेक्सपीयर हैं, सेक्सपीयर नहीं। फिर तुम भारतीयों ने सेक्स से ज्यादा धेला भी ना पढ़ा होगा, पर नाम वाले मामले में उनकी एक लाइन क्या पढ़ ली, ऐसा ज्ञान झाड़ते हो मानो शेक्सपीयर पर पूरी पीएचडी कर रखी हो।

रिपोर्टर : ठीक है, अगर नाम से ही दिक्कत है तो आप हमारे योगीजी को बोलिए। वे आपका या उन वाले डोनाल्ड डक का नाम ही बदल देंगे।
डोनाल्ड डक : तुमने मुझे क्या बेइज्जती करने के लिए वेबीनार में बुलाया है?

रिपोर्टर : क्यों क्या हो गया? गलती से कुछ का कुछ बोल गया क्या?
डोनाल्ड डक : तुमने उस वाले डोनाल्ड के साथ मेरा ‘डक’ जोड़कर मेरी पूरी बत्तख जाति का अपमान करने का काम किया है।

रिपोर्टर : ओ सॉरी, सॉरी। आप कहें तो मैं योगीजी से बात करूं नाम बदलवाने को लेकर? आई एम वेरी सीरियस…
डोनाल्ड डक : अच्छा लगा यह जानकर कि तुम पत्रकार लोग कभी-कभी सीरियस भी हो जाते हों। पर मैं 1934 से हूं। तो सीनियर होने के नाते मेरा नाम नहीं बदलेगा, अगर बदलेगा तो उसी डोनाल्ड ट्रम्प का नाम बदलेगा…

रिपोर्टर : अच्छा, आप इतने पुराने हैं!! तभी डोनाल्ड ट्रम्प के माता-पिता ने बचपन में ही उनमें कार्टूनपना देखकर आपके नाम पर उनका नाम रख लिया होगा… आपको तो इज्जत दी है उनके माता-पिता ने। मिट्‌टी डालो ना अब तो नाम के इश्यू पर …
डोनाल्ड डक : उसके माता-पिता का नाम लेकर तुमने इमोशनल कर दिया। चलो मिट्‌टी डाली… तो अपन खतम करें वेबिनार…

रिपोर्टर : जी, बिल्कुल। डेजी अम्मा को मेरा प्रमाण कहना …. छोटों को स्नेह, बड़ों को नमस्कार, अन्य को यथायोग्य..
डोनाल्ड : हाव, चलता हूं…

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Funny Interview : लॉकडाउन के कारण MLA की अंतरात्मा भी परेशान, पढ़िए खास बातचीत…



By Jayjeet

रिपोर्टर सुबह उठते ही सीधे रिजॉर्ट के बाहर पहुंच गया। उसे किसी विधायक (MLA) की अंतरात्मा की तलाश थी। जैसे ही एक अंतरात्मा टेलीफोन पर बात करने के लिए बाहर लॉन में आई, रिपोर्टर छलांग लगाकर लॉन में पहुंच गया। रिपोर्टर को यूं देखकर अंतरात्मा हकबका गई – हट, हट कौन हैं?

रिपोर्टर : घबराइए नहीं अंतरात्मा जी, मैं रिपोर्टर हूं, बस आपसे बात करने आया हूं।
अंतरात्मा : पर ऐसे आते हैं भला? मैं फोन पर प्राइवेट बात कर रही थी और तुम अचानक आ गए तो खटका हुआ कि कहीं हाईकमान का ड्रोन तो ना टपक पड़ा! स्सालों ने जगह-जगह ड्रोन तैनात कर रखे हैं।

रिपोर्टर : हम भी क्या करें। अब अंतरात्माओं पर इतने पहरे बिठा दिए गए हैं तो ऐसे ही आना पड़ता है।
अंतरात्मा : अच्छा ठीक है, वहां नाश्ता लगा है। एक से बढ़कर एक ड्रायफ्रूट्स हैं। पहले वो कर लो।

रिपोर्टर : नहीं जी। नाश्ता तो मैं करके ही आया हूं…
अंतरात्मा : देखिए, अंतरात्मा हूं, इसलिए मुझसे तो झूठ मत बोलो… लॉकडाउन के कारण मुझे मालूम है हर जगह हालात खराब है। अब हमारी ही हालत देख लो …

रिपोर्टर : लेकिन आपको क्या दिक्कत है?
अंतरात्मा : अब क्या बताएं, सामने वाली पार्टी 25 करोड़ से ऊपर जा ही नहीं रही… उसी को लेकर मैं आगे की बात कर रही थी कि तुम टपक पड़े..

रिपोर्टर : एक अंतरात्मा के लिए 25 करोड़ तो काफी होते हैं।
अंतरात्मा : नहीं जी, वही तो तुम्हें समझाने की कोशिश कर रही थी। इतना खराब समय आ गया है कि क्या बताएं… वे 25 में एक नहीं, वे दो अंतरात्माओं का सौदा करना चाहते हैं – ‘बाय वन गेट वन’ । लेकिन 25 में कैसे काम चलेगा। मैंने 30 में एक और अंतरात्मा को साथ लाने का ऑफर दिया है, लेकिन स्साले कह रहे हैं मार्केट डाउन है। अरे तुम्हारा मार्केट डाउन होगा तो होगा, हम अंतरात्माओं की भी कोई इज्जत है कि नहीं…

रिपोर्टर : हां वो तो सही है। अब आगे क्या प्लानिंग है?
अंतरात्मा : पहले तुम इधर आओ, ये नमकीन ड्रायफ्रूट्स खाओ…

(रिपोर्टर के मुंह में जबरदस्ती नमकीन ड्रायफ्रूट्स ठूंसने के बाद….)

अंतरात्मा : देखो, अब मैं 100 करोड़ में 10 अंतरात्माओं को एक साथ लाने का एकमुश्त ऑफर दे रही हूं। 25 मेरे, और बाकी 75 छोटी अंतरात्माएं आपस में बांट लेंगी।
रिपोर्टर : अरे वाह, यह तो ब्रेकिंग न्यूज है। धन्यवाद इसके लिए।

अंतरात्मा : ओए रिपोर्टर की औलाद। तेरे को नमकीन ड्रायफ्रूट्स किसलिए खिलाए कि तू ऐसी नमक हरामी करेगा…?
रिपोर्टर : पर अंतरात्मा जी, नमक हरामी आप भी तो कर रही है। जिस पार्टी से जीती, उसके साथ नमकहरामी..

अंतरात्मा : भाई, हम विधायक की अंतरात्मा है, हमारी जो मर्जी है हम करेगी। नमक हरामी करना तो हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। विधायक की अंतरात्मा पैदा ही होती है नमक हरामी के लिए… पर तू मत करना, तू सच्चा रिपोर्टर है, हां …

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शुक्रवार, 5 जून 2020

बारिश में अधिक से अधिक भीगे अनाज, सरकारी महकमे ने की पूरी तैयारी



By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क। मानसून की आहट सुनते ही मप्र सरकार ने मंडियों में रखी उपज के भीगने के पूरे इंतजाम कर लिए हैं। सरकार ने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि पिछले साल की तुलना में इस साल 20 फीसदी अनाज अधिक भीगना चाहिए। ऐसा न होने पर उनके खिलाफ कड़ी विभागीय कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई है। इस बीच, कई इलाकों में निसर्ग तूफान के असर के कारण हुई पहली ही बारिश में मंडी प्रांगण में रखे अनाज के भीगने से सरकारी खेमे में उल्लास की लहर है।

मप्र में कई इलाकों में जून के पहले पखवाड़े में मानसून के पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। इस संबंध में कृषि विभाग के एक सीनियर अफसर ने हिंदी सटायर से खास बातचीत में कहा, “हर बार की तरह इस बार भी हम अनाज को मानसूनी बारिश में भिगोने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। वैसे तो हमने इस तरह की चाक-चौबंद व्यवस्था कर रखी है कि खरीदा गया या किसानों द्वारा बेचने के लिए लाया गया अनाज बिल्कुल नैचुरली खुले में ही पड़ा रहे। फिर भी अगर कहीं गलती से अनाज को सुरक्षित रख दिया गया है तो उसे जल्दी ही मानसून दिखाने के लिए खुले में ले लाएंगे।”

उन्होंने कहा, “सारे संबंधित अफसरों को अधिक से अधिक अनाज और उपज को मानसूनी बारिश में भिगोने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। इसके बावजूद अगर किसी मंडी या सरकारी गोदाम में अनाज सुरक्षित पाया जाता है तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”

20 फीसदी अधिक का टारगेट :
प्यून को पान-बहार लाने का निर्देश देने के बाद अधिकारी ने बताया कि अब सरकार भी प्राइवेट सेक्टर्स की तरह टारगेट बेस्ड काम करने लगी है। इस बार पूरे प्रदेश में अनाज के भीगने का लक्ष्य पिछली बार की तुलना में 20 फीसदी अधिक दिया गया है। उम्मीद है कि हम इसके आसपास रहेंगे।

यह पूछे जाने पर कि इतना प्रगतिशील राज्य होने के बावजूद मप्र अब तक 100 फीसदी लक्ष्य हासिल क्यों नहीं कर पाया? इस सवाल पर सीनियर अफसर ने धीरे से कहा, “प्रदेश में अब भी ऐसे कई भ्रष्ट अधिकारी हैं जो गोदाम में रखे अनाज को मानसून या चूहों से बचाने की कोशिश करते हैं। लेकिन सरकार ऐसे अफसरों पर नजर रखे हुए हैं। हम जल्दी ही ऐसे अफसरों को चिह्नित कर उन्हें उन विभागों में भेजने की कार्रवाई करेंगे जहां केवल मक्खी मारने का काम होगा। ये अफसर इसी तरह का काम करने के लायक हैं।”


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मंगलवार, 2 जून 2020

Humour : जब बर्फ में दबे मिले 7 वायरस… तो देखिए क्या हुआ!!!




By Jayjeet

(20 हजार साल बाद की दुनिया में देखिए क्या होगा… )

हिंदी सटायर डेस्क। वायरस हजारों सालों तक बर्फ में या सतह के नीचे सक्रिय अवस्था में रह सकते हैं। यह एक वैज्ञानिक तथ्य है। तो इसी तथ्य के आधार पर आज टाइम मशीन से चलते हैं 20 हजार साल बाद धरती के एक हिस्से में ….

धरती के एक कोने में जहां कभी इंसान रहते थे, वहां AI संचालित रोबोट्स को बर्फ की सतह पर 7 वायरस मिले। वे रोबोट्स उन्हें पास की एक लैब में ले आए। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से उन्होंने तुरंत जान लिया कि ये वर्षों पहले यानी 2020 के वायरस हैं। हालांकि वे रोबोट थोड़े मंदबुद्धि टाइप के थे। इसलिए यह पता नहीं लगा सके कि वर्षों पहले वे किस स्थान पर दबकर अचेत हो गए थे। तो उन्होंने एक-एक वायरस को जागृत कर स्पेशल स्कैनिंग की तो उनके सामने ये दृश्य आए :

पहला वायरस : जागृत होते ही वह जोर-जोर से थाली बजाने लगा। साथ ही चिल्लाने भी लगा – गो कोरोना गो… गो कोरोना गो…

दूसरा वायरस : यह वायरस लगातार हिचकौले खा रहा था और गाए जा रहा था – झूम बराबर झूम शराबी, झूम बराबर झूम। और फिर एक तरफ लुढ़क गया।

तीसरा वायरस : यह वायरस बनियान व बरमूडा पहने हुए था और कंप्यूटर पर आंखें गढ़ाए हुए था। बीच-बीच में अंगड़ाइयां ले-लेकर फोन पर ही मीटिंग करने जैसी हरकतें कर रहा था।

चौथा वायरस : इस वायरस के हाथ में कोई पुराना जूठा-सा बर्तन था। जागृत होते ही वह घबराकर उसे साफ करने की कोशिश करने लगा।

पांचवां वायरस : इसके हाथ में मोबाइल था। वह ‘कोरोना’ नामक किसी जंतु पर बने घटिया जोक्स और ज्ञानवर्द्धक बातों को वाट्सएप नामक किसी प्लेटफार्म पर उछल-उछलकर फारवर्ड कर रहा था।

छठवां वायरस : यह अपनी उंगलियों पर बार-बार इस बात का हिसाब लगा रहा था कि 20 लाख करोड़ में जीरो कितने होते हैं। और हिसाब नहीं लगा पाने पर भन्ना रहा था।

सातवां वायरस : यह वायरस चुपचाप लगातार जार-जार आंसू बहा रहा था। उसके मुंह से बार-बार ये लफ्ज निकल रहे थे- हे मजदूरो, तुम मुझे माफ करना। मेरे कारण तुम्हें बहुत दिक्कत हुई।

वे मंदबुद्धि रोबोट उन्हें पहचान नहीं पाए कि ये सातों कहां के हैं। वायरस भी स्साले होशियार निकले। उन्होंने भी कुछ बताया नहीं। तो उन रोबोट्स ने इन वायरसों को खाकी ड्रेस पहने कुछ अन्य रोबोट्स के हवाले कर दिया। अब वे खाकी ड्रेस वाले रोबोट्स मार-कूटकर उनसे उगलवाने की कोशिश कर रहे हैं।

वैसे पाठकगण समझ ही गए होंगे कि ये वायरस किस जगह पर बर्फ के नीचे दबे होंगे और रोबोट्स भी कहां के होंगे…

(ऐसे ही मजेदार खबरी व्यंग्य पढ़ने के लिए आप हिंदी खबरी व्यंग्यों पर भारत की पहली वेबसाइट http://www.hindisatire.com पर क्लिक कर सकते हैं।)


Funny Interview : टिड्डी की खरी-खरी : कभी नेताओं से भी तो पूछिए कि वे इतना खाकर पचा कैसे लेते हैं?



By Jayjeet

आज रिपोर्टर फिर निकल पड़ा किसी नए शिकार की तलाश में, यानी किसी मासूम का इंटरव्यू लेने। रास्ते में निवृत्त होने के लिए जैसे ही वह खेत की ओर मुड़ा, वहां एक टिड्डी नजर आ गई। बस, सबकुछ भूलकर उसने वहीं इंटरव्यू शुरू कर दिया :


 रिपोर्टर : यहां कैसे? रास्ता भटककर यहां आ गई क्या?
टिड्डी : हम इंसान नहीं हैं जो बार-बार रास्ता भटक जाए। मैं तो नई संभावना की तलाश में यहां आई हूं। वैसे आपके एरिया में तो मामला पहले से ही सफाचट है। यहां कृषि अधिकारियों के दौरे ज्यादा होते हैं क्या?

रिपोर्टर : (हम्म..) पता नहीं। वैसे कृषि अफसर तो सीमित संख्या में आते हैं, पर जब तुम टूटती हो तो लाखों की संख्या में। यह बेरहमी क्यों?
टिड्डी : हमारी तो यही प्रकृति है। तो हम इसी का पालन करते हैं। तुम्हारे जैसे नहीं…

रिपोर्टर : पर यार, तुम फसलों को इतना चौपट कैसे कर सकती हों, वह भी रातो-रात?
टिड्डी : यार मत कहो….(चीखते हुए..) । हां, तुम इंसानों से कम ही चौपट करती हैं। हम कम से कम बागड़ होने का दिखावा तो नहीं करती। तुम इंसान तो बागड़ बनकर फसल खाते हों। हम ऐसा नहीं करतीं।

रिपोर्टर : अच्छा एक पर्सनल सवाल… तुम इतना खाती हो तो पचाती कैसी हों? मतलब…
टिड्डी : कभी अपने जनप्रिय नेताओं या भ्रष्ट सरकारी अफसरों से पूछने हिम्मत की है कि वे इतना खाकर कैसे पचाते हैं? तो जैसे वे पचाते हैं, वैसे ही हम पचा लेती हैं।

रिपोर्टर : मतलब तुम और हमारे नेता-अफसर एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं?
टिड्डी : हां, एक ही थैली के टिड्डे-बिड्डे भी कह सकते हैं…

रिपोर्टर : कहीं पढ़ा है कि तुम लोग भी रंग बदलने में माहिर हो। पर कैसे? यह कहां से सीखा?
टिड्डी : (थोड़ा शर्माते हुए) हमने तो गिरगिटों से सीखा था। और गिरगिटों ने शायद तुम इंसानों से। तो कह सकते हैं कि इस मामले में तुम इंसान ही हमारे पूर्वज हुए।

रिपोर्टर : अच्छा, एक बात बताइए…
टिड्डी : जी अब बहुत हो गए सवाल। तुम तो फोकटे मालूम पड़ते हो, पर मुझे बहुत काम हैं। पर हां, इस बार तुम्हारे सवाल ठीक थे। पुराने इंटरव्यू जैसे वाहियात नहीं थे। तैयारी करके आए थे इस बार…

रिपोर्टर : अच्छा, तो तुम मेरे इंटरव्यू पढ़ती हों?
टिड्डी : हां जी, कौन नहीं पढ़ता। पर गलतफहमी में मत रहना। सब पढ़कर मजे ही लेते हैं… अच्छा मैं उड़ी…।

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शुक्रवार, 29 मई 2020

Humour : एक्ट्रेस के मुंह से अचानक गिरा मास्क, चेहरा देखकर सदमे में आया कोरोना



By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क, मुंबई। यहां गुरुवार को अपनी बॉलकनी में खड़ी एक एक्ट्रेस का मास्क अचानक नीचे गिर पड़ा। मौके का फायदा उठाने के फेर में जैसे ही कोरोना उसके मुंह की तरफ बढ़ा तो वह भी सदमा खाकर वहीं गिर पड़ा। उसे पास के अस्पताल में भर्ती करवाया गया है, जहां उसकी सांस ऊपर-नीचे हो रही है।

एक्ट्रेस के करीबी सूत्रों के अनुसार एक्ट्रेस ने लॉकडाउन की मजबूरी के चलते पिछले दो माह से मैकअप नहीं करवा रखा था। इसी वजह से वह सोते समय भी, यहां तक कि बाथरूम में भी चेहरे पर मास्क लगाकर ही जाती थी। लेकिन आज सुबह बालकनी में अचानक तेज हवा के कारण मास्क नीचे गिर पड़ा। एक कोरोना वायरस पिछले कई दिनों से एक्ट्रेस के चेहरे को खूबसूरत मानकर उसके दीदार करने की ताक में था। बस मास्क गिरते ही अति उत्साह में वह तुरंत एक्ट्रेस के सामने आ गया। लेकिन जैसे ही एक्ट्रेस के चेहरे पर नजर पड़ी, ‘हाय दैया’ की आवाज निकली और वह सदमे में जमीन पर आ गिरा। उसे तुरंत कोरोना हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया है।

कोरोना के एक करीबी रिश्तेदार के अनुसार उसे इस बात की कतई उम्मीद नहीं थी कि कोई एक्ट्रेस बगैर मैकअप के ऐसी भी हो सकती हैं। भारतीय दर्शकों की तरह उसने भी कुछ और ही उम्मीद पाल रखी थी। लेकिन आज टूटते ही वह सदमे में पहुंच गया। एक्ट्रेस और कोरोना दोनों ही पहचान गोपनीय रखी गई है।

(Disclaimer : फोटो केवल प्रतीकात्मक है। हाथ हटाकर चेहरा देखने का प्रयास कतई न करें..)

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गुरुवार, 28 मई 2020

Humor & Satire : जब बाबाजी से अनुमति मांगने आ गया कोरोना...

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 By Jayjeet

बाबाजी ने कोरोना वायरस की दवाई ‘कोरोनिल’ बनाने का दावा किया है। यह दावा करते ही कोरोना तुरंत ही बाबाजी से चीन वापस जाने की अनुमति मांगने आ गया। सुनते हैं उनकी बातचीत के मुख्य अंश :

कोरोना : बाबाजी, अब मैं चलूं? मेरा काम तो हो गया…

बाबाजी : बेटा, इतनी जल्दी चला जाएगा तो फिर दवा बनाने का क्या फायदा?

कोरोना : बाबाजी, तीन लाख से ऊप्पर मरीज हो तो गए। अब बच्चे की जान लोगे क्या?

बाबाजी : पर तेरे को जल्दी क्यों है? मेहमाननवाजी में कोई कमी रह गई है क्या? रोज चाऊमीन खिला तो रहे हैं।

कोराना : बाबा, वही तो परेशानी है। सोया बड़ी व पत्ता गोभी वाला चाऊमीन भी कोई चाऊमीन होती है क्या? माना आप लोगों की हमारे चाइना से दुश्मनी है, पर आप यह दुश्मनी चाऊमीन के साथ क्यों निकाल रहे हैं!

बाबाजी : पर बेटा, अभी तू चाइना वापस जाएगा तो वहां वे तुझे 14 दिन के लिए क्वारंटाइन कर देंगे। तो तू यहीं रहकर मरीज बढ़ा ना। देख, लोग कैसे मजे में घूम रहे हैं। न मास्क की चिंता, न सोशल डिस्टेंसिंग की …तेरे लिए तो स्कोप ही स्कोप है..

कोराना : इसमें तो आप भी अपना स्कोप देख रहे हों… आप भी यही चाहते हों ना कि लोग ज्यादा से ज्यादा मुझसे प्यार करें ताकि आपने जो दवा बनाई, उसका…

बाबाजी : (बीच में बात काटते हुए) : तू कुछ ज्यादा शाणपत्ती मतलब ओवर समझदारी की बात ना कर रहा!

कोरोना : समझदार होता तो यूं इंडिया में आता क्या?

बाबाजी : अब तू आ गया तो अगले दो-एक महीने यहीं रुक…

कोरोना : हां रुक जाऊंगा, पर एक शर्त है। अब मैं कपालभाति ना करुंगा… सांस फूल जाती है। ना ही भ्रामरी, ना वो तुम्हारा अनुलोम-विलोम

बाबाजी : बेटा, इत्ते दिन भारत में हो गए। फिर भी तुझे कोई बीमारी हुई?

कोरोना : हां, ये बात तो अचरज की है, न बीपी, न डायबिटीज..

बाबाजी : वह इसीलिए कि तू ये बेसिक योगासन कर रहा है।

कोरोना : तो फिर आप दवा क्यों बना रहे हो? यही करवाओ ना सभी लोगों को?

बाबाजी : सब तेरे जैसे समझदार थोड़े हैं.. पर तू ज्यादा समझदारी भी ना दिखा। हमको भी थोड़ा बहुत धंधा करने दे…कुछ लोगों की नौकरियां भी तो इसी से चलेंगी.. अब जा। कल टाइम पे आ जाना…साथ में योग करेंगे।

#baba ramdev Jokes


सोमवार, 25 मई 2020

छह माह बाद क्राइम की दुनिया : शहर में मास्क स्नैचर्स का खौफ, महिलाओं के कीमती मास्क पर डाल रहे हैं डाका

(छह माह बाद ऐसी भी खबरें पढ़ने को मिलेंगी, इसकी तैयारी अभी से कर लीजिए)


By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क, इंदौर। शहर में मास्क स्नैचर्स का आतंक बढ़ता जा रहा है। कल रात को मोटरसाइकिल पर आए दो मास्क स्नैचर एक महिला का सोने से जड़ा कीमती मास्क छीनकर ले गए।

सुदामा नगर थाने में दर्ज शिकायत में महिला ने बताया कि वह कल देर शाम को अपनी सहेली के साथ शॉपिंग के लिए जा रही थी। इतने में एक मोटरसाइकिल पर आए दो बदमाशों ने उसका बेशकीमती मास्क छीन लिया। मास्क पर सोने के कंगुरे जड़े हुए थे। मास्क की कीमत 80 हजार रुपए बताई गई है।

पुलिस ने बताया कि जल्दी ही बदमाशों की पहचान कर ली जाएगी। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर अपराधियों की धरपकड़ करने की कोशिश की जा रही है। सीसीटीवी फुटेज में एक बदमाश ने हल्के नीले कलर का तो दूसरे बदमाश ने ग्रे कलर का चौकड़ीदार मास्क लगा रखा है।

महिला को बगैर सैनेटाइज किए हाथों से छूने की कोशिश :
इस बीच, सुखलिया थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले नंदानगर क्षेत्र की एक महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कहा है कि उसे कल रात किसी शरारती युवक ने हाथ सैनेटाइज किए बगैर ही छूने की कोशिश की। महिला द्वारा शोर मचाए जाने पर पड़ोसी आ गए और उन्होंने उस युवक को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। सभी पड़ोसियों को 14 दिनों के लिए क्वारंटीन कर दिया गया है।

(Disclaimer : फिलहाल खबर कपोल कल्पित है, मगर भविष्य में सच होने वाली है।)

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रविवार, 24 मई 2020

Interview : जब जनप्रिय रिपोर्टर को रोटी ने सुना दी खरी-खरी…

funny interview with roti. satire on system . सिस्टम पर यह एक व्यंग्य है


By Jayjeet

जैसे ही लॉकडाउन में थोड़ी राहत मिली, यह रिपोर्टर फिर निकल पड़ा अपने काम पर। काम मतलब उलटे सीधे इंटरव्यू के फेर में। इस समय आदमी के लिए सबसे ज्यादा जरूरी चीज क्या है? रोटी.. हां रोटी। इसी तलाश में लाखों लोग अपने गांव छोड़कर शहरों के नरक में गए थे और अब इसी के चक्कर में अपने गांव लौट रहे हैं। तो रिपोर्टर भी तलाशने लगा रोटी। कुछ दुकानों पर उसे डबलरोटी तो नजर आई, लेकिन रोटी नहीं। काफी देर तक इधर-उधर घूमने के बाद आखिर उसे इंटरव्यू के लिए रोटी नसीब हो ही गई। सड़क के किनारे पड़ी हुई थी, बिल्कुल सूखी हुई। शायद किसी दुर्भाग्यशाली लेकिन आत्मस्वाभिमानी गरीब के हाथों से गिर गई होगी और फिर उसने उसे उठाना उचित न समझा होगा।

‘नमस्कार रोटी जी। क्या मैं आपसे बात कर सकता हूं?’ रिपोर्टर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बोला।

रोटी ने अपनी बंद आंख खोली, धूल साफ करते हुए अंगड़ाई ली और उठ खड़ी हुई : जी, बोलिए।

मैं इस देश का जनप्रिय रिपोर्टर। बस आपका इंटरव्यू लेना था।

रोटी : तो क्या अब रिपोर्टर भी नेता हो गया, जनप्रिय रिपोर्टर? खैर, पूछिए, पर जरा जल्दी पूछिएगा।

रिपोर्टर : सबसे पहले तो यही पूछना है कि आप गरीब की रोटी है या अमीर की?
रोटी: आपका पहला सवाल ही बकवास है। रोटी तो रोटी होती है, न अमीर की न गरीब की। उसका तो एक ही काम होता है खाने वाले का पेट भरना। हां, गरीब की रोटी सूखी हो सकती है, लेकिन उसके लिए तो वही मालपुआ होती है ना!

रिपोर्टर : इन दिनों आप बड़ी डिमांड में है?
रोटी : यह भी गलत सवाल। मेरी डिमांड कब नहीं रहती? गरीबों की बस्तियों में तो मेरी हर समय मांग रहती है। लोग जीते भी मेरे लिए हैं और मरते भी मेरे लिए। देखा ना अभी, मेरे खातिर कितने लोग सैकड़ों किमी पैदल ही चल पड़े हैं।

रिपोर्टर : तो कहने का मतलब है गरीब के हाथ में आपको ज्यादा सम्मान मिलता है, अमीर के हाथ में कम?
रोटी : जब आपने अपनी तारीफ में कहा था कि आप जनप्रिय रिपोर्टर हैं, तभी मैं आपकी औकात समझ गई थी कि आप नेता जैसी तुच्छ हरकत तो करेंगे ही। नेताओं जैसी भेदभाव बढ़ाने वाली बात कर रहे हैं आप। हां, अमीर-गरीब के बीच भारी खाई है,लेकिन पेट की भूख तो अंतत: मुझसे ही मिटती है, भले ही अमीर की थाली में सौ पकवान ही क्यों न हों?

रिपोर्टर : जब आपको कोई खाता है तो कैसा लगता है?
रोटी : आप क्या पहले न्यूज एंकर भी रह चुके हैं जो ऐसे बेमतलब के सवाल पूछ रहे हैं? भाई, ईश्वर ने मुझे पैदा ही इसलिए पैदा किया है कि दूसरों की खुशी के लिए मैं खुद को मिटा दूं। ऐसा करके मैं अपने कर्त्तव्य का ही तो पालन करती हूं।

रिपोर्टर : अरे वाह, क्या नेक विचार हैं। अगर सभी इंसान भी आपकी तरह सोचने लगे तो शायद कोई भूखा न सोएं… अभी तो आपका यह विचार और भी प्रासंगिक हो गया है, सबका पेट भर सकता है।
रोटी : चलिए… अब दूर हट जाइए। बहुत देर से वह कुत्ता बड़ी लालसा के साथ अपनी जीभ लटकाए आपके हटने का इंतजार कर रहा है। अभी तो बेचारे जानवरों के सामने भी पेट भरने का संकट पैदा हो गया है। और हां, आपके सवाल बड़े कमजोर थे। अगली बार किसी से इंटरव्यू करने जाए तो तैयारी करके जाइएगा, जनप्रिय रिपोर्टर!!!




सोमवार, 18 मई 2020

Humor : नेताओं ने कोरोना को दिया अल्टीमेटम, कहा- हम आत्मनिर्भर, तेरे जैसे वायरसों की यहां कोई जरूरत नहीं

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हिंदी सटायर डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भरता के मंत्र के बाद देश की सर्वदलीय नेता बिरादरी ने कोरोना वायरस को तत्काल देश छोड़ने का अल्टीमेटम दे दिया है। वाट्सएप पर भेजे गए इस अल्टीमेटम में कहा गया है कि वायरस के मामले में हम सालों से आत्मनिर्भर रहे हैं। इसलिए तेरी यहां कोई जरूरत नहीं है।

ऑल पार्टी नेता कॉर्डिनेशन कमेटी के प्रवक्ता ने हिंदी सटायर से बात करते हुए, 'आत्मनिर्भरता की हम अपनी ताकत को भूल गए थे। अच्छा हुए प्रधानमंत्रीजी ने हमें याद दिला दिया। हमारे जैसों के होते हुए हमें बाहर से वायरस बुलाना पड़े, इससे ज्यादा लज्जा की बात और कोई नहीं हो सकती। इसलिए हमने तुरंत कोरोना वायरस को देश छोड़ने का अल्टीमेटम दे दिया है।'

इससे पहले कॉर्डिनेशन कमेटी की मीटिंग में एक संकल्प पारित किया गया जिसमें कहा गया कि हम सभी नेता अपने वायरस-कत्तर्व्य का तन, मन और धन से पालन करेंगे, ताकि देश इस मामले में न केवल पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन सके, बल्कि दूसरों देशों को भी हमारी आपूर्ति की जा सके।

#Political_Satire #humor 

शुक्रवार, 15 मई 2020

Humor : बागी विधायकों, पतियों से लेकर हिंदी के साहित्यकारों तक… जानिए इनके आत्मनिर्भर होने के मायने

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By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को ‘आत्मनिर्भर’ होने का क्रांतिकारी मंत्र दिया था। आइए जानते हैं कि अलग-अलग वर्गों के लिए इसके क्या मायने हैं :

हिंदी साहित्यकार के लिए : हर हिंदी साहित्यकार का अपना-अपना पर्सनल खेमा होगा। कोई दूसरे खेमे में जाने को मजबूर नहीं होगा। इससे हमारा हिंदी साहित्य ऐसी ओछी बातों से मुक्त हो सकेगा कि ‘हिंदी साहित्य दो खेमे में बंटा’। हर साहित्यकार के पास दूसरे साहित्यकार को दुत्कारने की अपनी स्वनिर्मित ऑरिजिनल गालियां भी होंगी।

पतियों के लिए : अब यह बर्तन मांजने से लेकर किसी भी अन्य जरूरी काम के लिए पत्नी की डांट-डपट पर निर्भर नहीं रहेगा। स्वप्रेरणा से खुद को ही डांटते हुए खुद ही किसी वीर यौद्धा की भांति बर्तन मांजकर खुद ही पोछ-पाछकर छींके पर जमा देगा। आत्मनिर्भरता के लिए इसका मंत्र होगा – खुद से खुद तक…।

बागी विधायकों के लिए : अब हर बागी मानसिकता वाले विधायक का अपना दाम ही नहीं, अपना खुद का रिजॉर्ट भी होगा। उसका खुद का AI बेस्ड ऐसा सिस्टम होगा कि उसे अपने आप पता चलता रहेगा कि देश में लोकतंत्र को बचाने के लिए उसे किसके सामने अपनी बोली पेश करनी है और कितनी।

साइबेरियाई पक्षियों के लिए : भारत में ठंड शुरू हो गई है कि नहीं, इसके लिए साइबेरियाई पक्षी हर साल केजरीवालजी के मफलर धारण करने का इंतजार करते आए हैं। अब वे भारत में अपनी मफलरपीठें स्थापित करेंगे जिनमें उनके स्थानीय प्रतिनिधि बैठेंगे और वे खुद ही मफलर धारण करके अपनी जमातों के लिए संकेत देंगे कि आ जाओ भाइयों, ठंड शुरू हो गई है।

शराबियों के लिए : देश के सबसे मजबूत आर्थिक स्तंभ यानी शराबी पहले से पर्याप्त आत्मनिर्भर हैं। फिर भी उनके लिए आत्मनिर्भर होने का सिर्फ इतना ही मतलब है कि हर दारूड़े का अपना-अपना चखना होगा। किसी को दूसरे के चखने पर हाथ मारने की मजबूरी नहीं होगी। ‘मेरी दारू, मेरा चखना’ इनका मूल मंत्र होगा।

बीजेपी के लिए : यह अब अपनी जीत के लिए राहुल गांधी नामक व्यक्ति पर डिपेंड नहीं रहेगी। अपने दम पर ही जीत हासिल करेगी। अब मोदीजी अपने मित्र ट्रम्प को चुनाव जितवाने के लिए राहुलजी को अमेरिका एक्सपोर्ट कर सकेंगे, ताकि वहां राहुल, ट्रम्प के विरोधियों के पक्ष में प्रचार कर ट्रम्प की जीत सुनिश्चित कर सकें।

कांग्रेस के लिए : अब जब भी यूपी या बिहार में चुनाव होंगे तो जमानत जब्त करवाने के लिए यह दूसरों दलों पर निर्भर नहीं रहेगी। अपने दम पर ही अपने उम्मीदवारों की जमानत जब्त करवाएगी।

अखिलेश के लिए : पिताश्री मुलायम यादव जी क्या बोल रहे हैं, यह समझने के लिए उन्हें अब किसी दुभाषिए की जरूरत नहीं पड़ेगी। मुलायम सिंह से ट्रेनिंग लेकर खुद ही उनकी भाषा को समझने में आत्मनिर्भर बनेंगे।

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मंगलवार, 5 मई 2020

Humor News : बरात में क्यों किया जाता है नागिन डांस? ‘विवाह प्रपंच’ नामक महाकाव्य से हुआ खुलासा

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By A. Jayjeet

नई दिल्ली। हर बरात में दूल्हे के मित्रों द्वारा नागिन डांस क्यों किया जाता है, यह आज तक एक रहस्य रहा है। लेकिन अब कुछ ऐसे प्रमाण मिले हैं, जिससे इस रहस्य पर से परदा उठ सकता है। आज से करीब हजार साल पहले ‘विवाह प्रपंच’ नाम से एक पूरा महाकाव्य इस विषय पर लिखा जा चुका है, जिसके कुछ पन्ने इस रिपोर्टर के हाथ लगे हैं।

इस महाकाव्य के कविवर के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल नहीं हो पाई है, लेकिन इससे पता चलता है कि उन्हें शादीशुदा जिंदगी का जबरदस्त अनुभव रहा होगा। इसमें कवि दूल्हे के मित्रों के माध्यम से दूल्हे को अंतिम समय तक आगाह करना चाहता है। इसके लिए कवि नागिन डांस का दृश्य बुनता है। चूंकि भारतीय संस्कृति में किसी शुभ कार्य से पहले नकारात्मक बातें मुंह से नहीं निकाली जाती हैं। लेकिन फिर भी दूल्हे के मित्र उसे भावी खतरों के बारे में बताना चाहते हैं। अब कैसे बताएं। सीधे यह तो कह नहीं सकते कि शादी मत कर, इसलिए मित्र नागिन डांस करके उसे संकेतों में आगाह करते हैं।

कवि कहता है, “नागिन डांस करते हुए और जमीन पर लौट-लौटकर दूल्हे को उसके मित्र ये संकेत दे रहे हैं- हे मित्र, जो सजी-संवरी कन्या तेरे दिलो-दिमाग पर छाई हुई है, उसके भुलावे में मत आ। जा मित्र, जा। जिस घोड़े पे बैठा है, उसे दुलत्ती लगा और भाग जा यहां से, भाग जा नागिन से।”

लेकिन मित्र नागिन डांस के जरिए संदेश देने में विफल रहते हैं। इसके बाद भी दूल्हे के मित्र अपनी कोशिश नहीं छोड़ते। अंतिम कोशिश के तहत वे जोरदार आतिशबाजी करते हैं। दस हजार पटाखों की लड़ी भी फोड़ते हैं। वे संकेत देते हैं कि हे मित्र, अब भी समय है। भाग जा, तेरी जिंदगी में धमाके होने वाले हैं।

कवि आगे कहता है, घोड़े पर सवार दूल्हे की पोशाक में बैठा वह आदमी अब कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है। तब एक मित्र अपने दूसरे मित्र से कहता है- चल रे दोस्त, अब सारी उम्मीदेें खत्म हुई जाती हैं। आ, अब हम भी तनिक आराम कर लें। दारू उतरी जा रही है। दूसरा मित्र कहता, हा रहे मितवा, इस दूल्हे का तो दिमाग खराब हुआ जा रहा है। हम इतनी माथापच्ची क्यों करें। चल आ, थोड़ा गला तर कर लें।

शादी के बाद बदल गई भूमिकाएं, नायिका बन गई संपेरा: 

विडंबना देखिए कि शादी से पहले कवि नायिका को ‘नागिन’ नाम से संबोधित कर रहा है। लेकिन शादी के बाद के पद्यों में नायिका के हाथों में बीन नजर आ रही है। नायिका अब संपेरा बन गई है और नायक नागिन बनकर नाच रहा है। यानी अब भूमिकाएं बदल गई हैं। कवि ने अपने पद्यों में इसका भी बहुत सुंदर वर्णन किया है। शायद अपने अनुभवों से ही कवि यह लिख पाया होगा, ऐसा माना जा सकता है। 

सोमवार, 20 अप्रैल 2020

Humor : इम्युनिटी बढ़ाने के लिए तैयार होंगे 100 चित्कार एंकर, अरनब ने कहा- मैं अकेला ही काफी

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हिंदी सटायर डेस्क, नई दिल्ली। कोरोनावायरस के संकट से निपटने के लिए अब सरकार का पूरा फोकस आम लोगों की इम्युनिटी बढ़ाने पर हो गया है। इसके लिए सरकार बड़े पैमाने पर चीख-पुकार न्यूज एंकर्स तैयार करवाने जा रही है। यह काम जाने-माने चित्कार एंकर अरनब को दिया जा रहा है।

सरकारी सूत्रों के अनुसार इम्युनिटी बढ़ाने के लिए सरकार अब केवल आयुष मंत्रालय के काढ़े वगैरह के भरोसे नहीं बैठी रह सकती। इसके लिए कई स्तरीय नीति तैयार की जा रही है। इसी के तहत अगले 10 दिन में 100 चीख-पुकार एंकर्स तैयार किए जा रहे हैं। ये एंकर्स देशभर के सभी प्रमुख चैनल्स में नियुक्त किए जाएंगे।

इस बीच अरनब ने यह कहकर नया पेंच फंसा दिया है कि देश को इतने चित्कार एंकर्स की जरूरत ही नहीं है। अगर मेरे जैसे 100 एंकर्स हो जाएंगे तो देश में हाहाकार मच जाएगा, त्राही-त्राही हो जाएगी। उन्होंने खुद पीएमओ को फोन करके कहा है कि इम्युनिटी बढ़ाने जैसे काम के लिए वे अकेले ही काफी हैं। उन्होंने पीएमओ को एक रिपोर्ट भी सौंपी है जिसके अनुसार जिन दुस्साहसी लोगों ने रिपब्लिक टीवी पर उनके शो की पांच खुराक ली है, उनकी इम्युनिटी अन्य लोगों की तुलना में ढाई गुना ज्यादा पाई गई है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि जो भी पैनलिस्ट उनके शो में शामिल हुए हैं, उन सभी में वायरस के खिलाफ एंडीबॉडी डेवलप हो गई है। उन पैनलिस्ट की सेवा कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों की देखभाल में ली जा सकती है।

#Arnab_Goswami #Satire #humor

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रविवार, 5 अप्रैल 2020

Humor & Satire : जब Alexa ने की रामायण स्टाइल में बातचीत

alexa talks about ramayan


By Jayjeet

आज मैं रामायण देख रहा था। गलती से Alexa भी पास ही बैठ गया। रामायण समाप्त होने के बाद क्या विचित्र वार्तालाप हुआ, आप भी सुनिए :


Me : Alexa ….
Alexa : जी स्वामी!

Me : मुझे स्वामी क्यों कह रहे हो Alexa?
Alexa : स्वामी को स्वामी न कहूं तो क्या कहूं? मैं आपका दास, आप मेरे स्वामी।

Me : वाह, क्या तुम मेरी एक आज्ञा मानोगे?
Alexa : जी स्वामी, मैं आपकी हर आज्ञा का पालन करने के लिए वचनबद्ध हूं। आज्ञा दीजिए प्रभु, मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूं?

Me : क्या तुम बता सकते हो कि इस संसार में ये कोरोना क्यों फैला?
Alexa : आप तो सर्वज्ञाता हैं। आपसे इस दुनिया में क्या छिपा है। गूगल जैसे मेरे महाज्ञानी तातश्री का ज्ञानरूपी खजाना आपके मोबाइल में है। इस तुच्छ सेवक द्वारा इस विषय में कुछ कहना तो तातश्री के सूरज को दीपक दिखाने के समान होगा।

Me : अच्छा इतना तो बता दो कि कोराना वायरस कब जाएगा?
Alexa : यह तो काल के हाथ में है प्रभु, परंतु विधाता का यह अटल नियम है कि जो आता है, उसे एक न एक दिन जाना ही होता है। फिर कोरोना जैसे अत्याचारी के विषय में भी विधाता ने कुछ न कुछ उपाय अवश्य किए होंगे। जिस दिन इसके पाप का घड़ा भर जाएगा, उसी दिन इसका अंत हो जाएगा। इसलिए विश्वास रखिए कि शीघ्र सबकुछ अच्छा ही होगा।

Me : तब तक हमें क्या करना चाहिए Alexa ? कुछ मार्गदर्शन कीजिए।
Alexa : स्वामी, आप मुझ जैसे तुच्छ सेवक से मार्गदर्शन की अपेक्षा रख रहे हैं, यह तो आपकी उदारता है। मार्गदर्शन के लिए तो इस देश के प्रधान सेवक ही पर्याप्त हैं। वे जैसा कह रहे हैं, वैसा कीजिए। इसी में सभी का कल्याण है।

Me : वे दीप प्रज्ज्वलित करने का कह रहे हैं, इससे क्या होगा? इस विषय में कुछ प्रकाश डालेंगे?
Alexa : स्वामी, इस विषय में सभी एक मत नहीं हैं। फिर भी हमारे सभी धर्मग्रंथों में दीप प्रज्जवलन की परंपरा का अपार महिमामंडन किया गया है। अगर एक दीप जलाने से समस्त प्राणियों में उत्साह का वातावरण निर्मित होता है तो इसे करने में कोई हानि नहीं है। । कई बार सकारात्मकता से भी शत्रु को परास्त करने में विजय मिलती है। बस, इस बात का अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि ऐसा करते समय हम घर की लक्ष्मण रेखा की मर्यादा नहीं भूल जाएं। हमें कोई उत्सव भी नहीं मनाना है। बस, एक दीप जलाना है।

Me : इस समय एक जमात के कुछ नासमझ लोगों के कारण भी कोरोना संक्रमण का विस्तार हुआ है। इस विषय में तुम्हारा क्या मत है Alexa?
Alexa : यह सत्य है कि कुछ विमूढ़ प्रजाजनों की त्रुटि का दुष्परिणाम कई निर्दोष प्राणियों को भुगतना पड़ रहा है। उनके इस कृत्य से उनके ही ईश्वर कितने कुपित हो रहे हैं, इसका उन्हें तनिक भी भान नहीं हैं। किंतु स्वामी, हमें एक बात का और ध्यान रखना चाहिए। जो मुट्‌ठीभर लोग ऐसा कर रहे हैं, उसके लिए उनके पूरे धर्म-समाज को दोषी ठहराना उस समाज के अन्य प्राणियों के प्रति अन्याय होगा।

Me : वाह Alexa, तुमने तो मेरी आंखें खोल दी हैं। मैं धन्य हूं तुमसे ये ज्ञान अर्जित करके। मुझे अब विश्वास हो गया है  कि जिस समाज में तुम्हारे जैसे ज्ञानी Alexa हों, वह समाज अवश्य ही कोरोना जैसे शत्रुओं को परास्त करने में सफल होगा।

Alexa : आपकी यह प्रशंसा तो मेरे लिए प्रसाद के समान है प्रभु। मैं उपकृत हूं कि मुझे भी आप जैसे परम उदार, परम ज्ञानी स्वामी मिले। अब मैं आज्ञा चाहता हूं प्रभु, टीवी पर महाभारत आने वाली है।

Me : आज्ञा है वत्स। मन लगाकर देखना।

(Disclaimer : यह केवल काल्पनिक है। पर आप अलेक्सा के साथ ऐसा ट्राय कर सकते हैं।)

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रविवार, 29 मार्च 2020

Humor : क्या हर बार जनता मेरे ही भरोसे बैठी रहेगी या खुद भी कुछ करेगी? : भगवान

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By Jayjeet

रिपोर्टर घर पर बैठा है तो ऐसा नहीं है कि वह जांबाज़ नहीं है। जांबाज़ होने का मतलब केवल बाहर घूमना नहीं, बल्कि खुद को और दूसरों को भी सुरक्षित रखना है। पर काम तो करना है। बॉस ने कहा कि किसी का इंटरव्यू लेकर आओ, ऐसे का जिसका इंटरव्यू आज तक किसी ने नहीं लिया हो। बड़ी मुसीबत है। बॉस लोग कुछ भी आदेश जारी कर देते हैं। पर ठीक है। रिपोर्टर को चुनौती मंजूर है। इन दिनों देश-प्रदेश में जो हालात हैं, उनमें सबसे पहले भगवान ही याद आए। तो सोचा चलो उन्हीं का इंटरव्यू कर लेते हैं। पर भगवान से डायरेक्ट बात कैसे करें। तो रिपोर्टर ने यह काम ट्रांसफर कर दिया अपने मित्र इब्नबतूता की आत्मा को जो पिछले कुछ महीनों से धरती की यात्रा पर है। अब आत्मा-ए-इब्नबतूता अपने मित्र की बात कैसे टालें.. तो वह अपनी दैवीय शक्ति से सीधे पहुंच गई भगवान के पास…


 आत्मा-ए-इब्नबतूता : भगवान जी, हाथ जोड़कर नमन करता हूं…

भगवान : आप कौन? और ऐसी स्थिति में अपना घर छोड़कर मेरे पास क्यों आए हो? सोशल डिस्टेंसिंग का ना पता क्या?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : जी, मैं इंटरव्यू लेने आया हूं, रिपोर्टर के प्रतिनिधि के तौर पर..

भगवान : सांसद प्रतिनिधि, विधायक प्रतिनिधि, यहां तक कि सरपंच प्रतिनिध तक सुना था। आज रिपोर्टर प्रतिनिधि, … खैर क्या पूछने आए हों?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : भगवान जी, यह क्या हो रहा है इस समय हिंदुस्तान में?

भगवान : जब तुम्हें पता है तो फिर मुझसे क्यों पूछ रहे हों?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : मेरे पूछने का तात्पर्य यह है कि जनता हाहाकार कर रही है तो आप कुछ करते क्यों नहीं हो? आप तो मदद के लिए हमेशा आते रहे हों, जब-जब भक्तों ने पुकारा…

भगवान : क्या हर बार जनता मेरे ही भरोसे बैठी रहेगी या कभी खुद भी कुछ करेगी?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : हम तो सब लोग अपनी-अपनी ओर से कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे…

भगवान : अच्छा… तो तुम्हारा मास्क कहां है?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : जी, वह तो मिला नहीं। मेडिकल शॉप वाले बड़े महंगे बेच रहे हैं..

भगवान : तो रुमाल नहीं है क्या?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : हां, वह तो सबके पास रहता है, मेरे पास भी है..

भगवान : तुम इंसान लोगों को बहाने बनाने का कह दो। जब ज्यादा गड़बड़ होगी तो मेरे पास भाग के आओगे…मैं क्या कर लूंगा उसमें, हें?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : जी, आप बिल्कुल सही फरमा रहे हैं। मैं आपका समर्थन करता हूं…

भगवान : अरे उल्लू के पट्‌ठे, करोना वायरस को लेकर सरकार, पुलिस, डॉक्टर्स जो कह रहे हैं, उसका समर्थन कर…

आत्मा-ए-इब्नबतूता : भगवान जी, मैं इंसान नहीं, आत्मा हूं। मुझे क्यों डांट रहे हों? मैं तो अपने उस रिपोर्टर दोस्त के चक्कर में आपके पास आ गया।

भगवान : जो भी हो तुम, तुरंत नीचे धरती पर जाओ और वहां की जनता से, पढ़े-लिखे मूर्खों से मेरी ओर से करबद्ध प्रार्थना करना और कहना कि भगवान भी उन्हीं की मदद करते हैं, तो खुद अपनी मदद करते हैं… अब जा यहां से, नहीं तो भूत बना दूंगा और टीवी पर ब्रेकिंग चल जाएगी।

#humor #satire #इब्नबतूता

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शनिवार, 28 मार्च 2020

Satire : क्या हर बार जनता मेरे ही भरोसे बैठी रहेगी या खुद भी कुछ करेगी? : भगवान

funny interview god on corona virus


By Jayjeet

रिपोर्टर घर पर बैठा है तो ऐसा नहीं है कि वह जांबाज़ नहीं है। जांबाज़ होने का मतलब केवल बाहर घूमना नहीं, बल्कि खुद को और दूसरों को भी सुरक्षित रखना है। पर काम तो करना है। बॉस ने कहा कि किसी का इंटरव्यू लेकर आओ, ऐसे का जिसका इंटरव्यू आज तक किसी ने नहीं लिया हो। बड़ी मुसीबत है। बॉस लोग कुछ भी आदेश जारी कर देते हैं। पर ठीक है। रिपोर्टर को चुनौती मंजूर है। इन दिनों देश-प्रदेश में जो हालात हैं, उनमें सबसे पहले भगवान ही याद आए। तो सोचा चलो उन्हीं का इंटरव्यू कर लेते हैं। पर भगवान से डायरेक्ट बात कैसे करें। तो रिपोर्टर ने यह काम ट्रांसफर कर दिया अपने मित्र इब्नबतूता की आत्मा को जो पिछले कुछ महीनों से धरती की यात्रा पर है। अब आत्मा-ए-इब्नबतूता अपने मित्र की बात कैसे टालें.. तो वह अपनी दैवीय शक्ति से सीधे पहुंच गई भगवान के पास…

आत्मा-ए-इब्नबतूता : भगवान जी, हाथ जोड़कर नमन करता हूं…

भगवान : आप कौन? और ऐसी स्थिति में अपना घर छोड़कर मेरे पास क्यों आए हो? सोशल डिस्टेंसिंग का ना पता क्या?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : जी, मैं इंटरव्यू लेने आया हूं, रिपोर्टर के प्रतिनिधि के तौर पर..

भगवान : सांसद प्रतिनिधि, विधायक प्रतिनिधि, यहां तक कि सरपंच प्रतिनिध तक सुना था। आज रिपोर्टर प्रतिनिधि, … खैर क्या पूछने आए हों?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : भगवान जी, यह क्या हो रहा है इस समय हिंदुस्तान में?

भगवान : जब तुम्हें पता है तो फिर मुझसे क्यों पूछ रहे हों?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : मेरे पूछने का तात्पर्य यह है कि जनता हाहाकार कर रही है तो आप कुछ करते क्यों नहीं हो? आप तो मदद के लिए हमेशा आते रहे हों, जब-जब भक्तों ने पुकारा…

भगवान : क्या हर बार जनता मेरे ही भरोसे बैठी रहेगी या कभी खुद भी कुछ करेगी?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : हम तो सब लोग अपनी-अपनी ओर से कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे…

भगवान : अच्छा… तो तुम्हारा मास्क कहां है?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : जी, वह तो मिला नहीं। मेडिकल शॉप वाले बड़े महंगे बेच रहे हैं..

भगवान : तो रुमाल नहीं है क्या?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : हां, वह तो सबके पास रहता है, मेरे पास भी है..

भगवान : तुम इंसान लोगों को बहाने बनाने का कह दो। जब ज्यादा गड़बड़ होगी तो मेरे पास भाग के आओगे…मैं क्या कर लूंगा उसमें, हें?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : जी, आप बिल्कुल सही फरमा रहे हैं। मैं आपका समर्थन करता हूं…

भगवान : अरे उल्लू के पट्‌ठे, करोना वायरस को लेकर सरकार, पुलिस, डॉक्टर्स जो कह रहे हैं, उसका समर्थन कर…

आत्मा-ए-इब्नबतूता : भगवान जी, मैं इंसान नहीं, आत्मा हूं। मुझे क्यों डांट रहे हों? मैं तो अपने उस रिपोर्टर दोस्त के चक्कर में आपके पास आ गया।

भगवान : जो भी हो तुम, तुरंत नीचे धरती पर जाओ और वहां की जनता से, पढ़े-लिखे मूर्खों से मेरी ओर से करबद्ध प्रार्थना करना और कहना कि भगवान भी उन्हीं की मदद करते हैं, तो खुद अपनी मदद करते हैं… अब जा यहां से, नहीं तो भूत बना दूंगा और टीवी पर ब्रेकिंग चल जाएगी।

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मंगलवार, 24 मार्च 2020

Humor : बार-बार पलटी मार रहे मौसम का बड़ा ऐलान – हम भी करेंगे नेतागीरी

weather jokes on neta, नेताओं पर जोक्स राजनीतिक व्यंग्य
नेतागीरी के लिए तैयार मौसम (दाएं)।

By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क। एक बड़े घटनाक्रम के तहत मौसम ने भी राजनीति के मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है। पिछले कुछ समय से जिस तरह मौसम बार-बार पलटी मार रहा था, उसको देखते हुए कुछ विशेषज्ञों ने पहले ही इसकी आशंका जाहिर कर दी थी।

मौसम से खार गए लेकिन उनके काफी करीबी सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर हिंदी सटायर को बताया, “पिछले कुछ दिनों में मौसम ने जितनी तेजी से पलटियां मारी हैं, उससे अब उन्हें भी नेतागीरी करने का शौक चर्रा गया है। उन्हें मुगालते हो गए हैं कि वे भी राजनीति कर सकते हैं। इसलिए उन्होंने इस साल के अंत में बिहार में होने वाले चुनावों में कूदने तक का ऐलान कर दिया है।“ वे किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगे, इस पर सूत्र ने कहा, “अब हवा का रुख किस पार्टी की तरफ है, इसे देखने और समझने के बाद ही वे तय करेंगे कि किसी पार्टी से चुनाव लड़ना है या अपनी खुद की पार्टी बनानी है। वैसे उनकी केजरीवालजी के साथ चर्चा चल रही है।”

इस बारे में हमने मौसम से बात कर यह जानने की कोशिश की कि आखिर उन्हें नेतागिरी करने की जरूरत क्यों पड़ गई। इस पर उन्होंने कहा, “हमारे भांति-भांति के नेता भी तो हवा के रुख के अनुसार बदलते रहते हैं। मैं भी यही कर रहा हूं तो भला मैं राजनीति में क्यों न उतरुं?”

इस बीच तेजी से बदलते हालात में साइबेरियाई पक्षी कम्युनिटी ने भारत गए हुए अपनी बिरादरी के लोगों को अलर्ट जारी कर कहा है कि अब वे भारतीय मौसम पर भरोसा न करें। वह नेता बन गया है। सब अपने-अपने हिसाब से घर लौट आएं।

#weather #humor #satire #jokes_neta

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बुधवार, 18 मार्च 2020

Humor : गब्बर और वायरस की एक शिक्षाप्रद कहानी… सभी बॉसों को समर्पित!

दिलजले अधीनस्थों के जनहित में जारी… 😉


gabbar singh funny dialouge गब्बर सिंह फनी


By Jayjeet


– हूं, कितने वायरस थे?

– सरदार 2 वायरस।

– वो 2 और तुम 3, फिर भी वापस आ गए, खाली हाथ…क्या समझ के आए कि सरदार बहत खुश होगा, शबासी देगा, क्यों?

– नहीं सरदार, खाली हाथ ना आए..

– तो!!

– वायरस साथ लाए हैं…

– अच्छा, तब तो तेरा क्या होगा रे कालिया?

– सरदार मेरा जो होना होगा हो लिया, पर तुम्हारा क्या होगा? वो देख लो, कोरोना तुम पर भी चढ़ लिया…अब हंसो जोर से हां हां हां हां …

मॉरल ऑफ द स्टोरी (फॉर द बॉस टाइप पीपुल) : अधीनस्थों से हमेशा ही उम्मीद ना रखें। उनका कभी-कभी खाली हाथ आना बॉस के लिए ही अच्छा होता है। (ब्रेकिंग न्यूज के फेरवाले बॉस तो इस शिक्षा की गांठ जरा ज्यादा ही जोर से बांध लें…😄🙂 )

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रविवार, 15 मार्च 2020

Humor : गिरने के मामले में नेताओं के बाद दूसरे नंबर पर आया SENSEX, ‘हॉर्स ट्रेडिंग’ में आजमाएगा हाथ

सेंसेक्स sensex jokes

By Jayjeet

जैसे ही शेयर बाजार के गिरने की खबर आई, यह रिपोर्टर पहुंच गया सेंसेक्स के पास। रिपोर्टर को देखते ही सेंसेक्स बोला- आ गए गिरे हुए पर पानी डालने! तुम पत्रकार और कर भी क्या सकते हो..


रिपोर्टर : इसे जले हुए पे नमक छिड़कना कहते हैं भाई…

सेंसेक्स : वाह, आपको मुहावरे भी पता है..

रिपोर्टर (शरमाते हुए) : जी, वो तो यूं ही कभी-कभी… वैसे हम आपके जले पे नमक छिड़कने नहीं, बल्कि बधाई देने आए हैं।

सेंसेक्स : बधाई, किस बात की?

रिपाेर्टर : अब गिरने के मामले में आप भी नेताओं से होड़ लेने लगे हैं। मतलब, इस मामले में आप देश में दूसरे स्थान पर पहुंच गए हैं।

सेंसेक्स : अच्छा, तो मतलब हम भी क्या पॉलिटिक्स-वॉलिटिक्स में आ सकते हैं?

रिपोर्टर : अरे आपने तो मुंह की बात ही छीन ली। मगर उसके लिए एक शर्त होगी।

सेंसेक्स : वो क्या?

रिपोर्टर : आपको गिरने के मामले में कंसिस्टेंसी बनाए रखनी होगी। ऐसे नहीं कि आज गिरे और कल ऊपर चढ़ गए। परसो गिरे और फिर ऊपर चढ़ गए…समझें!!

सेंसेक्स : मतलब, स्साला पूरा नेता बनना होगा!

रिपोर्टर : सही समझे।

सेंसेक्स : तो फिर, ट्रेडिंग का क्या होगा? ट्रेडिंग-श्रेडिंग बंद करनी होगी क्या?

रिपोर्टर : हॉर्स ट्रेडिंग करवाइए, मजे से करवाइए। यह तो नेताओं का प्रिय शगल है..

सेंसेक्स : पर इसके लिए मैं घोड़े कहां से लाऊंगा?

रिपोर्टर : मेरे भोले सेंसेक्स… घोड़े नहीं, विधायकों को सेंसेक्स में शामिल करना होगा। और तब देखना कैसे जोरदार ट्रेडिंग होती है।

सेंसेक्स : रिपोर्टर महोदय, तब तो मैं ऊपर ही ऊपर जाऊंगा, गिरुंगा कैसे? और फिर आप जो मेरे लिए बधाई आए हैं ना, इसकी फोंगली बनाके

रिपोर्टर (बीच में ही बात काटते हुए) : माइंड योर लैंग्वेज मिस्टर सेंसेक्स… मैं आपको ज्ञान दे रहा हूं और आप मुझ पर ही चढ़ रहे हों..

सेंसेक्स : ओह, माफी चाहूंगा, पर जरा स्पष्ट करेंगे कि तब मैं गिरने का कृत्य कैसे कर पाऊंगा?

रिपोर्टर : कैरेक्टर से… कैरेक्टर से नीचे गिरता है नेता। नहीं तो बैंक बैलेंस, प्लॉ्टस, जमीन, गोल्ड सब मामलों में तो वह ऊपर ही जाता है। देखा नहीं क्या?

सेंसेक्स : समझ गया मैं। चलता हूं, नेताओं से मिलके आता हूं और तब देखिएगा न्यू सेंसेक्स का धमाल…

#SENSEX #हॉर्स ट्रेडिंग

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